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किरायेदार और मकान मालिक का परिवार
#36
सुबह लगभग 7 बजे होंगे, शिल्पी ट्यूशन के नाम पर ऊपर मेरे फ्लैट में आ गई। शिल्पी ने शॉर्ट्स और क्रॉप टॉप पहना था। आते ही उसने फ्लैट को अंदर से लॉक किया और मेरे माथे पर किस किया। मेरी नींद खुल गई थी तो मैंने अपने दोनों हाथों से शिल्पी को कमर के पास पकड़ा और अपने ऊपर लिटा लिया। शिल्पी और मेरा चेहरा एक दूसरे के सामने था और मेरे दोनों हाथों से मैंने शिल्पी को जकड़ रखा था। शिल्पी मेरे चेहरे को चूम रही थी और मैं उसके शॉर्ट्स के ऊपर से उसके चूतड को दबा रहा था। शॉर्ट्स के पतले कपड़े से ऐसा लग रहा था मानो ये उसकी नंगी जाँघ हो।

उसके जांघो से खेलते खेलते मैंने अपना एक हाथ उसके शॉर्ट्स के अंदर डाल दिया और यह देख मैं चौंक गया कि शिल्पी ने शॉर्ट्स के नीचे कुछ भी नहीं पहन रखा था। फिर मैंने उसके बेड पर पलटा और उसके बूब्स को जोर जोर से दबाने लगा। शिल्पी जितनी जोर से आन्हे भरती, मैं उतने ही तेजी से बूब्स दबाए जा रहा था। इसके बाद मैने शिल्पी के टॉप को निकाल फेंका और जैसी मेरी उम्मीद थी, शिल्पी ने टॉप के नीचे ब्रा भी नहीं पहन रखा था। शिल्पी के छोटे छोटे नीम्बू जैसे बूब्स को मैंने अपने हाथों में समेट रखा था। बूब्स के निप्पल्स को मैंने रगड़ा और फिर उसके बूब्स को अपने होंठो से चूसने लगा। बूब्स को चूसने से शिल्पी लगातार अपनी चरम सुख को पा रही थी। काफी देर बूब्स को चूसने के बाद मैंने उसे अपने गोद में उठा लिया और जा के सोफे पर बैठ गया।

मैं सोफे पर बैठ गया और शिल्पी जो पूरी तरह नंगी थी, उसे नीचे जमीन पर बिठा दिया और उसे मैंने लंड चूसने का इशारा किया। शिल्पी ने तुरंत बिना वक्त गवाएं मेरा शॉर्ट्स नीचे उतारा और मेरे लंड को अपने जीभ से चाटने लगी। मैंने अपने हाथों से शिल्पी के बालो को पकड़ रखा था। मेरे लंड को चाटते चाटते शिल्पी ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। मैं उसके सर को तेजी से हिला रहा था जिसकी वजह से उसके मुँह के अंदर मेरा लंड तेजी से अंदर बाहर हो रहा था। ऐसा करते करते मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया। शिल्पी चाह रही थी वीर्य को बाहर गिरा दे लेकिन मैंने अपने लंड को उसके मुँह से निकलने ही नहीं दिया और उसने मेरा वीर्य पी लिया।

अब मैंने अपने दोनों हाथो से शिल्पी को गोद में उठाया और अपने लंड के ऊपर उसे बिठा लिया। अब मेरे लंड के ऊपर शिल्पी बैठी थी और मेरे लंड को अच्छे से पता था कि अब उसका लक्ष्य कहाँ है।

शिल्पी के चुत में मैंने अपना लंड घुसेड़ दिया और पूरे जोर से उसकी चुदाई की। शिल्पी अपना पानी छोड़ चुकी थी और एक राउंड की चुदाई के बाद मैंने शिल्पी को नीचे जाने का इशारा किया। एक समझदार रखैल की तरह ओ समझ गई और कपड़े पहन कर नीचे चली गई।

फिर मैं तैयार हुआ और रमेश को फोन कर ऊपर अपने फ्लैट में बुलाया। रमेश मेरे हुक्म को अच्छे से मानता था और मैंने उसे कर्ज भी दे रखा था। ओ डरा सहमा मेरे फ्लैट में आया और मुझे नमस्ते बोला।

आओ रमेश, क्या हाल है।

रमेश - जी बस सब ठीक है।
मैं - अच्छा और दुकान कैसा चल रहा है
रमेश - दुकान तो सही नहीं चल रही है।
मैं - क्यों
रमेश - बस आजकल सब ऑनलाइन या बड़े दुकान से समान मंगवा लेते है जहाँ उन्हें अच्छा डिस्काउंट मिल जाता है इसलिए बिक्री बहुत कम है।

मैं - देखो रमेश मेरे पास एक उपाय है जिससे तुम्हारी परेशानी कम हो सकती है। तुम चाहो तो मैं उसमे तुम्हारी मदद कर सकता हूँ।

रमेश - जी बिल्कुल बताइए

मैं - देखो मैं अपने जानने वाले के थ्रू atms के सिक्योरिटी सुपरवाइजर में तुम्हारी नौकरी लगवा सकता हूँ।

रमेश - क्या काम करना होगा और पैसे क्या मिलेंगे।

मैं - तुम एक काम करो मैं अपने दोस्त के पास भेज देता हूँ, तुम उसके पास जा कर सब जानकारी ले लो। फिर मुझे सोच के बताना कि तुम्हे क्या करना है।

रमेश मुझे धन्यवाद देने के लिए मेरे पैर छूना चाहा लेकिन मैंने उसे रोक दिया और अपने दोस्त के पास भेज दिया।

फिर मैंने अपने दोस्त अमन को फोन किया और बोला कि रमेश को भेज रहा हूँ और उसको सब जानकारी देना और उसका मन समझना लेकिन अपनी तरफ से कुछ कन्फर्म मत करना।
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RE: किरायेदार और मकान मालिक का परिवार - by raj4bestfun - 25-10-2022, 10:46 PM



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