23-10-2022, 02:01 AM
वरुण - तब तो अच्छा है अब और भी आराम मिलेगा ।
इतना कहकर वरुण पूरा मेरे बेड पर चढ़ गया अब तक वो नीचे पैर कीये हुए था । बेड पर बैठकर वरुण ने मेरे पैर को अपनी गोद मे रखा और बड़े ही प्यार से सहलाने लगा ,ना जाने क्यूँ मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे पैर पर कुछ चुभ रहा है वरुण के दोनों हाथ तो मेरे पैर पर थे फिर ये नीचे क्या है ? ये जानने के लिए मैंने जिज्ञासा-वश अपनी आँखे धीरे से खोली और फिर जो देखा उसे देखकर साँसो की रफ्तार ने तूल पकड़ ली
' वरुण ने मेरे पैर को अपने लिंग के ऊपर रखा हुआ था उसकी पेंट मे कैद उसका लिंग पूरे उफान पर लग रहा था , वरुण का लिंग इतना कठोर था कि पेंट के अंदर से भी वो मेरे कोमल पैरों पर चुभ रहा था , मेरे दिल की धड़कने तेज हो गई, घबराकर मैंने अपनी आँखे बंद कर ली और अपने होंठों को दाँतों मे दबा लिया
अब मेरी साँसों के साथ-2 मेरी तनाव मे आई हुई चूचियाँ भी मेरे निप्पलस को तना रही थी । अब धीरे -2 वरुण ने मेरी साड़ी को मेरी टाँग के ऊपर से हटाना शुरू किया और उसे मेरे घुटनों तक करके वहाँ भी सहलाने लगा , अब तो ये उसका क्रम बन गया वो अपने हाथों को मेरे पैरों की उंगलियों से लेकर मेरे घुटनों तक ले जाता और वहाँ पर सहलाता हुआ नीचे आता । इस समय मेरी हालत कुछ भी कहने की नहीं थी मैं बस बिस्तर पर बेसुध पड़ी रही और वरुण के गरम हाथों के स्पर्श का मज़ा उठाती रही और कही ना कही वरूण भी ये बात जान गया था कि मैं भी उसकी हरकतों का मज़ा उठा रही हूँ । अब इस खेल को चलते हुए काफी वक्त बीत गया था और मुझे अब इसे रोकना था इससे पहले कि मेरे अरमान मुझ पर पूरी तरह से हावी हो जाएं । वैसे भी अब मेरे पैर मे बिल्कुल दर्द नहीं था मैंने अपनी आँखे खोली जो सुर्ख लाल हो गई थी
और वरुण से कहा -
मैं - वरुण .. अब मेरा पैर बिल्कुल ठीक है ।
वरुण मेरी बात सुनकर थोड़ा सा सकपका गया , उससे उसका हवस भरा रोमांच जो छीनने जा रहा था । वरुण ने मेरी ओर देखा और मेरी बात को अनसुना सा करके कहा - " भाभी आपके पैर बोहोत नाजुक है , इनका ध्यान रखिए , 1 मिनट जरा देखूँ । "
इतना कहकर वरुण मेरे पैर के तलवे पर कुछ बोहोत ही गौर से देखने लगा ।
मैं - क्या हुआ वरुण ?
वरुण - आपके पैर के नीचे कुछ लगा है ।
ये बोलते हुए वरुण मेरे पैर के तलवे पर अपनी उंगलियों से कुछ ढूंढने लगा । वरुण की उंगलियों के अपने पैर के तलवे पर फिरने से मुझे एक मीठी से गुदगुदी होने लगी । वरुण ने मेरे पैर को अपने दोनों हाथों मे उठा लिया और अपने चेहरे बिल्कुल पास ले आया । वरुण की साँसों की गरमाई मेरे पैरों से होकर मेरे पूरे शरीर मे फैलने लगी और मेरी आँखों मे वासना की लकीरे उतर आई । मैंने वरुण से एक बार फिर पुछा- "क्या लगा है वरुण पैर मे ?" वरुण मेरे पैर अपने होंठों के एक दम करीब लाया और बोला - " कुछ चिकना सा है । " और इतना कहकर वरुण ने बिना मुझसे कुछ पूछे अपनी जीभ बाहर निकाली और मेरे पैर के तलवे उससे चाट लिया ।
मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी वरुण ऐसा कर देगा , मेरी एकदम से आह फूट पड़ी ।
मैं - आह .... वरुण .... ये ... क्या .... ....नहीं .... ?
