11-11-2022, 11:21 PM
(This post was last modified: 05-01-2023, 01:42 PM by Meerachatwani111. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(09-11-2022, 02:40 AM)Meerachatwani111 Wrote: आगे...चारो पुआल पर बिछा गद्दे पर बैठ कर माथुर से बोले तब जी प्रोग्राम चालू किया जाए।माथुर ने उषा भाभी कि गांड में खचाखच लंड पेलते रमेश भैया के तरफ ईशारा करते हुए हल्की आवाज में महंथ से कुछ कहा,जिसे सुनकर महंथ रमेश भैया के तरफ देखते हुए कहा ओए मादरचोद छोर अपन सास के हेने आब आआपन माल के दिखा।का हो माथुर जी आपन के देखल गइल ह कौन माल चौकस बा वैसे त सब बिहाहल बा ,एमे कउनो बिन बियाइल बा कि ना।का बे दल्ला रमेव भैया के तरफ देखते हुए कहा हे मे कौन बिनबियाइल बा.।जीई जी अभी किसी का गर्भ नही ठहरा है,वैसे मीरा के बारे में मै नही कह सकता।महंथ मेरी तरफ देख कर बोला चल बुरचोदी का नाम बा जे मीरा हेने आब आ बता तहार बुर कबे खून फेकले रहे,मैंअटकती हुइ बोली जिइइ पिछले सप्ताह बारह तेरह तारिख के और बोलकर शर्म से आंखे निचे कर अंगुठे से गद्दी कुरेदने लगी।हम त मीरारानी के ठुकाइ करब आ तोहनी के जे पसंद बा ले के पेलाई शुरु कर ,जगह जास्ती नइखे एंही निबट लेल जाए,ऐसा कहके महंथ अपने बांए से ममेरी दांहाथ के पंजे को पकर कर अपने गोद में खींचा।मैंअचानक के ईस झटके से संभलने हेतु बांए हाथ का सहारा लेने के कोशिश में ठिक महंथ केजांघो केबीच परी ठिक ऊसके लंड के ऊपर।मेरी हथेली केबिच महंथ का बमपिलाट गर्म लौड़ा और टनटना गया था।महंथ यह देखकर अपने दूसरे हाथ से मेरी हथेली को दाबते हुए माथुरके तरफ देखते हुए बोला,देखिये माथुर साहेब कितना बेकरार बा इ बुरचोदी मीरा,साली रंडी सिधे हथियारे पकरलिहलिस.हांओ महंथ जी सब खेलल खाएल रंडी बारे।मौज करी आपन लोग,तब तक हम इ भोंषरी के हाल चाल देखते हैं कह कर माथुर मामी,ऊषा भाभी की, को जिस के मुंह में अभी तक बलवंत का लंड घुसा हुआ धकापेल कर रहा था के पास जा पहुंचा।उसके हाथ में दारू वाली ग्लास थी जिससे वह घुंट घुंट कर पि भी रहा था,बलवंत से बोला रे कितना टाईम लगाएगा, जल्दी खाली कर ,अपनी मलाई खिला दे ,आ तनी ई गंरचोदी के गांर चिआर ,पहिले एकरा शुद्ध करी,रंडी छिनार आपन दामाद से गांड मरवइलस।ईधर हम तीनों यानी मैं महंथ कि जांघ पर बैठी हुई थी। मेरी बाएं हाथ कि हथेली पुर्ववत महंथ के फनफनाए लौरे को धोती कै ऊपर से ही पकरे हुइ थी,जब भी हाथ हटाने कि कोशिश करती ,कमीना महंथ मेरी चूंची को चोली के ऊपर से ही ईस तरह खिंचता जैसे उसमे से दूध निकाल रहा हो,मैं चिल्लाती तो वह बोलता,खबरदार जे हाथ हटइलू,मैं भी दोबारा प्रयास करने कि कोशिश नही कि।