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Adultery बरसात की वो रात
#3
मै बात कर ही रहा था की तभी अचानक लाइट चली गई और जोर से बिजली चमकी तो रागिनी आंटी पलट कर मुझसे चिपक गई मै इसी मौके के इंतजार में था मैने उनको कहा अरे डरो मत अभी आ जायेगी लाइट वो छुटने की कोशिश कर रही थी पर मेरी पकड़ से नहीं निकल पा रही थी और उनके इस प्रयास के कारण उनका बदन मेरे बदन से रगडा रहा था जो मेरे लंड को और कड़क कर चूका था जो उनके पेट पर चुभ रहा था उनके बूब्स मेरे बदन से दब रहे थे और लाइट आ गई वो अलग हो गई और मुझसे कहने लगी की मोहित खाने का क्या करना है टाइम बहुत हो रहा है अँधेरे मै ज्यादा कुछ नहीं हो पाया पर हा उनको यह पता चल गया की मै क्या चाहता हु और उनके नाराज़ न होने से मेरे मन मै भी यह पक्का हो गया की आंटी लाइन पर आ जायेगी |
मैने उनको कहा अरे आप खाने की चिंता मत करो अभी सब हो जायेगा और तभी राधा आ गई मेने रागिनी आंटी को कहा लो आ गया आपकी समस्या का समाधान ये राधा है खाना बहुत अच्छा बनाती है मैने उसको बताया की क्या बनाना है में और रागिनी हॉल में आ गये जहा वो लोग महफ़िल जमा कर बैठे थे अंकल सुरुर मै आ गए थे मेरे नौकर को एक बाटल में कोई फर्क नहीं पड़ता है उसके तो रोज़ की आदत है तो वो उसकी व्यवस्था के साथ आया था अंकल ने रागिनी आंटी को बोला और कैसी लगी व्यवस्था मेरे भाई के दोस्त है मोहनसिंह जी ( मेरे पापा ) यानि मेरे भी भाई हुए ना क्यों मोहित अरे  अंकल यह भी कोई पूछने की बात है क्या यह आपका ही घर है आपको जो करना हो यहाँ खुल कर कर सकते है न तो कोई रोकने वाला है और आस पास कोई घर भी नहीं है यानि न ही कोई देखने वाला यह बात मैने कही तो अंकल को थी पर मै देख रहा था आंटी की और पर उनके मुह पर कोई भाव नहीं था बात करते करते मैने मेरा पाव आंटी के पाव की और करके उनके पाव को मसलने लगा आंटी ने पाव हटा लिया और अंकल की और देख कर बोली आज आप भी अपने मन की कर लेना न कोई देखने वाला और न कोई टोकने वाला मोहित अच्छा है की आप नहीं लेते हो वरना मै रात भर बैठे बैठे सब लोगो का मुह देखती रहती तभी अंकल बोले मोहित आंटी को अपना घर दिखा दो अचानक आंटी उठ गई और अंकल को बोली मुझे जो देखना होगा मै देख लूगी आप तो अपना काम करो बहार पानी रुक गया था मै सबको वही छोड़ कर किचन में आ गया और आते ही राधा को पीछे से पकड़ लिया वो बोली आ गई मेरी याद मुझे तो लगा था की आज आंटी जी के चक्कर में मेरा नंबर नहीं लगेगा मै राधा के बूब्स दबाता हुआ बोला अरे बड़ी दुकान की मिठाई के चक्कर में घर की शक्कर थोड़े छोड़ी जाती है अरे चखना हो तो चख लो घर की शक्कर तो यही है बड़ी दुकान की मिठाई आज रात के लिए ही है राधा मेरी हम बिस्तर थी तो हमराज भी थी उसने इशारा किया वो निचे से बियर लेकर उपर ले आई थी और उस को फ्रिज़ में रख दी थी मौसम कैसा भी हो बियर तो ठंडी ही अच्छी लगती है | मैने अपने लंड को बहार निकाल लिया था और राधा मेरी जान समझ गई थी उसने तत्काल उसको अपने मुह में लेकर उसको मस्त कर दिया मेने देखा की रागिनी उठ रही है तो मेने राधा को हटाया और उसको दूर कर दिया मेरा हतियार अंदर किया और राधा को खाने के बारे मै बताने लगा रागिनी किचन मै आ गई थी उसने राधा से पूछा कितना टाइम और लगेगा तो राधा ने बोला