14-11-2022, 06:31 PM
नीतू को मैंने अपनी ओर खींचा। इससे वों थोड़ी चौकी लेकिन मेरी कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था। मैं जबरदस्ती नहीं नीतू को तैयार कर उसके साथ सेक्स करना चाहता था।
मेरे द्वारा अपनी ओर खींचने से अब मैं और नीतू लगभग साथ साथ सोफे पर बैठे थे। नीतू की सांस तेज तेज चल रही थी जिससे उसके बूब्स हिल रहें थे और वों हिलते बूब्स मेरे लंड को टॉनिक देने का काम कर रहें थे। मेरा लंड पूरा तन के खड़ा था टॉवल के नीचे तम्बू बनाएं।
शायद यही उधेड़बुन नीतू के दिमाग में चल रही थी। वों मेरे पास मजबूरी में आ रही थी या मेरे पास आना नहीं चाहती थी मैं यह सोच ही रहा था कि नीतू बोल पड़ी।
नीतू - प्लीज सर आप करा दोगे एडमिशन
मैं - तुम साथ रहो तो पूरी कोशिश करूंगा।
ऐसा कहते हुए मैंने नीतू के जाँघ पर हाथ रखा और धीमी गति से नीचे की ओर घुटने तक सरकाया। नीतू कुछ नहीं बोली। मैंने फिर नीतू के हाथ को उठाकर अपने दोनों हाथों के बीच रखा और उसकी ओर मुड़ के पूछा - बोलों साथ रहोगी ना?
नीतू - मैं एडमिशन करा के गांव चली जाउंगी।
मैं - ठीक है तुम सबसे कह देना कि एडमिशन की बात चल रही है और जब तक मैं ना कहूँ तुम किसी को कुछ मत बताना।
नीतू - जी लेकिन एडमिशन हो जाएगा ना।
मैं - हाँ हो जाएगा।
नीतू खुश हो गई और उसने अपनी आँखे बंद कर ली। मैंने उसके माथे पर किस किया। मैं उसके होंठो से अपने होंठो को किस करना चाहा लेकिन वों सही से नहीं कर पा रही थी।
मैंने उसे सोफा पर बैठे रहने दिया और उसके सामने जा के पल्लू को नीचे गिरा दिया। पल्लू के गिरते ही अद्धभुत मादक नज़ारा मेरे सामने था। मेरे द्वारा पल्लू नीचे गिराते ही उसकी बेचैनी बढ़ गई। जिसकी वजह से उसके साँसे तेज चल रही थी और उतनी ही तेज था बूब्स का ऊपर नीचे होना। मैंने नीतू के ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खोल दिए जिससे उसके आधे बूब्स बाहर को आ गए। फिर मैं उसी हालत में उसको गर्दन के पास किस और चूमने लगा। गर्दन से चूमते चूमते मैं जैसे ही उसकी बूब्स के ऊपरी हिस्से तक पहुंचने ही वाला था कि वों सोफे से उठ गई और मेरे सामने हाथ जोड़ कर बोली - प्लीज सर, मेरा पति है। मैं आपके साथ कुछ नहीं कर पाउंगी।
मैं इससे पहले ही उसको रोकता, कुछ समझाने की कोशिश करता नीतू तेजी से नीचे जाने लगी। मैं मन मसोस कर रह गया।
मेरे द्वारा अपनी ओर खींचने से अब मैं और नीतू लगभग साथ साथ सोफे पर बैठे थे। नीतू की सांस तेज तेज चल रही थी जिससे उसके बूब्स हिल रहें थे और वों हिलते बूब्स मेरे लंड को टॉनिक देने का काम कर रहें थे। मेरा लंड पूरा तन के खड़ा था टॉवल के नीचे तम्बू बनाएं।
शायद यही उधेड़बुन नीतू के दिमाग में चल रही थी। वों मेरे पास मजबूरी में आ रही थी या मेरे पास आना नहीं चाहती थी मैं यह सोच ही रहा था कि नीतू बोल पड़ी।
नीतू - प्लीज सर आप करा दोगे एडमिशन
मैं - तुम साथ रहो तो पूरी कोशिश करूंगा।
ऐसा कहते हुए मैंने नीतू के जाँघ पर हाथ रखा और धीमी गति से नीचे की ओर घुटने तक सरकाया। नीतू कुछ नहीं बोली। मैंने फिर नीतू के हाथ को उठाकर अपने दोनों हाथों के बीच रखा और उसकी ओर मुड़ के पूछा - बोलों साथ रहोगी ना?
नीतू - मैं एडमिशन करा के गांव चली जाउंगी।
मैं - ठीक है तुम सबसे कह देना कि एडमिशन की बात चल रही है और जब तक मैं ना कहूँ तुम किसी को कुछ मत बताना।
नीतू - जी लेकिन एडमिशन हो जाएगा ना।
मैं - हाँ हो जाएगा।
नीतू खुश हो गई और उसने अपनी आँखे बंद कर ली। मैंने उसके माथे पर किस किया। मैं उसके होंठो से अपने होंठो को किस करना चाहा लेकिन वों सही से नहीं कर पा रही थी।
मैंने उसे सोफा पर बैठे रहने दिया और उसके सामने जा के पल्लू को नीचे गिरा दिया। पल्लू के गिरते ही अद्धभुत मादक नज़ारा मेरे सामने था। मेरे द्वारा पल्लू नीचे गिराते ही उसकी बेचैनी बढ़ गई। जिसकी वजह से उसके साँसे तेज चल रही थी और उतनी ही तेज था बूब्स का ऊपर नीचे होना। मैंने नीतू के ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खोल दिए जिससे उसके आधे बूब्स बाहर को आ गए। फिर मैं उसी हालत में उसको गर्दन के पास किस और चूमने लगा। गर्दन से चूमते चूमते मैं जैसे ही उसकी बूब्स के ऊपरी हिस्से तक पहुंचने ही वाला था कि वों सोफे से उठ गई और मेरे सामने हाथ जोड़ कर बोली - प्लीज सर, मेरा पति है। मैं आपके साथ कुछ नहीं कर पाउंगी।
मैं इससे पहले ही उसको रोकता, कुछ समझाने की कोशिश करता नीतू तेजी से नीचे जाने लगी। मैं मन मसोस कर रह गया।