पर वरुण ने उल्टा मेरे पैर को अपने हाथों मे मजबूती से पकड़ा और अपने होंठ मेरे पैरों से घुमाते हुए मेरी जांघों तक आया और वहाँ पर जम कर चूमा ।
"ओह .... वरुण .... छोड़ो ना ....... । "- कहते हुए मैं बिस्तर पर तड़पने लगी हवस का शैतान मुझे अपने काबू मे कीये जा रहा था, तभी लाइट आ गई और हर तरफ रोशनी हो गई , अचानक से रोशनी फैल जाने से वरुण की पकड़ मेरे पैर पर थोड़ी ढीली हो गई और मैंने तेजी के साथ अपना पैर वरुण के हाथों से खिंच लिया और बिस्तर पर उठकर बैठ गई । मैंने थोड़े गुस्से के भाव से वरुण की ओर देखा
वो मुझसे नजरे चुराता हुआ बेड से उतरा और बाम की शीशी रखने जाने लगा , मैं उसे कुछ बोलती इससे पहले ही ठीक उसी समय दरवाजे की बेल बजी । मैंने थोड़ा हड़बड़ाते हुए वरूण की ओर देखा वो पहले से ही मुझे देख रहा था । एक बार के लिए तो मुझे लगा कि अशोक ही आ गए है पर फिर घड़ी मे देखा तो अभी तो सिर्फ 6 ही बजे थे अशोक तो 7 बजे ऑफिस से आते है । मुझे थोड़ी राहत मिली के ये अशोक तो नहीं होंगे मैं जल्दी से बिस्तर से उतरकर दरवाजा खोलने के लिए गई , वरूण मेरे पीछे ही था । जैसे ही मैंने दरवाजा खोला
तो देखा सामने सीमा जी ( वरुण की माँ ) खड़ी थी ।
मुझे देखते ही वो तुरंत बोल पड़ी - " पदमा वो वरुण नहीं आया अब तक ? "
मेरे कुछ कहने से पहले ही पीछे से उन्होंने वरुण को देख लिया और देखते ही बोली - " अरे वरुण ! तुम अभी तक यहाँ क्या कर रहे हो ? " वरुण उनकी बात का कुछ जवाब देता इतने मे ही उन्होंने एक और सवाल दाग दिया ।
सीमा जी - और ये तुम दोनों के कपड़े कैसे भीग गए ?
मैंने सीमा जी को देखकर उन्हे आदर के साथ अंदर आने को कहा और वो अंदर आ भी गई ,पर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि उनकी बात क्या जवाब दूँ , मुझसे तो कोई जवाब देते ना बना । मेरे मन मे चिंता की लकिरे खिंच आई पर तभी वरुण ने बात संभालते हुए कहा - " अरे मम्मी , वो मैं आ ही रहा था कि बीच मे ही बारिश शुरू हो गई और मुझे वापस यहीं रुकना पड़ गया पर मैं उस टाइम रास्ते मे था तो थोड़ा भीग गया । "
सीमा जी वरुण के इस जवाब से संतुष्ट हुई और मुझे भी राहत मिली 'आज तो वरुण ने बचा लिया , नहीं तो सीमा जी क्या सोचती के मैं उनके बेटे को टयूशन पढ़ाने के बजाय उसके साथ बारिश के मजे ले रही हूँ । '
सीमा जी - अच्छा ठीक है चल अब तू घर जाके कपड़े बदल ले, नहीं तो तुझे सर्दी हो जाएगी । बारिश अब रुक गई है , जल्दी जा ।
मैंने मन मे सोचा " बाहर की बारिश अब बंद हो गई वो तो शायद बस मुझे वरुण के करीब लाने के लिए आई थी ।"
वरुण ने अपनी मम्मी की बात सुनी और खूंटी से अपना बेग उतारकर जाने लगा ।
फिर सीमा जी ने मेरी ओर देखा और कहा - " पदमा तुम भी भीगी हुई लग रही हो ?"
