09-11-2022, 02:40 AM
(This post was last modified: 09-11-2022, 07:31 AM by Meerachatwani111. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
आगे...चारो पुआल पर बिछा गद्दे पर बैठ कर माथुर से बोले तब जी प्रोग्राम चालू किया जाए।माथुर ने उषा भाभी कि गांड में खचाखच लंड पेलते रमेश भैया के तरफ ईशारा करते हुए हल्की आवाज में महंथ से कुछ कहा,जिसे सुनकर महंथ रमेश भैया के तरफ देखते हुए कहा ओए मादरचोद छोर अपन सास के हेने आब आआपन माल के दिखा।का हो माथुर जी आपन के देखल गइल ह कौन माल चौकस बा वैसे त सब बिहाहल बा ,एमे कउनो बिन बियाइल बा कि ना।का बे दल्ला रमेव भैया के तरफ देखते हुए कहा हे मे कौन बिनबियाइल बा.।जीई जी अभी किसी का गर्भ नही ठहरा है,वैसे मीरा के बारे में मै नही कह सकता।महंथ मेरी तरफ देख कर बोला चल बुरचोदी का नाम बा जे मीरा हेने आब आ बता तहार बुर कबे खून फेकले रहे,मैंअटकती हुइ बोली जिइइ पिछले सप्ताह बारह तेरह तारिख के और बोलकर शर्म से आंखे निचे कर अंगुठे से गद्दी कुरेदने लगी।हम त मीरारानी के ठुकाइ करब आ तोहनी के जे पसंद बा ले के पेलाई शुरु कर ,जगह जास्ती नइखे एंही निबट लेल जाए,ऐसा कहके महंथ अपने बांए से ममेरी दांहाथ के पंजे को पकर कर अपने गोद में खींचा।मैंअचानक के ईस झटके से संभलने हेतु बांए हाथ का सहारा लेने के कोशिश में ठिक महंथ केजांघो केबीच परी ठिक ऊसके लंड के ऊपर।मेरी हथेली केबिच महंथ का बमपिलाट गर्म लौड़ा और टनटना गया था।महंथ यह देखकर अपने दूसरे हाथ से मेरी हथेली को दाबते हुए माथुरके तरफ देखते हुए बोला,देखिये माथुर साहेब कितना बेकरार बा इ बुरचोदी मीरा,साली रंडी सिधे हथियारे पकरलिहलिस.हांओ महंथ जी सब खेलल खाएल रंडी बारे।मौज करी आपन लोग,तब तक हम इ भोंषरी के हाल चाल देखते हैं कह कर माथुर मामी,ऊषा भाभी की, को जिस के मुंह में अभी तक बलवंत का लंड घुसा हुआ धकापेल कर रहा था के पास जा पहुंचा।उसके हाथ में दारू वाली ग्लास थी जिससे वह घुंट घुंट कर पि भी रहा था,बलवंत से बोला रे कितना टाईम लगाएगा, जल्दी खाली कर ,अपनी मलाई खिला दे ,आ तनी ई गंरचोदी के गांर चिआर ,पहिले एकरा शुद्ध करी,रंडी छिनार आपन दामाद से गांड मरवइलस।ईधर हम तीनों यानी मैं महंथ कि जांघ पर बैठी हुई थी। मेरी बाएं हाथ कि हथेली पुर्ववत महंथ के फनफनाए लौरे को धोती कै ऊपर से ही पकरे हुइ थी,जब भी हाथ हटाने कि कोशिश करती ,कमीना महंथ मेरी चूंची को चोली के ऊपर से ही ईस तरह खिंचता जैसे उसमे से दूध निकाल रहा हो,मैं चिल्लाती तो वह बोलता,खबरदार जे हाथ हटइलू,मैं भी दोबारा प्रयास करने कि कोशिश नही कि।,मेरे बगल में उषा भाभी सिंहजी के गोद में लगभग नंगी बैठी कसमसा रही थी,उषा भाभी कि चूंचियों को सिंह जी लगातार मसले जा रहा था।मेरे ठिक सामने सीमा के कपरे खुल चुके थे वो फुलपैंट और शर्ट वाले के गोद में बैठी थी,और वह आदमी उसके होठों कि चुम्मी ले रहा था।हम तीनो लगातार सिसकी या लगभग चिख निकाल देती।अचानक मामी कि तेज चीख नीकली माई रे माईईईई ।आवाज सुनते ही महंथ अपनी दोनो पंजे से मेरी चूंचियों को कसकर पकरते हुए बोला का करनी ह माथुर जी हमार चाची के साथ,सताई नत,बेचारी आपके लिए गांड फैला के स्वागत निमंत्रण दे रहलिस ह।अरे कुछो नाही महंथ जी,ईनकर गांर दमाद के लौरा ले के अशुद्ध हो गइल रहे त तनिक व्हिसकी डालके शुद्ध कइनीं ह।