02-11-2022, 04:11 PM
मेरे अंतरंग हमसफ़र
सातवा अध्याय
लंदन का प्यार का मंदिर
भाग 31
सामूहिक मजेदार आनद का अनुभव
मैंने देखा फ्लाविआ मुझे बहुत गौर से देख रही थी तो मैंने उसे फ्लाइंग किश की और फिर फ्लाविआ और मैं एक दूसरे को छेड़ने लगे। कभी एक दुसरे को आँख मारते कभी फ्लाइंग किस करने लगे। फिर मैं उसके पास गया और उसे किस किया, तभी नाच का म्यूजिक शुरू हो गया और हमने नाचना शुरू किया तो मैंने फ्लाविआ को भी बुलाया पर वह नहीं आयी। फिर मैंने देखा वह नजर बचा कर दूसरी तरफ जा कर दारु पिने लगी और फिर वापिस आ कर डी जे पर नाचने लगी। मुझे लग पता लग गया था कि फ्लाविआ दारु की शौकीन है और अब वह दारु के नशे में नाचते हुए वह बेशर्म हो रही थी। मैं नाचते हुए उसके पास गया और कभी उसकी चूचियों पर कभी गांड पर हाथ फेरने लगा और दोनों मुख्य व्यंजनों को उसके बदन पर मल दिया और अपने ऊपर दारु उदेल दी।
वह समझ गयी और मुझे चाट कर मजे लेने लगी। वह मेरे साथ चिपक कर नाचने लगी और मुझे छेड़ने लगी, वह भी कई बार मेरे लण्ड पकड़ कर मसल देती।
मैंने व्हिस्की की बोतल उठायी और फ्लाविआ के पास गया और पूछा मोहतरमा जी हो जाए 2-2 पेग। वह बोली हो जाए! मैंने उसे तुरंत दो पटियाला पेग लगवा दिए और अब उसे धीरे-धीरे नशा होने लगा था और अब वह बेशर्म होकर मुझसे बातें करने लगी। मैंने भी पूछ लिया तो अब बताओ मैडम कोई चक्कर है वह बोली नहीं है इसीलिए दारु पि कर मन बहलाती हूँ। मैंने बोला होता भी तो में पटा ही लेता तुझे। वह हंसने लगी और बोली इतना भरोसा है खुद पर मैं उसके पास गया और बोला हाँ खुद पर भी खुद के लण्ड पर भी। वह बोली बड़े बेशर्म हो तुम कितनी गन्दी बातें करते हो। मैंने उसे बिना कुछ बोले उसे अपनी बाहों में भरा और किस करने लगा।
उसने मुझे धक्का देकर हटा दिया और मैंने फिर से उसे खींचा और उसके होंठो को चूमने लगा। वह 2-3 मिनट तक तो रोकती रही पर उसके बाद उसने खुद को मेरे हवाले कर दिया और मुझे भी किस करना शुरू कर दिया। अब मैंने उसे किस करते-करते दिवार के सहारे खड़ा कर दिया और पहले उसे चाटने लगा । तभी वह पर पेन्सी, आईरिस, रेगिया और ओलिविया भी आ गयी और मैंने उस सब पर भी व्यंजन उड़ेला और सबने एक दुसरे को चाट कर साफ़ किया और फिर में बारी-बारी सबकी चूचियाँ दबाने लगा और अब तब फ्लाविआ बहुत गर्म हो गयी थी और मेरा लण्ड मसलने लगी। उसने हाथों से चूचियों को ऊपर उठा कर अपनी बड़ी-बड़ी चूचियाँ मेरे हवाले कर दी और अब मैं उसकी चूचियाँ चूसने लगा और-और अह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह सिसकियाँ लेने लगी। मैंने एक चूची अपने मुँह में डाली और हाथ से उसकी-उसकी चूत रगड़ने लगा। वह गीली हो चुकी थी। मैं लगातार उसकी चूचियों का रस पी रहा था और उसकी चूत में ऊँगली कर रहा था।
