Thread Rating:
  • 3 Vote(s) - 2.33 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery शादी
#18
              आखिर दोनों ने पूरे बेमन और बेबसी से ही सही लेकिन बांकी सभी के ढेरों आशीर्वाद और शुभकामनाओं के साथ पहले एक दूसरे को जयमाला डाली और फिर शादी के अनोखे बंधन में बंध ही गए। शादी के बीच की भी कई रस्मों में  जहां इन्हें एक दूसरे का हाथ छूना या पकड़ना था वहां तो मानो इनके लिए पूरे पानीपत की लड़ाई का सामना करने वाली जैसी स्थिति थी जिसमें दोनों ही एक दूसरे को अपनी आंखों से खा जाने वाली नजर से देखते थे लेकिन अगले ही पल स्थिति से हार कर अपने हथियार डाल देते और नजरें नीची कर लेते।
 
                कुछ ही घंटों में शादी संपन्न हो गई और किसी भी तरह से एक दूसरे से मेल ना खाने वाले दो लोग आखिरकार जीवनसाथी बन ही गए अब वे जीवन भर एक दूसरे का साथ निभाने की ताकत और इच्छा रखते थे या नहीं ये तो सिर्फ वे या शायद उनकी किस्मत ही जानती थी।
 
                थोड़ी ही देर में विदाई की घड़ी भी आ गई जिसमें कोई मां -बाप कितने ही मजबूत कलेजे वाला क्यों ना हो लेकिन बेटी की विदाई में उनकी आंखें ना बरसे या उनका दिल ना तड़पे ये तो संभव ही नहीं फिर यहां तो नीतिका अपने मां बाप की दुलारी सी गुड़िया थी जिन्हें उन्होंने आज तक खुद से कभी दूर देखा ही नहीं था।
 
             अखिल और विभा जी की जो हालत थी वो किसी से भी छुपी हुई नहीं थी लेकिन इस वक्त जो मनोस्थिति नीतिका की थी उसका बयान करना असम्भव था। एक ओर मां बाप को छोड़ने की तकलीफ लेकिन शायद इस वक्त इस तकलीफ से कहीं ज्यादा इस चीज का दर्द था कि जिंदगी ने उसे आज जिस शक्श के साथ खड़ा कर दिया वो शायद अगर दुनिया का आखिरी इंसान भी होता तो नीतिका कभी भी जान कर इस रिश्ते के लिए हां नहीं करती। लेकिन कहते हैं ना शादी या जोड़ियां तो ऊपरवाला ही बनाता है तो उनके सामने इनकी क्या और कितनी चलती। 
 
              जिस शादी की हर एक चीज में चाहे लड़का हो या लड़की, वो एक अलग ही उत्साह रखता है, कितने सपने संजोता है, वही शादी आज इन दोनोंके लिए इनके गले की फांस थी। आज दोनों के लिए सच तो यही था कि जिस साथ चलने वाले इंसान को पसंद करना क्या एक पल के लिए भी बर्दाश्त करना भी असंभव था उन्हें अब अपने घरवालों और दुनिया वालों की नजर में एक बन कर रहना था और यही उनकी सबसे बड़ी मजबूरी भी थी।
 
              आखिर नम आंखों से बिटिया की विदाई भी हो गई और नीतिका अपनी जिंदगी के नए सफर पर अपना पहला कदम रखने के लिए मजबूरी में ही सही लेकिन आद्विक के साथ चल पड़ी। वहीं जो आद्विक आज तक कभी भी किसी भी फैसले में कमजोर नहीं पड़ा था वही आज अपनों की खुशी के लिए खामोश था। शायद यही होती है सच्चे प्यार की ताकत जिसमें इंसान अपनों के लिए कुछ भी कर गुजरने का हौसला रखता है।
 
            थोड़ी ही देर में नीतिका और आद्विक "सिन्हा निवास" के मुख्य द्वार पर खड़े थे। जहां आद्विक बस बुझे मन से चुपचाप खड़ा था वहीं नीतिका भी लाचार पड़ी सी उसके साथ ही खड़ी थी। उसपर से मां बाप से दूर होने की तकलीफ से दुखी हो कर बीच में हल्के से सिसक भी रही थी जिसका अंदाजा घूंघट में होने की वजह से बांकी किसी को तो नहीं था हां, आद्विक जो उसके पास ही खड़ा था उसे ये एक दो बार जरूर महसूस हुआ लेकिन शायद अभी तक उसे इन चीजों की कोई खास परवाह नहीं थी तो उसने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
 
