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अंतरंग हमसफ़र
मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 29

एक बार फिर 




तभी कसेनु की नजर मेरे लंड पर पड़ी और अब उसे लगा ये तो बहुत बड़ा लिंग है । आपसे पहले जब उसे दीक्षित किया गया था और उसके बाद जब उसने दीक्षा में पहलकर्ता के तौर पर भाग लिया था तो भी किसी भी प्राम्भकर्ता का लिंग इतना बड़ा और मजबूत नहीं था उसने ऐसा लिंग पहली बार देखा था । जब उच्च पुजारन अपने अनुभव बता रही थी तो कसेनु ने डोना और रूना उच्च पुजारन से सुना था कि मेरे पास अध्भुत लिंग है और उसे बेहद शानदार अनुभव हुआ था । लेकिन अब दोना को लगा ये तो बहुत बड़ा विशाल लम्बा और मोटा है और आज उसे अपने अंदर लेना आपके लिए एक चुनौती से कम नहीं रहेगा।

मैं डोना के पास आया और उसके पीछे सूंघने लगा। एक दो मिनट सूंघने के पश्चात मैं दोना के पीछे से उसपर सवार हो गया। क्सेनु की उत्तेजना मुझे देख कर बढ़ गई और वह पूरी क्रिया को बिल्कुल सामने से पूरी तन्मयता के साथ अपने आस पास से बेखबर देख रही थी। मैंने दोना की कमर को अपने अगले दोनों हाथो से जकड़ लिया था और उसकी योनि पर अपने कमर को जुम्बिश देना शुरु किया। मेरा का लाल-लाल लपलपाता बड़ा लिंग कुछ देर दोना के योनी छिद्र के प्रवेश द्वार के आसपास डोलता रह। फिर कुछ ही पलों में मैने लिंग को दोना की योनी में प्रवेश करा दिया और अब पूरे जोश के साथ अपने कमर को मशीनी अंदाज में आगे पीछे कर रहा था। धक्कों की रफ्तार इतना तेज थी कि सब मुख्य पुजारिने, पुजारिने और कनिष्ट पुजैरिने और सेविकाएँ अवाक हो कर देखती रह गई। इन सब क्रियाओं में मैंने देखा कि दोना नें बिल्कुल भी विरोध नहीं किया, ऐसा लग रहा था मानों यह सब दोना की रजामंदी से हो रहा है और अपने साथ हो रहे इस क्रिया से वह काफी आनन्दित थी। करीब 5-6 मिनट के इस धुआंधार क्रिया के पश्चात मैं दोना के पीछे से उतरा और उसके बाद मैंने प्रेम पुजारिन सिन्थीया को जोश से चूमा तो मैंने महसूस किया की वह भी उत्तेजित थी और उसने मेरे चुंबन का ऐसे जवाब दिया मानो हम पहली बार किस कर रहे हैं। मैंने उसे सोफे के कुतिया बनाया उसे चूमना जारी रखा और अपनी मर्दानगी को धीरे से उसके नारीत्व के अंदर धकेल दिया।




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फिर मैंने उसे उसकी गांड से उसको पकड़ लिया। मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लिंग बड़ा हो गया है और उसकी योनि टाइट हो गई है। मैंने धीरे-धीरे अंदर और बाहर स्ट्रोक किया। वह कराह रही थी और मैंने उसके योनि के दोनों होठों पर लंड को रगड़ते हुए जो चुदाई शुरू की थी, उसे ध्यान में रखते हुए वह लंड और योनि के संघर्ष का आनंद ले रही थी। हर बार जब मैंने उसके-उसके बूब्स को निचोड़ा, एक निप्पल को फड़फड़ाया, या धीरे से अपने कूल्हों को उसकी जांघो पर सहलाया, तो उसकी योनि कस जाती थी और वह थोड़ा गहरा कराहती थी।

हम दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए खड़े हुए थे और हांफ रहे थे। यह सब देखते हुए क्सेनु के अंदर अजीब-सी खलबली शुरु हो चुकी थी। मैंने सिंथिया की योनि में गीलापन महसूस किया और उसने योनि पर हाथ लगा कर देखा तो यह सचमुच भीग चुकी थी और उसकी योनी से लसीला चिकना तरल द्रव्य निकल कर मेरे लिंग को गीला कर चुका था। सिंथिया अब पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी, उत्तेजना के मारे उसके शरीर पर चींटियां-सी रेंगने लगी और उसका पूरा शरीर तपने लगा।

