09-11-2022, 03:56 PM
बाहर मंजू ने डाइनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट अरेंज कर रखा था जिसे देखकर मजा आ गया।
मैंने मंजू को देखकर टॉवल को खुद से अलग कर टांग दिया। टॉवल वैसे भी हल्का गीला था। टॉवल हटाते ही मैं पूरा नंगा था। मुझे ऐसे देख मंजू हस पड़ी और बोली पहले ब्रेकफास्ट तो करो।
मैंने भी स्माइल से ही जवाब दिया और जाकर कुर्सी पर बैठ गया। मंजू मेरे एक जांघ पर कमर टीका कर बैठ गई और मुझे अपने हाथों से खिलाने लगी। मुझे खिलाने के बीच बीच में ओ खुद भी खाती रही और इस तरह हम दोनों ने ब्रेकफास्ट फिनिश किया।
फिर हम दोनों सोफे पर बैठ गए।
मैं - मंजू आज से तुम घर में ब्रा पैंटी नहीं पहनोगी
मंजू - बिना ब्रा के अजीब लगेगा और कोई आया तो
मैं - ऊपर टॉप या समीज या ब्लाउज तो होगा ही
मंजू - ठीक है।
और जब घर में सिर्फ हम दोनों होंगे, तुम्हे हर वक्त नंगा रहना होगा।
मंजू- सिर्फ मुझे क्यों, तुम क्यों नहीं
मैं - क्योंकि मैं हर वक्त नंगा रहने को तैयार हूँ।
मंजू - बेशर्म
फिर मैंने मंजू की सलवार समीज उतार दी। अब मंजू ब्रा और पैंटी में थी। आज उसने साधारण ब्रा पैंटी पहन रखे थे। मैंने उन्हें भी उतार दिया और अब ओ भी मेरे सात पूरी नंगी थी।
अब मैंने होम थिएटर स्टार्ट किया और जरा जरा टच मी गाना लगाया और उससे कहा कि डांस करें। मैं सोफे पर बैठा रहा और मंजू मेरे सामने जमीन पर बैठ कर बड़े ही सेक्सी अंदाज़ में डांस करने लगी। उसके हर मूव के साथ उसके बूब्स बड़े ही कातिलाना अंदाज में मूव करते जो काफी मजा दे रहा था।
डांस करते करते उसने मुझे भी उठा लिया और ओ कपल डांस करने लगी। कुछ देर ऐसे ही डांस मस्ती का दौर चला और फिर मैंने उसको वही घोड़ी बना दिया। घोड़ी बना के मैं उसके गांड की छेद के आस पास अपने लंड को रगड़ने लगा। मंजू की गांड काफी ज्यादा टाइट थी जिसकी वजह से मेरे लंड को भी काफी मुश्किल हो रही थी। खैर धीरे धीरे करते हुए मैंने अपना लंड उसकी गांड के छेद में घुसेड़ दिया। दर्द मुझे भी हुआ लेकिन मंजू की तो चीख निकल गई।
गांड में धक्के मारते मारते मेरे लंड ने फिर से वीर्य छोड़ दिया जिसे मैंने भी उसकी गांड में गिरा दिया। फिर थोड़ी देर मैंने उसकी चुत को भी रगड़ा और इस तरह 3 बज गए। शिल्पी कॉलेज से 3:30 तक और मनीष कॉलेज से 4 बजे तक आता था। मैं कल से नीचे ही था तो मेरे पास कोई कपड़ा ही नहीं था। मैं और मंजू नंगे ही ऊपर गए और मैं अपने लिए एक शॉर्ट्स और टीशर्ट ले आया। मैंने जल्दी जल्दी शॉर्ट्स और टीशर्ट पहन लिया और मंजू ने भी सलवार कमीज पहन ली। मन ही मन मैंने कहा जितना नाटक करना है कर ले एक दिन दोनों मां बेटी को साथ चोदुँगा लेकिन बड़ा सवाल यही था कैसे?