               दादी के कहने पर सौम्या आरती की थाल ले कर आई और पीछे से नीतू ने चावल भरा कलश रख दिया। दादी ने प्यार उन दोनों की आरती उतारी फिर कलश को गिरा कर नीतिका का गृह प्रवेश कराया। घर की कुलदेवी को प्रणाम करने के बाद जब उसने सबको प्रणाम किया तो दादी -दादाजी  ने जी भर कर आशीर्वाद दिया। वो जब सुनीता जी की ओर प्रणाम करने के लिए बढ़ रही थी तो आद्विक ने हल्के से रोकने की कोशिश भी की लेकिन नीतिका ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
 
सुनीता जी - हां, हां ठीक है, खुश रहो....। और क्या आशीर्वाद दूं तुम्हें, जो तुमने सपने में  भी नहीं सोचा होगा वैसा लड़का, वैसा घर मिल गया तो मन में लड्डू तो बड़े -बड़े फूट रहे होंगे, क्यों, है ना...??
 
            अब तक तो नीतिका को भी उनका रवैया खटक ही रहा था लेकिन अब सामने से ऐसी तीखी बातें सुन कर वो अपने आंसू रोक नहीं पाई। इन सबमें कोई कुछ कहता कि उसके पहले ही आद्विक बोल पड़ा।
 
आद्विक (गुस्से में)- क्या समझती हैं आप खुद को..?? क्या लगता है आपको कि जैसी छोटी सोच आपकी है, वैसी ही सबकी होगी??? 
 
आद्विक (फिर से)- मेरी एक साफ और सीधी बात आप अच्छे से समझ लीजिए कि आपको अपनी बहू के मान मर्यादा या उसके आत्म सम्मान की कोई परवाह हो या नहीं लेकिन मुझे जरूर है। मेरे लिए मेरी पत्नी की इज्जत या उसका आत्म सम्मान मुझे खुद की इज्जत के जितना ही प्यारा है, इसीलिए दुबारा बिना किसी वजह से भी अपने मन की भड़ास इस पर निकालने की सोचिएगा भी मत..... 
 
              इतना कह कर आद्विक नीतिका का हाथ पकड़ उसको लगभग खींचते हुए अपने कमरे की ओर ले कर चला गया और वहां खड़े बांकी लोग देखते ही रह गए या यूं कह लें कि चाह कर भी नहीं रोक पाए।
 
उर्मिला जी (परेशान हो कर)- मिल गया दिल को सुकून....?? कम से कम उस लड़की के लिए ना सही अपने बच्चे की खुशी या शगुन समझ कर आज तो खुद को संभाल लेती तुम ??
 
सुनीता जी (गुस्से में)- आपको उस दो कौड़ी वाले घर से आई लड़की की परवाह है लेकिन अपनी बहू की नहीं, देखा कैसे आदि ने उसके सामने मेरी बेइज्जती की..??......(थोड़ा रुक कर).........और सबसे बड़े दुख की बात तो ये है कि यहां खड़े किसी भी एक सदस्य ने उसे न ही डांटा और ना ही रोका।
 
                बेटा, तुम जिस बच्ची को आज यहां दो कौड़ी की कह रही हो, ये मत भूलना कि वो तुम्हारे अपने बेटे की पत्नी है, जिसे वो भगाकर नहीं बल्कि सबकी सहमति से शादी के पवित्र बंधन में बांध कर लाया है। और हां, अगर ठीक से देखने और समझने की कोशिश करोगी तो आज उसकी जगह भी बिलकुल वही है जो तुम्हारी है। सबसे अच्छी बात तो यही होगी कि जिस खुशी और जिस इज्जत और सम्मान से हमने तुम्हें इस परिवार में शामिल किया था, आज तुम भी उसे उसी तरीके से अपनाओ, बांकी तुम्हारी मर्जी।" सच्चिदानंद जी, ने गंभीरता पूर्वक ये बात कही और फिर अपने बेटे सुबोध की ओर एक नजर डालते हुए चुपचाप अपने कमरे की ओर चले गए।
 
