21-10-2022, 06:31 PM
आद्विक की दादी - हां, और क्या, मैं तो कबसे कह रही हूं कोई अच्छी लड़की खोजो और इसे बांधो, तभी घर परिवार की भी कीमत समझेगा।
आद्विक की दीदी (कुछ सोच कर)- हां दादी आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं। वैसे मैंने यहीं उसके लिए एक लड़की देखी भी थी और सोचा भी था कि आप सबको भी दिखलाऊंगी, और इसी बहाने आद्विक भी देख लेता, मिल लेता, लेकिन पता नहीं, कहां रह गया ये लड़का ??
सभी (हैरानी से)- क्या, कौन है वो, दिखाइए ना, हमें भी मिलना है।
आद्विक की दादी - हां बेटा, कौन है, कैसी है, क्या है ?? तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ??
आद्विक की दीदी (इधर उधर देखते हुए)- पता नहीं दादी, किधर गई, आज तो दिख ही नहीं रही है वरना हमेशा तो दर्श की होने वाली दुल्हन के साथ ही रहती थी।
आद्विक की दीदी (फिर से)- काफी प्यारी, शांत और समझदार लड़की है दादी, मुझे तो अपने आदि के लिए बेस्ट लगती है। वैसे मैंने अभी इस बारे मे किसी से भी कोई बात नहीं की है, उसके घरवालों से भी नहीं, मुझे लगा पहले आप लोग एक बार देख लीजिए फिर बात करना सही रहेगा।
इधर जहां दर्श और आद्विक के सभी घरवालों को नीतिका को देखने और उससे मिलने का बेसब्री से इंतजार था वहीं दूसरी ओर नीतिका सबसे बहाने कर घर वापस आ कर अपने कमरे में बैठी आद्विक की बातों और उसकी हरकतों को सोच कर अकेले में रो रही थी। भव्या ने भी कई बार सबसे पूछवाया कि नीतिका कहां है लेकिन किसी ने भी कोई खास जवाब नही दिया क्योंकि किसी ने भी उसे काफी देर से देखा नही था। वो भी नीतिका के लिए काफी परेशान हो गई लेकिन उस वक्त चूंकि वो होने वाली दुल्हन थी कुछ कर नहीं पा रही थी।
संगीत में भी एक डांस उसका भी था लेकिन वो नहीं दिखी, इन सबको देख कर भव्या को भी बहुत अजीब लग रहा था और वो नीतिका के लिए परेशान हो रही थी। काफी देर बाद संगीत खत्म हुआ और सभी अपने अपने घर लौट गए। दर्श ने भी जाते हुए भव्या को धीरे से कान में उसे जल्दी ही अगले दिन अपने साथ हमेशा के लिए ले जाने की बात कही तो वो शरमा कर नीचे देखने लगी।
कमरे में पहुंचते ही भव्या ने सबसे पहले उसे कॉल लगाया। नीतिका को अब समझ नहीं आ रहा था कि क्या बहाना बनाए।
भव्या (गुस्से में)- खुद को समझती क्या हो तुम?? जो मन में आएगा वो करोगी तुम ?? तुमने एक बार भी नहीं सोचा कि मुझे कैसा लगेगा??
नीतिका (धीरे से)- सॉरी भावी, लेकिन सच में तबियत बिल्कुल भी ठीक नहीं थी फिर गर्दन और बांह में थोड़ी मोच भी पड़ गई इसीलिए, और कोई बात नहीं है सच्ची।
भव्या (नाराजगी और गुस्से में)- अच्छी बात है, तेरे वक्त में मैं भी यही करूंगी, याद रखना, फिर पूछूंगी कैसा लगा ??
नीतिका (प्यार से)- अच्छा न, सॉरी, माफ कर दे। वैसे भी आज इतना गुस्सा करेगी तो कल अपनी ही शादी के दिन बीमार दिखेगी।
भव्या (मुंह बनाते हुए)- हुंह.....
भव्या (थोड़ा शांत हो कर)- नीकू, तू सच में ठीक तो है ना?? सच सच बता, प्लीज।
नीतिका आज की बात सोच कर फिर से रुआंसी होने लगी लेकिन भव्या के बारे में सोच कर खुद को सामान्य करने लगी।
नीतिका (प्यार से)- हां यार, बिल्कुल ठीक हूं, तू इतना जोर मत डाल अपने दिमाग पर, कुछ बचाकर भी रख ले, ससुराल वालों को परेशान करने के काम आएगा।
दोनों ही दोस्तों ने आज भी काफी देर तक एक दूसरे से जी भर कर बातें की फिर नीतिका के खूब समझाने पर वो सो गई। नीतिका भी फोन रख कर वापस कुछ सोचने लगी।
आद्विक का घर.......
"आदि, कहां था तू कि तुझे दर्श के संगीत पर जाना भी याद नहीं रहा?? इतनी लापरवाही.... सोच उसे कितना बुरा लगा होगा???" आद्विक की नीतू दीदी गुस्से में आद्विक को डांट रही थीं।
"हां चाचू, मैंने तो आपका डांस भी नहीं देखा।" प्यार और मासूमियत से आद्विक की चार साल की भतीजी पिया भी बोल पड़ी।
आद्विक (प्यार से कान पकड़ते हुए)- सॉरी बेटू....
