05-11-2022, 03:47 PM
पार्ट २८: हनीमून इन गोवा (भाग १)
तीन दिन के बाद हम सुबह की फ्लाइट पकड़ कर गोवा पहुँच गए. अनीश ने एक बहुत अच्छा फाइव स्टार रिसोर्ट जो एकदम बागा बीच के पास था वह बुक किया था. रिसोर्ट सीधे बीच के सामने था और अपना स्विमिंग पूल और प्राइवेट बीच था. रिसेप्शन पर हमें कमरे की कार्ड - की मिल गयी और सामान बेल बॉय के साथ भेज देंगे ऐसे बताया.
हम कमरे में गए..कमरा बहुत अच्छा था.. कमरे पर शीशे की खिड़किया थी ..जो कर्टेन से ढकी थी. कर्टेन हटा दिए तो सामने बीच का बहुत ही सुन्दर सा नजारा था. मैं खुश हो गयी.
मैं: अनीश कितना सुन्दर नजारा हैं यहाँ से. बीच बाहत सुंदर हैं.
अनीश: बीच कौन देखने आया हैं जान. . मैं तो तुम्हे देखूंगा - रात - दिन नंगी..तुम तो अप्सरा हो.
मैं - बड़ी शरारत सूझ रही है.. घर पर तो बड़े मासूम बने फिरते हो.
अनीश: घर पर तो तुम भी बड़ी सुन्दर, गुणवान और संस्कारी बहु हो. अब यहाँ तुम भी मेरी तरह शरारती हो जाओ.
अनीश मेरी तरफ आया और खिंच कर मुझे बाँहों में ले लिए. मेरी ओंठों पर ओंठ रखकर वह जीभ बहार निकल कर मेरी ओंठों को चाटने लगा. मैंने भो बेशर्मी से अपने ओंठ खोल दिए और उसकी जीभ चूसने की कोशिश की..पर वो उसकी जीभ मेरी मुँह में नहीं डाल रहा था. सिर्फ मेरी ओंठ चाट रहा था ओर चूस रहा था.
उसने दूसरा हाथ निचे करके मेरी साडी उपर घुटनो तक कर दी. हात अंदर डाल कर वो मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चुत को सहलाने लगा. मेरी चुत अब गीली हो रही थी. मैंने जोर से अनीश के ओंठ छू लिये ओर मेरी जीभ उसकी मुँह में डाल दी. अनीश को यही चाहिए था. उसने प्यार से मेरी जीभ चूसना चालू किया..अपनी जीभ से मेरी जीभ को चाटना चालू कर दिया. मेरी पैंटी के अंदर हात डाल कर मेरी गीली चुत सहला रहा था और धीरे से उसकी एक ऊँगली चुत के अंदर डाल दी. मैंने भी एक हात उसके लंड पर रख दिया और सहलाने लगी. वैसे उसने उसकी पैंट पर से उसकी ब्रीफ्स निकाल दी और मेरी हाथों में उसका लंड दे दिया. अनीश अभी भी मुझे चूस रहा था, चुम रहा था, उसकी जीभ अब मेरी मुँह में थी. तभी उसने अपने दूसरे हातों से मेरी पैंटी निचे खींचकर निकाल दी ओर जमीन पर फेंक दी. उसने अब मुझे बिस्तर पर सुला दिया और मेंरे पर उल्टा लेट कर मेरी चुत चाटने लगा. मैंने भी उसका लंड मेरी तरफ खींच लिया ओर प्यारसे उसके लण्ड के सुपडे को चूसने लगी. हम दोनों ६९ पोजीशन में थे. अनीश बहुत अच्छी से मेरी चुत चाट रहा था..हम दोनों अब पसीना हो गए थे. मैं छटपटा रही थी. मैंने अनीश का सर अपने चुत पर दबा दिया और मेरी चुत उसके ओंठों पर रगड़ने लगी. मैं झड़ने के बहुत करीब थी ... तभी..कमरे की बेल बजी. बहार से आवाज आयी.
