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किरायेदार और मकान मालिक का परिवार
हम दोनों छत पर आ गए। मैंने नीरज को सोफे पर बैठने को बोला और हम दोनों सोफे पर बैठे। मैं तीन सीट वाले सोफे पर और नीरज सिंगल सीट वाली सोफे पर बैठा।

हम दोनों ने सामान्य ढंग से बातें शुरू की। बातचीत के बीच में नीरज की नज़रे नीतू को इधर उधर ढूंढ रही थी। मैं इसको समझ रहा था और मन ही मन नीरज की बेचैनी पर मुस्कुरा रहा था। नीरज हॉल में बैठा बैठा कभी गेट की ओर देखता तो कभी उसकी नज़र बेडरूम या फिर कभी किचन की ओर देखता लेकिन हर बार वों निराश हो जाता। थोड़ी देर में मानो उसकी मुराद पुरी हो गई हो। नीतू डिनर और ड्रिंक्स लेकर ऊपर आयी और किचन में चली गई।

नीरज की मानो सांस में सांस आयी और उसकी नज़रे नीतू का पीछा करती रही। नीतू ने साड़ी पहन रखी थी और नीरज उसकी मटकती हुई गांड को देखता रहा।

नीतू ने किचन में सबकुछ सही से रखा और एक ट्रे में हम दोनों के लिए पानी ले कर आयी। नीतू ने साड़ी पहनी हुई थी और जब वों ग्लास रखने के लिए टेबल की ओर झुकी तो उसके बूब्स बाहर की ओर दिखने लगे और नीरज की हवसी निगाहे मानो उसको आँखों से ही खा जाए।

नीतू ग्लास रख कर जैसे ही सीधी हुई मैंने उसे कहा की ड्रिंक्स और स्नैक्स भी ले आए। एक आज्ञाकारी रखैल की तरह नीतू ड्रिंक, ग्लास और स्नैक्स ले आयी।

नीतू ये सब टेबल पर रख कर वही खड़ी हो गई तो मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसको सोफे पर बिठा लिया और उसकी बायी गाल पर किस कर दिया। नीतू शर्मा गई। नीरज जो लगातार नीतू को देखे जा रहा था वों भी मानो चाह रहा था कि आकर नीतू को किस कर दे।

फिर मैंने तीनों के लिए पैक्स बनाएं। नीतू जिसने आज तक कभी ड्रिंक्स नहीं किया था वों मना की तो मैंने उसे समझाते हुए कहा कि बस तू एक पैक साथ देने के लिए पी ले। फिर हम तीनों ने चीयर्स किया और पहला पैक पिया। मैंने और नीरज ने तो पहला पैक फिनिश किया वही नीतू ने सिर्फ एक - दो सिप ही पिया था अपने पैक का। 

मैंने यह देखा तो हम दोनों के लिए अगला पैक बनाया और नीतू को अपनी गोद में खींचा। नीतू की पल्लू नीचे गिर गई ब्लाउज में बंधे उसके बड़े बड़े बूब्स आधे दिखने लगे। फिर मैंने अपने हाथों से दो -तीन सिप उसको जबरदस्ती लेकिन प्यार से पिलाया। ऐसा करते करते मैंने पेटीकोट से बंधी उसकी साड़ी को खींच दिया जिसका नीतू को पता भी नहीं चला।

फिर मैं नीतू से - जा नीतू थोड़ा सा ड्रिंक्स नीरज जी के हाथों से भी पी ले।
नीरज जो नीतू को देखने में खोया था बोल पड़ा - खुशकिस्मती हमारी

नीतू मेरी ओर देखी तो मैंने आँखों से इशारा किया उसके पास जाने का। नीतू को उसकी साड़ी के खुले होने का एहसास ही नहीं था और ड्रिंक्स का नशा भी उसके ऊपर चढ़ रहा था। वों जैसे ही उठी, साड़ी ने उसका साथ देना छोड़ दिया और नीरज के पास पहुंचते पहुंचते वों सिर्फ पेटीकोट में थी। जब तक उसको यह आभास होता, वों पीछे मूड के देखी और साड़ी पहनने के लिए मुड़ती उससे पहले नीरज ने फुर्ती दिखाते हुए नीतू का हाथ पकड़ लिया।

नीतू जो एक गांव की महिला थी और अपने पति के अलावा किसी के सामने शायद खुल के बातें भी नहीं की होगी, कुछ हफ्ते में नए मर्द के स्पर्श का अनुभव करते ही वों डर और शर्म से काँप गई। वों कुछ रिएक्ट कर पाती, तब तक नीरज ने उसे अपनी ओर खींचा। नीरज जो कि सिंगल सीट वाले सोफे पर बैठा था उसने नीतू को अपनी गोद में बिठा लिया।
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RE: किरायेदार और मकान मालिक का परिवार - by raj4bestfun - 03-01-2023, 02:07 AM



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