07-12-2022, 01:36 AM
प्रीति ने घुटने से नीतू की पैंटी उतार दी। अब नीतू पैंटी नहीं पहनी थी लेकिन उसका वन पीस उसके चुत को छुपाये हुए था।
नीतू ने शर्मा कर अपना सर मेरे छाती से चिपका लिया था। मैंने उसके सर को गर्दन से ऊपर किया और उसके होंठो को चूमने लगा। नीतू को चूमते चूमते मैंने उसे अपनी ओर खींचा जिससे उसके चूतड़ मंजू और प्रीति के सामने हो गए। नीतू के आगे पीछे होने से उसकी ड्रेस और ऊपर की ओर खींच गई। अब वों पीछे से नंगी थी और मै अपने हाथों से उसकी चूतड़ों को मसले जा रहा था। थोड़ी देर तक चूमा चाटी के बाद मैंने नीतू को खुद से अलग किया।
फिर मै नीतू से कहा जाओ जा के फ्रेश हो के आओ। उधर मंजू लंच टेबल पर रखने लगी। हाल में सिर्फ प्रीति थी। उसको मैंने इशारे से अपने पास बुलाया। वों जब मेरे पास आयी तो मै सोफे से उठकर खड़ा हो गया। फिर अपने दोनों हाथों को उसके कमर के पीछे ले गया और अपनी ओर खींच कर बोला - चल जल्दी से मेरे कपड़े उतार दे।
प्रीति चुपचाप मेरी टीशर्ट को ऊपर की और मैंने अपनी टीशर्ट निकाल दी। उसके बाद वों मेरी जीन्स का बटन खोल के जीन्स को नीचे करने लगी। मैंने भी उसको पूरा सहयोग दिया और जीन्स को खुद से अलग कर दिया। अब मै अंडरवियर में था जिसके अंदर मेरा लंड तम्बू बना के खड़ा हो गया।
प्रीति रुक गई तो मैंने उसको अपने आँखों से इशारा किया कि इसे भी उतारे।
डरते हुए बेमन से उसने मेरे अंडरवियर को नीचे किया। जैसे ही मेरा लंड आजाद हुआ, मैंने अपने लंड को प्रीति के गालों पर फेरते हुए कहा - जा जल्दी से फ्रेश हो के लंच के लिए आ जा।
प्रीति अपने कमरे में गई और मै बाथरूम की ओर बढ़ा। मैंने देखा बाथरूम का दरवाजा बंद है और नीतू उसके अंदर है।
मै - भोसड़ी के, किससे छुपा रही है? दरवाजा खोल जल्दी से
नीतू ने जैसे अंदर नंगी थी वैसे ही दरवाजा खोल दिया।
मै - मादरचोद, गेट क्यों बंद की? गेट खोल के नहाया कर समझी।
इतना बोल के मै फ्रेश हुआ और आ गया। नीतू चुपचाप वही खड़ी रही जब तक मै फ्रेश ना हो जाऊ।
फिर हम सब लोग लंच के टेबल पर थे। मैंने मंजू को इशारा किया और मंजू ने मुझे अपने हाथों से लंच कराया।
अब शाम के चार बज चुके थे। तभी नीरज का मैसेज आया कि वों आज नाईट में डिनर के लिए आएगा।
मै नीतू की ओर देखा और बोला - नीतू तू जा के अभी बेडरूम में रेस्ट कर ले, रात में तुझे मेहनत करनी है।
नीतू बेडरूम में चली गई। मंजू को मैंने छत पर जा के मेरे फ्लैट को साफ करने के लिए बोल दिया।
मंजू छत पर चली गई। हाल में मै और प्रीति थे। अब मै लगभग हर वक्त घर में पूरा नंगा ही घूमता था। मै प्रीति को अपने पास बुलाने की सोच ही रहा था कि डोरबेल बज गया। तभी मेरी नजर घड़ी पर गई, ये तो मनीष और शिल्पी के आने का टाइम हो गया।
