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Adultery पूरा परिवार फंसा गुंडों की तंबू में
#22
एक नई सुबह एक नई जिंदगी । 




मनोहर ने हमे अपने शहर से कोचों दूर एक नए शहर पर ला रख दिया था । एक छोटा सा घर जिसमे तीन कमरे थे एक छोटा सा किचन और दो अपने मर्जी से जैसा कमरा मानना है मान लो  और घर की 50 × 40 स्क्वायर फीट जमीन की कागज मेरे पास था । मेरी पढ़ाई की कोई भी कागज नही था नए पहचान के कुछ नकली आईडी। कहा हम राजा की तरह रहने वाले अब चोटी सी तबेले जैसे घर में रहना पर रहा था । मनोहर ने मुझे सिर्फ एक लाख रुपया दिया था अब उसमें हम क्या करे । 



तो तीनों औरते ने कुछ फैसला किया । और घर के ही सामने बाजार लगती थी । तो वाहा के मुंशीपलटी से कुछ इधर उधर कर के बात शीत कर के घर के सामने ही सब्जी और फलों का दुकान लगा दिया । और में होम डिलीवरी का काम भी करने लगा लेकिन में नया था कोई जान पहचान नही थी जगह भी ठीक से नही पहचानता था  तो शुरू शुरू में कुछ गुजारा करने लायक ही लाभ मिलता था । 



तीनो औरतों दुकान पे बैठती थी और में चामान वगेरा लाता था काम दाम में बड़े व्यापारी से । उस काम में मजा तो नही था पर पेट भरने के लिए मजबूर था । 




धीरे धीरे दिन बीते । और शहर की माहोल समझ में आने लगा । वो जगह किसी रेड लाइट एरिया जैसा ही था जहा हम रहते थे । 


कोई बार ऐसा हुआ की जब मां चाची और मामी से दाम पूछते थे । वो तीनो नए माहौल में डरी हुई रहती थी किसी तरह वैसे इंसान से पीछा चुराते थे । 




धीरे धीरे जिंदगी काट रही थी और हमने एक प्लान बनाया की हम कुछ पैसा जोड़ के किसी अच्छे जगह चले जायेंगे । तो दिन रात मेहनत करने लगा । सुबह 6 बजे से शाम 7 या 8 बजे तक दुकान चलाते थे हम लोग । और दिन में कोई एक घर में खाना बना कर के आते थे और खाने भी एक या दो कर के खा के आते थे एक मिनिट के लिए भी दुकान बंद नही रखते थे । 





भले ही में अपनी पिछली जिंदगी की सांहो सौकत बोहोत मिस कर रहा था पर मेरे साथ मेरी मां चाची और मामी थी तो में खुश था । मामी भी अपने बेटी से फोन पे बात कर के खुश थी पर उसे कुछ नहीं बताया मामी ने । तीनो औरते अपने पति को याद करती थी फिक्र करती थी की किस हाल में होगा पर में दिलासा देता था कि ठीक हो होगा और कहता जैसा किया वैसा भरना तो पड़ेगा ही । 




एक दिन दोपहर में ढेर सारी सब्जी ले आया । एक गांव से सीधा खेतो से ले आया था ताजी ताजी । मां और चाची दुकान पर ही थे । 



" मामी कहा है। आज बिक्री कैसी है " मैने पूछा । 


" खाना बनाने गई है। आज कहा से सब्जी ले आया इतने ताजे। " चाची बोली ।



" वो गांव की खेतो से ले आया हूं । " में जवाब दिया 


" अच्छा हे इसमें एक रुपए भाव बढ़ा सकते है हम । " मां सब्जियों को चेक कर रही थी ।



" में कुछ खा के आता हूं " 



" ठीक है जा । उसके बाद फल भी लेने जाना गुदाम में " मां बोली ।



में अपना शर्ट उतारते हुए जा रहा था गर्मी लग रही थी तो सीधा नहाने ही चला जाऊंगा । मुझे लगा कि मामी किचन में ही होगी और में घर के पीछे बने नल और छोटे से बाथरूम की और चला गया । 



में सीधा बाथरूम का दरवाजा खोलता हूं । लेकिन मेरी आंखे सोक गई और मेरी पेड़ जमीन पड़ जम गए । एक पल के लिए लगा की में क्या करू और क्या ना करू और अगले ही पल मुझे समझ आया की मुझे क्या करना चाहिए । में घूम गया ।



और मामी आऊ कर के चीख कर बाथरूम से तेज़ी से निकल कर चली गई । मामी बिना दरवाजे बंद किए बाथरूम के अंदर थी सायेद उसे किसी की आने की कोई खयाल नही थी । 


मामी एक उल्टी बाल्टी पर बैठ कर टांगे फैला के दीवार पर टिकी हुई बैठी थी उसके एक हाथ में एक खीरा था जो वो अपनी चूत में अंदर डाल रही थी । मैने देखा था की मामी की चूत में बोहोत बाल है । 




में अंदर घुसा और दरवाजा लगा कर नहाने लगा पर दिमाग पर मामी की खयाल थी और हाथ अपने आप ही मेरे लंद पर चला गया मेरा लन्ड आज उफान पे लग रहा था कुछ ज्यादा ही भयंकर लग रहा था । में बेहेकता चला गया और मामी को याद कर के मूठ मारने लगा ।  मेरा लन्ड 6 इंच का होता था खड़ा होने पर मुझे लगता था की मेरा लन्ड बोहोत बड़ा है पर मुझे याद हे लाखा का लंड । उसके आगे तो मेरा छोटा ही लगता था । मैने कोई बार देखा था लाखा ने मेरी मां चाची और मामी तीनो को चोदा है और खयाल आया की लाखा का लंड कितना अंदर जाता होगा और कितना फैला देता था चूत को । बस इसी खयाल से मेरा मुठ गिर गया । में करीब एक देर साल बाद मूठ मारा था और मेरा वीर्य इतना गाढ़ा हो के निकला था की में भी हैरान था । 
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RE: पूरा परिवार फंसा गुंडों की तंबू में - by Youngsters - 13-12-2022, 01:37 PM



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