24-10-2022, 01:30 PM
मंजू और शिल्पी के साथ मैं बहुत मजेदार जिंदगी जी रहा था लेकिन रमेश और मनीष उसमे दो अनचाहे किरदार थे। उनदोनो के रहते मैं सेक्स का खुला खेल नहीं खेल पा रहा था।
शिल्पी और मंजू मेरे साथ खूब मजे लेती और मेरे सामने खुल के अपनी सेक्स लाइफ को एन्जॉय कर रही थी लेकिन ओ दोनों अपने रिश्ते तो छुपा के रखना चाहती थी और मैं चाहता था कि मैं रिश्तों का खुल कर मजा लू बिना किसी डर के और ये दोनों मेरी रखैल बन कर रहें।
इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण किरदार था रमेश ओ साला पूरे दिन दुकान में रहता जिस वजह से उसके निगाहो से बचना था मुझे। यही सब मैं सोच ही रहा था कि मेरे एक दोस्त का मुझे फोन आया। उसने बैंक के ATMs में लगे सिक्योरिटी एजेंसी का कॉन्ट्रैक्ट ले रखा था। उसे सहारनपुर में एक भरोसे का सुपरवाइजर चाहिए था। मेरे दिमाग में यह आईडिया आया कि रमेश हर वक्त दुकान सही से नहीं चल रहा है ये रोते रहता है क्यों ना उसे ही सहारनपुर भेज दूँ।
मैं शाम में घर गया और मंजू को छत पर बुलाया। मंजू लगभग आठ बजे डिनर ले के छत पर मेरे फ्लैट में आ गई। मंजू ने एक झिल्लीदार नाईटी पहनी हुई थी जिसमे उसके अंग अंग उभर कर सामने आ रहें थे। मैंने उसे बोल भी रखा था कि घर पर हर वक्त सेक्सी कपड़े पहने।
आते ही ओ मेरे गले लगी और मैंने भी उसको प्यार से उसके गालों पर किस कीया। फिर मैं बाथरूम में फ्रेश होने गया और ओ किचन में जा कर डिनर को प्लेट में सेट करने लगी। बाथरूम से नहा कर मैं एक तौलिया लपेटा हुआ बाहर निकला। तब तक मंजू ने डिनर टेबल पर डिनर रखा और मैंने खाते खाते उसे सिक्योरिटी सुपरवाइजर की जॉब बतायी। मंजू ने मुझे बताया कि रमेश ने भी उससे दो तीन बार बोला है कि दुकान सही से नहीं चल रही है। मैंने बोला कि मैं रमेश से बात करूंगा और मंजू को सीखा दिया कि उसे क्या करना है क्योंकि मैं यह जानता था कि रमेश मुझसे बात करने के बाद मंजू से बात करेगा तभी कोई फैसला लेगा।
डिनर के बाद मैं और मंजू थोड़ी देर छत पर टहलते रहें और फिर मंजू नीचे चले गई। मैं भी कुछ इधर उधर का काम किया और सो गया।
अगली सुबह का इंतजार था, सुबह मैं नींद में ही था कि शिल्पी मेरे फ्लैट में आ गई। मैं रात में फ्लैट को लॉक नहीं करता ताकि शिल्पी सुबह मुझे बिना जगाये मेरे पास आ जाए।
शिल्पी और मंजू मेरे साथ खूब मजे लेती और मेरे सामने खुल के अपनी सेक्स लाइफ को एन्जॉय कर रही थी लेकिन ओ दोनों अपने रिश्ते तो छुपा के रखना चाहती थी और मैं चाहता था कि मैं रिश्तों का खुल कर मजा लू बिना किसी डर के और ये दोनों मेरी रखैल बन कर रहें।
इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण किरदार था रमेश ओ साला पूरे दिन दुकान में रहता जिस वजह से उसके निगाहो से बचना था मुझे। यही सब मैं सोच ही रहा था कि मेरे एक दोस्त का मुझे फोन आया। उसने बैंक के ATMs में लगे सिक्योरिटी एजेंसी का कॉन्ट्रैक्ट ले रखा था। उसे सहारनपुर में एक भरोसे का सुपरवाइजर चाहिए था। मेरे दिमाग में यह आईडिया आया कि रमेश हर वक्त दुकान सही से नहीं चल रहा है ये रोते रहता है क्यों ना उसे ही सहारनपुर भेज दूँ।
मैं शाम में घर गया और मंजू को छत पर बुलाया। मंजू लगभग आठ बजे डिनर ले के छत पर मेरे फ्लैट में आ गई। मंजू ने एक झिल्लीदार नाईटी पहनी हुई थी जिसमे उसके अंग अंग उभर कर सामने आ रहें थे। मैंने उसे बोल भी रखा था कि घर पर हर वक्त सेक्सी कपड़े पहने।
आते ही ओ मेरे गले लगी और मैंने भी उसको प्यार से उसके गालों पर किस कीया। फिर मैं बाथरूम में फ्रेश होने गया और ओ किचन में जा कर डिनर को प्लेट में सेट करने लगी। बाथरूम से नहा कर मैं एक तौलिया लपेटा हुआ बाहर निकला। तब तक मंजू ने डिनर टेबल पर डिनर रखा और मैंने खाते खाते उसे सिक्योरिटी सुपरवाइजर की जॉब बतायी। मंजू ने मुझे बताया कि रमेश ने भी उससे दो तीन बार बोला है कि दुकान सही से नहीं चल रही है। मैंने बोला कि मैं रमेश से बात करूंगा और मंजू को सीखा दिया कि उसे क्या करना है क्योंकि मैं यह जानता था कि रमेश मुझसे बात करने के बाद मंजू से बात करेगा तभी कोई फैसला लेगा।
डिनर के बाद मैं और मंजू थोड़ी देर छत पर टहलते रहें और फिर मंजू नीचे चले गई। मैं भी कुछ इधर उधर का काम किया और सो गया।
अगली सुबह का इंतजार था, सुबह मैं नींद में ही था कि शिल्पी मेरे फ्लैट में आ गई। मैं रात में फ्लैट को लॉक नहीं करता ताकि शिल्पी सुबह मुझे बिना जगाये मेरे पास आ जाए।