01-12-2022, 03:11 AM
नीतू को मंजू का वन पीस छोटा हो रहा था और वों उसके घुटने से काफी ऊपर ही रह गया। नीतू की मोटी और लम्बी टाँगे खुली हुई थी जो उसके ड्रेस को सेक्सी बना रही थी। नीतू की बंद कमरे में चुदाई अलग बात थी लेकिन ऐसे बाहर जाना उसके लिए बिल्कुल नया अनुभव होने वाला था।
उधर मंजू ने प्रीति को जीन्स और टॉप पहनाया। प्रीति ने भी जीन्स और टॉप पहली बार पहना होगा वों भी सिर झुकाए बाहर को आ गई। दोनों का मुँह बना ही हुआ था, इसे देखकर मुझे हंसी आ गई। इन सब के बीच मुझे यह ध्यान ही नहीं रहा कि मै तो सुबह से नंगा हूँ और मै नंगा तो बाहर जा नहीं सकता। मैंने जल्दी से कपड़े पहने और गाड़ी निकाल ली।
नीतू मेरे साथ फ्रंट सीट पर और प्रीति पीछे बैठ गई। मै ड्राइविंग के दौरान नीतू के जांघो पर हाथ सहलाता रहा और प्रीति आँखे नीचे करके चुपचाप बैठी रही।
हमलोग थोड़ी ही देर में कॉलेज पहुँच गए। कॉलेज पहुंचते ही मैंने नीरज को फोन किया। नीरज की उम्र लगभग 55-56 साल होगी लेकिन वों पूरा ठरकी था और नए नए चुत का दीवाना था। नीरज ने एडमिशन के लिए शबाब और शराब की डील की थी और आज देखना था कि वों क्या बोलता है?
नीरज जो कि कॉलेज का प्रिंसिपल था, मैंने रिसेप्शन पर पहुंचते ही रिसेप्शनशिट से बोला कि नीरज जी से बोलों राज आया हुआ है।
उसने इंटरकॉम पर उससे पूछा और हम उसके केबिन में।
नीरज- आइए राज साहब, नमस्कार
मै - नमस्कार नीरज जी, कैसे है आप
नीरज - बस आपकी दया दुआ है।
फिर हम दोनों इधर उधर की बाते करने लगे और इधर दोनों मां बेटी चुपचाप बैठी थी। नीतू को वन पीस में काफी अजीब लग रहा था और बैठने से वन पीस ऊपर की ओर खींच गया था। वों किसी तरह अपने पैरों को समेट कर बैठी थी ताकि उसकी पैंटी ना दिखने लगे।
थोड़ी देर इधर उधर की बातें हुए, फिर प्रीति का एडमिशन उन्होंने अपने कोटे से कराने का बोल दिया। फिर वों मेरी तरफ देख कर बोला - अब आपका काम हो गया, मेरी फीस उधार रही।
यह सुनकर मैंने स्माइल दी और अपना एक हाथ नीतू के जांघो के बीच ले जाकर उसके पैर के बीच जगह बनाते हुए बोला - आप कहें तो आपकी फीस अभी पेमेंट कर दूँ।
उधर मंजू ने प्रीति को जीन्स और टॉप पहनाया। प्रीति ने भी जीन्स और टॉप पहली बार पहना होगा वों भी सिर झुकाए बाहर को आ गई। दोनों का मुँह बना ही हुआ था, इसे देखकर मुझे हंसी आ गई। इन सब के बीच मुझे यह ध्यान ही नहीं रहा कि मै तो सुबह से नंगा हूँ और मै नंगा तो बाहर जा नहीं सकता। मैंने जल्दी से कपड़े पहने और गाड़ी निकाल ली।
नीतू मेरे साथ फ्रंट सीट पर और प्रीति पीछे बैठ गई। मै ड्राइविंग के दौरान नीतू के जांघो पर हाथ सहलाता रहा और प्रीति आँखे नीचे करके चुपचाप बैठी रही।
हमलोग थोड़ी ही देर में कॉलेज पहुँच गए। कॉलेज पहुंचते ही मैंने नीरज को फोन किया। नीरज की उम्र लगभग 55-56 साल होगी लेकिन वों पूरा ठरकी था और नए नए चुत का दीवाना था। नीरज ने एडमिशन के लिए शबाब और शराब की डील की थी और आज देखना था कि वों क्या बोलता है?
नीरज जो कि कॉलेज का प्रिंसिपल था, मैंने रिसेप्शन पर पहुंचते ही रिसेप्शनशिट से बोला कि नीरज जी से बोलों राज आया हुआ है।
उसने इंटरकॉम पर उससे पूछा और हम उसके केबिन में।
नीरज- आइए राज साहब, नमस्कार
मै - नमस्कार नीरज जी, कैसे है आप
नीरज - बस आपकी दया दुआ है।
फिर हम दोनों इधर उधर की बाते करने लगे और इधर दोनों मां बेटी चुपचाप बैठी थी। नीतू को वन पीस में काफी अजीब लग रहा था और बैठने से वन पीस ऊपर की ओर खींच गया था। वों किसी तरह अपने पैरों को समेट कर बैठी थी ताकि उसकी पैंटी ना दिखने लगे।
थोड़ी देर इधर उधर की बातें हुए, फिर प्रीति का एडमिशन उन्होंने अपने कोटे से कराने का बोल दिया। फिर वों मेरी तरफ देख कर बोला - अब आपका काम हो गया, मेरी फीस उधार रही।
यह सुनकर मैंने स्माइल दी और अपना एक हाथ नीतू के जांघो के बीच ले जाकर उसके पैर के बीच जगह बनाते हुए बोला - आप कहें तो आपकी फीस अभी पेमेंट कर दूँ।