फ्लाविया लेट गई और अपने दोनों पांव ऊपर उठा लिये। उसकी गोल गोल गाण्ड और चूत रोशनी में चमक उठी। उसकी जवानी और नीचे के कटाव गजब के थे.... फूल जैसी चूत की दो पन्खुड़ियां खिल उठी।
"मास्टर ....आओ न...." फ्लाविआ ने मुझे चोदने का न्योता दिया। मैं लपक कर उसके दोनो पांवो के बीच आ गया.... मेरे अन्दर नई उत्तेजना थी....लण्ड को खड़ा देख कर और जवान लड़की को देख कर मेरी उत्तेजना फ़ूटी पड़ रही थी। मेरा सुपाड़ा भी फूल कर लाल हो गया। मैने अपना लण्ड फ्लाविआ की चूत में लगाया और धक्का दिया। पर हाय.... वो अन्दर नहीं गया और फ़िसल कर नीचे आ गया। मैने फिर से ट्राई किया पर नहीं घुसा। चूत बहुत टाइट थी एक कुंवारी की तरह और मेरा लंड पूरे ताव में था वो बोली मास्टर .... आप बिलकुल ठीक है....इतना कठोर था.... मास्टर ... बस आप मुझे बहुत अच्छे लगते है.... मेरा तो मन आप पर आ गया है...." फ्लाविआ ने मुझे प्यार करते हुए कहा।
उसकी चूत बहुत टाइट थी तो मैंने पूछा क्या बात है कितने दिन से ठुकवायी नहीं है।
फ्लाविआ बोली आज तक मैंने सिर्फ दो बार लण्ड का मजा किया है और पहली बार जब मैं मुख्य पुजारिन बनी थी और दूसरी बार जब मेरे बाद पेन्सी मुख्य पुजारिन बनी थी। पहली बार तो दर्द बहुत हुआ था और उसके बाद जब पेन्सी के समय थोड़ा मजा आया था । मैं तब से प्यासी हूँ । अब पाईथिया ने नियम बदले हैं । वह कहती है सब मुख्य पुजारिणो को नयी पुजारिन के समय अपनी शक्तिया उसे प्रदान करनी चाहिए । ताकि हमारे मदिरो का प्रभाव बढे और हमारे मंदिरो के द्वारा प्रेम और सौंदर्य बढे और हमारी देवी के भक्तो को पूर्ण आनद प्राप्त हो और मास्टर आप तो वास्तव में हम सब को भरपूर प्रेम देने में सक्षम हो और मेरी जान आपके लिए हैं। और जो मैंने अभी तक देखा है उससे मुझे विह्वास है आपका लण्ड न केवल मेरी बल्कि सब मुख्य पुजारिणो की प्रेम की प्यास बुझा देगा। क्योकी पाययिथिया के बनाये नए नियमो से पहले सभी मुख्य पुजारिने केवल दो बार ही सभोग कर पाती थी। इतना बोल कर उसने मेरा लण्ड पकड़ कर जोर-जोर से हिलाना शुरू के दिया। मैं अभी भी उसकी चूचियाँ चूस रहा था और वह एक हाथ से मेरे बाल पकड़ कर मुझे अपनी चूचियों के अंदर समा जाने का इशारा कर रही थी। मैं लगातार उसकी चूत में अपनी दो उंगलियाँ अंदर बाहर कर रहा था और वह एक बार झड़ चुकी थी। अब मैं निचे बैठ गया और मैं उसकी चूत चाटने लगा। झड़ जाने की वजह से उसकी चूत पूरी गीली थी पर मैंने अपनी जीभ से चाट-चाट कर उसका सारा पानी साफ़ कर दिया। वह दूसरे हाथ से मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी और अपनी जांघो को भी मेरे ऊपर रख कर मेरा मुँह पूरी तरह दबा लिया।
