23-10-2022, 01:21 AM
ग्राउंड का व्यू वाकई बहोत अच्छा था और मैं जाना भी चाहती थी पर वरुण के साथ होने की वजह से थोड़ी नर्वस हो रही थी । मुझे कोई जवाब देता ना देखकर वरुण ने एक बार फिर से मेरी ओर मुड़कर कहा - " क्या हुआ भाभी आइये ना ? "
मैं - नहीं वरुण तुम जाओ मुझे आज बोहोत काम है । आज तुम्हारे अशोक के दोस्त घर आने वाले है ।
वरुण - उनके आने मे तो अभी बोहोत टाइम है , आप आइये बाद मे हो जाएगा काम ।
ये कहते हुए वरुण ने अपना बैग वही गेट के पास खूंटी पर टाँग दिया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे घर से बाहर ले आया । ये सब इतनी जल्दी मे हुआ कि मुझे कुछ बोलने का मौका ही नहीं मिला फिर नितिन मेरा हाथ छोड़कर झूमता हुआ आसमान की ओर देखकर बोला - " देखिए इतना अच्छा नज़ारा रोज - रोज थोड़े ही देखने को मिलता है आइये मेरे साथ । "
बाहर की ठंडी मोहक हवा ने मेरे मन मे भी बचपना जगा दिया और मैं भी वरुण के साथ उस मौसम का आनंद लेने लगी और सामने के ग्राउंड मे जाने लगी ,
वरुण मुझसे आगे भागता हुआ ग्राउंड मे पहुँच गया और मस्ती मे झूमने लगा । जब मैं ग्राउंड मे पहुँची तो वहाँ के मन-मोहक नज़ारे को देखकर बस देखती रह गई । ग्राउंड मे इक्का-दुक्का लोग थे जो मेरी ही तरह वहाँ के नज़ारे का मज़ा ले रहे थे । एक कोने मे कुछ सुंदर फूल खिले हुए थे मैं वहाँ उनके पास गई और एक फूल को तोड़कर अपने पास लाई ।
मैं वहाँ की मदहोश कर देने वाली हवा मे खोई हुई थी और मेरे पीछे वरुण अपना सारा काम छोड़कर मेरे जिस्म मे खोया हुआ था मुझे तो अपनी हालत का ध्यान ही नहीं था , कि पीछे से वरुण अपनी ज़हरीली नज़रों से ही मेरे कामुक बदन का रस पी रहा है ।
मुझे पता भी नहीं चला और वरुण धीरे-धीरे मेरे करीब आ गया । बादल अब और भी घने हो गए जिसकी वजह से अँधेरा छाने लगा और हवा भी तेज चलने लगी , बारिश होने के पूरे आसार लग रहे थे , जो लोग ग्राउंड मे थे वो भी अब धीरे-2 करके वहाँ से निकलने लगे थे, हवा के तेज होने से मेरी साड़ी का पल्लू भी हवा से उड़कर नीचे गिर गया और मैंने भी लापरवाही से उसपर कोई ध्यान नहीं दिया । मैंने सोचा अब मुझे घर चलना चाहिए कहीं बारिश ना हो जाए , पर मुझे क्या पता था कि वरुण बिल्कुल मेरे पीछे ही खड़ा है जैसे ही मैं पीछे हटने को हुई पीछे वरुण से जा टकराई, वरुण ने भी इस मौके का पूरा फायदा उठाया और अपने हाथ आगे बढ़ाकर मेरी पतली कमर के उस हिस्से को जहां कोई कपड़ा नहीं था पीछे से पकड़कर अपनी ओर खींचा ।