खैर हम दोनों कपड़े पहन लिए और मंजू ने एक गेट जो दुकान को घर से कनेक्ट करता था उसे खोल दिया।
मैंने मंजू को देखकर टॉवल को खुद से अलग कर टांग दिया। टॉवल वैसे भी हल्का गीला था। टॉवल हटाते ही मैं पूरा नंगा था। मुझे ऐसे देख मंजू हस पड़ी और बोली पहले ब्रेकफास्ट तो करो।
मैंने भी स्माइल से ही जवाब दिया और जाकर कुर्सी पर बैठ गया। मंजू मेरे एक जांघ पर कमर टीका कर बैठ गई और मुझे अपने हाथों से खिलाने लगी। मुझे खिलाने के बीच बीच में ओ खुद भी खाती रही और इस तरह हम दोनों ने ब्रेकफास्ट फिनिश किया।
फिर हम दोनों सोफे पर बैठ गए।
मैं - मंजू आज से तुम घर में ब्रा पैंटी नहीं पहनोगी
मंजू - बिना ब्रा के अजीब लगेगा और कोई आया तो
मैं - ऊपर टॉप या समीज या ब्लाउज तो होगा ही
मंजू - ठीक है।
और जब घर में सिर्फ हम दोनों होंगे, तुम्हे हर वक्त नंगा रहना होगा।
मंजू- सिर्फ मुझे क्यों, तुम क्यों नहीं
मैं - क्योंकि मैं हर वक्त नंगा रहने को तैयार हूँ।
मंजू - बेशर्म
फिर मैंने मंजू की सलवार समीज उतार दी। अब मंजू ब्रा और पैंटी में थी। आज उसने साधारण ब्रा पैंटी पहन रखे थे। मैंने उन्हें भी उतार दिया और अब ओ भी मेरे सात पूरी नंगी थी।
अब मैंने होम थिएटर स्टार्ट किया और जरा जरा टच मी गाना लगाया और उससे कहा कि डांस करें। मैं सोफे पर बैठा रहा और मंजू मेरे सामने जमीन पर बैठ कर बड़े ही सेक्सी अंदाज़ में डांस करने लगी। उसके हर मूव के साथ उसके बूब्स बड़े ही कातिलाना अंदाज में मूव करते जो काफी मजा दे रहा था।
डांस करते करते उसने मुझे भी उठा लिया और ओ कपल डांस करने लगी। कुछ देर ऐसे ही डांस मस्ती का दौर चला और फिर मैंने उसको वही घोड़ी बना दिया। घोड़ी बना के मैं उसके गांड की छेद के आस पास अपने लंड को रगड़ने लगा। मंजू की गांड काफी ज्यादा टाइट थी जिसकी वजह से मेरे लंड को भी काफी मुश्किल हो रही थी। खैर धीरे धीरे करते हुए मैंने अपना लंड उसकी गांड के छेद में घुसेड़ दिया। दर्द मुझे भी हुआ लेकिन मंजू की तो चीख निकल गई।
गांड में धक्के मारते मारते मेरे लंड ने फिर से वीर्य छोड़ दिया जिसे मैंने भी उसकी गांड में गिरा दिया। फिर थोड़ी देर मैंने उसकी चुत को भी रगड़ा और इस तरह 3 बज गए। शिल्पी कॉलेज से 3:30 तक और मनीष कॉलेज से 4 बजे तक आता था। मैं कल से नीचे ही था तो मेरे पास कोई कपड़ा ही नहीं था। मैं और मंजू नंगे ही ऊपर गए और मैं अपने लिए एक शॉर्ट्स और टीशर्ट ले आया। मैंने जल्दी जल्दी शॉर्ट्स और टीशर्ट पहन लिया और मंजू ने भी सलवार कमीज पहन ली। मन ही मन मैंने कहा जितना नाटक करना है कर ले एक दिन दोनों मां बेटी को साथ चोदुँगा लेकिन बड़ा सवाल यही था कैसे?
खैर हम दोनों कपड़े पहन लिए और मंजू ने एक गेट जो दुकान को घर से कनेक्ट करता था उसे खोल दिया।