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अंतरंग हमसफ़र
मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 30

मजेदार आनद का अनुभव 






मैंने और क्सेनु ने एक दूसरे को पकड़ लिया , त्वचा के खिलाफ त्वचा की अनुभूति का आनंद लेते हुए मेरा लंड हमारे शरीरों के बीच फंसा हुआ था और क्सेनु उसे अपने बदन के साथ लग कर धड़कते हुए महसूस कर रही थी । मैंने क्सेनु के नरम स्तनों को मेरी छाती से कुचलते हुए उसके सख्त निप्पल गोलियों की तरह बाहर खड़े महसूस हो रहे थे मैंने क्सेनु को अपनी बाहों में उठाकर सीट के पार ले को लेटा दिया और एक गिलास और शैंपेन की एक बोतल उठा ली ।

[Image: champ.webp]


मैंने गिलास क्सेनु को सौंपा और क्सेनु के पैरों के बीच घुटने टेक कर एक चौड़ी मुस्कान के साथ बोतल क्सेनु की चिकनी योनि के ऊपर रख, एक धीमी ट्रिकल को नीचे योनि में डालना शुरू कर दिया, फिर मैं उसे चाटने लगा क्योंकि यह क्सेनु की योनि के अंदर से बाहर को रिस रही थी । शैंपेन और क्सेनु के रस का संयोजन स्वादिष्ट था .

[Image: chp2.webp]


क्सेनु अविश्वसनीय संवेदनाओं को महसूस कर रही थी , क्योंकि शैंपेन क्सेनु की संवेदनशील योनि को गुदगुदी कर रही थी और मैं क्सेनु को जोर से चाट रहा था। क्सेनु के ग्लास में शैंपेन बर्बाद नहीं होने वाली है -क्सेनु गिलास ने उंगलिया डुबोकर अपने निपल्स पर रगड़ने लगी , जो जल्दी से क्सेनु की योनि की तरह गर्म हो रही थे । मैंने क्सेनु के कड़े हो चुके क्लिट पर ध्यान देना शुरू कर दिया और उसका आनंद बढ़ने लगा । क्सेनु अब कामोन्माद से दूर नहीं थी ।




[Image: CHERRY2.jpg]

फिर मैंने एकाएक बोतल को नीचे रखा और फिर से उसकी छाती के पास पहुँचा, इस बार मैंने अंगूरों का एक गुच्छा उठाया क्सेनु पर वापस झुकते हुए, मैंने शैंपेन-स्वाद वाले निप्पल पर जल्दी से चाटा और क्सेनु के टांगो के बीच वापस नीचे जाने से पहले एक चुंबन का आदान-प्रदान किया ।

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फिर उसकी योनि को फैला और पथपाकर मैं अंगूरों को एक-एक करके अंदर धकेलने लगा । अंत में,जब सब अंगूर अंदर चले गए तो मैंने एक बार फिर मैं अपना मुंह क्सेनु की योनि पर रखा और , उन्हें चूसने लगा । जैसे ही एक अंगूर बाहर निकला और मैं मुंह में भर कर मैं अंगूर से उसकी योनि को छेड़ने लगा यो उत्तेजना के नए झटके क्सेनु के जिस्म में महसूस हुए जो अंत में क्सेनु के एक उग्र, विस्फोटक चरमोत्कर्ष में समाप्त हुए । क्सेनु सांस लेने के लिए हांफते हुए लेट गयी ।




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क्सेनु को तब तक इस बात का अहसास नहीं हुआ की मैं, फ्लाविया, पेन्सी, रेगिया, आईरिस, और ओलिविआ उसके पास आ गए हैं जब तक फ्लाविया, पेन्सी, रेगिया, आईरिस,ओलिविया ने अपना हाथ क्सेनु के बड़े से गोल गोरे स्तन पर रख नहीं दिया | क्सेनु चौक गयी, लेकिन उसने आंखे नहीं खोली और खुद को आगे धकेला | और फिर मेरा लंड पकड़ा और आपने पास खींचा और उसे अन्दर घुसेड दीया |और अपने दूसरे हाथ से दाने को रगड़ना जारी रखा | ओलिविआ उसे चुम रही थी मैं उसे स्तन दबा कर उसके ऊपर था और मेरा लंड उसकी चूत में दो ऊंच अंदर था |



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वो धीरे धीरे वो सोफे पर पूरी तरह लेट गयी | दोनों जांघे ऊपर की तरह उठा दी और मैं उसकी कसी चूत के छेद में घुसेड के लंड अन्दर बाहर करने लगा | आखिरी बार लंड क्सेनु की चूत के अन्दर तब गया था जब गीवा को महा याजक बनाया गया था | इसलिए क्सेनु की चूत की कसावट बिलकुल कुवारी चूत की तरह थी | मुझे अपना बड़ा विकराल लंड उसकी योनि के अन्दर डालने के लिए जोर लगाना पड़ रहा था | चूत की कसी हुई मखमली दीवारे उंगलियों को कस के जकड ले रही थी | चुदाई उत्तेजना में चार चाँद लगा रही थी, इससे मिलने वाले चरम सुख की कोई सीमा नहीं थी | मुहँ से सिसकारियो का सिलसिला लगातार चल रहा था, लंड के चूत में अन्दर बाहर होने से शरीर भी उसी अनुसार लय में आगे पीछे हो रहा था |


