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किरायेदार और मकान मालिक का परिवार
प्रीति ने जब नीतू को लंड चूसते देखा उस वक्त उसने नीतू की पूरी पीठ और गांड नंगी देखी। प्रीति मुझे देख कर तो वहाँ से चली गई लेकिन अपने कमरे में जा कर उसके मन में अजीब तूफान चलने लगा। प्रीति को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां किसी गैर मर्द के साथ ये सब कर रही है। प्रीति बेचैन हो रही थी और मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा है था कि प्रीति को कैसे हैंडल करू।

प्रीति बिल्कुल गांव की सीधी लड़की थी और मेरी उससे ज्यादा बात थी भी नहीं। इधर नीतू ने मेरा लंड जमकर चूसा। उसके बाद मैंने नीतू को बोला कि प्रीति को बुलाये। नीतू बोली -

नीतू - अभी इस हाल में
मै - हाँ अभी
नीतू - सर प्लीज, मै अभी पूरी नंगी हूँ और आप भी
मै - अब घर में सब ऐसे ही रहेंगे
नीतू - आपके सामने ठीक है  लेकिन मै प्रीति की मां हूँ
मै - और मै उसकी मां को चोदने वाला

फिर मैंने तेज आवाज में मंजू को बुलाया। मंजू भी तुरंत कमरे में आ गई।

मै - सुनो आज से घर में सब बिल्कुल नाम के कपड़े पहनेंगे या बिल्कुल नहीं। नहीं तो मेरी परमिशन लेनी होगी।
मंजू - नाम मात्र के, घर में शिल्पी है, प्रीति है और मनीष भी
मै - पहले तुम दोनों शुरू करो, बाकी सब भी धीरे धीरे शुरू कर देंगे

फिर मैंने मंजू को दो ट्रांसपेरेंट नाईटी निकालने को कहा। मंजू की वों नाईटी किसी तरह मंजू के कमर से नीचे लेकिन घुटने से काफी ऊपर रहा जाती थी। वों नाईटी ट्रांसपेरेंट थी मतलब अंदर सब कुछ दिखता था। मैंने उनमे से एक नाईटी लिया और नीतू को पहनने को बोला। नीतू की हाइट मंजू से ज्यादा थी इसलिए वों नाईटी नीतू के कमर पर ही अटक गया। किसी तरह वों सिर्फ चूतड़ों को ढक पा रहा था। इसमें चुत भी सामने से चलने पर दिख जाए तो नीतू ने हाथ जोड़कर पैंटी पहनने की परमिशन मांगी। मैंने पैंटी पहनने को बोल दिया।

नीतू ने जल्दी से पैंटी पहन ली। पैंटी उसकी चौड़ी चूतड़ो को कहा पूरा ढक पाती वों आधे से अधिक दिख ही रही थी, हाँ यह अवश्य था की चुत किसी तरह ढक गई अब नीतू की।

अब मै मंजू की ओर मुड़ा और कहा कि अब घर में तुम भी ऐसे ही नजर आनी चाहिए और शिल्पी और प्रीति भी। शिल्पी वैसे भी कॉलेज से आने के बाद निक्कर जैसा छोटा सा शॉर्ट्स और टॉप पहनती लेकिन प्रीति पूरे कपड़े पहनती।

इन सबके बीच मनीष क्या करेगा ये भी सोचना था खैर मनीष के लिए भी मेरे दिमाग में कुछ प्लान चल रहा था।

उसके बाद मै बेड से उतरा और नंगा ही फ्रेश होने के लिए बाथरूम की ओर बढ़ा। मेरे बाथरूम में जाते ही प्रीति बेडरूम में आयी और मंजू और नीतू की ओर गुस्से से देखने लगी।

मंजू ने तो सिंपल नाईटी पहनी हुई थी जिस वजह से भले ही उसने ब्रा और पैंटी ना पहनी हो बूब्स और चुत तो ढक ही रहें थे लेकिन नीतू की नाईटी छोटी सी और ट्रांसपेरेंट थी। उसके बड़े बड़े बूब्स जो पूरे नंगे थे और उसकी पैंटी बस किसी तरह उसकी चुत को छुपा पा रहें थे। प्रीति अपनी मां को इन कपड़ो में पहली बार देख रही थी, अब तक तो नीतू साड़ी पहनती और पूरा शरीर धका रहता। नीतू भी इस तरह खुद को बहुत शर्मिंदा महसूस कर रही थी। कमरे में अजीब सा सन्नाटा था जिसे मंजू की आवाज ने तोड़ा।

मंजू - क्या हुआ प्रीति, कुछ काम था
प्रीति - बहुत कुछ
नीतू - क्या मेरे बच्चे
प्रीति - चुप रहो, आप उनके साथ क्या कर रही थी
नीतू - किसके साथ
प्रीति - राज सर के साथ और ये आपने कैसे कपड़े पहन रखे है

मंजू बात को काटते हुए बोली - क्या हुआ बेटा इसमें, घर में थोड़े हल्के कपड़े पहनने चाहिए।
प्रीति अभी भी गुस्से में - आज तक तो नहीं पहना, और ये थोड़े हल्के है क्या?

उन दोनों की बहस चल ही रही थी की मै नहा धो कर बाथरूम से बाहर निकला। मै टॉवल से अपने शरीर को पोछ रहा था लेकिन मेरा लंड नंगा ही था तो कहा जाए तो मै नंगी हालत में था। प्रीति बेडरूम में अंदर थी इससे बेपरवाह मै बेडरूम में घुसा।
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RE: किरायेदार और मकान मालिक का परिवार - by raj4bestfun - 27-11-2022, 07:26 PM



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