मैं ( थोड़ी झिझक के साथ ) - हाँ सीमा जी वो ..... मैं छत पर कपड़े लेने गई थी और तभी बारिश के आने से मैं भीग गई ।
सीमा जी - तो तुम्हें तभी चेंज कर लेना चाहिए था ।
सीमा जी की इस बात मैं एक सवाल भी था कि मैंने अभी तक अपने भीगे हुए कपड़े बदले क्यों नहीं और मेरे पास इसका कोई उचित जवाब भी नहीं था , मैं सोच ही रही थी कि सीमा जी से क्या कहूँ के तभी दरवाजे पर खड़ा वरुण बोला - " वो बिजली चली गई थी ना मम्मी ,तो बोहोत अँधेरा था इसलिए ......... । "
वरुण इतना कहकर चुप हो गया सीमा जी ने इसपर हामी मे सर हिलाया और मुझे चेंज करने को बोलकर , वरुण के साथ चली गई ।
इतना कहकर वरुण पूरा मेरे बेड पर चढ़ गया अब तक वो नीचे पैर कीये हुए था । बेड पर बैठकर वरुण ने मेरे पैर को अपनी गोद मे रखा और बड़े ही प्यार से सहलाने लगा ,ना जाने क्यूँ मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे पैर पर कुछ चुभ रहा है वरुण के दोनों हाथ तो मेरे पैर पर थे फिर ये नीचे क्या है ? ये जानने के लिए मैंने जिज्ञासा-वश अपनी आँखे धीरे से खोली और फिर जो देखा उसे देखकर साँसो की रफ्तार ने तूल पकड़ ली
' वरुण ने मेरे पैर को अपने लिंग के ऊपर रखा हुआ था उसकी पेंट मे कैद उसका लिंग पूरे उफान पर लग रहा था , वरुण का लिंग इतना कठोर था कि पेंट के अंदर से भी वो मेरे कोमल पैरों पर चुभ रहा था , मेरे दिल की धड़कने तेज हो गई, घबराकर मैंने अपनी आँखे बंद कर ली और अपने होंठों को दाँतों मे दबा लिया
अब मेरी साँसों के साथ-2 मेरी तनाव मे आई हुई चूचियाँ भी मेरे निप्पलस को तना रही थी । अब धीरे -2 वरुण ने मेरी साड़ी को मेरी टाँग के ऊपर से हटाना शुरू किया और उसे मेरे घुटनों तक करके वहाँ भी सहलाने लगा , अब तो ये उसका क्रम बन गया वो अपने हाथों को मेरे पैरों की उंगलियों से लेकर मेरे घुटनों तक ले जाता और वहाँ पर सहलाता हुआ नीचे आता । इस समय मेरी हालत कुछ भी कहने की नहीं थी मैं बस बिस्तर पर बेसुध पड़ी रही और वरुण के गरम हाथों के स्पर्श का मज़ा उठाती रही और कही ना कही वरूण भी ये बात जान गया था कि मैं भी उसकी हरकतों का मज़ा उठा रही हूँ । अब इस खेल को चलते हुए काफी वक्त बीत गया था और मुझे अब इसे रोकना था इससे पहले कि मेरे अरमान मुझ पर पूरी तरह से हावी हो जाएं । वैसे भी अब मेरे पैर मे बिल्कुल दर्द नहीं था मैंने अपनी आँखे खोली जो सुर्ख लाल हो गई थी
और वरुण से कहा -
मैं - वरुण .. अब मेरा पैर बिल्कुल ठीक है ।
वरुण मेरी बात सुनकर थोड़ा सा सकपका गया , उससे उसका हवस भरा रोमांच जो छीनने जा रहा था । वरुण ने मेरी ओर देखा और मेरी बात को अनसुना सा करके कहा - " भाभी आपके पैर बोहोत नाजुक है , इनका ध्यान रखिए , 1 मिनट जरा देखूँ । "
इतना कहकर वरुण मेरे पैर के तलवे पर कुछ बोहोत ही गौर से देखने लगा ।
मैं - क्या हुआ वरुण ?
वरुण - आपके पैर के नीचे कुछ लगा है ।
ये बोलते हुए वरुण मेरे पैर के तलवे पर अपनी उंगलियों से कुछ ढूंढने लगा । वरुण की उंगलियों के अपने पैर के तलवे पर फिरने से मुझे एक मीठी से गुदगुदी होने लगी । वरुण ने मेरे पैर को अपने दोनों हाथों मे उठा लिया और अपने चेहरे बिल्कुल पास ले आया । वरुण की साँसों की गरमाई मेरे पैरों से होकर मेरे पूरे शरीर मे फैलने लगी और मेरी आँखों मे वासना की लकीरे उतर आई । मैंने वरुण से एक बार फिर पुछा- "क्या लगा है वरुण पैर मे ?" वरुण मेरे पैर अपने होंठों के एक दम करीब लाया और बोला - " कुछ चिकना सा है । " और इतना कहकर वरुण ने बिना मुझसे कुछ पूछे अपनी जीभ बाहर निकाली और मेरे पैर के तलवे उससे चाट लिया ।
मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी वरुण ऐसा कर देगा , मेरी एकदम से आह फूट पड़ी ।
मैं - आह .... वरुण .... ये ... क्या .... ....नहीं .... ?
