23-10-2022, 02:26 AM
उनके जाने के बाद , मैंने चैन की साँस ली । अब मेरे शरीर को ठंड लगने लगी थी वरुण ने मेरे जिस्म मे जो गरमाई पैदा की थी वो भी अब खत्म हो चुकी थी ,मैं सीधे बेडरूम मे गई और वहाँ से दूसरे कपड़े लेकर बाथरूम मे गई और अपनी गीली साड़ी निकाल दी और दूसरी साफ साड़ी पहन ली,
चेंज करके मैं बाहर आई । बेडरूम मे वापस आकर मेरी नजर बेड-शीट पर गई जो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी , मैंने उस बेडशीट को बेड से हटा दिया और उसकी जगह एक दूसरी नई बेड-शीट बिछा दी , सोचा अशोक पूछेंगे तो कह दूँगी ' वो पुरानी वाली गंदी हो गई थी । ' बेड-शीट बिछा कर मैंने एक बार घड़ी मे देखा 6:30 बज रहे थे , इसका मतलब था की अशोक के आने मे बस आधा घंटा बचा था । मैं जल्दी-2 रात के खाने के इंतेज़ाम मे लग गई वैसे भी आज अशोक अकेले तो थे नहीं उनके साथ डॉक्टर रफीक भी तो आने वाले थे ।
7:15 पर घर की डॉर बेल बजी , मैं अपने काम मे व्यस्त थी । मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सामने अशोक और रफीक दोनों खड़े थे,
रफीक के हाथ मे एक बेग था । मैंने मुस्कुराते हुए उनका स्वागत किया और उन दोनों को अंदर लेके आई । रफीक ने भी मुस्कुराते हुए मुझे ' हाई' बोला और अंदर आ गया । अंदर आकर हम सभी हॉल मे बैठ गए मैं सबके लिए चाय लेने कीचेन मे चली गई जब मैं चाय लेकर वापस आई तो रफीक और अशोक आपस मे कुछ बात कर रहे थे ।
मैंने उनके सामने चाय रखी और वही पास वाले सोफ़े पर अशोक के बगल मे बैठ कर चाय पीने लगी । मैं और अशोक एक सोफ़े पर थे और रफीक दूसरे सोफ़े पर । अशोक ने बात करते हुए रफीक से कहा -
" रफीक अब तुम ही मेरी बीवी जान का शक दूर करो । "
रफीक ने हँसते हुए थोड़ी हैरानी से मेरी ओर देखा और कहा - " शक ..... कैसा शक ? "
अशोक - अरे इसको लगता है कि मैं इसकी झूठी तारीफ करता हूँ , अब तुम ही इसे बताओ क्या ऐसा ही है ?
रफीक ( हँसते हुए ) - नहीं ... नहीं ... ऐसा नहीं है पदमा । तुम्हारी तारीफ सिर्फ अशोक ही नहीं हम सब दोस्त भी करते है ।
अशोक - देखा मैंने कहा था ना ।
मैं ( अपनी प्रशंसा से थोड़ी शरमाती हुई ) - अरे छोड़ो भी रफीक ... इनकी तो आदत है मुझे ऐसे ही सताने की ।
रफीक - नहीं पदमा .. अशोक बिल्कुल सही तुम्हारी तारीफ करता है अगर तुम्हारे जैसी पत्नी मुझे मिल जाए तो मेरे भी दिन सुधर जाए । ( इतना कहकर वो हँसने लगा और मैं भी अपनी मुस्कुराहट छिपा नहीं पाई )
मैं - मिल जाएगी एक दिन फिक्र मत करों ।
रफीक - नहीं कोई फिक्र नहीं है , बस तुम ही ढूंढ देना ।
मैं - हाँ बिल्कुल ।
अशोक - अरे भई ऐसी बीवी के लिए तो बड़े अच्छे कर्म करने पड़ते है तब जाके मिलती है ।
रफीक - बस भई फिर तो अपने को नहीं मिलने वाली क्योंकि अपने तो कर्म ही पूरे पापियों वाले है ।
( हम सब हँस पड़े )
मैं - और बताओ रफीक आज बड़े दिनों बाद आना हुआ , कुछ ज्यादा ही बीजी लगते तो अपने क्लिनिक मे ?