और आह्हः आआह्ह्ह है मास्टर मेरी जान आअह्ह्ह्ह आअह्ह्ह चाट ले मेरी फुद्दी मेरे राजा दे-दे मजा मुझे जन्नत की सेर करवा दे मेरी जान। मैं और मेरी फुद्दी बहुत प्यासी है उसकी प्यास बुझा दे आअह्ह्ह आअह्ह्ह्ह। करीब 10 मिनट तक मैंने उसे स्वर्ग का आनंद दिया और फिर में खड़ा हो गया। अपना मुँह उसके मुँह से लगा दिया तो उसे चाट कर मेरा मुँह साफ़ किया और मैंने उसका सिर पकड़ कर अब उसे बिठा दिया और लण्ड उसके मुँह में घुसेड़ दिया। वह मेरे लण्ड को आइस क्रीम की तरह चूसने लगी चाटने लगी और मैंने भी उसके बाल पकड़ कर उस से लण्ड चुसवाने का भरपूर मजा लिया। उसके हिसाब से वह सिर्फ दो बार चुदी थी पर लण्ड ऐसे चूस रही थे जैसे रांड हो।
साथ ही ओलिविआ और अमल्तिया मुझे लिप किश करती रही और मैं पेन्सी, आईरिस, रेगिया और ओलिविया के बूब्स दबाता हुआ फलाविआ से लंड चुसवाते रहा । फ्लाविआ के हिसाब से वह सिर्फ दो बार चुदी थी पर वह लण्ड ऐसे चूस रही थे जैसे कोई लंड चूसने वाली पेशवर हो। फिर उसे हटा कर बाकी पेन्सी, आईरिस, रेगिया और ओलिविया भी बारी-बारी मेरा लंड चूसने लगी। इस बीच फ्लाविआ मेरा अंडकोष चाटती रही।
मैं पूरे 15 मिनट तक उन सबका मुँह बारी-बारी से चोदता रहा और फिर फ्लाविआ खड़ी होकर बोली अब मेरी फुद्दी आपके हवाले है मास्टर और इतना बोल कर दिवार के सहारे घोड़ी बन गयी। मैंने उसकी गांड पर एक जोर का थपड मारा और उसकी चूत पर अपना लण्ड रख दिया।
एक ही झटके में पूरा लण्ड उसकी चूत में गाड़ दिया। आवाज बहुत ज्यादा थी म्यूजिक तेज था पर फिर भी उसकी चीख मुझे साफ़ सुनाई दी। वह बोली मास्टर धीरे-धीरे डालो। मैंने बोला कोई न मेरी जान एक मिनट का दर्द है और अब मैं धीरे-धीरे लण्ड अंदर बाहर करने लगा। दो तीन मिनट बाद वह बोली अब मजा आ रहा है अब तेज-तेज चोद मुझे। मैंने भी उसके बाल पकडे और अब रेलगाड़ी फूल स्पीड मैं चला दी और वह आअह्ह्ह्ह-आअह्ह्ह्ह आअह्ह्ह और चोदो मुझे मेरे गबरू जवान मेरे मालिक, फाड़ दे मेरी चूत। बना दे इसे भोसड़ा आअह्ह्ह-आअह्ह्ह आअह्ह्ह्ह आह्हः और वह अपनी रुसी भाषा में कुछ बोल रही थी मुझे रुसी तो आती नहीं थी पर इतना समझ गया कई अब वह अपनी चूत का भोसड़ा बनवाना चाहती है और मैंने भी दम भर के उसकी प्यास बुझाई। पनद्रह मिनट में वह झड़ गयी और अब बोली फुद्दी का काम तो हो गया और बोल कर गांड ऊपर उठा ली उसने।
