22-11-2022, 08:12 PM
(This post was last modified: 22-02-2025, 06:31 AM by aamirhydkhan1. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
औलाद की चाह
CHAPTER 6 - पांचवा दिन
परिक्रमा
Update -03
काँटा
अब हम आश्रम के पीछे पहुँच चुके थे। यहाँ एक बड़ा सा छायादार बड़ा पेड़ था और उस स्थान बहुत ही अँधेरा दिखाई दे रहा था। यहां शायद ही कुछ नजर आ रहा था।
तभी वहां आवाज आयी भो भौ भो: ...
मैं लगभग चीख पड़ी और थाली मेरे हाथों से लगभग फिसल गई। कुत्ते के अचानक भौंकने से मैं बहुत डर गयी थी। मैं उदय के बिल्कुल करीब कूद गयी।
उदय: मैडम, मैडम। शांत रहे। यह सिर्फ़ एक कुत्ता है जो पास से गुजर रहा है। कोइ चिंता की बात नहीं है।
मेरा चेहरा पीला पड़ गया था, हथेलियाँ ठंडी और होंठ पूरी तरह से सूखे हुए थे। मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था क्योंकि अचानक हुई उस आवाज़ से मैं बहुत चकरा गयी थो। उदय ने मेरा चेहरा पढ़ा और इस बार मज़ाक छोड़कर गंभीरता से मेरे साथ खड़ा रहा।
उदय: मैडम, आप इतनी नर्वस क्यों महसूस कर रही हैं? मैं यहाँ हूँ ना। मैं आपको हर चीज से बचाऊंगा।
![[Image: THORN1.jpg]](https://i.ibb.co/9NH650J/THORN1.jpg)
वह उन शब्दों को बहुत धीरे-धीरे मेरा विश्वास जीतने की कोशिश में कह रहा था। कहते हुए उसने अपना बायाँ हाथ मेरी कमर पर लपेट लिया। मैं पहले से ही भारी सांस ले रही थी, बेशक उत्तेजना में नहीं, बल्कि चिंता में। उदय ने मेरे भारी स्तनों को देखा-चूंकि मेरी दोनों बाहें थाली को पकड़े हुए थीं, मेरे बड़े-बड़े दूध के टैंक आधे से भी अधिक मेरे ब्लाउज से बाहर निकल रहे थे और ये उदय को एक मुफ्त ऑफर की तरह दिखाई दे रहे थे।
उदय: मैडम, डर और घबराहट को दूर करने का यह सबसे अच्छा तरीक़ा है।
मैं महसूस कर रही थी कि उसका बायाँ हाथ मेरी कमर से मेरे स्तन तक मेरे धड़ को सहला रहा था और उसने मेरे स्तन को आसानी से पकड़, मेरे रसदार दाहिने स्तन को निचोड़ लिया।
मैं: उहुउउउउ? ।
चूंकि मेरे हाथ थाली को पकड़े हुए मेरे सिर पर ऊपर को उठे हुए थे, इसलिए मैंने उसके कृत्य को अस्वीकार करते हुए अस्वीकृति में अपना सिर हिला दिया। इस समय मैं अपना मन किसी और चीज पर नहीं, बल्कि महायज्ञ की ओर लगाना चाहती थी।
उदय: महोदया, इस चोली में आपके स्तन बहुत आकर्षक लग रहे हैं।
फिर वह उसने तेजी से मेरी पीठ के पीछे आ गया और मुझे पीछे से गले लगा लिया और मेरे स्तनों को अपनी दोनों हथेलियों से दबा दिया। मैंने उसकी बाहों में संघर्ष किया और महसूस किया कि उसकी धोती के माध्यम से मेरी कोमल गांड के ऊपर उसका कठोर लंड चुभ रहा है। मैं थाली नहीं छोड़ सकती थी इसलिए मुझे अपने हाथ सिर के ऊपर रखने पड़े और उदय ने इसका पूरा फायदा उठाया। वह लगातार मेरे स्तन निचोड़ रहा था और जाहिर तौर पर मेरे ब्लाउज और चोली पर मेरे सख्त निपल्स को महसूस कर रहा था और सहला रहा था।
![[Image: THORN2.webp]](https://i.ibb.co/NrqL6V0/THORN2.webp)
इस समय मेरी स्थिति बिलकुल ऐसी थी जैसी किसी लड़की को ब्रा और छोटी स्कर्ट पहना कर अर्धनग्न हालत में हाथ ऊपर करके बाँध दिया गया हो उसके मुँह में कपडा ठूंस दिया गया हो जिससे वह न तो कुछ बोल सके और न ही हाथ पेअर चला सके । और उसके बाद BDSM. करते हुए उसके स्तनों को दबाया जा रहा हो बस फ़र्क़ यही थी की मेरे हाथ और मुँह वास्तव में रस्सी से न बंधे ही कर मेरी परि स्तिथितिया ऐसी थी की मैं विरोध में कुछ नहीं कर सकती थी ।
उदय: मैडम, मुझे पता है कि ऐसा करना उचित नहीं है, लेकिन मैं ख़ुद का नियंत्रित नहीं कर सकता। आप इतनी अधिक सेक्सी लग रही हो?