गुड मॉर्निंग ! रूम सर्विस सर.. आपका लगेज ..
अनीश उठा, उसने अपनी ब्रीफ्स - निकर पहन ली. मैंने भी मेरी साडी बिस्तर पर लेटे सीधे कर दी.
अनीश ने वैसे ही सिर्फ अपनी चड्डी पर दरवाजा खोला: कम इन. इधर रख दो सामान.
रूम सर्विस बॉय: सर मेरा नाम अमानुल्लाह हैं..आप मुझे अमन कह सकते हो.
(उसने सामान एक जगह ठीक से रख दिया. मैंने उसको देखा. वह कुछ ४५-५० साल ट्रिम दाढ़ी वाला. कम हाइट वाला - ५-५ पर हट्टा कट्टा पठान आदमी लग रहा था. होटल की ड्रेस उसपर बहुत टाइट लग रही थी. टाइट शर्ट और पैंट में उसके मास-पेशियाँ और मसलदर शरीर का उभार साफ़ दिख रहा था. मैं बिस्तर पर लेटे उसको देख रही थी. उसने देखा अनीश सिर्फ उसकी निकर में हैं ओर मैं बिस्तर पर लेटी हूँ. वो मंद मंद शरारती अंदाज में मुस्करा रहा था)
अमन: सर यह आपके लिए पानी है.. मिनरल वाटर. ..या आपका मिनी फ्रिज हैं.. यह..चाय - कॉफी..के लिए हॉट वाटर केतली..
(वो कमरे में सब सजाने लगा ओर ठीक ढंग से चेक करने लगा)
अमन: सर क्या मैं आपकी रूम ठीक से लगा दू. क्या यह निचे गिरे कपडे अलमारी में रख दू.
अनीश: थैंक यू अमन.. हाँ आप रख सकते हो. (अनीश मेरी बाजु आकर बिस्तर पर लेट गए..उनका एक हाथ मेरी साडी पर मेरी जंघा पर था)
मैं शर्मा गयी. अमन ने पहले मेरी निचे गिरी हुई पैंटी उठाई. फिर अनीश की पैंट.
अमन (मुस्कराकर) : सर लांड्री में नहीं डालना है ना?
अनीश: नहीं..फ्रेश है.. दिखाओ एक मिनट.
अनीश ने अमन के हात से पैंटी ली ओर जोर से २-३ बार सुंघा..
अनीश; हां फ्रेश हैं..लांड्री की जरुरत नहीं..तुम भी एक बार देख लो..(अनीश ने अमन की मेरी पैंटी फिर से दे दी)
अमन: हां सैर फ्रेश है.. (उसने भी २-३ बार मेरी पैंटी सूंघ ली)
अनीश: अच्छा अमन यह बताओ .. मैंने सुना की यहाँ फेनी बहुत अच्छी मिलती.
अमन वही खड़ा रहा. उसके हात में अभी भी मेरी पैंटी थी. वह उस पैंटी को दूसरे हात से सहला रहा था, ओर कभी कभी फिर से सूंघ लेता.
अमन: सर फेनी पिने का मजा बीच पर ही लीजिये. आप जब बीच पर जाओगे तब मुझे बोल देना, मैं फ्रेश फेनी लेकर आ जाऊंगा. क्या मैडम भी लेगी?
अनीश: हाँ मैडम भी सब लेगी. ओर क्या क्या है ?
अमन: सर मसाज भी मिल जायेगा.. आप को जो भी चाहिए..मुझे बोल देना..