रफीक - अरे बस कुछ नहीं ऐसे ही टाइम ही नहीं लगा ।
मैं - अच्छा तुम लोग बैठो मैं खाना लगाती हूँ ।
मैं उठकर कीचेन मे जाने लगी तभी अशोक ने मुझे पीछे से रोक दिया ।
अशोक - अरे सुनो पदमा ।
मैं पीछे मुड़ी और पुछा - हाँ ।
अशोक - तुम खाना मत लगाओ अभी हम अभी आते है जरा छत से घूम कर ।
मैं समझ गई के ये लोग आज फिर से शराब पीने जाने वाले है , मैंने हैरानी से रफीक की ओर देखा
और उससे कहा - " रफीक तुम इन्हे रोकते क्यों नहीं ? ये कोई अच्छी बात थोड़े ही है , घर मे मेहमान आए और उसे लेकर शराब पीने चल दिए । "
पर रफीक के कुछ कहने से पहले ही अशोक बोल पड़े - " अरे मेरी डार्लिंग बीवी बस 10 मिनट मे नीचे आ जाएंगे । "
मैं जानती थी ये बस कहने को 10 मिनट है , असल मे तो 2 घंटे से पहले ये दोनों नीचे नहीं आने वाले । इतने मे ही रफीक ने अपने साथ लाया हुआ वो बेग उठाया और अशोक के साथ छत पर चला गया । यहाँ नीचे मैं अकेली रह गई और वहाँ उन दोनों की महफ़िल शुरू हो गई । मुझे अशोक पर काफी गुस्सा भी आया क्योंकि मुझे उससे नितिन के बारे मे कुछ बात भी करनी थी पर वो तो सीधा अपनी मस्ती मे मजे करने चले गए । मैं भी समय बिताने के लिए सोफ़े पर बैठकर टीवी देखने लगी , करीब आधा घंटा टीवी देखने के बाद मैं भी अपने बचे हुए काम को निपटाने मे लग गई चाय की ट्रे लेकर मे कीचेन मे गई और वहाँ के अपने काम खत्म कीये । मैं जानती थी की अब अशोक या रफीक दोनों मे से कोई खाना तो खाने वाला है नहीं इसलिए बचे हुए आटे को ऊपर छज्जे पर रखने लगी पर वो थोड़ी ऊँचाई पर था और वहाँ मेरा हाथ भी मुस्किल से पहुँच रहा था अचानक आटे को ऊपर रखने के चक्कर कैसे उसका डब्बे से कुछ आटा उड़कर मेरे ऊपर आ गिरा । मेरी साड़ी थोड़ी खराब सी गंदी हो गई और आटे के कुछ कण मेरे ब्लाउज पर भी गिर गए । मैं उन्हे साफ करने के लिए वहीं कीचेन मे खड़ी होकर अपनी साड़ी अपने ब्लाउज से हटाकर उसे साफ करने लगी ,
मैं अपने आप को साफ करने मे व्यस्त थी मुझे पता भी नहीं चला कब रफीक नीचे आ गये और वहीं कीचेन के पास गेट पर खड़े होकर मुझे चुपके से देखने लगे । साड़ी के सामने से हटने की वजह से रफीक के सामने मेरे ब्लाउज मे कसे हुए बूब्स और मेरा सपाट चिकना पेट साफ दिख रहा था और वो मजे से इस नज़ारे का लुत्फ उठा रहा था । मेरा ध्यान रफीक पर तब गया जब मैंने अपने को बिल्कुल साफ करके अपनी साड़ी ठीक की और सामने देखा , सामने रफीक को देखकर मैं एक दम से सकपका गई ये पहली बार था जब रफीक ने मुझे ऐसे देख लय था , वहीं खड़े-2 उसकी ओर देखकर बोली - रफीक .... तुम .. ? क्या कुछ चाहिए था ?
