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किरायेदार और मकान मालिक का परिवार
#41
इतने में मनीष को उसके किसी दोस्त का फोन आ गया और ओ अपने कमरे में चला गया। बाहर हाल में मैं मंजू और शिल्पी बैठे थे। मैं उनदोनो के बीच में जा के बैठ गया। फिर बाया हाथ शिल्पी के कंधे पर और दाया हाथ मंजू के कंधे पर रखा और दोनों को अपनी ओर खींचते हुए बोला कि तैयार हो जाओ डिनर के लिए अच्छे से। फिर मैंने बारी बारी से दोनों की ओर आँख मारी जिससे ओ समझ गई कि मैंने उन्हें सेक्सी कपड़े पहनने को कहाँ है।

फिर ओ दोनों उठी और अपने अपने कमरे में चली गई तैयार होने के लिए। मैं भी छत पर आ कर जीन्स टीशर्ट डाला और फिर नीचे आ गया। अभी ओ तीनो तैयार हो रहें थे तो मैंने टीवी स्टार्ट किया। कुछ मिनटों बाद मनीष भी हाल में आ गया। मैंने मनीष को अपने पास बुलाया और फिर कुछ सामान्य बाते की। फिर मैंने उसे बातों के दौरान कुछ रूपए दिए और कहाँ कि कभी कोई जरूरत हो तो बेहिचक बोलना और चुपचाप पढ़ाई पर ध्यान दे।

अब हम दोनों टीवी देख रहें थे तभी शिल्पी तैयार हो के बाहर आयी। शिल्पी ने वन पीस पहना हुआ था जो उसके लुक को क़ातिल बना रहा था। वन पीस काफी छोटा था और ओ किसी तरह उसकी पैंटी छुपा पा रहा था। ध्यान से ना देखो तो ऐसा लगे मानो ड्रेस के नीचे पैंटी पहना ही नहीं हो। शिल्पी मेरे पास आयी और इशारे से पूछी कैसी लग रही हूँ और मैंने कहाँ मस्त। फिर मैंने उसके ड्रेस के ऊपर से ही कस के उसके बूब्स दबा दिए जिससे उसकी आह निकल गई।

अब बारी थी मंजू के बाहर आने की। कहते है इंतजार का फल मीठा होता है लेकिन यहां तो इंतज़ार का फल जबरदस्त सेक्सी था। मंजू को देखते ही मेरी आँखे खुली की खुली रह गई। मंजू ने ट्रांसपेरेंट साड़ी पहनी थी जिसमे ब्लाउज स्लीवलेस और बैकलेस था। पूरी पीठ पर ब्लाउज की एक पतली सी डोर थी उसके सिवाय कुछ नहीं यानी पूरी पीठ नंगी थी। ब्लाउज आगे से भी थोड़ा ज्यादा ही टाइट था जिससे बूब्स का आखिरी कोना नजर आ रहा था। ऐसे ब्लाउज में ब्रा नहीं पहना जाता और मंजू ने भी ब्रा नहीं पहना था। आगे से उसके क्लीवेज क्या आधा बूब्स दिख रहा था जो कि बमुश्किल साड़ी के पल्लू से ओ ढक रही थी और उन सब के ऊपर हाई हील्स जो उसके लुक को  इरोटिक बना रहें थे। उसे देखकर मन तो यह कर रहा था कि इसे यही नंगा कर चोद दूँ। लेकिन मैंने अपनी भावना पर किसी तरह नियंत्रण रखा और मंजू को चुपके से फ्लाइंग किस दी ताकि शिल्पी और मनीष ना देखे।

फिर मैंने कहाँ कि चलो सब लोग आ गए तो अब निकला जाए और मैंने गाडी निकाल ली। गाड़ी मैं ड्राइव कर रहा था और मेरे साथ वाली सीट पर मंजू बैठी जबकि पीछे वाली सीट पर शिल्पी और मनीष।

लगभग 10 मिनट कि ड्राइव के बाद हमलोग एक 5 स्टार होटल में पहुँच गए।

अब अगले अपडेट में पढ़िए कि होटल में क्या क्या होता है।
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RE: किरायेदार और मकान मालिक का परिवार - by raj4bestfun - 28-10-2022, 12:20 AM



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