(अमन ओर अनीश बात कर रहे थे. अमन अभी भी एक हात मैं मेरी पैंटी पकड़कर दूसरे हात से उसको सहला था. कभी कभी बिच में वो मेरी पैंटी फिर से सूंघ लेता ओर कामिनी मुस्कान देकर बात कर रहा था. मैंने देखा अनीश का लंड उसकी ब्रीफ्स में तन कर खड़ा हो गया था..वो मेरी जांघों पर हात फेर रहा था. मुझे बड़ी शर्म आ रही थी. मेरी चुत बहुत गरम ओर गिल्ली हो गयी थी. अमन का लंड भी उसके टाइट पैंट मैं फुल गया था. उसकी पैंट की एक साइड से उसकी कटे लंड का बड़ा सूपड़ा साफ़ नजर आ रहा था) )
अनीश: अच्छा अमन ..बीच पर कुछ कपड़ों पर या ड्रिंक्स पर प्रतिबन्ध तो नहीं ना.
अमन: सर यह सामने वाला तो होटल का प्राइवेट बीच हैं. यहाँ पर कोई प्रतिबन्ध नहीं. आप चाहे तो मैं आपको अच्छी जगह दिखा सकता हूँ.. जहा आप ओर मैडम दोनों नंगे भी नाहा सकते.
अनीश. अरे वह..यह बात अच्छी होगी. ओर आपके होते हुए हमें डर भी नहीं रहेगा - चोरी का या कपड़ों का..
अमन: ठीक हैं सर..मुझे होटल से कुछ देर तक कस्टमर की सर्विस ओर मदत करने की अनुमती है. आप मुझे इस नंबर पर कॉल कर देना.
अमन ने मेरी पैंटी फोल्ड कर के अलमारी में रख दी. उसके जातें ही मैंने अनीश से गुस्से में कहा..
मैं: अनीश कितने बदमाश हो तुम. मेरी पैंटी उसके हात में दे दी.
अनीश: तो क्या हुआ जान.. देखा नहीं वह कितनी प्यार से तेरी पैंटी सूंघ कर सहला रहा था. जैसे की पैंटी नहीं, तेरी चुत हो. ओर अनीश जोर जोर से हॅसने लगा.
मैं: बड़े कमीने हो तुम. जैसे की तुम सच में उसको मेरे चुत को सूंघने ओर सहलाने की अनुमती देते.
अनीश: हाँ क्यों नहीं..अगर तू कहती तो दे देता.. ..देखा नहीं उसका लंड कैसे फुफकार रहा था.
अनीश ने मेरी साडी ओर पेटीकोट खींच लिया. चोली निकाल कर मुझे पूरा नंगा कर दिया ओर फिर से ६९ पोजीशन मैं आ गए.
अनीश: आह ! जानू.. तेरी चुत तो बहुत गरम ओर गीली हो गयी.
मैं: जाओ मैं नहीं बात करती..कुछ भी कहते रहते हो..
अनीश मेरी चुत अपनी जीभ से चाट चाट कर - आह जानू...तेरी चुत आज पहलीबार इतने पास से देख रहा हूँ..कितनी खूबसूरत है..
मैंने भी अनीश का खूबसूरत मोटा लण्ड मुँह में ले लिया ओर चूसने लगी..
अनीश: आह रानी ..कितने प्यार से मेरा लण्ड चूस रही आज.. कही अमन का लण्ड समज कर नहीं चूस रही ना?
मैं उनका लण्ड का सूपड़ा जीभ से चाटने लगी..अनीश मेरी चुत में अंदर जीभ डाल रहा था..मेरी चुत के अंदर अपनी जीभ डालकर साफ़ कर रहा था..सारा पाणी पी रहा था.
अनीश: आह ! जानू..बोलो..किसका लण्ड चूस रही हो..मेरा या अमन का..
अब मैं भी वही बात फिर से सुनकर झल्ला गयी. अब अनीश मेंरे दाणे को चूस रहा था. मैं कांप रही थी.
मैं: उम्....यह तो अमन का लण्ड है....
अनीश: ..आह.. कमीनी ..बोलो ..संध्या..कैसा है अमन का लण्ड.
