14-11-2022, 01:47 PM
मै तौलिया लपेट कर सोफे पर बैठा और सामने वाले सोफे पर नीतू बैठ गई। नीतू ने साड़ी पहनी हुई थी। साड़ी के नीचे ब्लाउज में उसके दबे हुए बूब्स जो लगातार बाहर निकलने की कोशिश कर रहें होते और उन्हें देखकर मै नीतू पर मुग्ध हो जाता
नीतू - सर आपके लिए ब्रेकफास्ट लायी हुई।
मै - आज मंजू की जगह तुम लायी।
नीतू - वों अभी मंजू को काम था तो मै सोची मै ही ला देती हूँ।
मै - अच्छा, चलो अब लाए हो तो खाना पड़ेगा। यही खा लेता हूँ। मेरा यह मतलब नीतू समझ गई और ब्रेकफास्ट को सोफे वाली टेबल पर ले आयी।
मै और नीतू अब ब्रेकफास्ट करते हुए बात कर रहें थे।
मै - और बताओ कैसा लगा मेरठ कुछ घुमा फिरा या नहीं
नीतू - घुमा फिरा तो नहीं और जो काम था शायद वों नहीं हुआ तो 1-2 दिन में वापिस जाना होगा।
मै - क्या काम नहीं हुआ
नीतू - वों आपको तो शायद पता होगा गांव में कोई कॉलेज नहीं है और मेरा मन था कि प्रीति का एडमिशन ग्रेजुएशन में यही करा दूँ।
मै - हाँ तो बहुत कॉलेज है यहाँ, करा दो।
नीतू - जी 1 साल का गैप और कम नंबर की वजह से नहीं हो पा रहा।
मै - अच्छा और कोई उपाय है
नीतू - आप कुछ करवा देते, किसी तरह एडमिशन हो जाता तो बहुत कृपा होती आपकी।
मै - तुम चाहो तो मै कोशिश कर सकता हूँ लेकिन हो पाएगा या नहीं अभी बता नहीं सकता।इधर मैंने अपना ब्रेकफास्ट भी खत्म किया और हाथ धोने के लिए बेसिन की ओर बढ़ा।
उधर मैंने देखा नीतू ने प्लेट्स उठाएं और जाकर किचन में धोने लगी। शुरुआत में कुछ दिन मैंने प्लेट्स धोये थे अपने लेकिन अब मंजू ही करती थी सबकुछ और आज नीतू। मै मन ही मन खुश हुआ और सोचने लगा इसके साथ कैसे आगे बढ़ा जाए
मै भी वापिस आकर सोफे पर बैठ गया और अपने कमर पर तौलिए थोड़ी ढीली की। तौलिए को लपेटे मै टीवी देख रहा था और सोच रहा था कि नीतू अब क्या कहेगी तभी नीतू मेरे सोफे के पास आके नीचे बैठ गई और बोली की प्लीज मै यहाँ किसी को जानती नहीं, आपसे ही उम्मीद है। रमेश जी की भी नौकरी आपने ही लगवाई है और आप चाहेंगे तो मेरी प्रीति का भी एडमिशन हो जाएगा।
मैं नीतू की ओर मुड़ा और अपने दोनों हाथों से उसके दोनों कंधो को पकड़ा और उठाने की कोशिश की। उसने भी साथ दिया और वों उठी तो मैंने उसको सोफे पर अपने पास बिठाया और पूछा - इतनी क्या बेचैनी है कि एडमिशन हो ही जाए।
नीतू - जरूरी है इसका एडमिशन। शादी से पहले कुछ अच्छी पढ़ाई हो जाएगी। घर से लड़कर लायी हूँ मै इसे। वहाँ कोई राजी नहीं था, अब मै किस मुँह से वापिस जाउंगी और वहाँ जाते ही सब इसकी शादी करवा देंगे।
मै - शादी तो करवानी है ना
नीतू - अभी 18 की हुई है ये पिछले महीने। इतनी जल्दी शादी नहीं करवानी मुझे
मै - अच्छा तो एडमिशन हो गया तो शादी नहीं करवानी पड़ेगी।
नीतू - जब तक पड़ेगी, तब तक थोड़ी उम्र हो जाएगी शादी के लिए।
इन बातों के क्रम में नीतू की आँखों से आंसू आ गए जो वों मुझसे छुपा रही थी लेकिन मैंने देख लिया। इन्ही बातों के बीच मेरा एक हाथ उसके कंधे की ओर गया और मैंने उसे हल्का अपनी ओर खींचा। नीतू के लिए मै पराया मर्द था और मेरे इस तरह अपनी ओर खींचने से वों चौंक गई।