अपने यौनांगों से चरम आनंद प्राप्त करने का अनुभव कराने के कारण मैं सिंथिया के लिए मैं किसी फरिश्ते से कम नहीं था। उस शाम उसनें मानो मेरे लिए अपने स्वर्ग का द्वार ही खोल दिया था। उसके विकसित सीने के उभारों के बेरहमी से मर्दन के कारण उसे मीठा-मीठा दर्द का अहसास हो रहा था और उसके स्तन थोड़ा सूजे हुए लग रहे थे और मैं उसके स्तनों में पहले से थोड़ा ज्यादा कसाव का अनुभव कर रहा था। उसकी कमसिन चिकनी नाजुक योनी का आकार मेरे दानवी विकराल लिंग लंड या लौड़े ने रतिक्रिया (चुदाई) में क्रूर प्रहारों के कारण सूज कर थोड़ी बड़ी हो गई थी। उसकी चूत में मीठा-मीठा दर्द हो रहा था। उसके पूरे शरीर का इस तरह बेरहमी से मर्दन हुआ था कि पूरे शरीर का कस बल निकल गया था और पूरा शरीर टूट रहा था। अपने अंदर वह जो कुछ भी अनुभव कर रही थी उसे उसने किसी पर जाहिर नहीं होने दिया था।

सिंथिया के सीने के विकसित उभार बिल्कुल तन गये, मेरा दायाँ हाथ स्वत: ही सिंथिया के उभारों को सहलाने लगा मर्दन करने लगा और अनायास ही मेरी कमर उसकी पर दबाब देबे लगी और मेरा लंड उसकी योनी को स्वचालित रूप से स्पर्ष करने लगा, सहलाने लगा और शनै: शनै: उसके भगांकुर को रगड़ते हुए अंदर बाहर होने लगा। अब सिंथिया पूरी तरह कामाग्नी की ज्वाला के वशीभूत थी, अपने आस पास के स्थिति से बेखबर दूसरी ही दुनिया में थी। करीब 5 मिनट के योनी घर्षण से उसकी आंखों के आगे अँधेरा छा गया और उसका सारा शरीर थरथराने लगा, मेरी लंड सिंथिया के लसदार द्रव्य से सन गया और उसके पूरे शरीर में एक तनाव पैदा हुआ और एक चरम आनंद की अनुभूति के साथ निढाल हो गई। उसकी पीठ आगे झुकी हुई थी। मुझे लगा कि उसकी योनि टाइट हो गयी है और वह फिर से मेरे लंड को भीगो रही है। उसने इस दौरान एक छोटी-सी फुसफुसाहट तक नहीं निकलने दी। लेकिन जब उसके दिमाग ने फिर से अपने शरीर पर नियंत्रण किया, तो उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दी। मुझे पता था कि मैंने पुजारिन सिंथिया को एक बार फिर से संतुष्ट कर लिया है।





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मैंने सामने बैठी मुझी पुजारिन कारा को अपने पास बुलाया। मेरे साथ किये एक ही सम्भोग में काम वासना के समुद्र में गोता खा कर वह खुद भी खासी बेशरम हो चुकी थी। उसकी चिकनी नाजुक योनी जो की आज रात से पहले केवल दो बार ही चुदी थी, पहली बार जब वह मुख्य पुजारिन बनी थी औअर दूसरी बार जब उसने सिंथिया को मुख्य पुजारिन बनाने के लिए, उसके प्राम्भकर्ता को शशक्त किया था लेकिन आज की धुआंदार चुदाई के बाद उसकी चूत का आकार मेरे विकराल लंड द्वारा चुदाई में क्रूर प्रहारों के कारण उसकी योनि फ़ैल गयी थीऔर फिर सूज कर थोड़ी बड़ी हो गई थीजिसके कारण उसे चलने फिरने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी। वह धीरे-धीरे लंगड़ाती हुई चूत में मीठा-मीठा दर्द महसूस करती हुई मेरे पास आयी।

