23-10-2022, 12:09 AM
मैं - नमस्ते । तुम ???.....
" वो सर ने बुलाया था आपके टेलेफ़ोन मे कुछ खराबी है शायद । " उसने कहा और फिर चुप हो गया । मैं उसकी बात समझ गई और बोली - " अरे हाँ हाँ .. आओ , अंदर आओ । " इतना कहकर मैं अंदर आ गई
और मेरे पीछे-2 वो लड़का भी अंदर आ गया । मैं उसे लेकर हॉल मे आई और टेलेफ़ोन के पास ले गई ।
मैं - यही है , पिछले 1 महीने से बंद है ।
" एक महीना .. अपने पहले शिकायत क्यों नहीं की ? " उसने थोड़ी हैरानी से कहा ।
मैं - बस क्या कहे टाइम ही नहीं लगा । अब तुम इसे चेक कर लो एक बार और कुछ चाहिए हो तो बता देना । मैं यही हूँ सामने कीचेन मे ।
उसने मेरी ओर देखकर मुस्कुराते हुए जवाब दिया - " जी ठीक है । " और अपने काम मे लग गया । मैं भी कीचेन मे जाकर अपने दोपहर के खाने के लिए कुछ बनाने लगी ।
खाना बनाते हुए मेरी नजर उस लड़के पर गई जैसे ही मैंने उसकी ओर देखा मैं ये देखकर हैरान रह गई कि वो पहले से ही मुझे घूर रहा था । मुझे अपनी ओर देखता पाकर उसे अपनी चोरी पकड़े जाने का एहसास हुआ और वो सकपका गया , मुझसे नजरे चुराते हुए वो फिर से अपने काम मे व्यस्त होने का दिखावा करने लगा । उसकी इस हरकत से मेरी हंसी छूट गई और मैं धीरे से वहीं कीचेन मे मुस्कुरा दी ।
उसके बाद भी मैंने एक बात नोटिस की , कि जब भी उसे मौका मिलता वो चोरी छुपे मुझ पर अपनी नजरे फिरा देता ये सिलसिला तब-तक चला जब-तक मैं पानी का ग्लास लेकर खुद उसके पास नहीं गई । मैंने उसके पास जाकर उसे कहा - " हो गया क्या ? "मुझे एकदम से आपने इतने पास देखकर वो सकपका गया और थोड़ी घबराहट सी की आवाज मे बोला - " जी .. जी .. मैडम बस हो गया । " उसकी ऐसी हालत देखकर मेरे होंठों पर फिर से मुस्कान छा गई ।
मैंने उसे पानी का ग्लास थमाया और वहीं खड़ी होकर उसका काम देखने लगी , उसे सताने मे मुझे भी एक अजीब सा मजा आ रहा था । पानी पीते हुए भी उसकी नजरे मेरे मादक जिस्म का दर्शन कर रही थी उसने तेजी के साथ पानी पिया और फिर टेलेफ़ोन के वायर को लगाने लगा । मैंने ग्लास उसके हाथ से लिया और इस दौरान मैंने जानबूझकर अपनी उंगलियों का स्पर्श उसके हाथ को कराया , जिसने उसके माथे पर पसीने को छलका दिया , वो काफी घबराया हुआ सा लग रहा था , शायद पहली बार किसी महिला के इतने करीब आया था या मुझे अजनबी समझकर थोड़ा घबराया हुआ था । उसने जल्दी-2 टेलेफ़ोन की वायर लगाई और कहा - " अब आप कोई नंबर डायल करके देखिए । " मैंने टेलेफ़ोन के रिसीवर को उठाया और अपने ही सेल फोन का नंबर डायल किया
, तुरंत ही मेरे मोबाईल पर रिंग बज गई इसका मतलब साफ था के टेलेफ़ोन ठीक हो गया है । मैंने उस लड़के से मुस्कुराते हुए कहा - " हम्म , अब ये ठीक हो गया है , थैंक्स । " मुझे मुस्कुराता देखकर उसने भी स्माइल के साथ जवाब दिया - " योर वेलकम मैम । अब मैं चलता हूँ ।" फिर वो जाने लगा , मैंने उसे पीछे से टोका - " सुनो । "