की आधा घंटा तो और लगेगा अरे काहे का आधा घंटा अभी तो 9 भी नहीं बजे है और इनकी महफ़िल 10 बजे के पहले ख़त्म नहीं होती है इसलिए सोचा की तुम्हारे साथ खाना ही बनवा दू  अरे आप यह सब रहने दो आप तो मोहित बाबा के साथ छत पर हो आओ यहाँ कहा गर्मी में परेशांन होयेगी क्यों बाबा ले जाओ आपकी आंटी को छत पर मैने कहा हा ये तो अच्छी बात है वो भी मान गई हम जाने लगे तो राधा बोली अरे बाबा वो छत का दरवाजा बहार से बंद कर लेना कभी कभी बिल्ली आ जाती है और सामान गीरा देती तो फिर बड़े साहब बहुत नाराज़ होते है राधा को मै मान गया उसने हमको उपर भी भेज दिया और दरवाजा भी बंद करने का बहाना बना दिया अब चारो तरफ से कोई टेंशन नहीं था आस पास कोई नहीं था और उपर कोई आ ही नहीं सकता था हम दोनों उपर घुमते हुए बाते कर रहे थे
- मैने रागिनी आंटी को कहा आप के और अंकल के उम्र में ज्यादा अंतर लगता है
- वो बोली हा आपके अंकल की दूसरी शादी है पहले अंकल की शादी मेरी बहन से हुई थी परन्तु वो एक  बीमारी के कारण शादी के 5 साल बाद ही हम सब को छोड़ कर चली गई मेरा मेरी बहन और इनको छोड़ कर कोई नहीं था वो थी तो मै इन लोगो के घर मै ही रहती थी उसके जाने के बाद ये बहुत अकेले हो गए थे तो इनके बड़े भाई एक दिन आये और उन्होंने मुझसे इनसे शादी के बारे मै प्रस्ताव रखा तो मैने भी हा कर दी हमारी शादी को 10 साल हो गए  
- अरे तभी आप लगती नहीं है अंकल की पत्नी के जेसी
- हा हमारी उम्र में 13 साल का अन्तर है वो बोली
- आपके बच्चे नहीं आये साथ में
- वो दूसरी तरफ देखने लगी और धीमे से बोली हमारे बच्चे नहीं है और यही टेंशन के कारण यह बहुत पीते है और मै भी कुछ नहीं कहती हु उनके आखो में आसू आ गए मैने उनको सांत्वना देने के लिए उनके कंधे पर हाथ रखा तो वो मुझसे चिपक कर रोने लगी मैने भी कुछ नहीं कहा मेरे जिस्म में उनके बदन के खुशबू समाने लगी थी पानी की हल्की हल्की बुँदे शुरू हो गई थी मैने उसके बदन को अपने से और चिपका लिया पानी की बूंदा बांदी शुरू हो गई थी वो मुझसे अलग हो गई
- फिर आपने कुछ इलाज नहीं करवाया इस मामले में मैने कहा
- इलाज भी करवाया बहुत जगह की मानता भी ली पर किस्मत को क्या पता क्या मंजूर है और सबसे बड़ी बात की उम्र भी तो मायने रखती है ना उसकी बातो मै दर्द झलक रहा था
- हा वो तो है अब अंकल.................... अचानक से पानी तेज हो गया और वो बोली चलो मोहित अब निचे चलते है यह कह कर वो जाने लगी तो मेने उनका हाथ पकड़ लिया उन्होंने मुझको देखा मेने कहा
- आपकी इच्छा थी ना नहाने की तो फिर अपनी इच्छा पूरी कर लो कहा जा रही हो यह कह कर मैने उनको अपनी और खीच लिया वो मेरी बाहों मै आ गई
- वो बोली नहीं मोहित मुझे नहीं नहाना चलो निचे चलते है
- मेने कहा नहीं रागिनी तुमने अपनी कई इच्छाओ को दबाया है आज तुम अपनी जिंदगी की एक इच्छा को जरूर पूरी करोगी वो भी बरसात के पानी मै नहाने की