रतिक्रिया द्वारा अपने अंगों का इस तरह नये और नायाब तरीके से इस्तेमाल करना सिखाने वाले तथा चरम आनंद से रूबरू कराने के कारण मुझ पर अनायास ही सिंथिया का अत्यधिक प्यार उमड़ आया और वह बेसाख्ता बड़ी ही बेशरमी से उसी नग्नावस्था में मेरे नंगे जिस्म से लिपट पड़ी और मेरे चेहरे पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। किसी पगली दीवानी की तरह मेरे मुंह से, "ओह1 मास्टर मेरे राजा, ओह मेरे प्यारे चोदू, आई लव यू सो मच" जैसे अल्फाज निकल रहे थे। वह बोली मास्टर मैं अबतक इस अद्वितीय आनंद के खजाने से अपरिचित थी। सच में वह मेरे इस बहुमूल्य उपहार से निहाल हो चुकी थी।

और वह मैंने उसे सीट पर लिटा दिया और उसके ऊपर झपटा। मैंने उसके हाथों को मजबूती से अलग रखा और अपना पूरा इरेक्शन उस समय उसकी योनि में एक ही झटके में घुसा दिया। उसने एक तेज सांस छोड़ी क्योंकि उसने यह समझने की कोशिश की कि मेरा लंड एक बार फिर अंदर घुस गया है मुझे तब लगा कि उसकी योनी अभी भी कसी हुई है और वह ऐसा इसलिए कर रही थी ताकि हम एक-दूसरे को और अधिक खुश कर सकें।



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जैसे ही मैंने उसे तेज और गहरे स्ट्रोक दिए, मैंने उसके लिए अपने दिल में सारा प्यार जताते हुए उसे चूमा। उसने चादर पकड़ ली और खुशी से कराह उठी। कुछ ही देर में हम दोनों के पसीने छूट रहे थे। जैसे ही उसने अपने शरीर को अपने दिमाग पर हावी होने दिया, उसकी कामुक नारीत्व फिर से कसने लगी। वह चिल्लायी क्योंकि उसके संभोग की एक और लहर ने उसे कांपने पर मजबूर कर दिया और मुझे एक बार फिर कारा की शक्ति खुद में प्रवाहित होती हुई महसूस हुई।

फिर मैं बिल्कुल नंग धड़ंग अपने चेहरे पर बेशरमी भरी बेहद अश्लील मुस्कान के साथ खींसे निपोरते हुए उठ कर मुख्य पुजारिन अमाल्थिया के करीब पहुँचा और मोर्चा संभाल लिया और उसे ओंठो पर धीरे-धीरे चूमने लगा और जब उसने मेरे चुंबन का जवाब मुझे कराहते हुए चूम कर दिया तो मैं किसी वर्षों से भूखे भेड़िए की तरह अमाल्थिया पर टूट पड़ा। उसे बेसाख्ता चूमने लगा और वह मदहोश होने लगी तब जैसे उसे होश आया मैं उसके होंठों को दनादन चूम रहा था फिर उसके होंठों को चूसने लगा, वह मेरे मुंह में अपनी लंबी जिह्वा डाल कर मेरे मुंह के अंदर चुभलाने लगी। मेरे दाढ़ी मूंछ के बाल जो सुबह शेव करने के बाद से फिर से आने लगे थे उसके नरम और मुलायम चेहरे पर गड़ रहे थे लेकिन वह सहन करने को मजबूर थी क्योंकि अब धीरे-धीरे वह भी उत्तेजित हो रही थी और मदहोशी के आलम में डूबी जा रही थी और उसके अंदर फिर वही काम वासना की आग सुलगने लगी थी। मैं अपने मजबूत पंजों से उसकी चूचियों को बेदर्दी से मर्दन करने लगा और मसलने लगा। mere इस बेसब्रेपन और कामोत्तेजक हरकतों नें अमाल्थिया के अंदर की अर्द्धजागृत वासना को पूर्णरुप से भड़का दिया। ज्योंही मैंने उसके होंठों को अपने होठों से आजाद करके उसकी रस भरी गोल चूचियों को चूसना चाटना शुरू किया, उसके मुह से मस्ती भरी आहें फूट पड़ीं। "आााााह, ओोोोोोोह, उफ्फ्फ्फ, अम्म्मााााा," " वह एकदम मस्त हो गयी



