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किरायेदार और मकान मालिक का परिवार
#99
(26-11-2022, 12:41 PM)raj4bestfun Wrote: हाल में मैं, नीतू और मंजू पूरी तरह नंगे थे। मेरा लंड फुल टाइट था और बेचैन था कि जल्दी किसी के चुत में घुसे। वों दोनों बहनें भी आपस में खुल रही थी और कहा जाए तो मेरे सामने मेरे डर और प्रभाव से खुल चुकी थी। मैंने सोफे पर बैठे बैठे नीतू को इशारा किया और जबरदस्ती अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया।

उसने कभी लंड को मुँह में लिया नहीं था, इसलिए मुझे उसके साथ जोर देना पड़ा। वों जबरदस्ती मेरे लंड का अगला हिस्सा अपने मुँह में ली। मैं तेज गति से लंड को आगे पीछे करने की कोशिश करता रहा। थोड़ी देर में ही मेरा पूरा लंड उसके मुँह में घुस गया। मैंने पूरे जोर से उसके सर को पकड़ा और लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। मैं सोफे पर था और जमीन पर बैठकर नीतू मेरा लंड चूस रही थी और ऊपर मंजू ने मेरे होंठो से अपने होंठो को चूसना शुरू कर दिया। इस तरह थोड़ी देर में मेरे लंड ने नीतू के मुँह में वीर्य छोड़ दिया जो मैंने नीतू को पी जाने के लिए विवश किया।

अब मंजू अपने जीभ से मेरे दोनों अंडकोष को चूसने लगी और उनके साथ खेल रही थी। फिर मैंने नीतू के बूब्स को मसलना शुरू किया। फिर दोनों के साथ चुदाई का सिलसिला चला। दोनों की जमकर चुदाई हुई और हम तीनो निढाल होकर सुबह 4 बजे बेडरूम में सो गए। मैंने मंजू और नीतू की चुत का भोसड़ा बना दिया और मेरा भी हाल चुदाई करते करते बुरा हो गया।

सुबह घर में सभी लोग उठ गए लेकिन हम तीनो नंगे बेहोशी के हालत जैसे सोए रहें। तभी शिल्पी की कॉल आयी और मेरी नींद खुली। मैंने उसके कॉल का कोई जवाब नहीं दिया और मंजू और नीतू को जगाया।

मंजू और नीतू भी उठ गई। नीतू के उठते ही मैंने उसके बूब्स को मसलना शुरू किया। उसके बूब्स को चूसने का मजा अलग ही था, मैंने उसके बूब्स को फिर चूसा भी। मंजू एक नाईटी अपने शरीर पर डाली और बाहर को आयी। शिल्पी और मनीष को स्कूल और कॉलेज के लिए उसे ब्रेकफास्ट बनाना था।

इधर मै नीतू के बूब्स को चूसते चूसते उसको फिर से गर्म करने लगा। नीतू के पति ने उसकी चुदाई को की थी लेकिन कुछ और नहीं। बूब्स चूसने या चुत चाटने से नीतू कुछ ज्यादा ही रोमांचित हो जाती थी और आज भी ऐसा ही हुआ।

बूब्स चूसते चूसते वों गर्म होकर मेरे लंड पर बैठ गई। लंड पर बैठने के बाद मैंने भी अपना लंड उसके चुत के छेद में डाल दिया और उसको अपने लंड के झटको से उछालने लगा।

इस तरह हम दोनों का चुदाई का एक राउंड और चला। नीतू पूरी मूड में आ गई और फिर मेरा लंड ले कर चूसने लगी।

उधर शिल्पी और मनीष अपने अपने कॉलेज और स्कूल चले गए। मंजू शायद बाथरूम में गई होगी। प्रीति उठ गई और नीतू से मिलने बेडरूम की ओर आयी। मंजू सुबह बेडरूम से बाहर गई उसके बाद मुझे या नीतू को बेडरूम बंद करना याद ही नहीं रहा।

नीतू पूरी रफ्तार से मेरे लंड को चूस रही थी तभी मेरी नजर कमरे के दरवाजे पर पड़ी और मै चौंक गया। दरवाजे पर प्रीति खड़ी थी और मेरे लंड को चूसते वक्त नीतू की पीठ दरवाजे की ओर थी, इसलिए नीतू को प्रीति का कुछ पता नहीं था।

मेरी नजर प्रीति से मिल गई और मैंने प्रीति की आँखों में आँखे डालते हुए जोर से बोला - अच्छे से चूस और अपने पैरों से उसके चूतड़ों को मारा।

प्रीति डर गई या उसे कुछ समझ नहीं आया वों वहाँ से चली गई। अब प्रीति की प्रतिक्रिया क्या होगी मै सोचने लगा। आज तो हम सभी को प्रीति के एडमिशन के लिए कॉलेज जाना था, कहीं उत्साह में मुझसे कोई गलती तो नहीं हो गई? मेरे दिमाग में पता नहीं और क्या क्या चलने लगा।

Jabardast update...... ab ek naya twist aa sakta hai.... dekhte hain k kya hota hai
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RE: किरायेदार और मकान मालिक का परिवार - by varunsingh1990 - 27-11-2022, 06:14 PM



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