मैं महसूस कर सकती थी कि उसका दाहिना हाथ मेरे दाहिने स्तन से मेरे पेट और नाभि के नीचे से फिसल कर मेरी स्कर्ट के ऊपर अब मेरी चूत पर पहुँच गया था। फिर उसका हाथ मेरे जंघा पर घूम रहा था। मैंने अपने शरीर को मरोड़ते हुए उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन इसी कारण मेरी बड़ी नितम्बो और गाण्ड ने उसके कहे लंड पर अधिक दबाव डाला और उसे और अधिक आनंद प्रदान किया।
मुझे बोलने की अनुमति नहीं थी, इसलिए मैंने अपने चेहरे के भावों के माध्यम और गर्दन को नकारत्मक तरीके से हिलाते हुए मैंने उससे अनुरोध कर रोकने की असफल कोशिश की, लेकिन वह पल-पल औरअधिक उत्तेजित हो रहेा था। मुझे अचानक लगा कि उदय मेरी मिनीस्कर्ट खींच रहा है। मेरा मुंह चौड़ा हो गया क्योंकि मैं अच्छी तरह से जानती थी कि अगर मेरी स्कर्ट कुछ इंच भी ऊपर उठती है तो मेरे अंतरंग अंग उजागर हो जाएंगे। लेकिन मैं बहुत असहाय महसूस कर रही थी क्योंकि मेरे हाथ कुछ नहीं कर सकते थे और जैसी मुझे उम्मीद थी, उदय ने मेरी स्कर्ट को सामने से ऊपर उठा लिया और उसके नीचे अपनी उँगलियाँ डाल दीं और मेरी ऊपरी जाँघों को महसूस करने लगा और यहाँ तक कि उसने मेरी पैंटी को भी छुआ!
यह बहुत ज़्यादा हो गया था! मुझे एहसास हुआ कि मुझे उसे रोकना होगा, क्योंकि मैं समान रूप से यौन सम्बंध बनाने के लिए उत्तेजित और कामुक हो रही थी ... मैंने ख़ुद पर बहुत मुश्किल से जल्दी से नियंत्रण किया और मुझे उसके अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं सूझा और मैंने बस उसके पैरों पर लात मारी और उसके चंगुल से बाहर निकलने के लिए अपने शरीर को ज़ोर से झटका दिया। उदय को मेरी ऐसी प्रतिक्रिया की शायद कोई उम्मीद नहीं थी और वह शायद समझ गया था कि मैं अब गुस्से में थी। वह मुझे छोड़कर अवाक खड़ा रह गया। मैं नाराजगी में सिर हिला रही थी कि मुझे उससे ऐसी उम्मीद नहीं थी।
उदय: मैडम? मेरा मतलब? महोदया, मुझे क्षमा कर दीजिये! मुझे बहुत शर्म आ रही है। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।
उदय में अचानक हुए बदलाव से मैं थोड़ा हैरान थी, लेकिन मुझे उम्मीद थी कि वह समझ गया होगा किइस समय मेरे लिए मुख्य लक्ष्य उस यज्ञ को सफलतापूर्वक पूरा करना है और कुछ नहीं।
उदय: मैडम, आई एम सॉरी। मैंने उस पल की गर्मी में ऐसा किया। मुझे माफ़ कर दें।
मैंने सर के इशारे से बताया कि यह ठीक है और हम फिर से चलने लगे। सच कहूँ तो मुझे महसूस हो रहा था कि उदय के मेरे अंतरंग अंगों को छूने से मुझमें कामेच्छा बहने लगी है। चलते-चलते मैंने कुछ देर के लिए अपनी आँखें बंद कर लीं और कड़ी मेहनत से अपना ध्यान पूजा और अपने उदेशय पर केंद्रित करने की कोशिश की।
मेरे अगले दो लिंग प्रतिकृतियाँ पर पूजा करते हुए कुछ विशेष असामान्य है हुआ। रात में अँधेरा था और चाँद अभी भी बादलों के साथ लुका-छिपी खेल रहा था। सच कहूँ तो उदय ने मुझे गले लगाने के बाद, वास्तव में, मुझे घबराहट या अंधेरे का डर महसूस नहीं हो रहा था! मैं अपने इस अनियमित व्यवहार पर मुस्कुरायी