रफीक अभी भी मुझे ही देख रहा था और मेरे सवाल पूछने पर वो अपनी सोच से बाहर निकलता हुआ बोला - " हाँ ... वो मुझे थोड़ा पानी चाहिए था । "
इतना बोलकर रफीक कीचन के अंदर आ गया और पानी लेने के लिए सीधे फ्रिज की ओर बढ़ा फ्रिज मेरे पीछे था और वहाँ से पानी लेने के लिए रफीक को मुझे पार करना था । चाहता तो रफीक मुझे भी पानी लाने के लिए कह सकता था पर उसने ऐसा नहीं किया वो बिल्कुल मेरे करीब आया और अपने मर्दाना सीने को मेरी नाजुक चूचियों से रगड़ता हुआ आगे बढ़ गया 'आह........ ' मेरी आह मेरे होंठों तक आई पर मैंने उसे अपने गले मे ही दफ्न कर लिया । रफीक को अपने इतने पास से गुजरता महसूस करके मेरी धड़कने तेज हो गई । रफीक ने फ्रिज से पानी की बोतल निकाली और वापस जाने लगा पर इस बार मैं रास्ते से थोड़ा पीछे हट गई रफीक थोड़ा सा लड़खड़ाते हुए मेरी ओर आया मे एक तरफ खड़ी थी । मेरे करीब आते ही रफीक एक-दम से मुझ से टकरा गया पर इस बार ना सिर्फ मेरी चूचियाँ उसके सीने के नीचे दब गई बल्कि यूँ अचानक से गिरने की वजह से मेरे होंठ भी उसके होंठों से टकरा गए ।
" आह .... रफीक .... ओह ...... "- मैं संभलते हुए बोली ।
रफीक काफी नशे मे लग रहा था उसके मुहँ से शराब की बदबू आ रही थी । उसने मुझे अपनी बाहों के घेरे मे ले लिया और धीरे से अपने होंठ मेरे होंठों पर रगड़ दिए ।
वरुण की आज शाम की, की हुई हरकतों से मैं पहले ही उत्तेजित थी और अब रफीक के होंठ आग मे घी का काम कर रहे थे । मैंने संभलते हुए रफीक को खुद से अलग किया और उसकी ओर देखते हुए कहा -
मैं - ये सब क्या है रफीक ?
रफीक भी अब होश मे आया और अपनी गलती मानते हुए बोला - " ओह .. मुझे माफ करदों पदमा .. दरसल मैं नशे मे बहक गया था । "
फिर रफीक बोतल लेकर बिना कुछ बोले वहाँ से चला गया , उसके मुहँ से शराब की बदबू आ रही थी । रफीक का ये रूप मैंने पहली बार देखा था ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ था मैंने सोचा , शायद शराब के नशे मे रफीक से गलती हो गई खैर मैंने अपना ध्यान इन सब बातों से हटाया और अपने काम को खत्म करके वापस हॉल मे आकर बैठ गई । अशोक और रफीक को गए 1 घंटा हो गया मैंने सोचा अब बस बोहोत पीली इन दोनों ने अब इन्हे वापस नीचे आ जाना चाहिए । ये सोचकर मैं ऊपर की ओर छत पर जाने लगी , जैसे ही मैं छत पर गई मुझे छत वाले कमरे से अशोक की नशे मे धुत धीमी-2 कुछ आवाज़े सुनाई देने लगी , ना जाने मुझे क्या सूझी मैं धीरे-2 उनकी बातों को सुनने का प्रयास करने लगी
और वही छिपकर कमरे के पास खड़ी हो गई अशोक कह रहा था -
अशोक - यार .. रफीक मुझे तो लगता है उस नितिन के बच्चे को मुझ पर शक हो गया है ।
रफीक - तू उसकी चिंता मत कर बस एक बार वो फाइल और वो ड्राइव मिल जाए फिर देखते है साले को क्या कर पाता है हमारा ?
अशोक - फाइल तो मेरे पास है यार बस वो ड्राइव मिल जाए एक बार ।
रफीक - ड्राइव की बाद मे देख लेंगे तू ये बता क्या किसी और को भी तेरे काम पे शक है ?
अशोक - नहीं , और किसी को तो भनक भी नहीं कि कंपनी मे क्या हो है ।
रफीक - गुड़ । बस ये राज राज ही रहे जबतक काम पूरा ना हो जाए ।
अशोक - ऐसा ही होगा । चीयर्स ।
रफीक - चीयर्स । वैसे वो नितिन अभी कहाँ है ? शहर से बाहर ही क्या ?
