Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery पूरा परिवार फंसा गुंडों की तंबू में
#18
पूरे 15 दिन हो गए थे । और इन 15 दिनों में मनोहर ने कुछ दस्ताबेस में मेरा साइन लिया । और मैने देखा कि उसमे मेरे दादाजी पापा चाचा और मामा का भी साइन है। में समझ गया कि मनोहर ने किसी न किसी तरह अपनी मकसद पूरा कर लिया । तो मैंने उससे बिनती की अब हमे जाने दो तो उसने बोला की रांडियो को अभी प्रोफेशनल बनाने में वक्त है। कुछ दिन लगेंगे और । 





में सच रहा था की अब और कितने दिन । पता नही ये लोग हमे छोड़ भी देंगे या नही। और हर दिन कुछ ना कुछ होता ही जा रहा था । तीनो औरते के साथ कोई भी अपनी मन मर्जी करता था । कोई प्यार से तो कोई अपनी जानवर जैसे पेश आता था । 


एक दिन मुझे पापा चाचा और मामा से मिला जो बड़ी मिन्नतों के बाद मुझे मनोहर ने मिलने दिया। में उसने  मिला मैंने पाया कि वो लोग अब भी उसी कपड़े में बंदी है हालत ठीक नहीं थे उनलोगो की मुझे बोहोत दुख हुआ । 



कुछ देर बाते कर पाया में उन लोगो से । और वो लोग अपनी अपनी पत्नी से मिलने को बेताब थे तो मैंने फिर मनोहर से रिक्वेस्ट की तो फिर मनोहर मान गया । 


तीनो पतियों को अपनी पत्नियों से मिलने दिया गया में तम्बू के बाहर खड़ा था । अंदर एक दूसरे से मिलने की खुशी का थोड़ा बोहोत माहोल चला । लेकिन अगले ही पल कुछ ऐसा हुआ की मुझे बोहोत गुस्सा आने लगा । 




अंदर मिलने की बेताबी दूर हो रही थी पर तीनों औरतों ने सिर्फ इतना कहा की " आप लोगो को ऐसा नही करना चाहिए । देखो आप लोगो की किए पर हम लोग भी बेवजह तकलीफ झेल रहे है हमारे लल्ला भी खमखा झेल रहे है। आप लोग उससे माफी मांग लीजिए क्या पता वो आप लोगो को माफ कर दे और हमें खुशी खुशी ही जाने दे"



लेकिन तीनों मर्द अपनी गलती मानने की वजाय उल्टा अपनी पत्नियों पर ही भड़क गए । तो कहा सुनी में पत्नियों ने भी कह डाली कुछ करवी बाते । लेकिन तीनों पता नही किस मर्दानगी पर इतना अहंकार करते थे की अपनी ही पत्नियों पर ही हाथ उठा दिया । 




मुझे बोहोत गुस्सा आ रहा था । और खुन्नस में आ के मेरे दिल ने कुछ फैसला किया और में मनोहर से जब तम्बू में मिला तो उनसे कुछ बाते की ।




मनोहर कुछ काम में व्यस्त थे । 


"  मुझे आपसे कुछ मदद चाहिए । " मैने बोला 



मनोहर हस्ते हुए अपनी पिस्टल टेबल पर रखा और बोला " क्या मदद चाहिए" 


मैने थोड़ा सोचा कि बोलूं की ना बोलूं फिर सोचा कि बोल के देखता हूं एक बार " आप मेरे पापा मामा चाचा या दादाजी और दादाजी के साथ जो करना है करिए पर मेरे मामी चाची  मां और मुझे जाने दीजिए । में उन तीनो को ले कर अकेला कही चला जाऊंगा । मुझे भी दादाजी या पापा के साथ नही रहना हे" 


मनोहर हंसा " क्यू। क्या हो गया बच्चे । इतनी नफरत क्यू" 


में बोला " क्यू की वो लोग आपसे भी बड़ा हरामी है। इसलिए और बदले में आप सारे जयदात ले लो बस मुझे कुछ पैसे दे दो ताकि में कही जा कर झोपड़ी ही सही सर ढकने के लिए कही रह पाऊं और अपनी मामी चाची और मां को कुछ कामा पाल चाकू कोई छोटा मोटा काम या ब्यापार कर लूंगा "



मनोहर कुछ सोचा और बोला " ठीक है इसमें में तेरी मदद करूंगा क्यू की इसमें मेरा ही फायदा है। तेरे दादाजी को तुझपे बड़ा नाज है घमंड है क्यू तू आगे उसकी वंश आगे बढ़ाएगा नाम बना के रखेगा और ये सब जब वो अपनी आखों से सीसे की तरह टूटता देखेगा तो जीते जी मर जायेगा । यही तो में चाहता हूं । ठीक हे में तुझे वादा करता हूं । लेकिन और 15 से 20 दिन बाद । और हा आज रात तेरी चाची तेरे चाचा के आंखो के सामने चुदने वाली है " 



ये कह कर मनोहर तंबू से बाहर चला गया । में बैठा रह गया ।




 
Like Reply


Messages In This Thread
RE: पूरा परिवार फंसा गुंडों की तंबू में - by Youngsters - 11-12-2022, 01:56 PM



Users browsing this thread: 7 Guest(s)