उदय: महोदया, हम लगभग परिक्रम पूर्ण करने वाले हैं; अब अंतिम प्रतिकृति की और बढे।
जहाँ अंतिम प्रतिकृति थी वह स्थान सबसे दूर लग रहा था क्योंकि उस स्थान पर झाड़ियाँ और साथ में बहुत सारी कंटीली झाड़ियाँ सबसे अधिक थीं। हालाँकि मैं अपने क़दम रखने में बहुत सावधानी बरत रही थी, लेकिन दुर्भाग्य से मैंने अपना क़दम एक काँटेदार झाड़ी पर रखा। मैंने तुरंत अपने बाएँ तलवे में छेद करने का दर्द महसूस किया, लेकिन ख़ुद किसी तरह से नियंत्रित किया और स्वयं को चिल्लाने से रोका और अपना वह पेअर तुरत ऊपर उठा कर एक पैर पर खड़ी ही गयी
उदय: अरे! क्या हुआ मैडम? ऐसा लगता है कि आप दर्द में हैं!
उदय को तुरंत एहसास हुआ कि क्या हुआ होगा।
उदय: महोदया, मुझे लगता है कि आप पहले प्रक्रिया पूरी करें और फिर मैं इसे देखता हूँ।
मुझे भी ऐसा ही ठीक लगा और मैं फूल चढ़ाने के लिए मैं झुक गयी। मेरे खुले पैरों पर मच्छर दावत उदा रहे थे। जितना हो सके उन रक्तपात और मेरा रक्तपान करने वालों से बचने के लिए मैंने लगातार अपने पैर हिलाए। उदय इस बार सीधे मेरे पीछे खड़ा था; हालांकि मुझे पता था, मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। मुझे एक बार आगे झुकना पड़ा और उसे उस मिनीस्कर्ट में ढकी मेरी बड़ी गोल गांड के बारे में बहुत अच्छा नज़ारा मिला होगा। मैं जल्दी से उठी और प्रार्थना की और लंगड़ाते हुए रास्ते पर वापिस आ गयी। कांटा मेरे बाएँ पैर पर चुभ गया था।
उदय: मुझे देखने दो।
यह कहते हुए कि वह मेरे पैरों के पास बैठ गया और मेरे बाएँ पैर को अपनी गोद में ले लिया। इस प्रक्रिया में मुझे अपने पैर को अपने घुटने से मोड़ना पड़ा और मैं अच्छी तरह से देख सकता था कि अगर वह अभी ऊपर देखता है, तो वह सीधे मेरी स्कर्ट के अंदर देख सकता है। मेरा दिल फिर से ज़ोर से धड़कने लगा था।
उदय: महोदया, यह सिर्फ़ एक कांटा है, मुझे एक मिनट दो और मैं इसे निकाल दूंगा।
निश्चित रूप से बहुत अधिक मात्रा में नहीं लेकिन काँटा जहाँ चुभा था वहाँ से मेरा खून बह रहा था,।
उदय: मैडम, अपने पैर थोड़ा ऊपर उठाइए, मुझे वह जगह साफ़ नज़र नहीं आ रही है।
मैं अपने पैर को और ऊँचा करून और ऊपर की और उठाना, हे भगवान! इस पोशाक में ऐसे पैर उठा कर तरह मैं इतनी अश्लीलता से आमंत्रित करते हुए दिखूंगी! लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था? मैं एक पैर पर खड़ा हो गया और अपने बाएँ पैर को अभद्रता से ऊंचा कर दिया ताकि उदय मेरे पैर के तलवे को देख सके। मेरी स्कर्ट मेरी कमर की तरफ़ ऊपर की तरफ़ खिसक रही थी और मेरी पूरी बायाँ टांग नग्न हो गयी थी। मैंने बहुत सारी कामुक कामसूत्र की मुर्तिया देखि थी पर कभी मैं भी ऐसे किसे कामुक पोज़ में किसी मर्द के इतने समीप मुझे खड़ी होना पड़ेगा ये मैंने अपने वाइल्ड से वाइल्ड सपने में भी नहीं सोचा था । और यहाँ मैं ऐसी ही परिथिति में खड़ी हुई थी और ये सोच कर ही