अब पेन्सी मेरे सामने घोड़ी बन कर आ गयी और मैंने अपना हाथ पेन्सी के नितम्बो पर फेरा और मैंने भी उसकी योनि पर लण्ड रखा और थूक लगाया उसकी चूत पर और धीरे-धीरे उसकी चूतमें लण्ड पूरा घुसा दिया। वह दर्द से चिल्ला उठी पर उसके मुँह से निकला हाय ओये अब आया मजा। मुझे लग गया पता ये सभी पूरी चुदक्क्ड़ हैं और आप पेन्सी ने गांड खुद ही हिलानी शुरू कर दी और मैंने भी तसल्ली से उसकी चूत मारी। उसे भी चूत मरवाने में पूरा मजा आ रहा था और अब वह तो बिकुल रंडी बन गयी थी। आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह-आआह्ह्ह्ह हाय कितना मोटा लण्ड है तेरा मेरी जान मेरी चूत खोल देगा ये तो पूरी। आज मैं तेरी रंडी हूँ, दासी हूँ, रखैल हूँ मास्टर, चोद मुझे मार मेरी और बार-बार अपनी गांड हिला आगे पीछे रही थी। पंद्रह मिनट चूत मरवाने के बाद उसकी प्यास बुझी और बोली अब निकाल लो मास्टर।
मैंने उसकी चूत से लंड निकाल लिया लण्ड पर वह थक कर जमीन पर बैठ गयी और मैंने अब लंड आईरिस की चूत में डाल दिया-दिया और चोदने लगा। मैं उसे चोदता रहा और दस मिनट बाद वह भी झड़ गयी तो मैंने लंड निकाल कर पहले रेगिया को घोड़ी बना कर भोगा और फिर ओलिविया को भी घोड़ी बना तसल्ली से उसकी चूत मारी। फिर वह भी स्खलित हो ढेर हो गयी मैंने अमल्तिया से अपना लण्ड चाट कर साफ़ करवाया। अब मैं उस सबके बीच में-में बैठ गया और बोला क्यों डियो, प्यास बुझी आपकी। सबसे पहले फ्लाविआ बोली मास्टर, मैं आपके लण्ड की फैन हो गयी हूँ। रेगिया और आईरिस बोली उन्हें सब से ज्यादा मजा चूत चटवाने में आया। ओलिविया बोली मैं तो अप्पके लंड देखते ही आपकी फैन हो गयी थी ।
पर अभी फ्लाविआ का मन भरा नहीं था। वह अब बेशर्म होकर मुझसे चिपक कर बैठ गयी और बार-बार मेरा लंड छेड़ने लगी। बोली मास्टर मेरी जान मेरा मन नहीं भरा है। हम फिर खाने की टेबल पर चले गए और वह वहा पर लेट गयी। उसे चारो तरफ से पुजारिणो ने घेर लिया और फ्लाविआ ने मेरे ऊपर शराब डाली और फ्लाविआ के ऊपर सब ने खाना डाला और सब पुजारिने उसे चाटने लगी और पाने ऊपर शराब दाल कर उससे चटवाने लगी और फिर
मैंने एक झटके से उसकी चूत में लंड गाड़ दिया और जोर-जोर से धक्के मरने लगा। वह फिर से आअह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह आअह्ह्ह हाय मास्टर मेरी जान आपके लंड से चुदवाने का मौका काश रोज-रोज मिले, मन ही नहीं भर रहा, आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह फाड़ दो मेरी फाड़ दो आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह। मैं भी उसकी गांड पर लगातार थपड मरता रहा और उसके बाल खींच कर उसकी चुदाई करता रहा।
पंद्रह मिनट में उसकी चूत दर्द होने लगी और वह मेरी तरफ घूम गयी और मैंने उसकी एक टांग उठा कर खड़े-खड़े उसकी चूत चोदने लगा। इस बार वह दो बार झड़ गयी पर उसकी प्यास न बुझी और तेज और अंदर और अंदर और तेज मास्टर और तेज चोदो मुझे। इस बार मैं झड़ने वाला था पर मैंने थोड़ा नियंत्रण किया और वह झड़ती हुई चरमसुख का आनद ले रही थी और फिर हम सब 10 मिनट तक एक दूसरे को चूमते रहे। दस मिनट बाद हम टेबल से निचे आ गए।