इससे मेरी पीठ वरुण के सीने से जा टकराई और मैं बिल्कुल उससे सट गई , मौसम ठंडा था पर वरुण के बदन से गरम लहरे निकल रही थी जो मुझे अपने बदन पर साफ महसूस हो रही थी , नीचे वरुण के लिंग का जो तनाव था वो भी मुझे मेरे नितम्बों पर चुभने लगा , आज पहली बार मैंने वरुण के लिंग को अपने जिस्म पर महसूस किया । मैं समझ गई कि ये सब आज की मेरी वरुण के साथ की गई हरकतों का परिणाम है । मैं जल्दी से वरुण से अलग हुई और उसकी ओर हैरानी के भाव से देखा ।
अपनी गलती के पकड़े जाने से वरुण एकदम से थोड़ा सा घबराया और कहने लगा - " वो सॉरी भाभी....... मैं आपको ये कहने आया था कि अब हमे चलना चाहिए मौसम खराब हो रहा है । " वरुण की बात सुनकर मैंने हामी मे सर हिलाया और उसे भी चलने को कहा । वरुण बात तो मुझसे कर रहा था पर उसकी नजर मेरे उभरे हुए बूब्स पर थी जैसे वो उन्हे सिर्फ ब्रा मे कल्पना कर रहा हो,
जब मुझे अपनी हालत का ध्यान आया तो मैंने अपनी साड़ी का आँचल ठीक किया , अब तक सब लोग ग्राउंड से निकल चुके थे सिर्फ हम दोनों ही वहाँ खड़े थे । मैंने उसे एक बार फिर से उसकी कल्पना से जगाया - " वरुण चलो भी । "
वरुण - हाँ ... हाँ ... भाभी ।
इतना कहकर हम दोनों चलने वाले ही थे के तभी बोहोत ज़ोरों की बिजली कड़की और एक तेज हवा का झोंका आया जिसकी वजह से एक बार फिर मेरा आँचल मेरी पकड़ से छूटकर हवा मे उड़ने लगा
, मैंने उसे पकड़ने की भी कोशिश की पर नाकामयाब रही । मैं अपने आँचल को संभालने मे लगी थी और वरुण पीछे से मेरी हालत के मजे ले रहा था , एक ही दिन मे दो बार वरुण के सामने इतनी बोल्ड हो जाने से मुझे अब थोड़ी शर्म भी आने लगी । मैंने जल्दी -2 अपने पल्लू को ठीक किया और चलने लगी । पर आज शायद होनी भी मुझे वरुण के करीब ही लाना थी मेरे एक कदम बढ़ाते ही ज़ोरों की बारिश शुरू हो गई । बारिश शुरू होते के साथ ही मैं घबरा गई और ग्राउंड से निकलने के लिए तेजी से भागने लगी । वरुण मेरे पीछे ही चल रहा था , मेरे पैरों मे सैंडल थी बारिश होने की वजह से ग्राउंड की मिट्टी गीली हो गई और भागते हुए मेरी सैंडल मिट्टी मे धंस गई जिससे मेरा पैर मुड़ गया मैं तो गिरने को ही हो गई थी पर तभी पीछे से वरुण ने मुझे थाम लिया और सहारा देकर खड़ा किया ।
वरुण(मुझे थामे हुए ) - भाभी आप ठीक तो है ?