मैंने प्रीति को कहा कि जा दरवाजा खोल और मै जल्दी से बेडरूम में आ गया।
नीतू ने शर्मा कर अपना सर मेरे छाती से चिपका लिया था। मैंने उसके सर को गर्दन से ऊपर किया और उसके होंठो को चूमने लगा। नीतू को चूमते चूमते मैंने उसे अपनी ओर खींचा जिससे उसके चूतड़ मंजू और प्रीति के सामने हो गए। नीतू के आगे पीछे होने से उसकी ड्रेस और ऊपर की ओर खींच गई। अब वों पीछे से नंगी थी और मै अपने हाथों से उसकी चूतड़ों को मसले जा रहा था। थोड़ी देर तक चूमा चाटी के बाद मैंने नीतू को खुद से अलग किया।
फिर मै नीतू से कहा जाओ जा के फ्रेश हो के आओ। उधर मंजू लंच टेबल पर रखने लगी। हाल में सिर्फ प्रीति थी। उसको मैंने इशारे से अपने पास बुलाया। वों जब मेरे पास आयी तो मै सोफे से उठकर खड़ा हो गया। फिर अपने दोनों हाथों को उसके कमर के पीछे ले गया और अपनी ओर खींच कर बोला - चल जल्दी से मेरे कपड़े उतार दे।
प्रीति चुपचाप मेरी टीशर्ट को ऊपर की और मैंने अपनी टीशर्ट निकाल दी। उसके बाद वों मेरी जीन्स का बटन खोल के जीन्स को नीचे करने लगी। मैंने भी उसको पूरा सहयोग दिया और जीन्स को खुद से अलग कर दिया। अब मै अंडरवियर में था जिसके अंदर मेरा लंड तम्बू बना के खड़ा हो गया।
प्रीति रुक गई तो मैंने उसको अपने आँखों से इशारा किया कि इसे भी उतारे।
डरते हुए बेमन से उसने मेरे अंडरवियर को नीचे किया। जैसे ही मेरा लंड आजाद हुआ, मैंने अपने लंड को प्रीति के गालों पर फेरते हुए कहा - जा जल्दी से फ्रेश हो के लंच के लिए आ जा।
प्रीति अपने कमरे में गई और मै बाथरूम की ओर बढ़ा। मैंने देखा बाथरूम का दरवाजा बंद है और नीतू उसके अंदर है।
मै - भोसड़ी के, किससे छुपा रही है? दरवाजा खोल जल्दी से
नीतू ने जैसे अंदर नंगी थी वैसे ही दरवाजा खोल दिया।
मै - मादरचोद, गेट क्यों बंद की? गेट खोल के नहाया कर समझी।
इतना बोल के मै फ्रेश हुआ और आ गया। नीतू चुपचाप वही खड़ी रही जब तक मै फ्रेश ना हो जाऊ।
फिर हम सब लोग लंच के टेबल पर थे। मैंने मंजू को इशारा किया और मंजू ने मुझे अपने हाथों से लंच कराया।
अब शाम के चार बज चुके थे। तभी नीरज का मैसेज आया कि वों आज नाईट में डिनर के लिए आएगा।
मै नीतू की ओर देखा और बोला - नीतू तू जा के अभी बेडरूम में रेस्ट कर ले, रात में तुझे मेहनत करनी है।
नीतू बेडरूम में चली गई। मंजू को मैंने छत पर जा के मेरे फ्लैट को साफ करने के लिए बोल दिया।
मंजू छत पर चली गई। हाल में मै और प्रीति थे। अब मै लगभग हर वक्त घर में पूरा नंगा ही घूमता था। मै प्रीति को अपने पास बुलाने की सोच ही रहा था कि डोरबेल बज गया। तभी मेरी नजर घड़ी पर गई, ये तो मनीष और शिल्पी के आने का टाइम हो गया।
मैंने प्रीति को कहा कि जा दरवाजा खोल और मै जल्दी से बेडरूम में आ गया।