जारी रहेगी
सातवा अध्याय
लंदन का प्यार का मंदिर
भाग 31
सामूहिक मजेदार आनद का अनुभव
मैंने देखा फ्लाविआ मुझे बहुत गौर से देख रही थी तो मैंने उसे फ्लाइंग किश की और फिर फ्लाविआ और मैं एक दूसरे को छेड़ने लगे। कभी एक दुसरे को आँख मारते कभी फ्लाइंग किस करने लगे। फिर मैं उसके पास गया और उसे किस किया, तभी नाच का म्यूजिक शुरू हो गया और हमने नाचना शुरू किया तो मैंने फ्लाविआ को भी बुलाया पर वह नहीं आयी। फिर मैंने देखा वह नजर बचा कर दूसरी तरफ जा कर दारु पिने लगी और फिर वापिस आ कर डी जे पर नाचने लगी। मुझे लग पता लग गया था कि फ्लाविआ दारु की शौकीन है और अब वह दारु के नशे में नाचते हुए वह बेशर्म हो रही थी। मैं नाचते हुए उसके पास गया और कभी उसकी चूचियों पर कभी गांड पर हाथ फेरने लगा और दोनों मुख्य व्यंजनों को उसके बदन पर मल दिया और अपने ऊपर दारु उदेल दी।
वह समझ गयी और मुझे चाट कर मजे लेने लगी। वह मेरे साथ चिपक कर नाचने लगी और मुझे छेड़ने लगी, वह भी कई बार मेरे लण्ड पकड़ कर मसल देती।
मैंने व्हिस्की की बोतल उठायी और फ्लाविआ के पास गया और पूछा मोहतरमा जी हो जाए 2-2 पेग। वह बोली हो जाए! मैंने उसे तुरंत दो पटियाला पेग लगवा दिए और अब उसे धीरे-धीरे नशा होने लगा था और अब वह बेशर्म होकर मुझसे बातें करने लगी। मैंने भी पूछ लिया तो अब बताओ मैडम कोई चक्कर है वह बोली नहीं है इसीलिए दारु पि कर मन बहलाती हूँ। मैंने बोला होता भी तो में पटा ही लेता तुझे। वह हंसने लगी और बोली इतना भरोसा है खुद पर मैं उसके पास गया और बोला हाँ खुद पर भी खुद के लण्ड पर भी। वह बोली बड़े बेशर्म हो तुम कितनी गन्दी बातें करते हो। मैंने उसे बिना कुछ बोले उसे अपनी बाहों में भरा और किस करने लगा।
उसने मुझे धक्का देकर हटा दिया और मैंने फिर से उसे खींचा और उसके होंठो को चूमने लगा। वह 2-3 मिनट तक तो रोकती रही पर उसके बाद उसने खुद को मेरे हवाले कर दिया और मुझे भी किस करना शुरू कर दिया। अब मैंने उसे किस करते-करते दिवार के सहारे खड़ा कर दिया और पहले उसे चाटने लगा । तभी वह पर पेन्सी, आईरिस, रेगिया और ओलिविया भी आ गयी और मैंने उस सब पर भी व्यंजन उड़ेला और सबने एक दुसरे को चाट कर साफ़ किया और फिर में बारी-बारी सबकी चूचियाँ दबाने लगा और अब तब फ्लाविआ बहुत गर्म हो गयी थी और मेरा लण्ड मसलने लगी। उसने हाथों से चूचियों को ऊपर उठा कर अपनी बड़ी-बड़ी चूचियाँ मेरे हवाले कर दी और अब मैं उसकी चूचियाँ चूसने लगा और-और अह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह सिसकियाँ लेने लगी। मैंने एक चूची अपने मुँह में डाली और हाथ से उसकी-उसकी चूत रगड़ने लगा। वह गीली हो चुकी थी। मैं लगातार उसकी चूचियों का रस पी रहा था और उसकी चूत में ऊँगली कर रहा था।
