18-11-2022, 11:07 PM
जब गेट खोला तो देखा सामने वरुण खड़ा था उसकी नजरें नीचे झुकी हुई थी और नीचे मेरे अधनंगे पेट की नाभी के चारों ओर घूम रही थी ।
उसके हाथ मे एक प्लास्टिक का डब्बा भी था । मैं जान गई कि वरुण कल की घटना की वजह से असमंजस मे है , मैंने उसकी उलझन को दूर करने करने के लिए उसे कहा -
मैं - वरुण , कहो क्या बात है ?
वरुण - ये मम्मी ने दिया है ।
वरुण ने मेरी ओर अपने हाथ मे पकड़ा हुआ डब्बा बढ़ा दिया । मैंने उसके हाथ से उस डब्बे को लिया , और कहा - " क्या है इसमे ? "
वरुण - मम्मी ने घर मे कुछ मिठाई बनाई थी वो ही लाया हूँ ।
मैं - अच्छा , और कुछ ???
मेरे इस सवाल को वरुण सही से समझ रहा था पर अब भी उसका ध्यान उसने मेरी नाभी से नहीं हटाया । उसकी ये बात मुझे शर्माने पर मजबूर कर रही थी मैंने थोड़ा शरमाते हुए खुद ही अपने सपाट चिकने पेट को उसकी नज़रों से दूर करने के लिए अपने पल्लू से छिपाया ।
वरुण की नज़रों के सामने का वो नजारा जिसे वो काफी देर से देख रहा था जैसे ही छिपा वो अपने होश की मुद्रा मे आया और बोला - " भाभी वो मुझे ........ कल शाम वाली बात के लिए सॉरी कहना है । मुझसे कल गलती हो गई प्लीज मुझे माफ कर दीजिए । "
मैंने एक अलग भाव से वरुण की ओर देखा और कहा -
मैं - तुमने ऐसा क्यों किया वरुण ?
वरुण - मैं बहक गया था भाभी , प्लीज मुझे माफ कर दीजिए । मेरी जगह कोई ओर भी होता तो शायद वो भी अपने आप को रोक नहीं पाता ।
मैं ( थोड़ी हैरानी से )- तुम ऐसा कैसे कह सकते हो ?
वरुण - यही सच है भाभी , आप का योवन है ही ऐसा जो कोई देखे देखता ही रह जाए और कल तो बारिश मे भीगा हुआ आपका बदन कामदेव को भी मोहित कर देता फिर मैं तो एक नादान हूँ ।
वरुण मेरे सामने खड़ा होकर वही गेट पर मेरी तारीफ़ों के पुल बांध रहा था, एक साथ उसने इतनी सारी बातें बोल दी कि मुझे पहले तो कुछ कहने का मौका ही नहीं मिला और जब कुछ कहते बना तो सिर्फ इतना ही कहा - " ये कुछ ज्यादा नहीं हो रहा वरुण ? "
वरुण - क्या भाभी ? जो भी मैं बोल रहा हूँ बिल्कुल सच है आपको शायद अपनी खूबसूरती का पता नहीं है , आपके जैसी सुंदरता सबको नहीं मिलती । मोहल्ले के बाकी के लोग भी यही कहते है ।
वरुण की बातें सीधी मेरे दिल पर असर दिखा रही थी और उसके मुहँ से अपने लिए ऐसी बातें सुनकर मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया ।
मुझे उसकी बातें सुनने मे उतना ही मज़ा भी आ रहा था मेरे मन मे भी अपनी सुंदरता का बखान सुनने की उत्सुकता होने लगी , आखिर मैं भी तो सुनू आखिर मोहल्ले के लोग क्या कहते है मेरे बारे मे । मैंने वरुण से पुछा -
मैं - ऐसा क्या कहते है मोहल्ले वाले ?
वरुण - वो सब अशोक भैय्या की किस्मत से जलते है , आपकी तारीफ मोहल्ले का हर तिसरा मर्द करता है । कहते है कि आप जैसी सुंदर औरत पूरी कालोनी मे नहीं है ।
मैं - तुमने उन लोगों को ऐसा कहते कब सुन लिया ?
वरुण - ये तो आए दिन की बात है , जब भी आप घर से बाहर कही जाती है ,तो ये बाते सबकी जबान पर होती है ।
मुझे अब वरुण की तरीफ़े कुछ चुभने सी लगी क्योंकि गली वालों के कुछ कमेंट्स तो मैंने भी सुने है चलते हुए , और वो लोग बोहोत ही भद्दे और अश्लील कमेंट्स किया करते है । इसका मतलब वरुण ने भी मेरे बारे मे उन अभद्र और गंदी टिप्पणियों को सुना है ।
मैं ( थोड़े गंभीर स्वभाव से )- अच्छा वो लोग जो भी बोलते है , तुम सुन लेते हो उन्हे कुछ कहते नहीं ।
वरुण - मैं क्या कहूँ भाभी , अब खूबसूरती को तो कोई छिपा नहीं सकता ना जब सभी ये ही कहते है तो इसमे कुछ गलत नहीं । भला चाँद की रोशनी को फैलने से कोई रोक थोड़े ना सकता है ।
मैं ( हँसते हुए ) - अब बस भी करों वरुण और कितनी तारीफ करोगे मेरी ।
वरुण - मैं झूठ नहीं कह रहा, आप जैसा रूप तो अप्सराओं को ही मिलता है ।
वरुण तो जैसे शुरू हुआ तो बस कहता ही गया और अपने एक-2 शब्द से मेरे मन को पिघलाता रहा । मैंने वरुण को यहीं पर रोक देना उचित समझा और कहा -
मैं - अच्छा , चलो अब ज्यादा मक्खन ना लगाओ । मैंने तुम्हें माफ कर दिया ।
वरुण ( खुश होते हुए )- क्या सच मे भाभी आपने मुझे माफ कर दिया , थैंक यू सो मच भाभी ।
कहते हुए वरुण ने अपने हाथ आगे बढ़ाकर मेरा हाथ पकड़ लिया । मैंने भी उसपर ज्यादा ध्यान ना देते हुए उसे कहा - " पर आगे से ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए । "
वरुण ( मज़ाक मे ) - ये मेरे हाथ मे तो नहीं है ।
मैंने अपना हाथ उसके हाथ से छुटाते हुए कहा - " क्या मतलब ?"