अशोक - हाँ ,वही है ।
रफीक - बस ठीक है वो हमारे रास्ते मे नहीं आएगा ।
फिर वो दोनों शराब पीने मे मग्न हो गए और इधर उधर की बाते करने लगे । मैं थोड़ी देर उनकी बाते सुनती रही पर फिर मुझे कमरे मे कुछ हलचल महसूस हुई । कहीं ये दोनों बाहर तो नहीं आ रहे ये सोचकर मैं वहाँ से धीरे से पीछे हटी और नीचे आकर सोफ़े पर बैठ गई । मेरे दिमाग मे उन दोनों के कहे हुए शब्द बिजली की रफ्तार से घूमने लगे " आखिर ये सब हो क्या रहा है ? क्या चल रहा है यहाँ ? कहीं अशोक कुछ गलत तो नहीं कर रहे ? पर क्या है वो ? और क्या रफीक भी इसमे शामिल है ? कहीं जो कुछ नितिन कह रहा था वो सच तो नहीं ? " ये सब बातें मेरे दिमाग मे घूमने लगी ।
चेंज करके मैं बाहर आई । बेडरूम मे वापस आकर मेरी नजर बेड-शीट पर गई जो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी , मैंने उस बेडशीट को बेड से हटा दिया और उसकी जगह एक दूसरी नई बेड-शीट बिछा दी , सोचा अशोक पूछेंगे तो कह दूँगी ' वो पुरानी वाली गंदी हो गई थी । ' बेड-शीट बिछा कर मैंने एक बार घड़ी मे देखा 6:30 बज रहे थे , इसका मतलब था की अशोक के आने मे बस आधा घंटा बचा था । मैं जल्दी-2 रात के खाने के इंतेज़ाम मे लग गई वैसे भी आज अशोक अकेले तो थे नहीं उनके साथ डॉक्टर रफीक भी तो आने वाले थे ।
7:15 पर घर की डॉर बेल बजी , मैं अपने काम मे व्यस्त थी । मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सामने अशोक और रफीक दोनों खड़े थे,
रफीक के हाथ मे एक बेग था । मैंने मुस्कुराते हुए उनका स्वागत किया और उन दोनों को अंदर लेके आई । रफीक ने भी मुस्कुराते हुए मुझे ' हाई' बोला और अंदर आ गया । अंदर आकर हम सभी हॉल मे बैठ गए मैं सबके लिए चाय लेने कीचेन मे चली गई जब मैं चाय लेकर वापस आई तो रफीक और अशोक आपस मे कुछ बात कर रहे थे ।
मैंने उनके सामने चाय रखी और वही पास वाले सोफ़े पर अशोक के बगल मे बैठ कर चाय पीने लगी । मैं और अशोक एक सोफ़े पर थे और रफीक दूसरे सोफ़े पर । अशोक ने बात करते हुए रफीक से कहा -
" रफीक अब तुम ही मेरी बीवी जान का शक दूर करो । "
रफीक ने हँसते हुए थोड़ी हैरानी से मेरी ओर देखा और कहा - " शक ..... कैसा शक ? "
अशोक - अरे इसको लगता है कि मैं इसकी झूठी तारीफ करता हूँ , अब तुम ही इसे बताओ क्या ऐसा ही है ?
रफीक ( हँसते हुए ) - नहीं ... नहीं ... ऐसा नहीं है पदमा । तुम्हारी तारीफ सिर्फ अशोक ही नहीं हम सब दोस्त भी करते है ।
अशोक - देखा मैंने कहा था ना ।
मैं ( अपनी प्रशंसा से थोड़ी शरमाती हुई ) - अरे छोड़ो भी रफीक ... इनकी तो आदत है मुझे ऐसे ही सताने की ।
रफीक - नहीं पदमा .. अशोक बिल्कुल सही तुम्हारी तारीफ करता है अगर तुम्हारे जैसी पत्नी मुझे मिल जाए तो मेरे भी दिन सुधर जाए । ( इतना कहकर वो हँसने लगा और मैं भी अपनी मुस्कुराहट छिपा नहीं पाई )
मैं - मिल जाएगी एक दिन फिक्र मत करों ।
रफीक - नहीं कोई फिक्र नहीं है , बस तुम ही ढूंढ देना ।
मैं - हाँ बिल्कुल ।
अशोक - अरे भई ऐसी बीवी के लिए तो बड़े अच्छे कर्म करने पड़ते है तब जाके मिलती है ।
रफीक - बस भई फिर तो अपने को नहीं मिलने वाली क्योंकि अपने तो कर्म ही पूरे पापियों वाले है ।
( हम सब हँस पड़े )
मैं - और बताओ रफीक आज बड़े दिनों बाद आना हुआ , कुछ ज्यादा ही बीजी लगते तो अपने क्लिनिक मे ?