मैं: अनीश का लण्ड जोर से चूसते हुए : उम्... मस्त है..मुल्ले का कटा लण्ड है.. बहुत बड़ा ओर मोटा है..
अनीश: मेंरे से मोटा ओर बड़ा..
मैं: हाँ..आप से बहुत बड़ा ओर मोटा..आपका तो अमन के लण्ड के सामने एकदम छोटा बच्चा है..उसका आधा साइज का भी नहीं हैं...
अनीश: आह...ले ले..अमन का पाणी पी ले पूरा..उफ़... (कर के जोर से मेरी मुँह में झड़ने लगा. तभी उसने मेरी दाणे को हलके से काट लिया था..
मैं भी: उफ़..आह..अमन...तेरा लण्ड..आह..तेरा पाणी.. कर के उसके मुँह में झड़ने लगी)
अनीश ने ६-७ झटके मर के मेरी मुँह मैं उसका पाणी डाल दिया था. मै ने बड़े प्यार से सारा गाढ़ा माल निगल लिया..ओर उसके लण्ड को प्यार से धीरेसे चूसती रही. अनीश भी मेरी चुत को चाट कर साफ कर रहा था.
फिर अनीश उठा..मुझे अपनी बाँहों मैं ले लिया..संध्या..मजा आ गया..अगर सच में अमन का लण्ड तुमको दे दू तुम तो ओर भी मस्त सेक्सी हो जाएगी.
मैं: चुप बदमाश...ओर उसकी छाती पर सर छुपाकर सोने लगी.
कुछ देर आराम करने के बाद हम फ्रेश हो गए...खाना खा लिया. रूम पर आकर मैं अपनी स्विमिंग ड्रेस बाथरूम जाकर पहन ली. वो एक मस्त घुटने तक का हलके गुलाबी रंग का सारोंग था..ओर ऊपर लाल रंग का नाभि के ऊपर का टॉप. मैंने सारोंग (स्कर्ट) के निचे नीले रंग की पैंटी पेहेन ली थी. जैसे मैं बाथरूम से बहार आयी..अनीश मुझे पागल जैसे देखता रहा..
अनीश: आह मेरी जान..आज तो गोवा की बीच पर कत्ले आम होगा. बहुत सरे मर्दों की दिल टूटेंगे ओर हजारो लण्ड तुझे सलामी देंगे.
मैं: चुप बदमाश कही के..चलो अभी..
अनीश ने भी एक सेक्सी पिले रंग की शॉर्ट्स पहनी थी. शॉर्ट्स बहुत टाइट थी.. ओर ऊपर जांघों तक थी. उनकी मसल जाँघे, सामने लण्ड का उभार ओर गांड का अकार एकदम सेक्सी लग रहा था..एकदम दोस्ताना में जॉन अब्राहम की तरह. दिखने में तो अनीश खूबसूरत थे ही.
निचे हमें लॉबी में अमन मिल गया. वह मुझे घूर- घूर कर देख रहा था. मुझे ऐसे ही बहुत शर्म आ रही थी. सुबह मेरे पैंटी के सात वह बहुत देर तक मेरी सामने खेला था. हमें देखकर वो हमारे पास आ गया.. उसने हमें बीच पर जाने का दरवाजा बताया..ओर कहा..आप जाइये..में अभी टॉवल ओर बाकि सामान लेकर आता हूँ.