मुझमें कामेच्छा जागृत होने लगी... मैंने किसी तरह से ख़ुद को मानसिक तौर और शारीरिक तौर पर संतुलित किया और चुपचाप खड़ी रही
मैं बस सेकेण्ड गिन रहा था कि वह मेरी तरफ़ देख कर कहेगा, काँटा निकल गया है? और बस तब?
उदय: मैडम, आउट!
उसने ऊपर देखा और सामने से मेरा अपस्कर्ट का पर्याप्त नजारा देखा। मुझे यक़ीन था कि वह इस बार मेरी पैंटी को साफ़ देख सकता है। इस बार मैं शर्मिंदा होना भी भूल गयी!
उसने अपनी धोती से कपड़े का एक हिस्सा फाड़ दिया और मेरे पैरों पर बाँध दिया।
उदय: आश्रम में वापिस पहुँच कर इस पर दवा लगा लेंगे।
मैंने सिर हिलाया और तुरंत अपना पैर उसकी गोद से ज़मीन पर वापस ले लिया। लेकिन जब मैंने अपना पैर ज़मीन पर वापिस रखा तो मुझे आश्चर्यजनक रूप से बहुत तेज दर्द हो रहा था। मैंने इस दर्द को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की और एक क़दम आगे बढ़ाया, लेकिनअभी भी कुछ मुझे मेरे पैर के अंदर ही अंदर चुभ रहा था। जब भी मैं अपने बाएँ पैर पर चलने के लिए दबाव डाल रही थी, उस अस्थायी पट्टी के साथ भी मुझे दर्द महसूस हो रहा था, इसलिए मैं लंगड़ाती रही। उदय ने मेरी ये हालत देखि और
उदय: मैडम, क्या आप अभी भी दर्द में हैं?
मैंने इशारा करने के लिए सिर हिलाया? हाँ? । ऐसा लग रहा था कि वह थोड़ा हैरान था।
उदय: मुझे लगा कि मैंने कांटा साफ़ कर दिया है, लेकिन?
मेरे तलवों में अब हर क़दम पर दर्द बढ़ता जा रहा था और मैं चल भी नहीं पा रही थी। थाली पकड़ने के लिए हाथ ऊपर किए जाने के कारण मेरा संतुलन बिगड़ रहा था। मेरा चेहरा उस दर्द को प्रदर्शित कर रहा था जो मुझे हो रहा था। उदय ने मेरे चेहरे को देखा।
उदय: मैडम, आप ऐसे कैसे चलोगे? क्या मैं इसे दोबारा जांचूं?
जारी रहेगी
NOTE
इस कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ
मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है
अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .
वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.
इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास नहीं किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .
इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .
Note : dated 1-1-2021
जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।
बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।
अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है या मैंने कुछ हिस्से जोड़े हैं ।
कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024
इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है. इसके बाद मामा जी के कारनामे हैं, अधिकतर रिश्तेदार , डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ... वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही बदमाश होते हैं । अगर कुछ लोग ऐसे बदमाश ना होते तो कहानिया शायद कभी नहीं बनेगी ।
सभी को धन्यवाद.