पर वरुण ने उल्टा मेरे पैर को अपने हाथों मे मजबूती से पकड़ा और अपने होंठ मेरे पैरों से घुमाते हुए मेरी जांघों तक आया और वहाँ पर जम कर चूमा ।
"ओह .... वरुण .... छोड़ो ना ....... । "- कहते हुए मैं बिस्तर पर तड़पने लगी हवस का शैतान मुझे अपने काबू मे कीये जा रहा था, तभी लाइट आ गई और हर तरफ रोशनी हो गई , अचानक से रोशनी फैल जाने से वरुण की पकड़ मेरे पैर पर थोड़ी ढीली हो गई और मैंने तेजी के साथ अपना पैर वरुण के हाथों से खिंच लिया और बिस्तर पर उठकर बैठ गई । मैंने थोड़े गुस्से के भाव से वरुण की ओर देखा
वो मुझसे नजरे चुराता हुआ बेड से उतरा और बाम की शीशी रखने जाने लगा , मैं उसे कुछ बोलती इससे पहले ही ठीक उसी समय दरवाजे की बेल बजी । मैंने थोड़ा हड़बड़ाते हुए वरूण की ओर देखा वो पहले से ही मुझे देख रहा था । एक बार के लिए तो मुझे लगा कि अशोक ही आ गए है पर फिर घड़ी मे देखा तो अभी तो सिर्फ 6 ही बजे थे अशोक तो 7 बजे ऑफिस से आते है । मुझे थोड़ी राहत मिली के ये अशोक तो नहीं होंगे मैं जल्दी से बिस्तर से उतरकर दरवाजा खोलने के लिए गई , वरूण मेरे पीछे ही था । जैसे ही मैंने दरवाजा खोला
तो देखा सामने सीमा जी ( वरुण की माँ ) खड़ी थी ।
मुझे देखते ही वो तुरंत बोल पड़ी - " पदमा वो वरुण नहीं आया अब तक ? "
मेरे कुछ कहने से पहले ही पीछे से उन्होंने वरुण को देख लिया और देखते ही बोली - " अरे वरुण ! तुम अभी तक यहाँ क्या कर रहे हो ? " वरुण उनकी बात का कुछ जवाब देता इतने मे ही उन्होंने एक और सवाल दाग दिया ।
सीमा जी - और ये तुम दोनों के कपड़े कैसे भीग गए ?
मैंने सीमा जी को देखकर उन्हे आदर के साथ अंदर आने को कहा और वो अंदर आ भी गई ,पर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि उनकी बात क्या जवाब दूँ , मुझसे तो कोई जवाब देते ना बना । मेरे मन मे चिंता की लकिरे खिंच आई पर तभी वरुण ने बात संभालते हुए कहा - " अरे मम्मी , वो मैं आ ही रहा था कि बीच मे ही बारिश शुरू हो गई और मुझे वापस यहीं रुकना पड़ गया पर मैं उस टाइम रास्ते मे था तो थोड़ा भीग गया । "
सीमा जी वरुण के इस जवाब से संतुष्ट हुई और मुझे भी राहत मिली 'आज तो वरुण ने बचा लिया , नहीं तो सीमा जी क्या सोचती के मैं उनके बेटे को टयूशन पढ़ाने के बजाय उसके साथ बारिश के मजे ले रही हूँ । '
सीमा जी - अच्छा ठीक है चल अब तू घर जाके कपड़े बदल ले, नहीं तो तुझे सर्दी हो जाएगी । बारिश अब रुक गई है , जल्दी जा ।
मैंने मन मे सोचा " बाहर की बारिश अब बंद हो गई वो तो शायद बस मुझे वरुण के करीब लाने के लिए आई थी ।"
वरुण ने अपनी मम्मी की बात सुनी और खूंटी से अपना बेग उतारकर जाने लगा ।
फिर सीमा जी ने मेरी ओर देखा और कहा - " पदमा तुम भी भीगी हुई लग रही हो ?"
मैं ( थोड़ी झिझक के साथ ) - हाँ सीमा जी वो ..... मैं छत पर कपड़े लेने गई थी और तभी बारिश के आने से मैं भीग गई ।
सीमा जी - तो तुम्हें तभी चेंज कर लेना चाहिए था ।
सीमा जी की इस बात मैं एक सवाल भी था कि मैंने अभी तक अपने भीगे हुए कपड़े बदले क्यों नहीं और मेरे पास इसका कोई उचित जवाब भी नहीं था , मैं सोच ही रही थी कि सीमा जी से क्या कहूँ के तभी दरवाजे पर खड़ा वरुण बोला - " वो बिजली चली गई थी ना मम्मी ,तो बोहोत अँधेरा था इसलिए ......... । "
वरुण इतना कहकर चुप हो गया सीमा जी ने इसपर हामी मे सर हिलाया और मुझे चेंज करने को बोलकर , वरुण के साथ चली गई ।