मेरे पैर मे थोड़ा दर्द था मैंने वरुण से कहा - " हम्म मैं ठीक हूँ , शुक्रिया वरुण । " वरुण ने मुझे पूरा अपनी बाँहों मे समेटा हुआ था उसने ऐसे ही पकड़े-2 मेरी ओर देखा और अपनी आँखों से ही मेरा शुक्रिया स्वीकार किया । मैं वरुण से थोड़ा अलग होते हुए चलने की कोशिश करने लगी पर चलते ही फिर से मेरे पैर मे दर्द मचल गया जिसकी वजह से मैं फिर से वरुण से सट गई ।
वरुण इस बार मुझे पीछे से और भी मजबूती से पकड़ा और मेरी कमर मे अपना हाथ धीरे से फिराते हुए मेरी गर्दन पर धीरे से अपने होंठो से चुम्बन देने लगा ।
बारिश के होते हुए भी वरुण का जिस्म गरम था और उसकी गर्मी मेरे जिस्म तक पहुँच रही थी । मेरा पूरा बदन सिहर उठा और मैं वरुण की बाहों मे सिमट गई ।
मैं - नहीं वरुण तुम जाओ मुझे आज बोहोत काम है । आज तुम्हारे अशोक के दोस्त घर आने वाले है ।
वरुण - उनके आने मे तो अभी बोहोत टाइम है , आप आइये बाद मे हो जाएगा काम ।
ये कहते हुए वरुण ने अपना बैग वही गेट के पास खूंटी पर टाँग दिया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे घर से बाहर ले आया । ये सब इतनी जल्दी मे हुआ कि मुझे कुछ बोलने का मौका ही नहीं मिला फिर नितिन मेरा हाथ छोड़कर झूमता हुआ आसमान की ओर देखकर बोला - " देखिए इतना अच्छा नज़ारा रोज - रोज थोड़े ही देखने को मिलता है आइये मेरे साथ । "
बाहर की ठंडी मोहक हवा ने मेरे मन मे भी बचपना जगा दिया और मैं भी वरुण के साथ उस मौसम का आनंद लेने लगी और सामने के ग्राउंड मे जाने लगी ,
वरुण मुझसे आगे भागता हुआ ग्राउंड मे पहुँच गया और मस्ती मे झूमने लगा । जब मैं ग्राउंड मे पहुँची तो वहाँ के मन-मोहक नज़ारे को देखकर बस देखती रह गई । ग्राउंड मे इक्का-दुक्का लोग थे जो मेरी ही तरह वहाँ के नज़ारे का मज़ा ले रहे थे । एक कोने मे कुछ सुंदर फूल खिले हुए थे मैं वहाँ उनके पास गई और एक फूल को तोड़कर अपने पास लाई ।
मैं वहाँ की मदहोश कर देने वाली हवा मे खोई हुई थी और मेरे पीछे वरुण अपना सारा काम छोड़कर मेरे जिस्म मे खोया हुआ था मुझे तो अपनी हालत का ध्यान ही नहीं था , कि पीछे से वरुण अपनी ज़हरीली नज़रों से ही मेरे कामुक बदन का रस पी रहा है ।
मुझे पता भी नहीं चला और वरुण धीरे-धीरे मेरे करीब आ गया । बादल अब और भी घने हो गए जिसकी वजह से अँधेरा छाने लगा और हवा भी तेज चलने लगी , बारिश होने के पूरे आसार लग रहे थे , जो लोग ग्राउंड मे थे वो भी अब धीरे-2 करके वहाँ से निकलने लगे थे, हवा के तेज होने से मेरी साड़ी का पल्लू भी हवा से उड़कर नीचे गिर गया और मैंने भी लापरवाही से उसपर कोई ध्यान नहीं दिया । मैंने सोचा अब मुझे घर चलना चाहिए कहीं बारिश ना हो जाए , पर मुझे क्या पता था कि वरुण बिल्कुल मेरे पीछे ही खड़ा है जैसे ही मैं पीछे हटने को हुई पीछे वरुण से जा टकराई, वरुण ने भी इस मौके का पूरा फायदा उठाया और अपने हाथ आगे बढ़ाकर मेरी पतली कमर के उस हिस्से को जहां कोई कपड़ा नहीं था पीछे से पकड़कर अपनी ओर खींचा ।