वह पलटा और बोला - " जी मैम ? "
अचानक से ना जाने क्यूँ मुझे एक शरारत सूझी मैं उसके करीब आने लगी और धीरे से उसके आगे पैर फिसलने का ड्रामा करते हुए अपनी साड़ी का पल्लू नीचे ढलाक दिया ।
पल्लू के मेरे बूब्स से थोड़ा हटते ही मेरे ब्लाउज मे बंधे भारी -भरकम गोल गोल चुचे उस नौजवान के सामने आ टपके , वो तो पहले से मेरे हुस्न का दीवाना बना हुआ था मेरे उन्नत बूब्स की एक झलक को पाते ही उसकी आँखों मे एक चमक उभर आई जिसे मैंने अपनी आँखों से बखूबी देखा । थोड़ा संभलते हुए मैं सीधी हुई और अपना पल्लू ठीक किया और उससे बोली -
मैं - " तुम्हारा नाम क्या है ? "
वो थोड़ी स्माइल देकर बोला - " विवेक ! " उसका नाम सुनकर मेरे जहन मे कुछ पुरानी यादें ताजा हो गई , इसका कारण ये था कि ये नाम मैंने पहले भी सुना हुआ था । मैंने एक टक उसको देखा और आगे कहा - " विवेक , दोपहर हो गई है खाना खाओगे ?" मेरे निमंत्रण को सुनकर उसका चेहरा खिल गया आखिर जिस औरत को वो इतने समय से घूर रहा था अगर उसके साथ खाने को मिल जाए तो और क्या चाहिए उसे ? उसने एक बार अपनी घड़ी मे देखा तो उसका चेहरा उतर गया । मैंने पुछा - " क्या हुआ विवेक ?" उसने अपना ध्यान अपनी घड़ी से हटाया और कहने लगा - " सॉरी मैडम , पर मुझे आगे भी एक कस्टमर के घर जाना है खाना खाने रुका तो बोहोत लेट हो जाएगा । " मैंने उसकी बात पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा - " कोई बात नहीं विवेक , तुम अपना काम खत्म करो । इट्स ऑल राइट । "
उसके बाद उसने अपना बॉक्स उठाया और चला गया । मैंने भी उसके पीछे जाकर दरवाजा बंद किया और फिर अंदर हॉल मे आकर सोफ़े पर बैठ गई और अपने द्वारा अभी विवेक के साथ की हुई बातों को याद करके हंसने लगी ।
"ये तुझे क्या हो गया था पदमा ! तू कब से इतनी बोल्ड हो गई कि इस तरह से एक लड़के के साथ ठिठोली करने लगी । "- मैंने मन मे सोचा और खुद ही मुस्कुराने लगी । मैंने ऐसा पहले कभी नहीं किया था , पर आज ना जाने क्यूँ मुझे उस नौजवान को सताने मे एक अजीब सा मजा आ रहा था ,पता नहीं ये समय की नियति थी या मेरे साथ हुई पिछली घटनाओ का प्रभाव , पर मेरे लिए ये बिल्कुल नया अनुभव था, "उस लड़के को अपने हुस्न से सताने मे मुझे इसलिए भी मजा आ रहा था क्योंकि शायद मैं ये भी देखना चाहती थी कि क्या मैं खुद भी किसी मर्द को विचलित कर सकती हूँ या नहीं और इसका जवाब भी मैं जान गई थी साथ ही मुझे ये भी पता चल गया था कि कैसे मैं नितिन और वरुण के बीच की सच्चाई जान सकती हूँ और वो तरीका है अपने हुस्न के