23-10-2022, 12:30 AM
मैं 3 बजे तक सोती रही जब आँखे खुली तो मैं अपने अपने बिस्तर से उठी ओर बाहर हॉल मे आकर टीवी देखने लगी ,
कोई खास प्रोग्राम तो टीवी मे आया हुआ था नहीं , तो मैं बस गानों को ही सुनने लगी । वक्त कब बीता पता ही नहीं चला और 3:30 बज गए इतने मे ही वरुण ने आकर मेरे घर की डॉर बेल बजा दी । डॉर बेल की आवाज से मैं अपने गानों की दुनिया से बाहर आई और टीवी बंद करके गेट खोलने चली गई
गेट खोला तो सामने वरुण ही खड़ा था वो मुस्कुराते हुए मुझे ही देख रहा था या यूँ कहूँ के मेरे बदन पर अपनी नजरे जमाये हुए था । मुझे देखकर वो बोला - " हैलो भाभी !" मैंने भी उसकी बात के जवाब मे उसे हैलो कहा और अंदर आने को बोला । वरुण अंदर जाने लगा और मैं वही खड़ी होकर दरवाजा बंद करने लगी , दरवाजा बंद करते हुए मैंने देखा बाहर का मौसम काफ़ी ठंडा था , आसमान मे बादल भी मँडरा रहे थे , थोड़ी-2 हवा भी चल रही थी । मैंने दरवाजा बंद किया और अंदर आ गई वरुण पहले से ही अंदर सोफ़े पर बैठ था मुझे आता देखकर उसने मुस्कुराते हुए अपनी खुशी जाहिर की ।
मैंने उसे अपनी किताबे खोलने के लिए कहा ओर उसके लिए पानी लेने कीचेन मे चली गई । जब तक मैं पानी का ग्लास लेकर आई वरुण बैठा हुआ अपनी किताब पढ़ था , वरुण से नितिन के बारे मे जानकारी पता लगाने के लिए मैंने अपना पहला पाँसा फेंकने की योजना बनाई और उसे पानी देते हुए जानबूझकर अपना आँचल थोड़ा सा नीचे गिरा दिया पर इस बार मैंने उसे उठाने मे कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई बल्कि बोहोत ही आराम से वरुण को अपने भारी चूचों के दर्शन करवाए,
वरुण ने पानी का ग्लास उठा तो लिया पर वो उसे पीना भूलकर मेरे कसे हुए बूब्स की गहरी घाटियों मे खो गया उसके होंठ खुल गए जैसे अभी लपककर मेरे चूचों को मुहँ मे भर लेंगे और फिर कभी नहीं छोड़ेंगे । अपने इस बोल्ड अंदाज से गुदगुदी तो मेरे मन मे भी हो रही थी और मेरे बूब्स कुछ ज्यादा ही तन गए , मैंने धीरे से अपना आँचल संभाला और उससे अपने बूब्स को ढका । वरुण भी अपने भ्रम से निकला और पानी के ग्लास को अपने होंठों से लगाकर पीने लगा । पानी पीकर उसने ग्लास वहीं टेबल पर रख दिया मैं उसके सामने वाले सोफ़े पर बैठ गई
और उसकी एक किताब उठाकर पढ़ने लगी वरुण की नजरें मुझ पर ही थी उसने मुझे किताब पढ़ते हुए देखा तो बोला - " भाभी आज कौन सा टॉपिक पढ़ना है ? "
मैंने वरुण की ओर देखा -
मैं - आज अकाउंट्स के कुछ प्रश्न हल करेंगे तुम अपनी कॉपी खोलो ।
वरुण - जी ।
फिर वरुण ने अपनी कॉपी मे मेरे द्वारा बोले गए प्रश्न लिखे और उन्हे सुलझाने बैठ गया , वरुण सवालों मे उलझा था और मैं अपने सवालों का जवाब उससे सुनना चाहती थी मैंने आखिर उससे पूछ ही लिया -
मैं - वरुण !
वरुण ने बिना कुछ बोले मेरी ओर देखा तो मैंने अपनी बात आगे बढ़ाई - " कल शाम तुम्हारे घर कोई आया था क्या ? "
वरुण ने मेरे सवाल पर कुछ सोचते हुए जवाब दिया - " कल शाम ...... हाँ याद आया , कल शाम हमारे घर इंसयोरेंस कंपनी वाला आया था , वो आपको तो पता ही है ना 4 साल पहले पापा की डेथ के बाद उनके इंसयोरेंस से ही हमारा खर्च चलता है तो वो उसी के सिलसिले मे मम्मी से कुछ बात करने आया था , पर आपने उसे कहाँ देखा ?