हम उस दरवाजे से बीच पर चले गए..बहुत शीतल लहर चल रही थी.. बीच के पीछे साइड में ..बहुत खूबसूरत नारियल के पेड़ थे..वहा बहुत सारी टेबल ओर खुर्चिया..बड़ी बड़ी छत्रियों के निचे लगी थी. २-४ विदेशी कपल के अलावा वहा कोई नहीं था. अनीश ने मेरा हात पकड़ कर पाणी के अंदर ले गया...एक दूसरे पर पाणी डाल कर हम भीग गए..मैंने देखा की मेरा स्कर्ट ओर टॉप..गिला होकर पारदर्शी हो गया था. पारदर्शी गुलाबी सारोंग चिपक कर मेरी शरीर पर थी जिस में मेरी नीली पैंटी साफ़ दिखाई दे रही ओर पीछे से खुली मेरी गांड. मेरी मम्मी ओर निप्पल्स भी टॉप से नजर आ आ रहे थे. वही हाल अनीश का था. उसकी छोटी सी शॉर्ट्स..उसके गांड ओर लोडे पर चुपक गयी थी ओर वो करीब-करीब नंगा दिख रहा था. पर वो बहुत खुश हो रहा था..उत्तेजित हो रहा था. वो मेंरे मम्मे, चुत, गांड ओर शरीर का हर अंग मसल रहा था. उसकी शॉर्ट्स पर से उसका लण्ड मुझ पर रगड़ देता..मेरी गांड पर दबा देता.
तभी हमने अमन को आते हुए देखा...उसने अपने सात दो बड़ी बास्केट लाया था. उसने नारियल के पेड़ों के करीब एक टेबल लगा दिया..छाँव के लिए बड़ी छत्री लगा दी. फिर वो हमारे पास आया ओर कहा..सर आपका टेबल रेडी है...मैंने फेनी भी टेबल पर रख दी..वहा बास्केट में टॉवल भी रखा है.
हम टेबल के पास चले गए. टॉवल से खुद को सूखा लिया..ओर खुर्ची पर बैठ गए..अमन ने मुझे फेनी की एक गिलास दी..ओर दूसरी अनीश को. साथ में डिश में कुछ स्नैक्स भी थे.
अनीश: एन्जॉय मेरी जान..चीयर्स..!
में भी : चियर्स कर के हम फेनी का आनंद उठाने लगे.
फेनी गोवा की ट्रेडिशनल ड्रिंक है..जो काजू का फल या नारियल से बनता है. उसमे अल्कोहल की मात्रा ज्यादा होती है..
अमन वही रेती में हमारे सामने बैठ गया. मेरे स्कर्ट एक तरफ से खुली थी..जिससे सामने बैठे किसी भी को मेरे पैंटी साफ दिखाई दे रही थी.
अनीश: अरे अमन निचे क्यों बैठे हो. एक चेयर ले लो..ले तू भी एक गिलास ले..
अमन: नहीं सर.. होटेल पॉलीसी के हिसाब से में आप के साथ बैठ नहीं सकता हूँ.. मेरी नौकरी चली जाएगी.
अनीश: ठीक हैं..मत बैठो..आजा यहाँ पास छुपकर बैठ जावो..एक गिलास ले लो
अनीश ने जबरदस्ती उसे एक गिलास दिया..वह मेरे खुर्ची के एकदम पास आकर बैठ गया. उसको मेरी जांघें ओर पैंटी एकदम २ फ़ीट की दुरी से दिख रही थी.
अब फेनी पिने से में भी थोड़ी खुल रही थी. अमन डर डर कर थोड़ी सी पि रहा था. अनीश मुझे भी पीला रहा था ओर खुद भी बहुत पी रहा था.
अनीश: अमन..सुबह संध्या की पैंटी फ्रेश थी ना..बदबू तो नहीं थी. (में शर्मा कर लाल हो गयी ओर इधर उधर देखने लगी)
अमन: हाँ सर बहुत फ्रेश थी.. बहुत अच्छी खुश्बू आ रही थी.
अनीश: हाँ बहुत अच्छी खुश्बू थी.. संध्या की.
अमन: हाँ सर ..आप बहुत लकी हो..मैडम बहुत सुन्दर ओर खुश्बुदार है..
तभी मुझे थोड़ा चक्कर जैसे हुआ..
में: उह.....
अनीश: क्या हुआ संध्या...