रफीक - अरे बस कुछ नहीं ऐसे ही टाइम ही नहीं लगा ।
मैं - अच्छा तुम लोग बैठो मैं खाना लगाती हूँ ।
मैं उठकर कीचेन मे जाने लगी तभी अशोक ने मुझे पीछे से रोक दिया ।
अशोक - अरे सुनो पदमा ।
मैं पीछे मुड़ी और पुछा - हाँ ।
अशोक - तुम खाना मत लगाओ अभी हम अभी आते है जरा छत से घूम कर ।
मैं समझ गई के ये लोग आज फिर से शराब पीने जाने वाले है , मैंने हैरानी से रफीक की ओर देखा
और उससे कहा - " रफीक तुम इन्हे रोकते क्यों नहीं ? ये कोई अच्छी बात थोड़े ही है , घर मे मेहमान आए और उसे लेकर शराब पीने चल दिए । "
पर रफीक के कुछ कहने से पहले ही अशोक बोल पड़े - " अरे मेरी डार्लिंग बीवी बस 10 मिनट मे नीचे आ जाएंगे । "
मैं जानती थी ये बस कहने को 10 मिनट है , असल मे तो 2 घंटे से पहले ये दोनों नीचे नहीं आने वाले । इतने मे ही रफीक ने अपने साथ लाया हुआ वो बेग उठाया और अशोक के साथ छत पर चला गया । यहाँ नीचे मैं अकेली रह गई और वहाँ उन दोनों की महफ़िल शुरू हो गई । मुझे अशोक पर काफी गुस्सा भी आया क्योंकि मुझे उससे नितिन के बारे मे कुछ बात भी करनी थी पर वो तो सीधा अपनी मस्ती मे मजे करने चले गए । मैं भी समय बिताने के लिए सोफ़े पर बैठकर टीवी देखने लगी , करीब आधा घंटा टीवी देखने के बाद मैं भी अपने बचे हुए काम को निपटाने मे लग गई चाय की ट्रे लेकर मे कीचेन मे गई और वहाँ के अपने काम खत्म कीये । मैं जानती थी की अब अशोक या रफीक दोनों मे से कोई खाना तो खाने वाला है नहीं इसलिए बचे हुए आटे को ऊपर छज्जे पर रखने लगी पर वो थोड़ी ऊँचाई पर था और वहाँ मेरा हाथ भी मुस्किल से पहुँच रहा था अचानक आटे को ऊपर रखने के चक्कर कैसे उसका डब्बे से कुछ आटा उड़कर मेरे ऊपर आ गिरा । मेरी साड़ी थोड़ी खराब सी गंदी हो गई और आटे के कुछ कण मेरे ब्लाउज पर भी गिर गए । मैं उन्हे साफ करने के लिए वहीं कीचेन मे खड़ी होकर अपनी साड़ी अपने ब्लाउज से हटाकर उसे साफ करने लगी ,
मैं अपने आप को साफ करने मे व्यस्त थी मुझे पता भी नहीं चला कब रफीक नीचे आ गये और वहीं कीचेन के पास गेट पर खड़े होकर मुझे चुपके से देखने लगे । साड़ी के सामने से हटने की वजह से रफीक के सामने मेरे ब्लाउज मे कसे हुए बूब्स और मेरा सपाट चिकना पेट साफ दिख रहा था और वो मजे से इस नज़ारे का लुत्फ उठा रहा था । मेरा ध्यान रफीक पर तब गया जब मैंने अपने को बिल्कुल साफ करके अपनी साड़ी ठीक की और सामने देखा , सामने रफीक को देखकर मैं एक दम से सकपका गई ये पहली बार था जब रफीक ने मुझे ऐसे देख लय था , वहीं खड़े-2 उसकी ओर देखकर बोली - रफीक .... तुम .. ? क्या कुछ चाहिए था ?
रफीक अभी भी मुझे ही देख रहा था और मेरे सवाल पूछने पर वो अपनी सोच से बाहर निकलता हुआ बोला - " हाँ ... वो मुझे थोड़ा पानी चाहिए था । "
इतना बोलकर रफीक कीचन के अंदर आ गया और पानी लेने के लिए सीधे फ्रिज की ओर बढ़ा फ्रिज मेरे पीछे था और वहाँ से पानी लेने के लिए रफीक को मुझे पार करना था । चाहता तो रफीक मुझे भी पानी लाने के लिए कह सकता था पर उसने ऐसा नहीं किया वो बिल्कुल मेरे करीब आया और अपने मर्दाना सीने को मेरी नाजुक चूचियों से रगड़ता हुआ आगे बढ़ गया 'आह........ ' मेरी आह मेरे होंठों तक आई पर मैंने उसे अपने गले मे ही दफ्न कर लिया । रफीक को अपने इतने पास से गुजरता महसूस करके मेरी धड़कने तेज हो गई । रफीक ने फ्रिज से पानी की बोतल निकाली और वापस जाने लगा पर इस बार मैं रास्ते से थोड़ा पीछे हट गई रफीक थोड़ा सा लड़खड़ाते हुए मेरी ओर आया मे एक तरफ खड़ी थी । मेरे करीब आते ही रफीक एक-दम से मुझ से टकरा गया पर इस बार ना सिर्फ मेरी चूचियाँ उसके सीने के नीचे दब गई बल्कि यूँ अचानक से गिरने की वजह से मेरे होंठ भी उसके होंठों से टकरा गए ।
" आह .... रफीक .... ओह ...... "- मैं संभलते हुए बोली ।
रफीक काफी नशे मे लग रहा था उसके मुहँ से शराब की बदबू आ रही थी । उसने मुझे अपनी बाहों के घेरे मे ले लिया और धीरे से अपने होंठ मेरे होंठों पर रगड़ दिए ।
वरुण की आज शाम की, की हुई हरकतों से मैं पहले ही उत्तेजित थी और अब रफीक के होंठ आग मे घी का काम कर रहे थे । मैंने संभलते हुए रफीक को खुद से अलग किया और उसकी ओर देखते हुए कहा -
मैं - ये सब क्या है रफीक ?