मैं ( थोड़ी सचेत होती हुई ) - अरे कल शाम छत पर घूमते हुए मेरी नजर पड़ गई , मुझे लगा पता नहीं कौन होगा ? इतने दिनों बाद तुम्हारे घर एक अनजान शख्स को आता देखकर ऐसे ही पूछने का मन किया ।
वरुण ने हाँ मे सर हिलाया और फिर से अपनी कॉपी मे देखने लगा , पर मैं वरुण के जवाब से संतुष्ट नहीं थी इसकी वजह ये थी के वरुण तो कह रहा था कि कल शाम उसके घर आने वाला आदमी बीमा कंपनी से था तो उसके पास कोई दस्तावेज , बेग कुछ तो होना चाहिए था पर जहां तक मुझे याद है उसके हाथ मे ऐसा कुछ नहीं था और वो इतनी जल्दी आकर चला कैसे गया ? मैंने वरुण की ओर देखा तो वो एक सवाल पर अटका हुआ था । " है तो बिल्कुल निकम्मा एक सवाल भी नहीं कर सकता अभी भी इसके दिमाग मे मेरे बूब्स की तस्वीरे ही घूम रही होंगी , जरूर ये मुझे सोफ़े पर ब्रा और पेन्टी मे कल्पना कर रहा होगा "
- मैंने मन मे सोचा ।
मैंने उसे कहा - "क्या हुआ हुआ वरुण ? हुआ नहीं क्या ?
वरुण - भाभी ये सवाल समझ नहीं आ रहा , आप समझा दो प्लीज ।
इतना कहकर वरुण ने अपनी कॉपी मेरी ओर बढ़ा दी ,मैंने उसके हाथ से कॉपी ली और उसे सामने की टेबल पर रखकर समझाने लगी । प्रश्न को हल करने के लिए मुझे थोड़ा झुककर उसे समझना पड़ा जिससे मेरे बूब्स की गहरी घाटी एक बार फिर उसकी आँखों के सामने आ गई ।
वरुण की पैनी निगाहे वही मेरे बूब्स पर चिपक गई और वो बस अपनी आँखों से ही उनका रसपान करने लगा । मैं ये जानती थी कि वरुण का ध्यान सवाल समझने मे नहीं बल्कि मेरे बदन की गुत्थियों को सुलझाने मे है पर मैं भी उसे उकसाने मे कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी । यही मेरी योजना थी के वरुण को अपनी सुंदरता के जाल मे फाँसकर उससे सारी सच्चाई निकलवाई जाए , इसलिए मैं भी बिना किसी झिझक के वरुण को अपने दोनों खरबूजों के दर्शन करने दे रही थी । वरुण की निगाहों की तपन मेरे दिल मे भी हलचल मचा रही थी पर मैं खुद को उसके सवाल मे उलझे रहने का नाटक कर रही थी , सच तो ये था कि ना तो मेरा ध्यान वरुण को पढ़ाने मे था और ना ही वरुण को इन किताबी सवालों मे कोई दिलचस्पी थी वो तो बस मेरी सुंदरता और मेरे जिस्म के उभारों मे ही खोया हुआ था , जब सवाल पूरा हो गया तो मैं सीधी हो गई और वरुण की आँखों के सामने से उसका पसंदीदा नजारा हट गया जिससे वो उदास सा हो गया और मेरे चेहरे पर हँसी आ गई । कुछ देर बाद वरुण के जाने का वक्त हो गया, वरुण जाने के लिए उठा और अपनी किताबें समेटने लगा , वरुण के खड़े होने से उसकी पेंट मे बना उसके लिंग का ऊभार भी साफ नजर आ रहा था
जिसे देखकर मैं समझ गई के वरुण को वश मे करने की मेरी चाल कामयाब रही । जब वरुण जाने लगा तो मैं भी उसे गेट तक छोड़ने के लिए उसके पीछे-2 चल दी । वरुण ने आगे बढ़कर गेट खोला और बाहर का नज़ारा देखकर रुक गया ।
बाहर का मौसम बोहोत अच्छा था , ठंडी -2 हवा चल रही थी आकाश मे काले बादल छाए हुए थे सामने ग्राउंड मे चारों और पेड़-पौधे हवा मे लहर रहे थे । हम दोनों घर के अंदर थे लेकिन हवा के झोंके हम तक भी आ रहे थे । अचानक वरुण मेरी ओर मुड़ा और बोला - " भाभी , देखो ना कितना अच्छा मौसम है बाहर का ।
मैं - हाँ वरुण लगता है आज बारिश होगी ।