फ्लाविया लेट गई और अपने दोनों पांव ऊपर उठा लिये। उसकी गोल गोल गाण्ड और चूत रोशनी में चमक उठी। उसकी जवानी और नीचे के कटाव गजब के थे.... फूल जैसी चूत की दो पन्खुड़ियां खिल उठी।
"मास्टर ....आओ न...." फ्लाविआ ने मुझे चोदने का न्योता दिया। मैं लपक कर उसके दोनो पांवो के बीच आ गया.... मेरे अन्दर नई उत्तेजना थी....लण्ड को खड़ा देख कर और जवान लड़की को देख कर मेरी उत्तेजना फ़ूटी पड़ रही थी। मेरा सुपाड़ा भी फूल कर लाल हो गया। मैने अपना लण्ड फ्लाविआ की चूत में लगाया और धक्का दिया। पर हाय.... वो अन्दर नहीं गया और फ़िसल कर नीचे आ गया। मैने फिर से ट्राई किया पर नहीं घुसा। चूत बहुत टाइट थी एक कुंवारी की तरह और मेरा लंड पूरे ताव में था वो बोली मास्टर .... आप बिलकुल ठीक है....इतना कठोर था.... मास्टर ... बस आप मुझे बहुत अच्छे लगते है.... मेरा तो मन आप पर आ गया है...." फ्लाविआ ने मुझे प्यार करते हुए कहा।
उसकी चूत बहुत टाइट थी तो मैंने पूछा क्या बात है कितने दिन से ठुकवायी नहीं है।
फ्लाविआ बोली आज तक मैंने सिर्फ दो बार लण्ड का मजा किया है और पहली बार जब मैं मुख्य पुजारिन बनी थी और दूसरी बार जब मेरे बाद पेन्सी मुख्य पुजारिन बनी थी। पहली बार तो दर्द बहुत हुआ था और उसके बाद जब पेन्सी के समय थोड़ा मजा आया था । मैं तब से प्यासी हूँ । अब पाईथिया ने नियम बदले हैं । वह कहती है सब मुख्य पुजारिणो को नयी पुजारिन के समय अपनी शक्तिया उसे प्रदान करनी चाहिए । ताकि हमारे मदिरो का प्रभाव बढे और हमारे मंदिरो के द्वारा प्रेम और सौंदर्य बढे और हमारी देवी के भक्तो को पूर्ण आनद प्राप्त हो और मास्टर आप तो वास्तव में हम सब को भरपूर प्रेम देने में सक्षम हो और मेरी जान आपके लिए हैं। और जो मैंने अभी तक देखा है उससे मुझे विह्वास है आपका लण्ड न केवल मेरी बल्कि सब मुख्य पुजारिणो की प्रेम की प्यास बुझा देगा। क्योकी पाययिथिया के बनाये नए नियमो से पहले सभी मुख्य पुजारिने केवल दो बार ही सभोग कर पाती थी। इतना बोल कर उसने मेरा लण्ड पकड़ कर जोर-जोर से हिलाना शुरू के दिया। मैं अभी भी उसकी चूचियाँ चूस रहा था और वह एक हाथ से मेरे बाल पकड़ कर मुझे अपनी चूचियों के अंदर समा जाने का इशारा कर रही थी। मैं लगातार उसकी चूत में अपनी दो उंगलियाँ अंदर बाहर कर रहा था और वह एक बार झड़ चुकी थी। अब मैं निचे बैठ गया और मैं उसकी चूत चाटने लगा। झड़ जाने की वजह से उसकी चूत पूरी गीली थी पर मैंने अपनी जीभ से चाट-चाट कर उसका सारा पानी साफ़ कर दिया। वह दूसरे हाथ से मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी और अपनी जांघो को भी मेरे ऊपर रख कर मेरा मुँह पूरी तरह दबा लिया।
