11-12-2022, 01:52 PM
मनोहोर चूत जी भर के चाटने के बाद मां ही हल्की सर्बी से भरी मखमल पर चाट चाट कर चूसने लगा मां की गहरी नाभी में जीव घुमा घुमा के चाट रहा था । और ये देख कर मुझे अजीब सा लग रहा था । मां के लिए दुख तो हो रहा था लेकिन में पहली बार चुदाई देख रहा था अपनी आंखो से जो अब तक इंटरनेट पर देखते आया था । में भी अभी तक कुंवारा ही था इन मामलों में अभी तक पीछे ही था ।
मनोहर अब मां की चूचियां ब्लाउज के ऊपर से ही दबा रहा था । और उनकी हाथो में मुझे साफ अंदाजा हो रहा था की मां की चूचीया बड़े है मां और रोने लगी । लेकिन मनोहर को कोई फर्क नही पड़ रहा था और बोल रहा था " बच्चे तेरी मां की आम तो काफी रचीले है"
लेकिन मां को इस बात का मतलब कुछ समझ नही आया की मनोहर किसे सुना रहा था । और मैने देखा कि मनोहर मां को हाथ ऊपर कर के पसीने से भीगी बगल सूंघ के चाटने लगा था पता इस हरकत से क्यू मेरी नशो में जैसे खून उबलने लगा था । कुछ अजीब सा मनमोहक कामुक दृश्य लगा जो दिल मान रहा था पर दिमाग नही।
मनोहर ने मां की दोनो बगल चाट कर मां की ब्लाउज के हुक तोड़ के ब्लाउज ही सर सर कर फाड़ दी । मां पीठ के बल लेती हुई थी फिर उसकी चूचियां तंग ब्रा की कैद से जैसे आजाद होने को फड़फड़ा रही थी । उभरी हुई मां कि छाती दिखाई पड़ रही थी ।
और मां ने मनोहर का मुंह हटाने की कशिश करती हुई बिनती करने लगी " प्लीज ****वान के लिए मुझे छोड़ दो । ऐसा पाप मत करो मेरे साथ "
पर मनोहर कहा सुनने वाला था उल्टा उसने जवाब ऐसा दिया की मां शर्म से लाल पड़ गई उसने बोला " तेरा ससुर मेरा दोस्त हुआ करता था जब तू ससुर से चुदवा सकती है तो ससुर के दोस्त से क्यू नही रांड । नखरे मत कर उम्र मत देख मेरी बोहोत मजा दूंगा "
मनोहर मां की काले रंग की ब्रा भी उतार कर फेंक दिया और अब मां बिल्कुल नंगी थी । मनोहर ने मां की रसीली चूचीया चूचक चुचक कर उम्म उम्म्म कर के किसी बच्चे की तरह चूस चूस कर और मसल मसल कर मां की गोरी चूची पर निशान छाप कर लाल कर दिए ।
और फिर वो मां की ऊपर से उठा और अपना कच्छा निकाला। में दंग रह गया की इस उम्र में ही उसका लन्ड एक दम सख्त हो रखा था । मनोहर गोरे रंग का था और उसका लंड भी गोरा और लाल सुपाड़ा वाला था ।
उसने जबरदस्ती मां की सर पकड़ कर मां की मुंह में लंड घुसा कर मां की मुंह चोदने लगा । मां नाकाम कशिश कर रही थी मुंह हटाने की पर जैसे ही मनोहर ने मां की बाल खींचा तो मां कमजोर पर गई । बुद्धा बोहोत चालाक था सारे खेल जानता था ।
कुछ देर तक मां की मुंह चोद के मां की टांगो के बीच आ गया मां खासती हुई थूक फेक रही थी जमीन पर। मनोहर ने मां की टांगे फैला कर एक झटके में लंड घुसा कर मां की ऊपर लेट गया । मां मुंह फेर कर रोए जा रही थी ।
मनोहर धीर धीरे कमर उछालता हुआ मां की चूत चोदना आरम्भ किया । मेरा अब दिल रो रहा था ये देख की मेरी ही आखों के सामने मेरी जन्म देने वाली का की चूत पर किसी राक्षस का लंड चुदाई कर रहा था घुस घुस कर । जहा मां बेबस हो कर रो रही थी वोही वो राक्षस मजा ले रहा था मां की चूत का ।
कुछ ही देर में मनोहर और खूंखार हो गया और मां को रोने से गुस्सा हो के बोला " चुप कर रांड कितना रोटी है। "
और जोर जोर से धक्का मारता हुआ मां की कांधे पर काट लेता था गालों पर और जबरन मां की होंठ चूस कर मां की होंठ काट लेता । मां दर्द से बिलबिला जाती चीख पड़ती चिल्लाती। लेकिन कोई मां को बचाने वाला नही बल्कि मे भी दुखी हो के मजबूर आखों से सब कुछ देखता रहा।
साला कमीना बुद्धा इतना जोशीला था की तकरीबन 15 मिनिट तक मां की चूत की धुनाई की तब जा के मां की चूत में झाड़ गया और मां की ऊपर ही पड़ा रहा ।
मनोहर हाफ रहा था और बर्बरा रहा था " आह रानी मजा आ गया क्या राचिली माल हो तुम । "