वरुण- चलिए थोड़ी देर ग्राउंड मे घूमते है , मन फ्रेश हो जाएगा ।
कोई खास प्रोग्राम तो टीवी मे आया हुआ था नहीं , तो मैं बस गानों को ही सुनने लगी । वक्त कब बीता पता ही नहीं चला और 3:30 बज गए इतने मे ही वरुण ने आकर मेरे घर की डॉर बेल बजा दी । डॉर बेल की आवाज से मैं अपने गानों की दुनिया से बाहर आई और टीवी बंद करके गेट खोलने चली गई
गेट खोला तो सामने वरुण ही खड़ा था वो मुस्कुराते हुए मुझे ही देख रहा था या यूँ कहूँ के मेरे बदन पर अपनी नजरे जमाये हुए था । मुझे देखकर वो बोला - " हैलो भाभी !" मैंने भी उसकी बात के जवाब मे उसे हैलो कहा और अंदर आने को बोला । वरुण अंदर जाने लगा और मैं वही खड़ी होकर दरवाजा बंद करने लगी , दरवाजा बंद करते हुए मैंने देखा बाहर का मौसम काफ़ी ठंडा था , आसमान मे बादल भी मँडरा रहे थे , थोड़ी-2 हवा भी चल रही थी । मैंने दरवाजा बंद किया और अंदर आ गई वरुण पहले से ही अंदर सोफ़े पर बैठ था मुझे आता देखकर उसने मुस्कुराते हुए अपनी खुशी जाहिर की ।
मैंने उसे अपनी किताबे खोलने के लिए कहा ओर उसके लिए पानी लेने कीचेन मे चली गई । जब तक मैं पानी का ग्लास लेकर आई वरुण बैठा हुआ अपनी किताब पढ़ था , वरुण से नितिन के बारे मे जानकारी पता लगाने के लिए मैंने अपना पहला पाँसा फेंकने की योजना बनाई और उसे पानी देते हुए जानबूझकर अपना आँचल थोड़ा सा नीचे गिरा दिया पर इस बार मैंने उसे उठाने मे कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई बल्कि बोहोत ही आराम से वरुण को अपने भारी चूचों के दर्शन करवाए,
वरुण ने पानी का ग्लास उठा तो लिया पर वो उसे पीना भूलकर मेरे कसे हुए बूब्स की गहरी घाटियों मे खो गया उसके होंठ खुल गए जैसे अभी लपककर मेरे चूचों को मुहँ मे भर लेंगे और फिर कभी नहीं छोड़ेंगे । अपने इस बोल्ड अंदाज से गुदगुदी तो मेरे मन मे भी हो रही थी और मेरे बूब्स कुछ ज्यादा ही तन गए , मैंने धीरे से अपना आँचल संभाला और उससे अपने बूब्स को ढका । वरुण भी अपने भ्रम से निकला और पानी के ग्लास को अपने होंठों से लगाकर पीने लगा । पानी पीकर उसने ग्लास वहीं टेबल पर रख दिया मैं उसके सामने वाले सोफ़े पर बैठ गई
और उसकी एक किताब उठाकर पढ़ने लगी वरुण की नजरें मुझ पर ही थी उसने मुझे किताब पढ़ते हुए देखा तो बोला - " भाभी आज कौन सा टॉपिक पढ़ना है ? "
मैंने वरुण की ओर देखा -
मैं - आज अकाउंट्स के कुछ प्रश्न हल करेंगे तुम अपनी कॉपी खोलो ।
वरुण - जी ।
फिर वरुण ने अपनी कॉपी मे मेरे द्वारा बोले गए प्रश्न लिखे और उन्हे सुलझाने बैठ गया , वरुण सवालों मे उलझा था और मैं अपने सवालों का जवाब उससे सुनना चाहती थी मैंने आखिर उससे पूछ ही लिया -
मैं - वरुण !
वरुण ने बिना कुछ बोले मेरी ओर देखा तो मैंने अपनी बात आगे बढ़ाई - " कल शाम तुम्हारे घर कोई आया था क्या ? "
वरुण ने मेरे सवाल पर कुछ सोचते हुए जवाब दिया - " कल शाम ...... हाँ याद आया , कल शाम हमारे घर इंसयोरेंस कंपनी वाला आया था , वो आपको तो पता ही है ना 4 साल पहले पापा की डेथ के बाद उनके इंसयोरेंस से ही हमारा खर्च चलता है तो वो उसी के सिलसिले मे मम्मी से कुछ बात करने आया था , पर आपने उसे कहाँ देखा ?
