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किरायेदार और मकान मालिक का परिवार
#82
मंजू मेरे अंडकोष को अपने दोनों हाथों से अच्छे से मसल रही थी मानो वों गोलियों के साथ खेल रही थी। नीतू आश्चर्य भरी नज़रों से मंजू को देख रही थी। मैंने नीतू का हाथ खींच कर मेरे लंड को उसके हाथों में पकड़ाया। मेरे लंड को वों देख तो चुकी थी लेकिन अपने हाथों में लेने के लिए शायद वों अभी तैयार भी नहीं थी। उसने लंड से अपने हाथों से हटाना चाहा लेकिन मैंने उसका हाथ पकडे रखा।

नीतू अभी मेरा लंड अपने हाथों को पकड़ कर हल्का हल्का हिला ही रही थी कि प्रीति के अपने कमरे से बाहर निकलने क़ी आवाज आयी। नीतू ने झट से अपने हाथों से लंड को अलग किया और कमरे से बाहर निकलने के लिए उठी। मैंने नीतू का हाथ पकड़ कर रोका और मंजू को बाहर जाकर प्रीति को देखने का इशारा किया।

प्रीति सामान्य रूप से बाथरूम जाने के लिए उठी थी। मंजू पेटीकोट और ब्लाउज में ही बाहर निकली थी। प्रीति बाथरूम से बाहर आने के बाद हाल में चली आयी।

मंजू प्रीति से - क्या हुआ
प्रीति - नींद खुल गई, और कितनी देर सोऊ और आपने साड़ी नहीं पहन रखा
मंजू - घर में कोई बाहर का थोड़ी ना है। सोते वक्त साड़ी उतार दी, आराम रहता है
प्रीति - और मम्मी कहा है
मंजू - वों भी सो रही है।

अब मंजू और प्रीति बैठकर टीवी देखने लगे और मैं और नीतू कमरे में एक तरह से बंद हो गए।

नीतू को फिर से मैंने इशारा किया तो वों चुपचाप मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़कर हिलाने लगी। अभी वों अकेली थी मेरे साथ इस वजह से या कोई और वजह हो वों अब मेरे लंड को अच्छे से हिला कर ऊपर नीचे करने लगी। फिर उसने थोड़ा सा सरसो तेल मेरे लंड के ऊपर डाला और लंड पर तेल से मालिश करने लगी। लंड जो आलरेडी तन के खड़ा था वों अपने सुपारे को छोड़ कर बड़ा और काफी बड़ा होता जा रहा था और उतना ही मेरा रोमांच बढ़ रहा था। मैंने नीतू के पल्लू को नीचे गिराया और ब्लाउज के ऊपर से उसके बूब्स दबाने लगा। नीतू मेरा हल्का हल्का साथ दे रही थी।

लगातार तेल क़ी मालिश से मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया और यह नीतू के पूरे चेहरे पर फैल गया। फिर मैंने नीतू को पलटा और उसके गर्दन के पास कस के किस करना शुरू किया। नीतू की सिसकी निकल गई लेकिन किसी तरह उसने खुद पर कंट्रोल किया।

नीतू ने ब्लाउज भी ऐसा पहन रखा था जो उसके पूरे पीठ को ढक रहा था। मैंने दोनों हाथों से खींचा और ब्लाउज के पिछले हिस्से को फाड़ दिया। अब पीछे सिर्फ पीठ पर ब्रा की स्ट्रिप थी। अब मैंने उसके पूरे पीठ को चूमना स्टार्ट किया। पीठ चूमने के क्रम में मैंने अपने दांत से ही हुक खोल दिया और अब उसकी पूरी पीठ नंगी थी। पूरी पीठ को चूमते चूमते मैं नीचे कमर तक पहुँच गया और साड़ी को पेटीकोट सहित हल्का नीचे की ओर किया। वों साड़ी थोड़ी ढीली ही पहनती थी इसलिए वों आराम से नीचे हो गए और पीछे से उसकी गांड मेरे सामने दिखने लगी। मैंने उसके गांड में ऊँगली की तभी वों मेरी ओर मुड़ गई और मेरे सामने हाथ जोड़ते हुए धीमी आवाज में बोली - प्लीज मेरे साथ ये सब मत करो

मैं - क्या नहीं करू
नीतू - जो कर रहें थे
मैं - क्यों
नीतू - मेरी शादी हो रखी है, पति है मेरा
मैं - पति यहाँ थोड़ी ना है और ना उसे पता लगेगा
नीतू - पता लगा तो
मैं - पता ही नहीं लगेगा
नीतू - फिर भी गलत है ये
मैं - मैं तो करूंगा

अब नीतू कुछ नहीं बोल पायी लेकिन शायद अभी भी वों पूरे मन से तैयार नहीं थी सेक्स करने को।
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RE: किरायेदार और मकान मालिक का परिवार - by raj4bestfun - 17-11-2022, 11:42 PM



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