और आह्हः आआह्ह्ह है मास्टर मेरी जान आअह्ह्ह्ह आअह्ह्ह चाट ले मेरी फुद्दी मेरे राजा दे-दे मजा मुझे जन्नत की सेर करवा दे मेरी जान। मैं और मेरी फुद्दी बहुत प्यासी है उसकी प्यास बुझा दे आअह्ह्ह आअह्ह्ह्ह। करीब 10 मिनट तक मैंने उसे स्वर्ग का आनंद दिया और फिर में खड़ा हो गया। अपना मुँह उसके मुँह से लगा दिया तो उसे चाट कर मेरा मुँह साफ़ किया और मैंने उसका सिर पकड़ कर अब उसे बिठा दिया और लण्ड उसके मुँह में घुसेड़ दिया। वह मेरे लण्ड को आइस क्रीम की तरह चूसने लगी चाटने लगी और मैंने भी उसके बाल पकड़ कर उस से लण्ड चुसवाने का भरपूर मजा लिया। उसके हिसाब से वह सिर्फ दो बार चुदी थी पर लण्ड ऐसे चूस रही थे जैसे रांड हो।
साथ ही ओलिविआ और अमल्तिया मुझे लिप किश करती रही और मैं पेन्सी, आईरिस, रेगिया और ओलिविया के बूब्स दबाता हुआ फलाविआ से लंड चुसवाते रहा । फ्लाविआ के हिसाब से वह सिर्फ दो बार चुदी थी पर वह लण्ड ऐसे चूस रही थे जैसे कोई लंड चूसने वाली पेशवर हो। फिर उसे हटा कर बाकी पेन्सी, आईरिस, रेगिया और ओलिविया भी बारी-बारी मेरा लंड चूसने लगी। इस बीच फ्लाविआ मेरा अंडकोष चाटती रही।
मैं पूरे 15 मिनट तक उन सबका मुँह बारी-बारी से चोदता रहा और फिर फ्लाविआ खड़ी होकर बोली अब मेरी फुद्दी आपके हवाले है मास्टर और इतना बोल कर दिवार के सहारे घोड़ी बन गयी। मैंने उसकी गांड पर एक जोर का थपड मारा और उसकी चूत पर अपना लण्ड रख दिया।
एक ही झटके में पूरा लण्ड उसकी चूत में गाड़ दिया। आवाज बहुत ज्यादा थी म्यूजिक तेज था पर फिर भी उसकी चीख मुझे साफ़ सुनाई दी। वह बोली मास्टर धीरे-धीरे डालो। मैंने बोला कोई न मेरी जान एक मिनट का दर्द है और अब मैं धीरे-धीरे लण्ड अंदर बाहर करने लगा। दो तीन मिनट बाद वह बोली अब मजा आ रहा है अब तेज-तेज चोद मुझे। मैंने भी उसके बाल पकडे और अब रेलगाड़ी फूल स्पीड मैं चला दी और वह आअह्ह्ह्ह-आअह्ह्ह्ह आअह्ह्ह और चोदो मुझे मेरे गबरू जवान मेरे मालिक, फाड़ दे मेरी चूत। बना दे इसे भोसड़ा आअह्ह्ह-आअह्ह्ह आअह्ह्ह्ह आह्हः और वह अपनी रुसी भाषा में कुछ बोल रही थी मुझे रुसी तो आती नहीं थी पर इतना समझ गया कई अब वह अपनी चूत का भोसड़ा बनवाना चाहती है और मैंने भी दम भर के उसकी प्यास बुझाई। पनद्रह मिनट में वह झड़ गयी और अब बोली फुद्दी का काम तो हो गया और बोल कर गांड ऊपर उठा ली उसने।
