08-12-2022, 06:41 PM
प्रीति को अपनी ओर खींचने से ही वों मेरे गोद में आ कर गिर गयी। प्रीति काफी पतली और हल्की थी।
मैं प्रीति को अपनी गोद में बैठाकर उससे घर परिवार की बातें की और फिर उसके दोनों गालों को अच्छे से चूमा। साथ में मैं अपनी ऊँगली उसके टॉप के अंदर ले गया और उसकी नाभि के पास और नीचे फेरने लगा जिससे प्रीति गर्म होने लगी। इधर मेरा लंड जीन्स के ऊपर से ही उसकी गांड की दरारों में जगह बनाने की कोशिश करने लगा। इस तरह हमारा 15-20 मिनट तक हल्की मौज मस्ती चली।
शाम के 5:30 बज गए थे और 8 बजे तक नीरज आ जाता इसलिए मैंने प्रीति के साथ अपनी मस्ती को रोका और उसको नीचे भेज दिया।
प्रीति के जाने के बाद मैंने सीसीटीवी कैमरा हॉल और बेडरूम के अंदर लगाने लगा। आज रात नीरज आने वाला था और मुझे उसकी सभी हरकते रिकॉर्ड करनी थी। 2 घंटे में मैंने सब कुछ सेट कर दिया और फिर एक लोअर और टीशर्ट पहन लिया। शायद घर पर रहते हुए बहुत दिनों बाद कुछ पहना था।
फिर मैं नीचे गया और रात में सबके लिए डिनर और ड्रिंक्स मंगवाया। मैंने मंजू से कहा कि जब मैं बोलूंगा तब नीतू से छत पर डिनर भिजवा देंना और जब तक मैं ना कहूँ तुम बाहर या छत पर मत आना। कुछ जरूरत हो तो नीतू या मनीष को भेजना।
मंजू ने हाँ में सिर हिलाया। तभी मेरी नजर नीतू पर पड़ी। वों मेरे कहे अनुसार एक ट्रांसपेरेंट नाईटी में थी जिसके अंदर उसकी ब्रा पैंटी साफ साफ नजर आ रहें थे। वों मेरी बात मान रही है ये देख कर अच्छा लगा। मैंने हॉल में ही उसको अपने पास बुलाया और उसके होंठो को चूसने लगा। होंठो को चूसने के बाद मैंने उसको छोड़ा और कहा जाओ अच्छे से तैयार हो जाओ। नीतू ने पूछा क्यों तो मैंने कहा, मैंने बोला बस इसलिए।
इधर शिल्पी और प्रीति एक ही कमरे में थे और मनीष अपने कमरे में। मैं सोच रहा था कई दिनों से शिल्पी इग्नोर हो रही है और कहीं उसे बुरा तो नहीं लग गया या कुछ उसे पता तो नहीं लग गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था अभी उसके कमरे में जाऊ या ना जाऊ और जाऊ तो क्या करू। शिल्पी को समझाना या मैनेज करना बाकी तीनों से अधिक मुश्किल था और उसका नाराज होना अभी मेरे लिए मुश्किल खड़ी कर सकता था।
मैं इसी सोच में था कि तभी नीरज का फोन आ गया।
मैं - हाँजी, नीरज जी कहा तक पहुंचे
नीरज - बस आपके घर के पास हूँ
मैं बाहर निकल के देखा तो वों बगल वाले घर के सामने खड़ा था। मैंने उसको आवाज दी और घर में सीधा उसको छत पर अपने फ्लैट में ले गया। मन ही मन मैं सोच रहा था साला आज नीतू की अच्छे से बजाएगा।
मैं प्रीति को अपनी गोद में बैठाकर उससे घर परिवार की बातें की और फिर उसके दोनों गालों को अच्छे से चूमा। साथ में मैं अपनी ऊँगली उसके टॉप के अंदर ले गया और उसकी नाभि के पास और नीचे फेरने लगा जिससे प्रीति गर्म होने लगी। इधर मेरा लंड जीन्स के ऊपर से ही उसकी गांड की दरारों में जगह बनाने की कोशिश करने लगा। इस तरह हमारा 15-20 मिनट तक हल्की मौज मस्ती चली।
शाम के 5:30 बज गए थे और 8 बजे तक नीरज आ जाता इसलिए मैंने प्रीति के साथ अपनी मस्ती को रोका और उसको नीचे भेज दिया।
प्रीति के जाने के बाद मैंने सीसीटीवी कैमरा हॉल और बेडरूम के अंदर लगाने लगा। आज रात नीरज आने वाला था और मुझे उसकी सभी हरकते रिकॉर्ड करनी थी। 2 घंटे में मैंने सब कुछ सेट कर दिया और फिर एक लोअर और टीशर्ट पहन लिया। शायद घर पर रहते हुए बहुत दिनों बाद कुछ पहना था।
फिर मैं नीचे गया और रात में सबके लिए डिनर और ड्रिंक्स मंगवाया। मैंने मंजू से कहा कि जब मैं बोलूंगा तब नीतू से छत पर डिनर भिजवा देंना और जब तक मैं ना कहूँ तुम बाहर या छत पर मत आना। कुछ जरूरत हो तो नीतू या मनीष को भेजना।
मंजू ने हाँ में सिर हिलाया। तभी मेरी नजर नीतू पर पड़ी। वों मेरे कहे अनुसार एक ट्रांसपेरेंट नाईटी में थी जिसके अंदर उसकी ब्रा पैंटी साफ साफ नजर आ रहें थे। वों मेरी बात मान रही है ये देख कर अच्छा लगा। मैंने हॉल में ही उसको अपने पास बुलाया और उसके होंठो को चूसने लगा। होंठो को चूसने के बाद मैंने उसको छोड़ा और कहा जाओ अच्छे से तैयार हो जाओ। नीतू ने पूछा क्यों तो मैंने कहा, मैंने बोला बस इसलिए।
इधर शिल्पी और प्रीति एक ही कमरे में थे और मनीष अपने कमरे में। मैं सोच रहा था कई दिनों से शिल्पी इग्नोर हो रही है और कहीं उसे बुरा तो नहीं लग गया या कुछ उसे पता तो नहीं लग गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था अभी उसके कमरे में जाऊ या ना जाऊ और जाऊ तो क्या करू। शिल्पी को समझाना या मैनेज करना बाकी तीनों से अधिक मुश्किल था और उसका नाराज होना अभी मेरे लिए मुश्किल खड़ी कर सकता था।
मैं इसी सोच में था कि तभी नीरज का फोन आ गया।
मैं - हाँजी, नीरज जी कहा तक पहुंचे
नीरज - बस आपके घर के पास हूँ
मैं बाहर निकल के देखा तो वों बगल वाले घर के सामने खड़ा था। मैंने उसको आवाज दी और घर में सीधा उसको छत पर अपने फ्लैट में ले गया। मन ही मन मैं सोच रहा था साला आज नीतू की अच्छे से बजाएगा।