- नहीं मोहित नहीं वो कुछ कहती इसके पहले मेने उनको अपनी गोद मै उठा लिया और छत पर आगे की और बड़ गया वो मोहित मोहित करती रही पर मैने नहीं सुना और उनको ले जा कर छत के बीचो बिच जा कर खड़ा कर दिया और मै खड़ा हो गया और उनको कहा आप नहाओ आराम से छत पर लाइट थी और वो नहा रही थी अपने दोनों हाथ फैला कर छत पर दोड़ती हुई और में उनको देख रहा था उनकी टी शर्ट गीली होने से उनके बदन पर चिपक गई थी उनके दोनों बूब्स टी शर्ट चिपक जाने से और उभर गए थे और उपर से निचे कूद रहे थे जेसे कह रहे हो मोहित हमको आजाद करो हम भी भीगना चाहते है मैने भी अपनी टी शर्ट निकाल दी थी तभी छत की लाइट बंद हो गई यह मेरे लिए राधा का संकेत था खाना बन गया है मेरे पास अब टाइम कम था अचानक से जोर की आवाज हुई और लाइट आ गई इस अँधेरे के कारण रागिनी का पाव कही चिकनी जगह पड़ा और वो गिर गई थी आवाज उसी की आई थी और उसकी गांड के बल वो गिर गई थी मै दोड कर उसके पास पंहुचा और उसको सहारा देकर उठाया उसके पाव मै हलकी सी लगी थी इतने भी ज्यादा नहीं थी परन्तु मैने उसको अपनी गोद मै उठा लिया और हमारी छत पर उस जगह पर ले जाकर बिठा दिया जहा पर पानी नहीं आ रहा था पर यहाँ अँधेरा था मैने निचे झुक कर उसके पाव को हाथ मै लेकर सहलाने लगा और उससे पूछा कही लगी तो नहीं वो बोली की बस यहाँ पाव में और थोडा मेरी हिप्प्स मै हे पर तुम रहने दो मै कर लूगी
- मैने कहा अरे मेरे होते हुवे आप कर लो नहीं (में आंटी के पाव को मसलने लगा और अपने हाथ को उपर की और ले जाने लगा मैने उनसे कहा आप चल कर देखो केसा लग रहा है वो खड़ी हो कर चलने लगी उनके पाव में दर्द नहीं था )
- पाव में तो दर्द नहीं है अब ( मैने अपने दोनों हाथो से उनके हिप्प्स को दबा दिया) तो फिर इनको दबा देता हु
- वो बोली मोहित ये क्या कर रहे हो ( वो एक दम से पलट गई)
- वो ही जो एक खूबसूरत सी लड़की के साथ करना चाहिए वो ही कर रहा हु
- लड़की कौन लड़की में तुम्हारी आंटी हु
- आपको आंटी कह कर मै आपकी इस हसीं खूबसूरती का मजाक नहीं उड़ाना चाहता
मेरे हाथ अब उनके बूब्स को मसलने मै लग गए थे मेरे होठों ने उनके होठों को सिल दिया था मेरे हाथ उनके बदन पर घुमने लगे थे उनके हेरम में हाथ डाल कर उनके हिप्प्स के पुरे भूगोल को नाप लिया था वो बार बार मुझसे अलग होने की कोशिश कर रही थी वो कह रही थी की मुझे छोड़ दो वरना मै चिल्ला दुगी मेने उनको कहा की आप अगर चिल्लोगी भी तो यहाँ दूर दूर तक कोई नहीं है कोन आयेगा निचे जो तीन लोग हे उनमे से दो तो मेरे बुलाये बिना आयेगे नहीं और आपके जो है उनको तो आपसे ज्यादा नशा शराब में आ रहा है उन्होंने अपने दोनों हाथो से मेरा चेहरा पकड़ कर उसको दूर करने की कोशिश की तभी मेने अपने हाथो से उनका हेरम और पेंटी को निचे कर दिया और अपने घुटनों के बल बैठ कर अपने होठ उनके चूत पर लगा दिए और उनकी चूत को चाटने लगा वो बार बार मेरी पीठ पर मार रही थी और मै चूत को चाटने में मस्त था वो मेरे उपर पूरी झुक गई उनका संघर्ष करने की ताकत ख़त्म हो रही थी और अचानक से उनके चूत से लावा फुट गया उसका काम रस और पेशाब एक साथ निकल गए उसकी चूत से तेज धार निकल गई मैने आज तक बीस से ज्यादा औरतो के साथ सेक्स किया था परन्तु कभी किसी की चूत नहीं चाटी थी और न ही कभी ऐसी घरेलु ओरत के साथ सेक्स किया था मेरे नसीब मै तो राधा जेसी ही आती है आज तक कभी रागिनी आंटी जैसी ओरत के साथ सेक्स नहीं किया था तो फिर मैने इस समय अलग होना ठीक नहीं समझा अगर इनको छोड़ा तो फिर ये हाथ नहीं आएगी उनकी धार ने मेरे मुह और मेरे कपड़े को गिला कर दिया था तो मैने अपने कपड़े निकाल दिए और आंटी के हेरम और पेंटी को भी निकल दिया और आंटी को निचे सुला