CHAPTER 6 - पांचवा दिन
परिक्रमा
Update -03
काँटा
अब हम आश्रम के पीछे पहुँच चुके थे। यहाँ एक बड़ा सा छायादार बड़ा पेड़ था और उस स्थान बहुत ही अँधेरा दिखाई दे रहा था। यहां शायद ही कुछ नजर आ रहा था।
तभी वहां आवाज आयी भो भौ भो: ...
मैं लगभग चीख पड़ी और थाली मेरे हाथों से लगभग फिसल गई। कुत्ते के अचानक भौंकने से मैं बहुत डर गयी थी। मैं उदय के बिल्कुल करीब कूद गयी।
उदय: मैडम, मैडम। शांत रहे। यह सिर्फ़ एक कुत्ता है जो पास से गुजर रहा है। कोइ चिंता की बात नहीं है।
मेरा चेहरा पीला पड़ गया था, हथेलियाँ ठंडी और होंठ पूरी तरह से सूखे हुए थे। मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था क्योंकि अचानक हुई उस आवाज़ से मैं बहुत चकरा गयी थो। उदय ने मेरा चेहरा पढ़ा और इस बार मज़ाक छोड़कर गंभीरता से मेरे साथ खड़ा रहा।
उदय: मैडम, आप इतनी नर्वस क्यों महसूस कर रही हैं? मैं यहाँ हूँ ना। मैं आपको हर चीज से बचाऊंगा।
![[Image: THORN1.jpg]](https://i.ibb.co/9NH650J/THORN1.jpg)
वह उन शब्दों को बहुत धीरे-धीरे मेरा विश्वास जीतने की कोशिश में कह रहा था। कहते हुए उसने अपना बायाँ हाथ मेरी कमर पर लपेट लिया। मैं पहले से ही भारी सांस ले रही थी, बेशक उत्तेजना में नहीं, बल्कि चिंता में। उदय ने मेरे भारी स्तनों को देखा-चूंकि मेरी दोनों बाहें थाली को पकड़े हुए थीं, मेरे बड़े-बड़े दूध के टैंक आधे से भी अधिक मेरे ब्लाउज से बाहर निकल रहे थे और ये उदय को एक मुफ्त ऑफर की तरह दिखाई दे रहे थे।
उदय: मैडम, डर और घबराहट को दूर करने का यह सबसे अच्छा तरीक़ा है।
मैं महसूस कर रही थी कि उसका बायाँ हाथ मेरी कमर से मेरे स्तन तक मेरे धड़ को सहला रहा था और उसने मेरे स्तन को आसानी से पकड़, मेरे रसदार दाहिने स्तन को निचोड़ लिया।
मैं: उहुउउउउ? ।
चूंकि मेरे हाथ थाली को पकड़े हुए मेरे सिर पर ऊपर को उठे हुए थे, इसलिए मैंने उसके कृत्य को अस्वीकार करते हुए अस्वीकृति में अपना सिर हिला दिया। इस समय मैं अपना मन किसी और चीज पर नहीं, बल्कि महायज्ञ की ओर लगाना चाहती थी।
उदय: महोदया, इस चोली में आपके स्तन बहुत आकर्षक लग रहे हैं।
फिर वह उसने तेजी से मेरी पीठ के पीछे आ गया और मुझे पीछे से गले लगा लिया और मेरे स्तनों को अपनी दोनों हथेलियों से दबा दिया। मैंने उसकी बाहों में संघर्ष किया और महसूस किया कि उसकी धोती के माध्यम से मेरी कोमल गांड के ऊपर उसका कठोर लंड चुभ रहा है। मैं थाली नहीं छोड़ सकती थी इसलिए मुझे अपने हाथ सिर के ऊपर रखने पड़े और उदय ने इसका पूरा फायदा उठाया। वह लगातार मेरे स्तन निचोड़ रहा था और जाहिर तौर पर मेरे ब्लाउज और चोली पर मेरे सख्त निपल्स को महसूस कर रहा था और सहला रहा था।
![[Image: THORN2.webp]](https://i.ibb.co/NrqL6V0/THORN2.webp)
इस समय मेरी स्थिति बिलकुल ऐसी थी जैसी किसी लड़की को ब्रा और छोटी स्कर्ट पहना कर अर्धनग्न हालत में हाथ ऊपर करके बाँध दिया गया हो उसके मुँह में कपडा ठूंस दिया गया हो जिससे वह न तो कुछ बोल सके और न ही हाथ पेअर चला सके । और उसके बाद BDSM. करते हुए उसके स्तनों को दबाया जा रहा हो बस फ़र्क़ यही थी की मेरे हाथ और मुँह वास्तव में रस्सी से न बंधे ही कर मेरी परि स्तिथितिया ऐसी थी की मैं विरोध में कुछ नहीं कर सकती थी ।
उदय: मैडम, मुझे पता है कि ऐसा करना उचित नहीं है, लेकिन मैं ख़ुद का नियंत्रित नहीं कर सकता। आप इतनी अधिक सेक्सी लग रही हो?