                           चूंकि आद्विक के गुस्से को सभी अच्छे से जानते थे तो चाह कर भी उस वक्त कोई भी उसे कुछ भी नहीं कह पाया। उर्मिला जी ने भी कुछ सोच कर बांकी सबको भी आराम करने को कह दिया तो बांकी सभी भी अपने अपने कमरे में चले गए।
 
नीतू दीदी (कुछ सोच कर)- दादी, नीतिका ने अब तक कुछ खाया भी नहीं है सुबह से, उसे भूख लगी होगी और फिर ये घर भी उसके लिए बिलकुल नया है। किसी चीज की जरूरत पड़ी तो.....
 
उर्मिला जी (शांति से)- हम्म्म....तुम्हारी बात बिलकुल सही है बेटा, लेकिन बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है, जिस इंसान को उसका सबसे ज्यादा खयाल रखना चाहिए, वो उसके साथ है....(थोड़ा मुस्कुराते हुए) देखा नही, किस तरह से अपनी पत्नी की आवाज बन कर खड़ा था.... वैसे भी जिन हालातों में और जिस तरह हड़बड़ी में इनकी शादी हुई है, ये जितना ज्यादा वक्त एक दूसरे को देंगे, उतना ही एक दूसरे को समझेंगे और करीब आयेंगे।
 
            नीतू भी दादी की बात समझ गई और अपने कमरे की ओर चली गई।
 
                जहां पूरे घर में सभी के अपने कमरे में जाने से एक अलग सी खामोशी छाई थी वहीं उन खामोशियों से निकला सबसे बड़ा तूफान आद्विक और नीतिका के कमरे में बह रहा था। आद्विक वहां से नीतिका को गुस्से में खींच कर ले तो आया था लेकिन अब इस कमरे में उसकी मौजूदगी उससे कतई बर्दाश्त नहीं थी। नीतिका अब भी आद्विक के अंदर आए इस अचानक के बदलाव को नहीं समझ पा रही थी इसीलिए बस गौर से उसकी तरफ देख रही थी।
 
आद्विक (गुस्से में)- मना किया था ना तुम्हें उनके पैर छूने से, फिर भी तुम नहीं मानी.....
 
नीतिका (थोड़ा शांत होकर)- लेकिन, वो तो आपकी मां........
 
आद्विक (फिर गुस्से में)- मैं जानता हूं वो क्या हैं मेरी, मुझे मेरे रिश्ते याद दिलाने की जरूरत किसी तीसरे को नहीं है, समझी... तुम्हें जितना कहूं बस उतना सुना करो वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
 
नीतिका (रुआंसी सी)- हां, समझ गई...... 
 
               आद्विक एक ओर अब भी अपने रिश्तों को कड़वाहट को सोच कर दुखी था वहीं दूसरी ओर नीतिका अचानक अपनी जिंदगी में आए इतने बदलावों को न ही तो समझ ही पा रही थी और ना ही उसका सामना कर पा रही थी। उस पर आद्विक की मां की बातें उसे अलग ही चुभ रही थीं। अगर वो जी भर कर फूट - फूट कर रोना भी चाहती तो ना तो उस पल उसके पास किसी का कंधा था और ना ही कोई अपनी जगह। इस नए घर, इस नए कमरे में उसे जेल में रहने वाले कैदियों से भी ज्यादा घुटन महसूस हो रही थी जो वो खुद के अलावा किसी को नहीं बता सकती थी। 
 
            नीतिका बस काफी देर तक यूं ही कमरे के एक साइड लगे सोफे के एक कोने में चुपचाप सिमटी सी बैठी थी। दूसरी ओर आद्विक हर दिन की तरह अपनी चीजों को गुस्से में इधर उधर फेंक कर अपने बिस्तर पर पांव फ़ैला कर ऐसे पड़ा था जैसे नीतिका उस वक्त उसके कमरे में हो ही नहीं। या शायद ये जान बूझ कर उसके ऊपर अपना गुस्सा जाहिर करने का उसका तरीका था जिससे नीतिका दूर तक अंजान थी। काफी देर तक आद्विक अपनी करवटें बदलता रहा और खुद को नींद की ओर ढकेलता रहा जो उससे कोसों दूर थी।
 