दिया मेरा लंड बहुत मस्त हो गया था मैने अब देर करना ठीक नहीं समझा और उसकी चूत मै लंड डाल दिया वो जोर से मोहित बोली और उसने एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पर दे दिया मैने उसकी टी शर्ट उपर कर दी थी और उसके दोनों हाथो को अपने हाथो से दबा कर उपर कर दिए थे और उसके बूब्स को अपने दातो से कटाने लगा और चूसने लगा मेरा लंड उसकी चूत मै अंदर बहार होने लगा उसकी चूत मुझे टाइट लग रही थी जैसे की उसका कोई उपयोग ही नहीं करता है उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था और वो बोली बस हो गया कर ली अपने मन की आब हटो मैने कहा अरे अभी कहा आभी तो शुरुवात है और मै अपनी मस्ती मै उसकी चुदाई मै लग गया  मुझे सात आठ  मिनिट से ज्यादा हो गए थे वो मुझे गौर से देख रही थी वो अब किसी भी प्रकार का विरोध नहीं कर रही थी पर सहयोग भी नहीं कर रही थी बस वो मेरे निचे ऐसे लेटी थी जैसे की कोई लाश हो बस उसकी आखे खुली थी और वो मुझे देखे जा रही थी मेरे धक्के लगते जा रहे थे और उसके बूब्स हिल रहे थे अचानक उसका शरीर अकड़ गया और वो तीसरी बार पानी छोड़ चुकी थी उनका बदन पूरी तरह से मेरे काबू मै आ गया था मेरे धक्को की स्पीड बड गई थी वो भी मेरा साथ देने लगी थी उसने अपने दोनों पाव से मेरे पाव को जकड लिया था और उसके दोनों हाथ मेरी पीठ पर आकर मुझे अपने से चिपकाने मै लग गए थे मेरे धक्के बड गए मै अपने मुह को उसके मुह से लगा कर उसके होठों का रस पिने लगा मेरे हाथ उसके बूब्स को मसलने में लगे थे मै पागलो की तरह उसको मसल रहा था किस कर रहा था मेरी जबान से मै उसके बदन को चाट रहा था मेरा बदन भी अब अकड़ने लगा था मैने उसको अपने से चिपका लिया मेरे शरीर का सैलाब मेरे लंड से निकल कर उसकी चूत के अंदर छुट गया मेरा सफ़र भी ख़त्म हो गया मेरी मंजिल भी आ गई मैने अपना पूरा पानी उनकी चूत मै निकल दिया और उस पर ही लेट गया |  वो बहुत ज्यादा थक गई थी उसकी सास उपर निचे हो रही थी मै अपने हाथो को उसके बालो मै घुमाने लगा मेरा दूसरा हाथ उसके बूब्स को सहला रहा था मैने चुदाई के दौरान एक बात यही सीखी थी कि चुदाई के समय बहुत ही मस्ती करना चाहिए मसल दो मस्ती से परन्तु चुदाई के बाद बहुत प्यार से सहलाना चाहिए और यही असली चुदाई होती है जिसमे सामने वाला मस्त हो जाता है और अभी में वो ही कर रहा था मेरा हाथ उसके बालो मै घूम रहे थे और उसके बूब्स को सहला रहा था उसके पेट पर मेरे हाथो को घुमा रहा था उसकी आखों में आसू आ गये थे जो उसकी आखो से उसकी गाल पर आगये थे मैने अपनी जबान से उसके गाल पर आये आसुओ को चाट लिया उसकी आखो को चाट कर उसको कहा जानू पानी बहाने का काम निचे वाली बेबी को करने दो आखो को क्यों तकलीफ दे रही हो वो कुछ नहीं बोली और उठ कर अपने कपडे पहनने लगी मैने भी अपने कपडे पहन लिए थे मैने उनके कमर पर हाथ रख कर कहा चले जानेमन निचे वो कुछ नहीं बोली और आगे बड गई फिर वो पलट कर आई और एक जोरदार थप्पड़ मेरे गालो पर मारा उनके आखो मै आसू थे और वो निचे चली गई मै वही खड़ा रह गया मुझे कुछ समझ मै नहीं आया की ये क्या हो गया
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RE: बरसात की वो रात - by rajathakur - 06-12-2022, 08:12 PM



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