मैं महसूस कर सकती थी कि उसका दाहिना हाथ मेरे दाहिने स्तन से मेरे पेट और नाभि के नीचे से फिसल कर मेरी स्कर्ट के ऊपर अब मेरी चूत पर पहुँच गया था। फिर उसका हाथ मेरे जंघा पर घूम रहा था। मैंने अपने शरीर को मरोड़ते हुए उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन इसी कारण मेरी बड़ी नितम्बो और गाण्ड ने उसके कहे लंड पर अधिक दबाव डाला और उसे और अधिक आनंद प्रदान किया।
मुझे बोलने की अनुमति नहीं थी, इसलिए मैंने अपने चेहरे के भावों के माध्यम और गर्दन को नकारत्मक तरीके से हिलाते हुए मैंने उससे अनुरोध कर रोकने की असफल कोशिश की, लेकिन वह पल-पल औरअधिक उत्तेजित हो रहेा था। मुझे अचानक लगा कि उदय मेरी मिनीस्कर्ट खींच रहा है। मेरा मुंह चौड़ा हो गया क्योंकि मैं अच्छी तरह से जानती थी कि अगर मेरी स्कर्ट कुछ इंच भी ऊपर उठती है तो मेरे अंतरंग अंग उजागर हो जाएंगे। लेकिन मैं बहुत असहाय महसूस कर रही थी क्योंकि मेरे हाथ कुछ नहीं कर सकते थे और जैसी मुझे उम्मीद थी, उदय ने मेरी स्कर्ट को सामने से ऊपर उठा लिया और उसके नीचे अपनी उँगलियाँ डाल दीं और मेरी ऊपरी जाँघों को महसूस करने लगा और यहाँ तक कि उसने मेरी पैंटी को भी छुआ!
यह बहुत ज़्यादा हो गया था! मुझे एहसास हुआ कि मुझे उसे रोकना होगा, क्योंकि मैं समान रूप से यौन सम्बंध बनाने के लिए उत्तेजित और कामुक हो रही थी ... मैंने ख़ुद पर बहुत मुश्किल से जल्दी से नियंत्रण किया और मुझे उसके अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं सूझा और मैंने बस उसके पैरों पर लात मारी और उसके चंगुल से बाहर निकलने के लिए अपने शरीर को ज़ोर से झटका दिया। उदय को मेरी ऐसी प्रतिक्रिया की शायद कोई उम्मीद नहीं थी और वह शायद समझ गया था कि मैं अब गुस्से में थी। वह मुझे छोड़कर अवाक खड़ा रह गया। मैं नाराजगी में सिर हिला रही थी कि मुझे उससे ऐसी उम्मीद नहीं थी।
उदय: मैडम? मेरा मतलब? महोदया, मुझे क्षमा कर दीजिये! मुझे बहुत शर्म आ रही है। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।
उदय में अचानक हुए बदलाव से मैं थोड़ा हैरान थी, लेकिन मुझे उम्मीद थी कि वह समझ गया होगा किइस समय मेरे लिए मुख्य लक्ष्य उस यज्ञ को सफलतापूर्वक पूरा करना है और कुछ नहीं।
उदय: मैडम, आई एम सॉरी। मैंने उस पल की गर्मी में ऐसा किया। मुझे माफ़ कर दें।
मैंने सर के इशारे से बताया कि यह ठीक है और हम फिर से चलने लगे। सच कहूँ तो मुझे महसूस हो रहा था कि उदय के मेरे अंतरंग अंगों को छूने से मुझमें कामेच्छा बहने लगी है। चलते-चलते मैंने कुछ देर के लिए अपनी आँखें बंद कर लीं और कड़ी मेहनत से अपना ध्यान पूजा और अपने उदेशय पर केंद्रित करने की कोशिश की।
मेरे अगले दो लिंग प्रतिकृतियाँ पर पूजा करते हुए कुछ विशेष असामान्य है हुआ। रात में अँधेरा था और चाँद अभी भी बादलों के साथ लुका-छिपी खेल रहा था। सच कहूँ तो उदय ने मुझे गले लगाने के बाद, वास्तव में, मुझे घबराहट या अंधेरे का डर महसूस नहीं हो रहा था! मैं अपने इस अनियमित व्यवहार पर मुस्कुरायी