,मेरे बगल में उषा भाभी सिंहजी के गोद में लगभग नंगी बैठी कसमसा रही थी,उषा भाभी कि चूंचियों को सिंह जी लगातार मसले जा रहा था।मेरे ठिक सामने सीमा के कपरे खुल चुके थे वो फुलपैंट और शर्ट वाले के गोद में बैठी थी,और वह आदमी उसके होठों कि चुम्मी ले रहा था।हम तीनो लगातार सिसकी या लगभग चिख निकाल देती।अचानक मामी कि तेज चीख नीकली माई रे माईईईई ।आवाज सुनते ही महंथ अपनी दोनो पंजे से मेरी चूंचियों को कसकर पकरते हुए बोला का करनी ह माथुर जी हमार चाची के साथ,सताई नत,बेचारी आपके लिए गांड फैला के स्वागत निमंत्रण दे रहलिस ह।अरे कुछो नाही महंथ जी,ईनकर गांर दमाद के लौरा ले के अशुद्ध हो गइल रहे त तनिक व्हिसकी डालके शुद्ध कइनीं ह कहके माथुर जोर से ठहाका लगा मामी कि एक चूंची को पकर कर उठाने कि कोशिश करने लगा,बलवंत भी तबतक अपना पुरा रस उनके मूंह में छोर चुका था,देख के अजीब तरह का एहसास पुरे शरीर में फैल चुकी थी।मामी की मूंह से गिली गिली ऊजली मलाई जैसी टपक रही थी,देखी सीमा और ऊषा भाभी भीसिंह और दूसरे वाले के गोद में बैठी हुई, कसमसाते हुए भी मामी कि तरफ चोर नजरों से देखे जा रही थी।माथुर तब तक मामी को टेबुल से ऊठा कर खरी कर चुका था,ऊसके एक हाथ का पंजा अभी भी मामी के एक चूंची को जकरे हुए था और उसी तरह जकरे हुए ऊनहे लगभग चूंची के सहारे खिंचते हुए गद्दे पर ले आया और खुद बैठ कर ऊन्हे अपने गोद में बैठा लिया।
,अब गद्दे पर स्थिति थी कि सबसे किनारे मैं महंथ कके दांई जांघ पर बैठी हुई अपने बांए हथेली को महंथ के ठीक लंड के उपर थी जो महंथ ने दूसरे हाथ से जकड़े हुए था।मेरे बाद ऊषा भाभी उस आदमी के गोद में थी,ऊसी के समीप अब माथुर मामी को लेकर बैठा था हमलोगे के तरफ मुंह करके चसके बाद सीमा धोती कुर्ते पहने आदमी के गोद में लसीधे मेरे सामने थी।अब चारो ने अपने अपने शराब से भरे ग्लास ऊठाए और एक साथ आवाज लगाई चियर्स।महंथ के हाथ का दबाव मेरे ं
जे से हटाई तो मैंभी हथेली को हटाकर अपनी गांड ईधर उधर सरका कर सिथी बैठ गई।महंथ एक हाथ से मेरी चूंचीयो को मसले जा रहा था,वहां पर अब हम चारो कि शिश्कारियां गुंज रही थी,कभी ऊषा भाभी कराह ऊठती माईईरे मर गई नी,कभी सीमा कह उठती ऐसे नत करीं दुखाता जी और उषा भाभी की मामी कि भी वहीं हालत थी। महंथ जी,माथुर बोला अब प्रोग्राम आरंभ कि जाए काहे कि समय नइखे।महंथ बोला मीरा रानी जरा ई लहंगा चुन्नी उतारल जाव,और हमार हथियार भी बाहर करी।हां ठीक कहनी महंथ जी चल बुरचोदी सीमा और का नाम बा तहरा महरारू के रमेशवा जी,ऊषारानी रमेश भैया ने जबाब दिया।ऊंह ऊषारानी न उषा चुतमरानी बोल भोंषरी के।चल पहिले अपन मेहरारू के भोंषरी में हमर मूशल आपन हाथ लगा के पेल त माथुर बोला।मरता केया नकरता रमेव भैया ने