नीतू - सर आपके लिए ब्रेकफास्ट लायी हुई।
मै - आज मंजू की जगह तुम लायी।
नीतू - वों अभी मंजू को काम था तो मै सोची मै ही ला देती हूँ।
मै - अच्छा, चलो अब लाए हो तो खाना पड़ेगा। यही खा लेता हूँ। मेरा यह मतलब नीतू समझ गई और ब्रेकफास्ट को सोफे वाली टेबल पर ले आयी।
मै और नीतू अब ब्रेकफास्ट करते हुए बात कर रहें थे।
मै - और बताओ कैसा लगा मेरठ कुछ घुमा फिरा या नहीं
नीतू - घुमा फिरा तो नहीं और जो काम था शायद वों नहीं हुआ तो 1-2 दिन में वापिस जाना होगा।
मै - क्या काम नहीं हुआ
नीतू - वों आपको तो शायद पता होगा गांव में कोई कॉलेज नहीं है और मेरा मन था कि प्रीति का एडमिशन ग्रेजुएशन में यही करा दूँ।
मै - हाँ तो बहुत कॉलेज है यहाँ, करा दो।
नीतू - जी 1 साल का गैप और कम नंबर की वजह से नहीं हो पा रहा।
मै - अच्छा और कोई उपाय है
नीतू - आप कुछ करवा देते, किसी तरह एडमिशन हो जाता तो बहुत कृपा होती आपकी।
मै - तुम चाहो तो मै कोशिश कर सकता हूँ लेकिन हो पाएगा या नहीं अभी बता नहीं सकता।इधर मैंने अपना ब्रेकफास्ट भी खत्म किया और हाथ धोने के लिए बेसिन की ओर बढ़ा।
उधर मैंने देखा नीतू ने प्लेट्स उठाएं और जाकर किचन में धोने लगी। शुरुआत में कुछ दिन मैंने प्लेट्स धोये थे अपने लेकिन अब मंजू ही करती थी सबकुछ और आज नीतू। मै मन ही मन खुश हुआ और सोचने लगा इसके साथ कैसे आगे बढ़ा जाए
मै भी वापिस आकर सोफे पर बैठ गया और अपने कमर पर तौलिए थोड़ी ढीली की। तौलिए को लपेटे मै टीवी देख रहा था और सोच रहा था कि नीतू अब क्या कहेगी तभी नीतू मेरे सोफे के पास आके नीचे बैठ गई और बोली की प्लीज मै यहाँ किसी को जानती नहीं, आपसे ही उम्मीद है। रमेश जी की भी नौकरी आपने ही लगवाई है और आप चाहेंगे तो मेरी प्रीति का भी एडमिशन हो जाएगा।
मैं नीतू की ओर मुड़ा और अपने दोनों हाथों से उसके दोनों कंधो को पकड़ा और उठाने की कोशिश की। उसने भी साथ दिया और वों उठी तो मैंने उसको सोफे पर अपने पास बिठाया और पूछा - इतनी क्या बेचैनी है कि एडमिशन हो ही जाए।
नीतू - जरूरी है इसका एडमिशन। शादी से पहले कुछ अच्छी पढ़ाई हो जाएगी। घर से लड़कर लायी हूँ मै इसे। वहाँ कोई राजी नहीं था, अब मै किस मुँह से वापिस जाउंगी और वहाँ जाते ही सब इसकी शादी करवा देंगे।
मै - शादी तो करवानी है ना
नीतू - अभी 18 की हुई है ये पिछले महीने। इतनी जल्दी शादी नहीं करवानी मुझे
मै - अच्छा तो एडमिशन हो गया तो शादी नहीं करवानी पड़ेगी।
नीतू - जब तक पड़ेगी, तब तक थोड़ी उम्र हो जाएगी शादी के लिए।
इन बातों के क्रम में नीतू की आँखों से आंसू आ गए जो वों मुझसे छुपा रही थी लेकिन मैंने देख लिया। इन्ही बातों के बीच मेरा एक हाथ उसके कंधे की ओर गया और मैंने उसे हल्का अपनी ओर खींचा। नीतू के लिए मै पराया मर्द था और मेरे इस तरह अपनी ओर खींचने से वों चौंक गई।