जाल का इस्तेमाल, एक औरत का जिस्म किसी भी मर्द के ईमान को डगमगा सकता है वैसे भी नितिन , गुप्ता जी , वरुण और आज विवेक की नज़रों और हरकतों ने मुझे ये तो बता ही दिया था कि मेरे कामुक बदन की आँच किसी भी मर्द को अपनी ओर खिंच सकती है , अब तक मेरे जिस जिस्म से ये लोग खेल रहे थे अब मैं खुद इसके इस्तेमाल से उनके बीच की सच्चाई का पता लगाऊँगी लेकिन मुझे उन्हे ये बिल्कुल नहीं लगने देना कि मुझे उन पर शक है और साथ ही मुझे अपनी सीमाओं और मर्यादा का भी ध्यान रखना होगा कहीं ऐसा ना हो की उन्हे उकसाने के चक्कर मे मुझसे कोई ऐसी भूल ना हो जाए जिससे मेरी दुनिया ही लूट जाए , मुझे बस ये पता करना है कि क्या कल जिस आदमी को मैंने गली मे देखा था वो नितिन ही था या नहीं ? और एक चीज ये कि क्या नितिन को ऑफिस से निकलवाने मे अशोक का कोई हाथ है या नहीं ? मुझे वैसे तो नितिन से कोई हमदर्दी नहीं है , पर मैं किसी गलत काम मे भागीदारी नहीं बन सकती अगर अशोक ने ऐसा किया है तो वो गलत है और मुझे वो फाइल नितिन को देनी ही होगी "। खैर मैं अपनी सोच से बाहर निकली और कीचेन मे जाकर अपने लिए खाना तैयार किया मुझे बोहोत भूख लग रही थी । खाना खाकर मुझे थोड़ी नींद सी आने लगी इसलिए मैं सीधे अपने बेडरूम मे गई और बेड पर लेट गई , लेटे हुए मुझे ज्यादा देर नहीं हुई थी तभी मुझे नींद आ गई और मे उसमे खोती चली गई ।
" वो सर ने बुलाया था आपके टेलेफ़ोन मे कुछ खराबी है शायद । " उसने कहा और फिर चुप हो गया । मैं उसकी बात समझ गई और बोली - " अरे हाँ हाँ .. आओ , अंदर आओ । " इतना कहकर मैं अंदर आ गई
और मेरे पीछे-2 वो लड़का भी अंदर आ गया । मैं उसे लेकर हॉल मे आई और टेलेफ़ोन के पास ले गई ।
मैं - यही है , पिछले 1 महीने से बंद है ।
" एक महीना .. अपने पहले शिकायत क्यों नहीं की ? " उसने थोड़ी हैरानी से कहा ।
मैं - बस क्या कहे टाइम ही नहीं लगा । अब तुम इसे चेक कर लो एक बार और कुछ चाहिए हो तो बता देना । मैं यही हूँ सामने कीचेन मे ।
उसने मेरी ओर देखकर मुस्कुराते हुए जवाब दिया - " जी ठीक है । " और अपने काम मे लग गया । मैं भी कीचेन मे जाकर अपने दोपहर के खाने के लिए कुछ बनाने लगी ।
खाना बनाते हुए मेरी नजर उस लड़के पर गई जैसे ही मैंने उसकी ओर देखा मैं ये देखकर हैरान रह गई कि वो पहले से ही मुझे घूर रहा था । मुझे अपनी ओर देखता पाकर उसे अपनी चोरी पकड़े जाने का एहसास हुआ और वो सकपका गया , मुझसे नजरे चुराते हुए वो फिर से अपने काम मे व्यस्त होने का दिखावा करने लगा । उसकी इस हरकत से मेरी हंसी छूट गई और मैं धीरे से वहीं कीचेन मे मुस्कुरा दी ।
