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किरायेदार और मकान मालिक का परिवार
#44
(29-10-2022, 11:23 PM)raj4bestfun Wrote: तो हम सभी लोग होटल के गेट पर पहुंच गए। ये मेरठ का काफी बड़ा और आलीशान होटल था। गेट पर मैंने गाड़ी रोकी और सिक्योरिटी को गाड़ी पार्क करने का इशारा किया।

सिक्योरिटी वाले बन्दे ने मुझसे चाभी ले ली और फिर मैंने बाहर निकलने के लिए कार का गेट खोला। कार की ड्राइविंग सीट से मैं बाहर आया, फिर बगल वाली सीट से मंजू और पीछे से शिल्पी और मनीष बाहर निकले। मंजू और शिल्पी के कहर ढाते बदन को देखकर सिक्योरिटी वाला बंदा उसमे खो गया और यह देख कर मंद मंद मुस्कुरा रहा था। फिर कुछ सेकंण्ड्स बाद मैंने उससे एक्सक्यूज़ ममी तो बोला तो मानो उससे होश आया कि ओ क्या कर रहा था। तुरंत उसने मुझे सॉरी सिर बोला और तेजी से पार्क करने के लिए आगे बढ़ा।

मनीष और शिल्पी आगे आगे चल रहें थे और मेरे हाथ में हाथ डाल कर मंजू मेरे साथ उन दोनों के पीछे। आगे चल रही शिल्पी कि वन पीस इतनी छोटी थी कि चलने के दौरान कई बार उसकी जाँघे भी दिख रही थी। रिसेप्शन तक पहुंचने तक हर कोई शिल्पी और मंजू को घूर ही रहा था। रिसेप्शन पर शिल्पी ने बुकिंग आईडी दी और फिर उनका एक स्टॉफ हमें वी आई पी सेक्शन में ले गया और फिर उसने कहाँ - सर यह रही आपकी टेबिल। ये हमारा वी आई पी सेक्शन है जहाँ प्राइवेसी का पूरा ध्यान है।  मैंने उसे थैंक्स कहाँ, फिर ओ मेनू कार्ड रख कर चला गया।

मैं और मंजू टेबल के एक साइड बैठ गए और दूसरे साइड शिल्पी और मनीष। मैंने मीनू कार्ड को शिल्पी और मंजू को दिया और आर्डर करने को कहाँ। वेटर को हम लोगों ने आर्डर दिया। फिर हम लोग आपस में हंसी मजाक करने लगे। इसी दौरान मैंने अपना एक पैर शिल्पी की ओर बढ़ा दिया। शिल्पी ने काफी छोटा वन पीस पहना हुआ था जो कि बैठने कि वजह से और ऊपर की ओर खींच गया था। मैंने पैर से शिल्पी के दोनों टांगो के बीच को टच किया। शिल्पी को अचानक से झटका लगा मानो क्या हुआ हो। उसने तेजी से नीचे की ओर देखा और फिर मेरी ओर देख के मुस्कुराई।

अब मैं अपने पैर के अंगूठे से शिल्पी की चुत को रगड़ रहा था या कहाँ जाए तो मेरा अंगूठा पैंटी के ऊपर से ही उसके चुत में घुसने की कोशिश कर रहा था। मेरे द्वारा इस तरह रगड़ने से शिल्पी भी गर्म हो रही थी और उसके चेहरे पर मादकता नजर आ रही थी। इधर मंजू मेरे बाए हाथ को अपने दाये हाथ से पकड़ कर ऊँगली फेर रही थी ताकि शिल्पी या मनीष देख ना ले।

मनीष अपने मोबाइल में लगा था तभी वेटर आर्डर सर्व करने के लिए आ गया। वेटर ने मेरे पैरो को शिल्पी की चुत से खेलते हुए देख लिया और ओ शिल्पी की ओर मुस्कुरा कर पूछा आपलोग यहां एन्जॉय कर रहें हो ना। शिल्पी चौंक गई और घबराहट में कुछ बोल नहीं पाई। मैंने देखा वेटर शिल्पी की ओर लगातार हवस भरी नज़रों से देख रहा है तो सोचा चलो इससे भी थोड़ा मजे लेते है। मैंने शिल्पी को टेबल पर रखा चम्मच नीचे गिराने को कहाँ। शिल्पी समझ गई और बड़े ही कामुक तरीके से उसने चम्मच को पकड़ने के बाद उसको जमीन पर गिरा दिया और वेटर से बोली - ओह्ह सॉरी, भैया जरा उठा दोगे क्या?

वेटर - यस मैम और वेटर झुक कर चम्मच उठाने लगा। चम्मच उठाने के बजाय ओ शिल्पी की टांगो के बीच उसकी पैंटी को देखने की कोशिश कर रहा था।

शिल्पी - भैया मिला क्या?

वेटर - जी मैम कहता हूँ चम्मच को उठाया और बमुश्किल कुछ सेकेंड ही ओ पैंटी का दीदार कर पाया होगा। उसके चेहरे पर इस मौके पर चूक जाने की निराशा स्पष्ट दिख रही थी।

अब ओ आर्डर सर्व कर चला गया लेकिन फिर ओ हमें देखने ले लिए पानी सर्व करने के बहाने पहुँच गया। इस बार मैंने अपने पैरो से शिल्पी की पैंटी थोड़ी नीचे कर दी और अपने अंगूठे को उसकी चुत के द्वार तक ले गया। वहाँ जाकर मैंने अंगूठे को चुत के अंदर घुसा दिया जिससे शिल्पी को मीठे मीठे दर्द का अहसास हुआ और वो हल्की हल्की आह भरने लगी। वेटर ये सब टेबल के पास खड़े होकर देख रहा था जिसकी गवाही उसके पैंट में बना हुआ टेंट भी दे रहा था।

इधर शिल्पी गर्म हो रही थी और इधर मंजू मेरे बाहों में हाथ फेर कर मेरा ध्यान अपनी ओर खींच रही थी। मंजू को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उसके साथ बैठकर मैं उसकी बेटी के साथ क्या कर रहा हूँ। एक तरफ मैं अंगूठे को शिल्पी की चुत के अंदर बाहर काफी तेजी से कर रहा था दूसरी ओर मैंने अचानक मंजू को अपनी ओर खींचा और उसके दाएं गाल को किस कर दिया।

अचानक से मंजू भी चौंक पड़ी और शिल्पी, मनीष एवं वेटर मेरी ओर देखने लगे।

लगता है कोई बड़ा सस्पेंस सामने आने वाला है।
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RE: किरायेदार और मकान मालिक का परिवार - by bhavna - 31-10-2022, 01:45 AM



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