रफीक भी अब होश मे आया और अपनी गलती मानते हुए बोला - " ओह .. मुझे माफ करदों पदमा .. दरसल मैं नशे मे बहक गया था । "
फिर रफीक बोतल लेकर बिना कुछ बोले वहाँ से चला गया , उसके मुहँ से शराब की बदबू आ रही थी । रफीक का ये रूप मैंने पहली बार देखा था ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ था मैंने सोचा , शायद शराब के नशे मे रफीक से गलती हो गई खैर मैंने अपना ध्यान इन सब बातों से हटाया और अपने काम को खत्म करके वापस हॉल मे आकर बैठ गई । अशोक और रफीक को गए 1 घंटा हो गया मैंने सोचा अब बस बोहोत पीली इन दोनों ने अब इन्हे वापस नीचे आ जाना चाहिए । ये सोचकर मैं ऊपर की ओर छत पर जाने लगी , जैसे ही मैं छत पर गई मुझे छत वाले कमरे से अशोक की नशे मे धुत धीमी-2 कुछ आवाज़े सुनाई देने लगी , ना जाने मुझे क्या सूझी मैं धीरे-2 उनकी बातों को सुनने का प्रयास करने लगी
और वही छिपकर कमरे के पास खड़ी हो गई अशोक कह रहा था -
अशोक - यार .. रफीक मुझे तो लगता है उस नितिन के बच्चे को मुझ पर शक हो गया है ।
रफीक - तू उसकी चिंता मत कर बस एक बार वो फाइल और वो ड्राइव मिल जाए फिर देखते है साले को क्या कर पाता है हमारा ?
अशोक - फाइल तो मेरे पास है यार बस वो ड्राइव मिल जाए एक बार ।
रफीक - ड्राइव की बाद मे देख लेंगे तू ये बता क्या किसी और को भी तेरे काम पे शक है ?
अशोक - नहीं , और किसी को तो भनक भी नहीं कि कंपनी मे क्या हो है ।
रफीक - गुड़ । बस ये राज राज ही रहे जबतक काम पूरा ना हो जाए ।
अशोक - ऐसा ही होगा । चीयर्स ।
रफीक - चीयर्स । वैसे वो नितिन अभी कहाँ है ? शहर से बाहर ही क्या ?
अशोक - हाँ ,वही है ।
रफीक - बस ठीक है वो हमारे रास्ते मे नहीं आएगा ।
फिर वो दोनों शराब पीने मे मग्न हो गए और इधर उधर की बाते करने लगे । मैं थोड़ी देर उनकी बाते सुनती रही पर फिर मुझे कमरे मे कुछ हलचल महसूस हुई । कहीं ये दोनों बाहर तो नहीं आ रहे ये सोचकर मैं वहाँ से धीरे से पीछे हटी और नीचे आकर सोफ़े पर बैठ गई । मेरे दिमाग मे उन दोनों के कहे हुए शब्द बिजली की रफ्तार से घूमने लगे " आखिर ये सब हो क्या रहा है ? क्या चल रहा है यहाँ ? कहीं अशोक कुछ गलत तो नहीं कर रहे ? पर क्या है वो ? और क्या रफीक भी इसमे शामिल है ? कहीं जो कुछ नितिन कह रहा था वो सच तो नहीं ? " ये सब बातें मेरे दिमाग मे घूमने लगी ।