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क्सेनु अपनी चूत चुदवा कर अपनी वासना की आग बुझा रही थी | और सोच वो मेरी और अन्य उच्च पुजारिणो की चुदाई के बारे में रही थी | अब न कोई शर्म थी, न कोई हिचक थी, बस एक आग थी और उसे बुझाना था किसी भी तरह, लंड अपनी चरम गति से चूत में आ जा रहा था और उसी के साथ दाने को भी अधिक ताकत और गति से रगड़ने का सिलसिला शुरू हो गया था |


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क्सेनु ने योनि पर हाथ लगाया तो पाया कि उसकी योनी से लसीला चिकना तरल द्रव्य निकल कर उसकी योनि क्षेत्र को गीला कर चुका था। वो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी, उत्तेजना के मारे उसके शरीर पर चींटियां सी रेंगने लगी और मेरा पूरा शरीर में तपने लगा। सीने के विकसित उभार बिल्कुल तन गये, मेरा दायां हाथ स्वत: ही उसके उभारों को सहलाने लगे, मर्दन करने लगे और अनायास ही मेरा बांया हाथ उसकी योनी को स्वचालित रूप से स्पर्ष करने लगा, सहलाने लगा और शनै: शनै: उंगली से मेरे भगांकुर को रगड़ने लगा। वो पूरी तरह कामाग्नी की ज्वाला के वशीभूत थी, अपने आस पास के स्थिति से बेखबर दूसरी ही दुनिया में। करीब ५ मिनट के योनी घर्षण से उसकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया और सारा शरीर थरथराने लगा, मेरा लंड लसदार द्रव्य से सन गया था और उसके पूरे शरीर में एक तनाव पैदा हुआ और एक चरम आनंद की अनुभूति के साथ कांपने लगी ।


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अब लग रहा था जैसे चरम अब निकट ही है, एक तूफ़ान जो अन्दर धमाल मचाये हुआ था अब बस गुजर जाने को है | अब न कोई इमेजिनेशन था, न किसी की सोच | बस वासना थी वासना थी और सिर्फ वासना थी | क्सेनु अब सोफे पर तेजी से उछालने लगी | उसकी कमर जोर जोर के झटके खाने लगी | लंड जिस गहराई तक जा सकता था , वहां तक जाकर अन्दर बाहर होने लगा था | पहले चूत में ऊँगली भी बड़ी मुश्किल से जा रही थी अब मेरा बड़ा विकराल लंड भी आराम से जा रहा था | लंड पूरी ताकत से अन्दर बाहर के झटके दे रहा था | अचानक उसका पूरा शरीर अकड़ गया, सिसकारियो का न रुकने वाला सिलसिला शुरू हो गया, जांघे अपने आप खुलने बंद होने लगी, जबकि लंड अभी भी चूत की गहराई में गोते लगाकर आ जा रहा था, क्सेनु का दाना फूलकर दोगुने साइज़ का हो गया था दाने के रगड़ने से चूत के कोने कोने तक में उत्तेजना की सिहरन थी | क्सेनु की चूत की स्पंदन से उसकी दीवारों में एक नया प्रकार का सेंसेशन होने लगा , कमर और जांघे अपने आप कापने लगी, और जो की मेरे लंड की भी नई उत्तेजना प्रदान कर रहा था . क्सेनु को पता चल गया अब अंत निकट है, ये वासना के तूफ़ान की अंतिम लहर है | चूत रस तेजी से बाहर की तरफ बहने लगा | सारा शरीर कापने लगा, उत्तेजना के चरम का अहसास ने उसके शरीर पर से बचा खुचा नियंत्रण भी ख़त्म कर दिया |


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क्सेनु की कमर अपने आप ही हिल रही थी, पैर काँप रहे थे, मुहँ से चरम की आहे निकल रही थी | और फिर अंतिम झटके के साथ पुरे शरीर में कंपकपी दौड़ गयी और पूरा शरीर सोफे पर धडाम से ढेर हो गया .

क्सेनु आनंद के सागर में गोते लगाते लगाते लगभग मुर्क्षा की हालत में पंहुच गयी | धीरे धीरे सांसे काबू में आने लगी, चूत के दाना की सुजन कम होने लगी, स्तनों की कठोरता कम होने लगी | अपनी उखड़ती सांसे संभाले क्सेनु अपने आप के स्त्रीत्व को महसूस करने लगी, उसे अपने औरत होने का अहसास होने लगा | उसने शरीर को ढीला छोड़ दिया | उस समय उसने अपने ही चुचे और चूत का अहसास पहली बार महसूस किया था | और इस मजे से वो अब तक अनजान थी |


कुछ मिनट बाद मेरा लिंग क्सेनु की योनी से बाहर आया, वो सोच रही थी बाप रे बाप ! करीब 10" लंबा और 3" मोटा लाल लाल लपलपाता लिंग नीचे झूल रहा था और उससे टप टप क्सेनु की योनि का रस टपक रहा था। इतना विशाल लिंग क्सेनु नें बड़े आराम से अपनी छोटी सी योनी में संभाल लिया था।



जारी रहेगी
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RE: अंतरंग हमसफ़र - by aamirhydkhan1 - 30-10-2022, 05:49 PM



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