मां मनोहर को हटाने की कशिश करने लगी और मनोहर उठा भी । उसने दो पेग बनाया और गटागट पी गया । मां कपरे समेत के पहने की कशिश करने लगी । में भी समझ रहा था कि अब खेल खत्म पर ऐसा नही था ।
मनोहर अब मां की चूचियां ब्लाउज के ऊपर से ही दबा रहा था । और उनकी हाथो में मुझे साफ अंदाजा हो रहा था की मां की चूचीया बड़े है मां और रोने लगी । लेकिन मनोहर को कोई फर्क नही पड़ रहा था और बोल रहा था " बच्चे तेरी मां की आम तो काफी रचीले है"
लेकिन मां को इस बात का मतलब कुछ समझ नही आया की मनोहर किसे सुना रहा था । और मैने देखा कि मनोहर मां को हाथ ऊपर कर के पसीने से भीगी बगल सूंघ के चाटने लगा था पता इस हरकत से क्यू मेरी नशो में जैसे खून उबलने लगा था । कुछ अजीब सा मनमोहक कामुक दृश्य लगा जो दिल मान रहा था पर दिमाग नही।
मनोहर ने मां की दोनो बगल चाट कर मां की ब्लाउज के हुक तोड़ के ब्लाउज ही सर सर कर फाड़ दी । मां पीठ के बल लेती हुई थी फिर उसकी चूचियां तंग ब्रा की कैद से जैसे आजाद होने को फड़फड़ा रही थी । उभरी हुई मां कि छाती दिखाई पड़ रही थी ।
और मां ने मनोहर का मुंह हटाने की कशिश करती हुई बिनती करने लगी " प्लीज ****वान के लिए मुझे छोड़ दो । ऐसा पाप मत करो मेरे साथ "
पर मनोहर कहा सुनने वाला था उल्टा उसने जवाब ऐसा दिया की मां शर्म से लाल पड़ गई उसने बोला " तेरा ससुर मेरा दोस्त हुआ करता था जब तू ससुर से चुदवा सकती है तो ससुर के दोस्त से क्यू नही रांड । नखरे मत कर उम्र मत देख मेरी बोहोत मजा दूंगा "
मनोहर मां की काले रंग की ब्रा भी उतार कर फेंक दिया और अब मां बिल्कुल नंगी थी । मनोहर ने मां की रसीली चूचीया चूचक चुचक कर उम्म उम्म्म कर के किसी बच्चे की तरह चूस चूस कर और मसल मसल कर मां की गोरी चूची पर निशान छाप कर लाल कर दिए ।
और फिर वो मां की ऊपर से उठा और अपना कच्छा निकाला। में दंग रह गया की इस उम्र में ही उसका लन्ड एक दम सख्त हो रखा था । मनोहर गोरे रंग का था और उसका लंड भी गोरा और लाल सुपाड़ा वाला था ।
उसने जबरदस्ती मां की सर पकड़ कर मां की मुंह में लंड घुसा कर मां की मुंह चोदने लगा । मां नाकाम कशिश कर रही थी मुंह हटाने की पर जैसे ही मनोहर ने मां की बाल खींचा तो मां कमजोर पर गई । बुद्धा बोहोत चालाक था सारे खेल जानता था ।
कुछ देर तक मां की मुंह चोद के मां की टांगो के बीच आ गया मां खासती हुई थूक फेक रही थी जमीन पर। मनोहर ने मां की टांगे फैला कर एक झटके में लंड घुसा कर मां की ऊपर लेट गया । मां मुंह फेर कर रोए जा रही थी ।
मनोहर धीर धीरे कमर उछालता हुआ मां की चूत चोदना आरम्भ किया । मेरा अब दिल रो रहा था ये देख की मेरी ही आखों के सामने मेरी जन्म देने वाली का की चूत पर किसी राक्षस का लंड चुदाई कर रहा था घुस घुस कर । जहा मां बेबस हो कर रो रही थी वोही वो राक्षस मजा ले रहा था मां की चूत का ।
कुछ ही देर में मनोहर और खूंखार हो गया और मां को रोने से गुस्सा हो के बोला " चुप कर रांड कितना रोटी है। "
और जोर जोर से धक्का मारता हुआ मां की कांधे पर काट लेता था गालों पर और जबरन मां की होंठ चूस कर मां की होंठ काट लेता । मां दर्द से बिलबिला जाती चीख पड़ती चिल्लाती। लेकिन कोई मां को बचाने वाला नही बल्कि मे भी दुखी हो के मजबूर आखों से सब कुछ देखता रहा।
साला कमीना बुद्धा इतना जोशीला था की तकरीबन 15 मिनिट तक मां की चूत की धुनाई की तब जा के मां की चूत में झाड़ गया और मां की ऊपर ही पड़ा रहा ।
मनोहर हाफ रहा था और बर्बरा रहा था " आह रानी मजा आ गया क्या राचिली माल हो तुम । "
मां मनोहर को हटाने की कशिश करने लगी और मनोहर उठा भी । उसने दो पेग बनाया और गटागट पी गया । मां कपरे समेत के पहने की कशिश करने लगी । में भी समझ रहा था कि अब खेल खत्म पर ऐसा नही था ।