           रात के लगभग दो बज चुके थे, नीतिका अब भी यूं ही सोफे पर सिमटी, उदास सी बैठी थी, ना चाहते हुए भी अब तक उसके आंसुओं की झड़ी खत्म नहीं हुई थी। पुरानी बातें, अपना घर, अपने मां बाप का सोच उसकी आंखें भर ही आती थीं। दूसरी ओर आद्विक शायद सो चुका था क्योंकि उसका करवटें बदलना भी अब तक बंद हो चुका था। उसे सोया समझ अब एक पल के लिए नीतिका भी थोड़ा शांत हो चुकी थी।
 
              थोड़ी और देर बाद नीतिका को वाशरूम जाने की जरूरत महसूस होने लगी तो उसने हल्के से नजरें इधर उधर दौड़ाई तो कमरे के एक कोने में ड्रेसिंग एरिया और उसके थोड़े आगे वॉशरूम जान पड़ा। नीतिका धीमे कदमों से उस ओर बढ़ने लगी लेकिन वो जितनी ही कोशिश करती कि आवाजें कम हो, उतना ही उसकी पायल और उसकी चूड़ियों ने बजने की ठान ली थी।
 
आद्विक (आधी नींद में चिढ़ कर)- क्या मजाक है, ये चुड़ैल और भूतनियों को भी अभी मेरा ही कमरा मिला है नाइट पार्टी करने को......
 
                   इतना कह कर उसने नींद में ही अपने बगल में रखा कुशन उठा कर अपने मुंह पर रख लिया। उधर नीतिका आद्विक की बातों को सुन ना जाने क्यों हल्के से मुस्कुरा पड़ी। फिर अगले ही पल उसकी सारी हरकतें और अपनी स्थिति याद कर वापस दुखी हो गई।
 
                  वॉशरूम जा कर उसने सबसे पहले अपना मुंह धोया जो रो रो कर बिलकुल लाल हो चुका था। सच तो ये था कि वे भरी भरकम कपड़े और खास कर वो साड़ी उससे अब बिल्कुल भी नहीं संभल रही थी, बहुत मुश्किल से उसे सुबह विभा जी और भव्या ने पहनाया था जो अब तक बिलकुल अस्त व्यस्त हो चुका था। 
 
             वो जैसे ही उसे ठीक करने को थोड़ा झुकी तो उसके ही कलाई की एक चूड़ी टूट कर उसे गड़ गई और काफी खून निकलने लगा। शायद ये चूड़ी आद्विक के उस वक्त जोर से कलाई पकड़ने की वजह से टूटी थी जिसका अंदाजा उस अफरा तफरी में उसे भी अब तक नहीं लगा था। दोबारा ठोकर लगने की वजह से इस बार नीतिका जोर से कराह उठी। 
 
          नीतिका को बचपन से ही चोट क्या खरोंच से भी बहुत डर लगता था और यही वजह भी थी कि चूड़ियां इतनी पसंद होने के बाद भी इस डर से वो कभी नहीं पहनती थी कि कहीं वो टूट कर चुभ ना जाएं। दर्द से कराहती हुई उसने अपनी साड़ी भी ठीक करने की कोशिश की जो ठीक नहीं हुई। अब आईने में अपनी हालत देख वो सुबह से ले कर अब तक की सारी बातें याद कर आखिर बिफर कर रो पड़ी। यूं फूट -फूट कर रोने की आवाज वाशरूम का दरवाजा बंद होने के बाद भी धीमी -धीमी आ रही थी जो आद्विक के कानों में  भी पड़ चुकी थी।
 
            एक पल के लिए तो नींद में होने की वजह से उसे बिलकुल भी समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है लेकिन अगले ही पल ना चाह कर भी नीतिका का यूं रोना उसे अब परेशान कर रहा था। उसे कुछ समझ नहीं आया तो वॉशरूम के पास जा कर उसका दरवाजा नॉक करने लगा।
 
आद्विक (गुस्से में)- पागल हो क्या, या कोई दौरे चढ़ते हैं तुम पर जो इतनी रात ये सब कर रही हो...??
 
              नीतिका अचानक यूं आद्विक की आवाज सुन घबरा गई और खुद को चुप कराने लगी। आद्विक अब भी दरवाजा नॉक कर रहा था।
 
आद्विक (गुस्से में)- आज ही निकलोगी या पंडित से मुहूर्त निकलवाऊं....??
 