अब पेन्सी मेरे सामने घोड़ी बन कर आ गयी और मैंने अपना हाथ पेन्सी के नितम्बो पर फेरा और मैंने भी उसकी योनि पर लण्ड रखा और थूक लगाया उसकी चूत पर और धीरे-धीरे उसकी चूतमें लण्ड पूरा घुसा दिया। वह दर्द से चिल्ला उठी पर उसके मुँह से निकला हाय ओये अब आया मजा। मुझे लग गया पता ये सभी पूरी चुदक्क्ड़ हैं और आप पेन्सी ने गांड खुद ही हिलानी शुरू कर दी और मैंने भी तसल्ली से उसकी चूत मारी। उसे भी चूत मरवाने में पूरा मजा आ रहा था और अब वह तो बिकुल रंडी बन गयी थी। आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह-आआह्ह्ह्ह हाय कितना मोटा लण्ड है तेरा मेरी जान मेरी चूत खोल देगा ये तो पूरी। आज मैं तेरी रंडी हूँ, दासी हूँ, रखैल हूँ मास्टर, चोद मुझे मार मेरी और बार-बार अपनी गांड हिला आगे पीछे रही थी। पंद्रह मिनट चूत मरवाने के बाद उसकी प्यास बुझी और बोली अब निकाल लो मास्टर।
मैंने उसकी चूत से लंड निकाल लिया लण्ड पर वह थक कर जमीन पर बैठ गयी और मैंने अब लंड आईरिस की चूत में डाल दिया-दिया और चोदने लगा। मैं उसे चोदता रहा और दस मिनट बाद वह भी झड़ गयी तो मैंने लंड निकाल कर पहले रेगिया को घोड़ी बना कर भोगा और फिर ओलिविया को भी घोड़ी बना तसल्ली से उसकी चूत मारी। फिर वह भी स्खलित हो ढेर हो गयी मैंने अमल्तिया से अपना लण्ड चाट कर साफ़ करवाया। अब मैं उस सबके बीच में-में बैठ गया और बोला क्यों डियो, प्यास बुझी आपकी। सबसे पहले फ्लाविआ बोली मास्टर, मैं आपके लण्ड की फैन हो गयी हूँ। रेगिया और आईरिस बोली उन्हें सब से ज्यादा मजा चूत चटवाने में आया। ओलिविया बोली मैं तो अप्पके लंड देखते ही आपकी फैन हो गयी थी ।
पर अभी फ्लाविआ का मन भरा नहीं था। वह अब बेशर्म होकर मुझसे चिपक कर बैठ गयी और बार-बार मेरा लंड छेड़ने लगी। बोली मास्टर मेरी जान मेरा मन नहीं भरा है। हम फिर खाने की टेबल पर चले गए और वह वहा पर लेट गयी। उसे चारो तरफ से पुजारिणो ने घेर लिया और फ्लाविआ ने मेरे ऊपर शराब डाली और फ्लाविआ के ऊपर सब ने खाना डाला और सब पुजारिने उसे चाटने लगी और पाने ऊपर शराब दाल कर उससे चटवाने लगी और फिर
मैंने एक झटके से उसकी चूत में लंड गाड़ दिया और जोर-जोर से धक्के मरने लगा। वह फिर से आअह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह आअह्ह्ह हाय मास्टर मेरी जान आपके लंड से चुदवाने का मौका काश रोज-रोज मिले, मन ही नहीं भर रहा, आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह फाड़ दो मेरी फाड़ दो आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह। मैं भी उसकी गांड पर लगातार थपड मरता रहा और उसके बाल खींच कर उसकी चुदाई करता रहा।
पंद्रह मिनट में उसकी चूत दर्द होने लगी और वह मेरी तरफ घूम गयी और मैंने उसकी एक टांग उठा कर खड़े-खड़े उसकी चूत चोदने लगा। इस बार वह दो बार झड़ गयी पर उसकी प्यास न बुझी और तेज और अंदर और अंदर और तेज मास्टर और तेज चोदो मुझे। इस बार मैं झड़ने वाला था पर मैंने थोड़ा नियंत्रण किया और वह झड़ती हुई चरमसुख का आनद ले रही थी और फिर हम सब 10 मिनट तक एक दूसरे को चूमते रहे। दस मिनट बाद हम टेबल से निचे आ गए।
जारी रहेगी