इससे मेरी पीठ वरुण के सीने से जा टकराई और मैं बिल्कुल उससे सट गई , मौसम ठंडा था पर वरुण के बदन से गरम लहरे निकल रही थी जो मुझे अपने बदन पर साफ महसूस हो रही थी , नीचे वरुण के लिंग का जो तनाव था वो भी मुझे मेरे नितम्बों पर चुभने लगा , आज पहली बार मैंने वरुण के लिंग को अपने जिस्म पर महसूस किया । मैं समझ गई कि ये सब आज की मेरी वरुण के साथ की गई हरकतों का परिणाम है । मैं जल्दी से वरुण से अलग हुई और उसकी ओर हैरानी के भाव से देखा ।
अपनी गलती के पकड़े जाने से वरुण एकदम से थोड़ा सा घबराया और कहने लगा - " वो सॉरी भाभी....... मैं आपको ये कहने आया था कि अब हमे चलना चाहिए मौसम खराब हो रहा है । " वरुण की बात सुनकर मैंने हामी मे सर हिलाया और उसे भी चलने को कहा । वरुण बात तो मुझसे कर रहा था पर उसकी नजर मेरे उभरे हुए बूब्स पर थी जैसे वो उन्हे सिर्फ ब्रा मे कल्पना कर रहा हो,
जब मुझे अपनी हालत का ध्यान आया तो मैंने अपनी साड़ी का आँचल ठीक किया , अब तक सब लोग ग्राउंड से निकल चुके थे सिर्फ हम दोनों ही वहाँ खड़े थे । मैंने उसे एक बार फिर से उसकी कल्पना से जगाया - " वरुण चलो भी । "
वरुण - हाँ ... हाँ ... भाभी ।
इतना कहकर हम दोनों चलने वाले ही थे के तभी बोहोत ज़ोरों की बिजली कड़की और एक तेज हवा का झोंका आया जिसकी वजह से एक बार फिर मेरा आँचल मेरी पकड़ से छूटकर हवा मे उड़ने लगा
, मैंने उसे पकड़ने की भी कोशिश की पर नाकामयाब रही । मैं अपने आँचल को संभालने मे लगी थी और वरुण पीछे से मेरी हालत के मजे ले रहा था , एक ही दिन मे दो बार वरुण के सामने इतनी बोल्ड हो जाने से मुझे अब थोड़ी शर्म भी आने लगी । मैंने जल्दी -2 अपने पल्लू को ठीक किया और चलने लगी । पर आज शायद होनी भी मुझे वरुण के करीब ही लाना थी मेरे एक कदम बढ़ाते ही ज़ोरों की बारिश शुरू हो गई । बारिश शुरू होते के साथ ही मैं घबरा गई और ग्राउंड से निकलने के लिए तेजी से भागने लगी । वरुण मेरे पीछे ही चल रहा था , मेरे पैरों मे सैंडल थी बारिश होने की वजह से ग्राउंड की मिट्टी गीली हो गई और भागते हुए मेरी सैंडल मिट्टी मे धंस गई जिससे मेरा पैर मुड़ गया मैं तो गिरने को ही हो गई थी पर तभी पीछे से वरुण ने मुझे थाम लिया और सहारा देकर खड़ा किया ।
वरुण(मुझे थामे हुए ) - भाभी आप ठीक तो है ?
मेरे पैर मे थोड़ा दर्द था मैंने वरुण से कहा - " हम्म मैं ठीक हूँ , शुक्रिया वरुण । " वरुण ने मुझे पूरा अपनी बाँहों मे समेटा हुआ था उसने ऐसे ही पकड़े-2 मेरी ओर देखा और अपनी आँखों से ही मेरा शुक्रिया स्वीकार किया । मैं वरुण से थोड़ा अलग होते हुए चलने की कोशिश करने लगी पर चलते ही फिर से मेरे पैर मे दर्द मचल गया जिसकी वजह से मैं फिर से वरुण से सट गई ।
वरुण इस बार मुझे पीछे से और भी मजबूती से पकड़ा और मेरी कमर मे अपना हाथ धीरे से फिराते हुए मेरी गर्दन पर धीरे से अपने होंठो से चुम्बन देने लगा ।
बारिश के होते हुए भी वरुण का जिस्म गरम था और उसकी गर्मी मेरे जिस्म तक पहुँच रही थी । मेरा पूरा बदन सिहर उठा और मैं वरुण की बाहों मे सिमट गई ।