                     नीतिका चुपचाप जैसे -तैसे खुद को और खुद के कपड़े संभालती हुई बाहर आ गई। कमरे में जलती हल्की रौशनी में भी जब आद्विक की नज़र नीतिका के चेहरे पर पड़ी तो उसकी हालत और सूजी लाल -लाल आंखें देख ना चाहते हुए भी उसे बुरा लग रहा था। उसने बेड के बगल में रखा पानी का ग्लास उठाया और उसकी तरफ बढ़ा दिया तो नीतिका भी एक पल के लिए उसे ही देखने और घूरने लगी।
 
आद्विक (चिढ़ कर)- ग्लास पकड़ना है कि वापस रखूं इसे?? इस वक्त आपकी सेवा में इससे ज्यादा और कुछ नहीं हो पाएगा, समझीं महारानी साहिबा।
 
आद्विक (फिर से)- जानता हूं, जिंदगी में चाहे कुछ भी हो जाए, तुम जैसी रोतलू का ये सब ड्रामा कभी भी खत्म नहीं होने वाला है, है ना....!!!
 
नीतिका को भी आद्विक की बात से गुस्सा आ गया।
 
नीतिका (चिढ़ कर)- अपना ये भारी भरकम अहसान अपने पास ही रखें वरना मैं तो इसके तले दब कर मर ही जाऊंगी .....!!
 
            आद्विक ने गुस्से से पानी का ग्लास वहीं पटक दिया जिससे नीतिका भी थोड़ा सहम गई। 
 
आद्विक (गुस्से में)- अपना ये बाइस मन का नखड़ा अपने पास रखो समझी, मैं तुम्हारा कोई गुलाम नहीं हूं कि तुम्हारी सेवा में पड़ा रहूंगा, समझी। पीना है तो पियो, वरना भांड में जाओ। मेरा ही दिमाग खराब है जो तुम पर दया दिखा रहा था।
 
           इतना कह कर आद्विक गुस्से में वापस अपने बिस्तर पर लेट गया और नीतिका फिर से सुबकती हुई बस वहीं सोफे से सिर टिका कर वहीं पर बैठ गई। 
 
                जिस रात के सपने हर लड़की कितने ही खुशियों से मन में सजाती है और जो रात कभी भी जिंदगी में खत्म ना हो यही मनाती है, आज वही रात नीतिका की जिंदगी के लिए सबसे भारी और तकलीफों वाली थी जिसके जल्दी बीतने की छटपटाहट बस नीतिका का दिल ही समझ रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
शादी - by neerathemall - 21-10-2022, 05:07 PM
RE: शादी - by neerathemall - 21-10-2022, 05:08 PM
RE: शादी - by neerathemall - 21-10-2022, 05:10 PM
RE: शादी - by neerathemall - 21-10-2022, 05:11 PM
RE: शादी - by neerathemall - 21-10-2022, 05:12 PM
RE: शादी - by neerathemall - 21-10-2022, 05:12 PM
RE: शादी - by neerathemall - 21-10-2022, 05:13 PM
RE: शादी - by Jainsantosh - 21-10-2022, 05:29 PM
RE: शादी - by neerathemall - 21-10-2022, 06:29 PM
RE: शादी - by neerathemall - 21-10-2022, 06:31 PM
RE: शादी - by neerathemall - 21-10-2022, 06:31 PM
RE: शादी - by neerathemall - 21-10-2022, 06:32 PM
RE: शादी - by neerathemall - 21-10-2022, 06:32 PM
RE: शादी - by neerathemall - 21-10-2022, 06:33 PM
RE: शादी - by neerathemall - 21-10-2022, 06:33 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:15 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:17 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:18 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:18 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:19 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:19 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:22 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:23 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:24 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:25 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:26 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:27 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:28 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:29 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:30 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:45 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:46 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:54 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:55 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:57 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:58 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 02:59 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 03:02 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 03:03 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 03:04 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 03:05 PM
RE: शादी - by neerathemall - 27-10-2022, 04:00 PM
RE: शादी - by Teeniv - 28-10-2022, 12:56 AM
RE: शादी - by neerathemall - 25-01-2023, 02:38 PM



Users browsing this thread: 2 Guest(s)