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मैं उसकी चूची मर्दन करने लगा, फिर उसकी चिकनी बुर की तरफ मुंह करके सीधे बुर को चूसना चाटना शुरू कर दिया। अमाल्थिया की उत्तेजना अब चरम पर थी और बेसाख्ता मेरे मुंह से "आह उह उफआााा" की आवाजें उबल रही थीं। मेरा विकराल लंड ठीक उसके होंठों के ऊपर झूल रहा था। उसके आह ओह करते खुले होंठों के बीच मैंने अपना लंड ठूंस दिया। "उम्म्म्मआााग्घ" आधा लंड एक झटके में भक्क से घुसा कर अमाल्थिया का मुंह ही चोदने लगा। वह पूरी कोशिश कर के भी पूरा लंड मुंह में समा लेने में असमर्थ थी, मगर मैंने उधर उसकी चूत चाट-चाट कर उसे इतना पागल कर चुका था कि वह भी मेरे लंड को पूरी शक्ति से चप-चप कर बदहवास चूसे जा रही थी। मैं उसकी योनि चूसते चाटते गोल-गोल नितंबों को बेदर्दी से मसल रहा था । फिर मैंने उसे पलटा और खड़ा हो कर उसे अपनी गोदी में उठाया और उस समय वह चिहुंक उठी जब मैंने उसकी चूत रस से भरी चूत में लंड एक ही झटके में पूरा अंदर डाल दिया और उसे उछाल कर ऊपर नीचे बाहर करने लगे। उसका मुँह मेरे मुँह से चिपका हुआ था वह कुछ बोलना चाहती थी मगर उसके मुंह से सिर्फ गों-गों की आवाजें ही निकल पा रही थीं। मेरे हाथ उसके नितम्बो के नीचे थे और मेरी एक ऊँगली उसकी गुदा को स्पर्श कर रही थी और गुदा मार्ग में मेरी उंगली के घर्षण से उसे गुदगुदी हो रही थी। और उस वक्त अमाल्थिया की चूत भी चरमोत्कर्ष की मंजिल पर पहुँच कर पानी छोड़ने लगी।



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उत्तेजना के मारे क्सेनु के शरीर पर चींटियां सी रेंगने लगी और उसका पूरा शरीर तपने लगा। सीने के बड़े गोल और विकसित उभार बिल्कुल तन गये, क्सेनु का दायां हाथ स्वत: ही उसके उभारों को सहलाने लगे, मर्दन करने लगे और अनायास ही उसका बांया हाथ योनी को स्वचालित रूप से स्पर्ष करने लगा, सहलाने लगा और धीरे धीरे उसकी उंगली भगांकुर को रगड़ने लगी । अब क्सेनु पूर्णतया कामाग्नी की ज्वाला के वशीभूत थी, अपने आस पास के स्थिति से बेखबर दूसरी ही दुनिया में। करीब ५ मिनट के योनी घर्षण से उसकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया और उसका शरीर थरथराने लगा, उसकी उंगली लसदार द्रव्य से सन गई और पूरे शरीर में एक तनाव पैदा हुआ और एक चरम आनंद की अनुभूति के साथ निढाल हो गई।

सामने बैठी कसेनु ने मेरी रूना, डोना, सिंथिया, कारा और उसके बाद अमाल्थिया की चुदाई देखते हुए क्सेनु ने अपने शरीर को सोफे पर फैलाते हुए टांगे आगे को फैला दी। उसके अन्दर एक झुनझुनी झंकार जैसी लहर दौड़ गयी जब उसने मुझे चुदाई करते हुए देखा, तो उसके दिल की धड़कने तेज हो गयी थी, सांसों की गति बढ़ गयी थी, पेट में लहरे-सी उठने लगी थी, सीने पर विराजमान दोनों उन्नत चोटियाँ हर साँस के साथ उठने गिरने लगी थी। शराब का गिलास उठा कर पिया और फिर गिलास अलग रख दिया और दोनों हाथो से अपने स्तनों को हलके-हलके मसलने लगी। क्सेनु के निप्पल कड़े होने लगे। क्सेनु ने आंखे बंद कर ली और अपने स्तनों को तेजी से मसलना शुरू कर दिया और एक हाथ नाभि सहलाता हुआ, दोनों जांघो के बीच पेट के निचले हिस्से तक पहुच गया। पेट के निचले हिस्से से होते हुए फड़कती चिकनी चूत तक पहुच गया और उंगलिया चूत के दाने के पास तक पहुच गयी।


