20-11-2022, 01:32 AM
पहले तो अमन ने खूब मजाक उड़ाया कहा " हाहहा साले ले अब । कह रहा रहा था अपनी मां को चोद दे या फिर मुझे ही पता के चोदने दे । तेरी मां सालों से प्यासी है । ले अब वो गुंडे तेरी मां को चोदेंगे जैसे मेरी मां को चोद चोद के लंगड़ा कर दिया था । पता है मां को डॉक्टर से दिखाना पड़ता था इन्फेक्शन हो गया था मां का"
में गुस्से में बोला " साले मझाक नही "
अमन भी मेरा गुस्सा देख के गंभीर से मेरे कंधे पे हाथ रख के बोला " बुरा मत मान दोस्त । यही सच्चाई है दोस्त। अब चाह कर भी हम कुछ नहीं कर सकते है । उन्हें रोकने जायेंगे तो या तो हम जान से जायेंगे या फिर तेरी मां। तू भी जानता हे । तू अकेला नही ही । में समझ सकता हूं तेरे दिल पे क्या गुजर रहा है एक दिन मेरे दिल पर भी गुजरा था । और इस गांव के लगभग सभी के दिल में ये गुजर चुका है । ज्यादा मत सोच बास दुआ कर की चाची(मां) सही सलामत लौट आए जब वो कमीने उठा के के ले जाए । दोस्त अगर कुछ कर पता तो जरूर करता में । फिर भी तू जो कहे में तेरे साथ हूं । मर मीट जाऊंगा अपने यार के लिए "
अमन ने मुझे काफी समझाया । लेकिन में ही जानता था कि मेरे दिल में क्या गुजर रही है हलकी उसके दिल में भी गुजर चुका है ।
अगले दो दिन मां फिर खेतो में नहीं गई । वो बुझे बुझे सा गुमसुम सी रहने लगी । नाना नानी को पता नही था पर मुझे था मैंने मां से पूछा तो मां ने बहाना मार दिया ।
अगले तीचरे दिन मां सुबह की खेत निकली । में उस दिन भी मां के पीछे गया । सुबह के 10 बज रहे थे लेकिन आचंभित कर देने वाली बात थी की खेतो में एक परिंदा भी नही था
कहा गए सब लग अब तक नही आए क्या बात है । मां पखदानियों से चलती जा रही थी । सारी घुटनो तक उठाए पल्लू लपेटे हुए कमर में बांध के चल रही थी नंगी पाओ । मां भी सायेद आचंभित थी और इधर उधर देख रही थी ।
लेकिन जैसे ही मां खेतों में बनी झोपड़ी के पास पोहिची अचानक से तूफान झोपड़ी से निकल कर मां का बाजू पकड़ कर खींचता हुआ झोपड़ी के अंदर ले के गया ।
में गुस्से में बोला " साले मझाक नही "
अमन भी मेरा गुस्सा देख के गंभीर से मेरे कंधे पे हाथ रख के बोला " बुरा मत मान दोस्त । यही सच्चाई है दोस्त। अब चाह कर भी हम कुछ नहीं कर सकते है । उन्हें रोकने जायेंगे तो या तो हम जान से जायेंगे या फिर तेरी मां। तू भी जानता हे । तू अकेला नही ही । में समझ सकता हूं तेरे दिल पे क्या गुजर रहा है एक दिन मेरे दिल पर भी गुजरा था । और इस गांव के लगभग सभी के दिल में ये गुजर चुका है । ज्यादा मत सोच बास दुआ कर की चाची(मां) सही सलामत लौट आए जब वो कमीने उठा के के ले जाए । दोस्त अगर कुछ कर पता तो जरूर करता में । फिर भी तू जो कहे में तेरे साथ हूं । मर मीट जाऊंगा अपने यार के लिए "
अमन ने मुझे काफी समझाया । लेकिन में ही जानता था कि मेरे दिल में क्या गुजर रही है हलकी उसके दिल में भी गुजर चुका है ।
अगले दो दिन मां फिर खेतो में नहीं गई । वो बुझे बुझे सा गुमसुम सी रहने लगी । नाना नानी को पता नही था पर मुझे था मैंने मां से पूछा तो मां ने बहाना मार दिया ।
अगले तीचरे दिन मां सुबह की खेत निकली । में उस दिन भी मां के पीछे गया । सुबह के 10 बज रहे थे लेकिन आचंभित कर देने वाली बात थी की खेतो में एक परिंदा भी नही था
कहा गए सब लग अब तक नही आए क्या बात है । मां पखदानियों से चलती जा रही थी । सारी घुटनो तक उठाए पल्लू लपेटे हुए कमर में बांध के चल रही थी नंगी पाओ । मां भी सायेद आचंभित थी और इधर उधर देख रही थी ।
लेकिन जैसे ही मां खेतों में बनी झोपड़ी के पास पोहिची अचानक से तूफान झोपड़ी से निकल कर मां का बाजू पकड़ कर खींचता हुआ झोपड़ी के अंदर ले के गया ।