उदय: महोदया, हम लगभग परिक्रम पूर्ण करने वाले हैं; अब अंतिम प्रतिकृति की और बढे।
जहाँ अंतिम प्रतिकृति थी वह स्थान सबसे दूर लग रहा था क्योंकि उस स्थान पर झाड़ियाँ और साथ में बहुत सारी कंटीली झाड़ियाँ सबसे अधिक थीं। हालाँकि मैं अपने क़दम रखने में बहुत सावधानी बरत रही थी, लेकिन दुर्भाग्य से मैंने अपना क़दम एक काँटेदार झाड़ी पर रखा। मैंने तुरंत अपने बाएँ तलवे में छेद करने का दर्द महसूस किया, लेकिन ख़ुद किसी तरह से नियंत्रित किया और स्वयं को चिल्लाने से रोका और अपना वह पेअर तुरत ऊपर उठा कर एक पैर पर खड़ी ही गयी
उदय: अरे! क्या हुआ मैडम? ऐसा लगता है कि आप दर्द में हैं!
उदय को तुरंत एहसास हुआ कि क्या हुआ होगा।
उदय: महोदया, मुझे लगता है कि आप पहले प्रक्रिया पूरी करें और फिर मैं इसे देखता हूँ।
मुझे भी ऐसा ही ठीक लगा और मैं फूल चढ़ाने के लिए मैं झुक गयी। मेरे खुले पैरों पर मच्छर दावत उदा रहे थे। जितना हो सके उन रक्तपात और मेरा रक्तपान करने वालों से बचने के लिए मैंने लगातार अपने पैर हिलाए। उदय इस बार सीधे मेरे पीछे खड़ा था; हालांकि मुझे पता था, मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। मुझे एक बार आगे झुकना पड़ा और उसे उस मिनीस्कर्ट में ढकी मेरी बड़ी गोल गांड के बारे में बहुत अच्छा नज़ारा मिला होगा। मैं जल्दी से उठी और प्रार्थना की और लंगड़ाते हुए रास्ते पर वापिस आ गयी। कांटा मेरे बाएँ पैर पर चुभ गया था।
उदय: मुझे देखने दो।
यह कहते हुए कि वह मेरे पैरों के पास बैठ गया और मेरे बाएँ पैर को अपनी गोद में ले लिया। इस प्रक्रिया में मुझे अपने पैर को अपने घुटने से मोड़ना पड़ा और मैं अच्छी तरह से देख सकता था कि अगर वह अभी ऊपर देखता है, तो वह सीधे मेरी स्कर्ट के अंदर देख सकता है। मेरा दिल फिर से ज़ोर से धड़कने लगा था।
उदय: महोदया, यह सिर्फ़ एक कांटा है, मुझे एक मिनट दो और मैं इसे निकाल दूंगा।
निश्चित रूप से बहुत अधिक मात्रा में नहीं लेकिन काँटा जहाँ चुभा था वहाँ से मेरा खून बह रहा था,।
उदय: मैडम, अपने पैर थोड़ा ऊपर उठाइए, मुझे वह जगह साफ़ नज़र नहीं आ रही है।
मैं अपने पैर को और ऊँचा करून और ऊपर की और उठाना, हे भगवान! इस पोशाक में ऐसे पैर उठा कर तरह मैं इतनी अश्लीलता से आमंत्रित करते हुए दिखूंगी! लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था? मैं एक पैर पर खड़ा हो गया और अपने बाएँ पैर को अभद्रता से ऊंचा कर दिया ताकि उदय मेरे पैर के तलवे को देख सके। मेरी स्कर्ट मेरी कमर की तरफ़ ऊपर की तरफ़ खिसक रही थी और मेरी पूरी बायाँ टांग नग्न हो गयी थी। मैंने बहुत सारी कामुक कामसूत्र की मुर्तिया देखि थी पर कभी मैं भी ऐसे किसे कामुक पोज़ में किसी मर्द के इतने समीप मुझे खड़ी होना पड़ेगा ये मैंने अपने वाइल्ड से वाइल्ड सपने में भी नहीं सोचा था । और यहाँ मैं ऐसी ही परिथिति में खड़ी हुई थी और ये सोच कर ही
