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किरायेदार और मकान मालिक का परिवार
#37
अब मैं रमेश को अमन के पास भेज नीचे रमेश के फ्लैट में आ गया। मंजू अभी फ्लैट में अकेली थी। मुझे सामने देख मंजू मुस्कुराई और आकर गले लगी। मैंने भी उसको गले लगाया और फिर मैं सोफे पर बैठ गया।

मंजू ने अभी सलवार सूट पहना था जिसमे ओ काफी अच्छी लग रही थी। मैंने मंजू को अपने पास नीचे जमीन पर बिठाया और मेरे पैरो को चूमने को कहा। मंजू मेरे पैर पर अपना माथा लगाकर चुपचाप चूम रही थी तभी मैंने अपना अंगूठा उसके मुँह के अंदर डाल दिया। ओ चुपचाप मेरे अंगूठे को चूसने लगी। थोड़ी देर इसे चूसने के बाद मैंने अपने जीन्स से लंड को बाहर निकाला और मंजू को चूसने को दे दिया। मंजू अच्छे से मेरे लंड को चूसने लगी। ओ पूरी तेज गति से लंड को अपने मुँह में चूसती कि क्या कहना। मैं भी साथ में उसके सर को तेजी से हिलाएं जा रहा था जिससे मजा दुगुना हो रहा था।

लंड चुसवाने से मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया जिसे मंजू चुपचाप पी गई। फिर उसने अपने जीभ से मेरे लंड को अच्छे से साफ किया और फिर मैंने अपने लंड को अपनी जीन्स के अंदर कैद कर लिया। फिर मंजू मेरे दाहिने घुटने पर बैठ गई और मेरे गले से लग गई। फिर हम दोनों रमेश और अमन की बात करने लगे। तभी अमन का फोन आया कि रमेश से उसकी बात हो गई है और रमेश वहाँ से निकल गया है। मैं फिर ऊपर अपने फ्लैट में आ गया। मुझे रमेश के रिएक्शन का इंतजार था।

थोड़ी देर बाद रमेश और मंजू ऊपर मेरे फ्लैट में आए। मैंने फॉर्मेलिटी निभाते हुए पूछा आओ रमेश, तुम दोनों अभी?

रमेश - हाँ ओ अभी आपके दोस्त से मिलकर आया हूँ।
मैं - अच्छा बताओ कैसी रही बातचीत
रमेश - अच्छी रही, सैलरी भी अच्छी है और सुपरवाइजर का काम भी अच्छा है वहाँ लेकिन एक दिक्कत है।
मैं - अरे जब सब अच्छा है फिर क्या दिक्कत है?
रमेश ने मंजू की ओर देखा और कहाँ कि ये नौकरी सहारनपुर में है।

मैं मन ही मन मुस्कुराया और सोचा कि अब आया उट पहाड़ के नीचे। मैंने बोला तो क्या क्या हुआ कोई दिक्कत है इसमें?

मंजू - हाँ, ये बोल रहें थे कि मेरठ में ही मिल जाता तो ज्यादा अच्छा होता।
मैं - अच्छा
रमेश - देख लीजिए मेरठ हो जाए तो और उसने मेरे सामने हाथ जोड़ लिए।

अरे रमेश परेशान मत हो अभी सहारनपुर जाओ और फिर अपना मौका देखकर ट्रांसफर करवा लेना। रमेश को समझाया और फिर रमेश सहारनपुर जाने के लिए तैयार हो गया।

रमेश और मंजू ने मेरा शुक्रिया कहाँ और वे फिर नीचे अपने फ्लैट में चले गए। 
अगले दिन बुधवार था और रमेश की जॉइनिंग फॉर्मेलिटीज शुरू हो गई और रमेश रविवार को सहारनपुर के लिए निकल गया।
मैं मन ही मन बहुत खुश था कि चलो एक रोड़ा खत्म किया, अब मनीष के बारे में सोचते है।
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RE: किरायेदार और मकान मालिक का परिवार - by raj4bestfun - 26-10-2022, 02:24 AM



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