वरुण ( उसी हँसी से ) - मतलब ये कि आपके इस मदमस्त रूप का जादू ना जाने कब मुझ पर छा जाए और मैं अपना आपा खो दूँ ।
मैं - अच्छा रुको अभी बताती हूँ , शैतान कहीं के ।
बोलते हुए मैं वरुण को पकड़ने के लिए बढ़ी मगर वो बोहोत ही फुर्ती से पीछे हट गया और हँसते हुए वहाँ से भागने लगा ।
मैं - बचकर कहाँ जाओगे , शाम को तो आओगे ही ना ।
वरुण एकदम से वहीं रुक गया और बोला - " 5 दिन तक कॉलेज मे असाइनमेंट है , तो वहाँ जाना होगा । "
मैं - अच्छा तो ये तो अच्छी बात है , मन लगाकर पढ़ना ।
वरुण - ओके , बाय भाभी ।
इसके बाद वरुण तेजी के साथ अपने घर की गली मे मुड गया उसने तो मेरे जवाब की भी प्रतीक्षा नहीं की । मैं भी चुपचाप अपने घर के अन्दर आ गई और आकर वरुण की लाई हुए मिठाई का डब्बा खोलकर उसमे से एक-दो मिठाई खा ली वो वाकई बोहोत स्वादिष्ट मिठाई थी । इसके बाद मैं अपने दूसरे कामों मे लग गई ।
4 बजे के लगभग मैं बैंक मे जाने के लिए तैयार होने बेडरूम मे चली गई । मैंने जानबूझकर 4 बजे जाने का फैसला किया, क्योंकि इस समय बैंक मे भीड़ बोहोत कम होती है और काम जल्दी हो जाता है । आज वरुण की तारीफ़ों का ही ये असर था कि मैं बोहोत ज्यादा ही सज-सँवर रही थी ।
मुझे भी आज अपने रूप को बढ़ाने मे कुछ अलग ही आनंद मिल रहा था , मैं भी आज अपने मोहल्ले के लोगों की प्रतिक्रिया देखने के लिए उत्सुक हो रही थी । मैंने अपने बैंक के कुछ जरूरी दस्तावेज लिए और घर को लॉक करके बाहर निकली ।
बाहर गली मे जैसे ही मेरे कदम पड़े गली , मोहल्ले के नुक्कड़ पर खड़े लोगों की तो जैसे साँसे ही थम गई और वो लोग अपने कामों को छोड़कर मेरे खूबसूरत बदन को निहारने लगे । जैसे -जैसे मैं आगे बढ़ने लगी वैसे-वैसे लोगों की वही भद्दी और अश्लील टिप्पणियाँ मेरे कानों मे पहुँचने लगी ।
-" आह .... आज तो किसी का कत्ल करवा के ही रहेगी । "
-" बिजली गिर रही है , हाय । "
-" उफ्फ़ ये मटकती गाँड ...... "
-" क्या चीज है .... यार , ये चुचे एक बार चूसने को तो मिल जाए । "
मेरे लिए ये अश्लील टिप्पणियाँ कोई नई बात नहीं थी , पर आज अपने ऊपर की गई ये भद्दी टिप्पणियाँ मुझे उतनी बुरी भी नहीं लग रही थी पहले इस तरह से जब कोई मुझ पर कमेन्ट करता था तो मैं उसे गुस्से से देखकर चुप करा देती थी लेकिन आज ना जाने क्यूँ मुझे ये सब सुनने मे मज़ा सा आ रहा था और बेहद शर्म भी जैसे वो सब मेरी तारीफ ही कर रहे हो । अपने अन्दर के इस परिवर्तन से मैं खुद भी हैरान थी । जो लोग मेरे पीछे खड़े थे वो मेरे नितम्बों और मेरी बलखती कमर पर टिप्पणी कर रहे थे
और जो मुझसे आगे खड़े थे वो मेरे बूब्स , चेहरे और साड़ी मे से नुमाया होते मेरे पेट पर अपनी नजरे बनाए हुए थे । इन सब कातिलाना नज़रों को पार करना मेरे लिए उतना सहज भी नहीं था , मेरे अन्दर इतनी भी हिम्मत नहीं हो रही थी के एक बार उन लोगों की ओर नजरे उठा कर देख सकूँ । मैं बस सीधी सामने सड़क की ओर चले जा रही थी । गली को पार करने मे मुझे कोई 6-7 मिनट लगे और ये 6-7 मिनट मेरे लिए कितने लम्बे हो गए ये मैं ही जानती हूँ , अपने बदन पर कही जाने वाली उन लोगों की वो टिप्पणियाँ मुझे रोमांचित तो कर रही थी लेकिन मुझे एक अजीब सी झिझक भी हो रही थी कि मुझे इतना बन-ठनकर बाहर नहीं निकलना चाहिए , सब कुछ अपनी सीमाओं मे रहे तो ही अच्छा लगता है ।