मैं ( थोड़ी सचेत होती हुई ) - अरे कल शाम छत पर घूमते हुए मेरी नजर पड़ गई , मुझे लगा पता नहीं कौन होगा ? इतने दिनों बाद तुम्हारे घर एक अनजान शख्स को आता देखकर ऐसे ही पूछने का मन किया ।
वरुण ने हाँ मे सर हिलाया और फिर से अपनी कॉपी मे देखने लगा , पर मैं वरुण के जवाब से संतुष्ट नहीं थी इसकी वजह ये थी के वरुण तो कह रहा था कि कल शाम उसके घर आने वाला आदमी बीमा कंपनी से था तो उसके पास कोई दस्तावेज , बेग कुछ तो होना चाहिए था पर जहां तक मुझे याद है उसके हाथ मे ऐसा कुछ नहीं था और वो इतनी जल्दी आकर चला कैसे गया ? मैंने वरुण की ओर देखा तो वो एक सवाल पर अटका हुआ था । " है तो बिल्कुल निकम्मा एक सवाल भी नहीं कर सकता अभी भी इसके दिमाग मे मेरे बूब्स की तस्वीरे ही घूम रही होंगी , जरूर ये मुझे सोफ़े पर ब्रा और पेन्टी मे कल्पना कर रहा होगा "
- मैंने मन मे सोचा ।
मैंने उसे कहा - "क्या हुआ हुआ वरुण ? हुआ नहीं क्या ?
वरुण - भाभी ये सवाल समझ नहीं आ रहा , आप समझा दो प्लीज ।
इतना कहकर वरुण ने अपनी कॉपी मेरी ओर बढ़ा दी ,मैंने उसके हाथ से कॉपी ली और उसे सामने की टेबल पर रखकर समझाने लगी । प्रश्न को हल करने के लिए मुझे थोड़ा झुककर उसे समझना पड़ा जिससे मेरे बूब्स की गहरी घाटी एक बार फिर उसकी आँखों के सामने आ गई ।
वरुण की पैनी निगाहे वही मेरे बूब्स पर चिपक गई और वो बस अपनी आँखों से ही उनका रसपान करने लगा । मैं ये जानती थी कि वरुण का ध्यान सवाल समझने मे नहीं बल्कि मेरे बदन की गुत्थियों को सुलझाने मे है पर मैं भी उसे उकसाने मे कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी । यही मेरी योजना थी के वरुण को अपनी सुंदरता के जाल मे फाँसकर उससे सारी सच्चाई निकलवाई जाए , इसलिए मैं भी बिना किसी झिझक के वरुण को अपने दोनों खरबूजों के दर्शन करने दे रही थी । वरुण की निगाहों की तपन मेरे दिल मे भी हलचल मचा रही थी पर मैं खुद को उसके सवाल मे उलझे रहने का नाटक कर रही थी , सच तो ये था कि ना तो मेरा ध्यान वरुण को पढ़ाने मे था और ना ही वरुण को इन किताबी सवालों मे कोई दिलचस्पी थी वो तो बस मेरी सुंदरता और मेरे जिस्म के उभारों मे ही खोया हुआ था , जब सवाल पूरा हो गया तो मैं सीधी हो गई और वरुण की आँखों के सामने से उसका पसंदीदा नजारा हट गया जिससे वो उदास सा हो गया और मेरे चेहरे पर हँसी आ गई । कुछ देर बाद वरुण के जाने का वक्त हो गया, वरुण जाने के लिए उठा और अपनी किताबें समेटने लगा , वरुण के खड़े होने से उसकी पेंट मे बना उसके लिंग का ऊभार भी साफ नजर आ रहा था
जिसे देखकर मैं समझ गई के वरुण को वश मे करने की मेरी चाल कामयाब रही । जब वरुण जाने लगा तो मैं भी उसे गेट तक छोड़ने के लिए उसके पीछे-2 चल दी । वरुण ने आगे बढ़कर गेट खोला और बाहर का नज़ारा देखकर रुक गया ।
बाहर का मौसम बोहोत अच्छा था , ठंडी -2 हवा चल रही थी आकाश मे काले बादल छाए हुए थे सामने ग्राउंड मे चारों और पेड़-पौधे हवा मे लहर रहे थे । हम दोनों घर के अंदर थे लेकिन हवा के झोंके हम तक भी आ रहे थे । अचानक वरुण मेरी ओर मुड़ा और बोला - " भाभी , देखो ना कितना अच्छा मौसम है बाहर का ।
मैं - हाँ वरुण लगता है आज बारिश होगी ।
वरुण- चलिए थोड़ी देर ग्राउंड मे घूमते है , मन फ्रेश हो जाएगा ।