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क्सेनु सामने देख रही थी कैसे अमाल्थिया के स्तनों की चुसाई दबाई हो रही थी। असल में ये क्सेनु की भी फंतैसी थी की कोई उसके स्तनों को चुसे दबाये काटे लेकिन वह अब अमाल्थिया के जरिये इमेजिन कर रही थी। उसने बिना कुछ सोचे चूत के दाने को रगड़ना शुरू कर दिया। और उसके मुहँ से सिसकारियाँ निकने लगी। क्सेनु की टांगो के बीच में लगातार उसका हाथ चल रहा था, उत्तेजना के मारे चूत भी गीली होने लगी, धड़कने और तेज हो गयी, जैसे-जैसे चूत का दाना क्सेनु रगडती, उसके चुतड उछाल लेने लगे, क्सेनु ने दूसरा हाथ चूत पर रख दिया, एक हाथ से वह चूत का दाना रगड़ रही थी दूसरे से चूत को तेजी से सहला रही थी, उसके मुहँ से सिसकारियो की आवाजे तेजी से निकलने लगी, वासना से भरी चूत की दरार से पानी रिसने लगा। उसका पेट और नाभि भी इस उत्तेजना के चरम में फद्फड़ाने लगे, पेट और चुतड सोफे से उछलने लगे। केनू के हाथो ने चूत को और तेजी से रगड़ना शुरू कर दिया।

क्सेनु को इस समय न को लाज थी न शर्म, क्सेनु की आंखे बंद थी, ओठ भींचे हुए थे, उत्तेजना का सेंसेशन अपने चरम पर था। कभी निचले ओठ से ऊपर वाले को काटती, कभी उपरी ओठ से निचले वाले को। सांसे धौकनी की तरह चल रही थी। चूत की दरार से निकलता गीलापन अब उंगलिया भिगो रहा था, कुछ बह कर जांघो की तरफ बढ़ चला था।


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क्सेनु अपने सामने चल रही चुदाई देख कर अपनी चुदाई की कल्पना कर-कर के खुद की चूत दोनों हाथो से रगड़े जा रही थी। वह कंफ्यूज थी जो कुछ भी हो रहा है कौन शैतान उसके शरीर को छु रहा है, कौन है जो उसके अन्दर सेक्स की सोई वासना को जगा रहा है, इस हद तक बढ़ाये दे रहा है कि वह सारी लाज शर्म छोड़ कर, खुले कमरे में सब के सामने पूरी तरह नंगी होकर खुद की चूत रगड़-रगड़ कर अपनी चुदाई के बारे में सोच रही है। ये सब सोचते हुए भी उंगलिया चूत पर तेजी से चल रही थी। जब कोई औरत को चुदाई में मजा आने लगता है तो वह चुतड उठा उठाकर साथ देने लगती है। इसी तरह क्सेनु भी बार-बार चुतड ऊपर की तरफ उछाल रही थी।

क्सेनु अपने शरीर की असंतुष्ट वासना के आगे बेबस थी। एक तरफ उसकी चूत से लगातार पानी बह रहा था। उसे होश ही नहीं था कि वह कहाँ है, उसका दिमाग कही और था शरीर कही और था। ऐसा लग रहा था एक शैतान उसके शरीर से खेल रहा है और उसके हाथ पाव सब उसी शैतान के कब्जे में है। उसकी योनि के पतले ओठो पर नाच रही उंगलियों पर उसका कोई बस नहीं है। चूत की दरार से बहते पानी को रोकने में वह लाचार है। वासना के कारन थिरकते चुतड को रोकने में असमर्थ है। उसे पता है ये सब रोकने का अब कोई रास्ता नहीं है। सिसकारियो के बीच उसने अपने एक उंगली चूत की दरार के बीच डाली, फिर दो चार बार अंदर बाहर करने के बाद, दो हाथो से चूत के दोनों ओठ फलाये। और उसकी कराहे सुन कर मेरा ध्यान क्सेनु की तरफ गया वह दो हाथो से चूत के दोनों ओठ फलाये अपनी जीभ बाहर निकला कर उसके सूखे ओठो को गीला करके अन्दर ले रही है, कुछ देर बाद जीभ फिर बाहर आ रही है और सूखे ओठो को रसीला बना रही है। क्सेनु मदहोशी की गिरफ्त में धीरे-धीरे जा रही थी।