उसके बाद भी मैंने एक बात नोटिस की , कि जब भी उसे मौका मिलता वो चोरी छुपे मुझ पर अपनी नजरे फिरा देता ये सिलसिला तब-तक चला जब-तक मैं पानी का ग्लास लेकर खुद उसके पास नहीं गई । मैंने उसके पास जाकर उसे कहा - " हो गया क्या ? "मुझे एकदम से आपने इतने पास देखकर वो सकपका गया और थोड़ी घबराहट सी की आवाज मे बोला - " जी .. जी .. मैडम बस हो गया । " उसकी ऐसी हालत देखकर मेरे होंठों पर फिर से मुस्कान छा गई ।
मैंने उसे पानी का ग्लास थमाया और वहीं खड़ी होकर उसका काम देखने लगी , उसे सताने मे मुझे भी एक अजीब सा मजा आ रहा था । पानी पीते हुए भी उसकी नजरे मेरे मादक जिस्म का दर्शन कर रही थी उसने तेजी के साथ पानी पिया और फिर टेलेफ़ोन के वायर को लगाने लगा । मैंने ग्लास उसके हाथ से लिया और इस दौरान मैंने जानबूझकर अपनी उंगलियों का स्पर्श उसके हाथ को कराया , जिसने उसके माथे पर पसीने को छलका दिया , वो काफी घबराया हुआ सा लग रहा था , शायद पहली बार किसी महिला के इतने करीब आया था या मुझे अजनबी समझकर थोड़ा घबराया हुआ था । उसने जल्दी-2 टेलेफ़ोन की वायर लगाई और कहा - " अब आप कोई नंबर डायल करके देखिए । " मैंने टेलेफ़ोन के रिसीवर को उठाया और अपने ही सेल फोन का नंबर डायल किया
, तुरंत ही मेरे मोबाईल पर रिंग बज गई इसका मतलब साफ था के टेलेफ़ोन ठीक हो गया है । मैंने उस लड़के से मुस्कुराते हुए कहा - " हम्म , अब ये ठीक हो गया है , थैंक्स । " मुझे मुस्कुराता देखकर उसने भी स्माइल के साथ जवाब दिया - " योर वेलकम मैम । अब मैं चलता हूँ ।" फिर वो जाने लगा , मैंने उसे पीछे से टोका - " सुनो । "
वह पलटा और बोला - " जी मैम ? "
अचानक से ना जाने क्यूँ मुझे एक शरारत सूझी मैं उसके करीब आने लगी और धीरे से उसके आगे पैर फिसलने का ड्रामा करते हुए अपनी साड़ी का पल्लू नीचे ढलाक दिया ।
पल्लू के मेरे बूब्स से थोड़ा हटते ही मेरे ब्लाउज मे बंधे भारी -भरकम गोल गोल चुचे उस नौजवान के सामने आ टपके , वो तो पहले से मेरे हुस्न का दीवाना बना हुआ था मेरे उन्नत बूब्स की एक झलक को पाते ही उसकी आँखों मे एक चमक उभर आई जिसे मैंने अपनी आँखों से बखूबी देखा । थोड़ा संभलते हुए मैं सीधी हुई और अपना पल्लू ठीक किया और उससे बोली -
मैं - " तुम्हारा नाम क्या है ? "
वो थोड़ी स्माइल देकर बोला - " विवेक ! " उसका नाम सुनकर मेरे जहन मे कुछ पुरानी यादें ताजा हो गई , इसका कारण ये था कि ये नाम मैंने पहले भी सुना हुआ था । मैंने एक टक उसको देखा और आगे कहा - " विवेक , दोपहर हो गई है खाना खाओगे ?" मेरे निमंत्रण को सुनकर उसका चेहरा खिल गया आखिर जिस औरत को वो इतने समय से घूर रहा था अगर उसके साथ खाने को मिल जाए तो और क्या चाहिए उसे ? उसने एक बार अपनी घड़ी मे देखा तो उसका चेहरा उतर गया । मैंने पुछा - " क्या हुआ विवेक ?" उसने अपना ध्यान अपनी घड़ी से हटाया और कहने लगा - " सॉरी मैडम , पर मुझे आगे भी एक कस्टमर के घर जाना है खाना खाने रुका तो बोहोत लेट हो जाएगा । " मैंने उसकी बात पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा - " कोई बात नहीं विवेक , तुम अपना काम खत्म करो । इट्स ऑल राइट । "