मुझमें कामेच्छा जागृत होने लगी... मैंने किसी तरह से ख़ुद को मानसिक तौर और शारीरिक तौर पर संतुलित किया और चुपचाप खड़ी रही
मैं बस सेकेण्ड गिन रहा था कि वह मेरी तरफ़ देख कर कहेगा, काँटा निकल गया है? और बस तब?
उदय: मैडम, आउट!
उसने ऊपर देखा और सामने से मेरा अपस्कर्ट का पर्याप्त नजारा देखा। मुझे यक़ीन था कि वह इस बार मेरी पैंटी को साफ़ देख सकता है। इस बार मैं शर्मिंदा होना भी भूल गयी!
उसने अपनी धोती से कपड़े का एक हिस्सा फाड़ दिया और मेरे पैरों पर बाँध दिया।
उदय: आश्रम में वापिस पहुँच कर इस पर दवा लगा लेंगे।
मैंने सिर हिलाया और तुरंत अपना पैर उसकी गोद से ज़मीन पर वापस ले लिया। लेकिन जब मैंने अपना पैर ज़मीन पर वापिस रखा तो मुझे आश्चर्यजनक रूप से बहुत तेज दर्द हो रहा था। मैंने इस दर्द को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की और एक क़दम आगे बढ़ाया, लेकिनअभी भी कुछ मुझे मेरे पैर के अंदर ही अंदर चुभ रहा था। जब भी मैं अपने बाएँ पैर पर चलने के लिए दबाव डाल रही थी, उस अस्थायी पट्टी के साथ भी मुझे दर्द महसूस हो रहा था, इसलिए मैं लंगड़ाती रही। उदय ने मेरी ये हालत देखि और
उदय: मैडम, क्या आप अभी भी दर्द में हैं?
मैंने इशारा करने के लिए सिर हिलाया? हाँ? । ऐसा लग रहा था कि वह थोड़ा हैरान था।
उदय: मुझे लगा कि मैंने कांटा साफ़ कर दिया है, लेकिन?
मेरे तलवों में अब हर क़दम पर दर्द बढ़ता जा रहा था और मैं चल भी नहीं पा रही थी। थाली पकड़ने के लिए हाथ ऊपर किए जाने के कारण मेरा संतुलन बिगड़ रहा था। मेरा चेहरा उस दर्द को प्रदर्शित कर रहा था जो मुझे हो रहा था। उदय ने मेरे चेहरे को देखा।
उदय: मैडम, आप ऐसे कैसे चलोगे? क्या मैं इसे दोबारा जांचूं?
जारी रहेगी
NOTE
इस कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ
मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है
अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .
वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.
इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास नहीं किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .
इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .
Note : dated 1-1-2021
जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।
बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।
अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है या मैंने कुछ हिस्से जोड़े हैं ।
कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024
इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है. इसके बाद मामा जी के कारनामे हैं, अधिकतर रिश्तेदार , डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ... वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही बदमाश होते हैं । अगर कुछ लोग ऐसे बदमाश ना होते तो कहानिया शायद कभी नहीं बनेगी ।
सभी को धन्यवाद.