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मुझे लगा यही सही समय है जब मुझे कुछ करना चाहिए। मैं क्सेनु के पास गया और अपना लंड उसकी योनि के पास लाया और अपने दाहिने हाथ को, गोरे से कठोर होते क्सेनु के स्तन की तरफ बढ़ा दिया। क्सेनु ने प्यार से मेरी तरफ हाथ बढ़ाया, मेरे चेहरे को सहलाया, मेरे बालो को कंघी करने लगी।

क्सेनु ने अपने सूखते ओंठो पर जीभ फिराते हुए मेरे नजदीक आ गयी। मैं हैरान था कि क्सेनु मुझे इतने मादक तरीके से देख रही थी ! क्या उसके भरे पूरे बड़े स्तन को छुने से क्सेनु इतनी उत्तेजित हो गयी है, की वह मेरे इतना नजदीक आकर अपने गीले ओठो से मुझे किस करने जा रही है।

हल्की मादक कराह के साथ क्सेनु ने मेरा चेहरा बिलकुल अपने सामने किया और क्सेनु ने अपने भीग चुके होठो को मेरे ओठो पर रख दिया, धीरे से साँस ले कर क्सेनु ने अपने ओठ खोलकर अपनी जीभ को मेरे दांतों के बीच से होते हुए मेरे मुहँ की तरफ ठेल दिया।

दोनों के मुहँ की लार एक में मिलने लगी। कसेनु अपनी जबान से मेरी जबान चूस रही थी चूम रही थी। उनकी बड़े-बड़े स्तनों से भरी पूरी छाती, मेरे सीने से टकरा रही थी। मैं कसेनु के दोनों स्तनों का भरपूर कसाव दबाव अपने सीने पर महसूस कर पा रहा है, कसेनु की सांसे तेज चल रही और उसका पूरा शरीर उत्तेजना के कारन कांप रहा था। मैंने अपने हाथ कसेनु की कमर पर रख दिए और हलके-हलके सहलाते हुए पीठ पर ऊपर बांहों तक ले जाने लगा, थोड़ी देर के बाद सहलाने में कसाव बढ़ गया, पीठ पर ऊपर की तरफ हाथ जाते ही मैंने क्सेनु को बाहो में कस लिया। जिससे पहले से ही सीने से रगड़ रहे कुचल रहे क्सेनु के बड़े स्तन और कसकर मेरे सीने से रगड़ने लगे। क्सेनु के शरीर की कंपकपी बता रही थी की उसकी उत्तेजना बहुत बढ़ गयी है, मुझे इससे क्सेनु की कंपकपी से उसकी उत्तेजना पता लग रही थी और साथ ही ये भी पता था कि वह अब, कामरोगी की लालसा से ग्रसित है और साथ ही क्सेनु भी अब मुझे उत्तेजित कर रही थी । क्सेनु की वासना का समन्दर हिलोरे मार रहा था ऐसे में वह कहाँ से खुद को रोक पाती। उसनेमेरे ओठो से ओठ हटा लिए, अपने चेहरे को मेरे गालो पर रगड़ने लगी, मेरे कानो में फूंक मारने लगी। इसी बीच मेरा एक हाथ क्सेनु के स्तन को मसलने दोनों के चिपके शरीरो के बीच से फिसलता हुआ उसकी छाती तक पंहुच गया। वासन का बहाव क्सेनु के शरीर को वासना में बहाए ले जा रहा था।



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मैंने क्सेनु का एक हाथ पकड़ कर धीरे-धीरे नीचे ले गया है और अपनी दोनों जांघो के बीच अपने खड़े लंड पर रख दिया। और क्सेनु का हाथ मेरे लंड को सहला रहा था । दूसरी तरफ क्सेनु की कमर के आस पास एक नयी झुनझुनी दौड़ गयी जब मेरा हाथ जो अब तक उसके बड़े-बड़े स्तनों को सहलाने के बाद दबा रहा था और फिर मसल रहा था कुचल रहा था, नीचे घुटने के पास से उसकी मखमली नरम जांघ पर हाथ फेरते हुए आगे कमर की तरफ बढ़ने लगा।



जारी रहेगी
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RE: अंतरंग हमसफ़र - by aamirhydkhan1 - 28-10-2022, 10:39 AM



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