उसके बाद उसने अपना बॉक्स उठाया और चला गया । मैंने भी उसके पीछे जाकर दरवाजा बंद किया और फिर अंदर हॉल मे आकर सोफ़े पर बैठ गई और अपने द्वारा अभी विवेक के साथ की हुई बातों को याद करके हंसने लगी ।
"ये तुझे क्या हो गया था पदमा ! तू कब से इतनी बोल्ड हो गई कि इस तरह से एक लड़के के साथ ठिठोली करने लगी । "- मैंने मन मे सोचा और खुद ही मुस्कुराने लगी । मैंने ऐसा पहले कभी नहीं किया था , पर आज ना जाने क्यूँ मुझे उस नौजवान को सताने मे एक अजीब सा मजा आ रहा था ,पता नहीं ये समय की नियति थी या मेरे साथ हुई पिछली घटनाओ का प्रभाव , पर मेरे लिए ये बिल्कुल नया अनुभव था, "उस लड़के को अपने हुस्न से सताने मे मुझे इसलिए भी मजा आ रहा था क्योंकि शायद मैं ये भी देखना चाहती थी कि क्या मैं खुद भी किसी मर्द को विचलित कर सकती हूँ या नहीं और इसका जवाब भी मैं जान गई थी साथ ही मुझे ये भी पता चल गया था कि कैसे मैं नितिन और वरुण के बीच की सच्चाई जान सकती हूँ और वो तरीका है अपने हुस्न के जाल का इस्तेमाल, एक औरत का जिस्म किसी भी मर्द के ईमान को डगमगा सकता है वैसे भी नितिन , गुप्ता जी , वरुण और आज विवेक की नज़रों और हरकतों ने मुझे ये तो बता ही दिया था कि मेरे कामुक बदन की आँच किसी भी मर्द को अपनी ओर खिंच सकती है , अब तक मेरे जिस जिस्म से ये लोग खेल रहे थे अब मैं खुद इसके इस्तेमाल से उनके बीच की सच्चाई का पता लगाऊँगी लेकिन मुझे उन्हे ये बिल्कुल नहीं लगने देना कि मुझे उन पर शक है और साथ ही मुझे अपनी सीमाओं और मर्यादा का भी ध्यान रखना होगा कहीं ऐसा ना हो की उन्हे उकसाने के चक्कर मे मुझसे कोई ऐसी भूल ना हो जाए जिससे मेरी दुनिया ही लूट जाए , मुझे बस ये पता करना है कि क्या कल जिस आदमी को मैंने गली मे देखा था वो नितिन ही था या नहीं ? और एक चीज ये कि क्या नितिन को ऑफिस से निकलवाने मे अशोक का कोई हाथ है या नहीं ? मुझे वैसे तो नितिन से कोई हमदर्दी नहीं है , पर मैं किसी गलत काम मे भागीदारी नहीं बन सकती अगर अशोक ने ऐसा किया है तो वो गलत है और मुझे वो फाइल नितिन को देनी ही होगी "। खैर मैं अपनी सोच से बाहर निकली और कीचेन मे जाकर अपने लिए खाना तैयार किया मुझे बोहोत भूख लग रही थी । खाना खाकर मुझे थोड़ी नींद सी आने लगी इसलिए मैं सीधे अपने बेडरूम मे गई और बेड पर लेट गई , लेटे हुए मुझे ज्यादा देर नहीं हुई थी तभी मुझे नींद आ गई और मे उसमे खोती चली गई ।