पिया (मुंह बनाते हुए) - चाचू एक तो आपने भी डांस नहीं किया फिर नई चाची की बेस्ट फ्रेंड की भी तबियत खराब हो गई तो उनका भी डांस नहीं देखा, कितना sad sad हुआ ना ये तो।
आद्विक पिया की बात पर कुछ सोचने लगा।
आद्विक की सौम्या भाभी (आद्विक की दीदी की ओर देखते हुए)- हां दी, मैंने कुछ लोगों से पूछा था उस लड़की के बारे में तो उन्होंने ही बताया कि शायद अचानक गिरने से थोड़ी मोच आ गई थी इसीलिए वहां नहीं दिखी वो।
अब आद्विक को भरोसा हो चुका था कि वे लोग उसी की बात कर रहे थे जिससे वो टकराया था। वो भी उठ कर चुपचाप कमरे में जा कर लेट गया।
आद्विक की दीदी (कुछ सोच कर)- हां दादी आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं। वैसे मैंने यहीं उसके लिए एक लड़की देखी भी थी और सोचा भी था कि आप सबको भी दिखलाऊंगी, और इसी बहाने आद्विक भी देख लेता, मिल लेता, लेकिन पता नहीं, कहां रह गया ये लड़का ??
सभी (हैरानी से)- क्या, कौन है वो, दिखाइए ना, हमें भी मिलना है।
आद्विक की दादी - हां बेटा, कौन है, कैसी है, क्या है ?? तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ??
आद्विक की दीदी (इधर उधर देखते हुए)- पता नहीं दादी, किधर गई, आज तो दिख ही नहीं रही है वरना हमेशा तो दर्श की होने वाली दुल्हन के साथ ही रहती थी।
आद्विक की दीदी (फिर से)- काफी प्यारी, शांत और समझदार लड़की है दादी, मुझे तो अपने आदि के लिए बेस्ट लगती है। वैसे मैंने अभी इस बारे मे किसी से भी कोई बात नहीं की है, उसके घरवालों से भी नहीं, मुझे लगा पहले आप लोग एक बार देख लीजिए फिर बात करना सही रहेगा।
इधर जहां दर्श और आद्विक के सभी घरवालों को नीतिका को देखने और उससे मिलने का बेसब्री से इंतजार था वहीं दूसरी ओर नीतिका सबसे बहाने कर घर वापस आ कर अपने कमरे में बैठी आद्विक की बातों और उसकी हरकतों को सोच कर अकेले में रो रही थी। भव्या ने भी कई बार सबसे पूछवाया कि नीतिका कहां है लेकिन किसी ने भी कोई खास जवाब नही दिया क्योंकि किसी ने भी उसे काफी देर से देखा नही था। वो भी नीतिका के लिए काफी परेशान हो गई लेकिन उस वक्त चूंकि वो होने वाली दुल्हन थी कुछ कर नहीं पा रही थी।
संगीत में भी एक डांस उसका भी था लेकिन वो नहीं दिखी, इन सबको देख कर भव्या को भी बहुत अजीब लग रहा था और वो नीतिका के लिए परेशान हो रही थी। काफी देर बाद संगीत खत्म हुआ और सभी अपने अपने घर लौट गए। दर्श ने भी जाते हुए भव्या को धीरे से कान में उसे जल्दी ही अगले दिन अपने साथ हमेशा के लिए ले जाने की बात कही तो वो शरमा कर नीचे देखने लगी।
कमरे में पहुंचते ही भव्या ने सबसे पहले उसे कॉल लगाया। नीतिका को अब समझ नहीं आ रहा था कि क्या बहाना बनाए।
भव्या (गुस्से में)- खुद को समझती क्या हो तुम?? जो मन में आएगा वो करोगी तुम ?? तुमने एक बार भी नहीं सोचा कि मुझे कैसा लगेगा??
नीतिका (धीरे से)- सॉरी भावी, लेकिन सच में तबियत बिल्कुल भी ठीक नहीं थी फिर गर्दन और बांह में थोड़ी मोच भी पड़ गई इसीलिए, और कोई बात नहीं है सच्ची।
भव्या (नाराजगी और गुस्से में)- अच्छी बात है, तेरे वक्त में मैं भी यही करूंगी, याद रखना, फिर पूछूंगी कैसा लगा ??
नीतिका (प्यार से)- अच्छा न, सॉरी, माफ कर दे। वैसे भी आज इतना गुस्सा करेगी तो कल अपनी ही शादी के दिन बीमार दिखेगी।
भव्या (मुंह बनाते हुए)- हुंह.....
भव्या (थोड़ा शांत हो कर)- नीकू, तू सच में ठीक तो है ना?? सच सच बता, प्लीज।
नीतिका आज की बात सोच कर फिर से रुआंसी होने लगी लेकिन भव्या के बारे में सोच कर खुद को सामान्य करने लगी।
नीतिका (प्यार से)- हां यार, बिल्कुल ठीक हूं, तू इतना जोर मत डाल अपने दिमाग पर, कुछ बचाकर भी रख ले, ससुराल वालों को परेशान करने के काम आएगा।
दोनों ही दोस्तों ने आज भी काफी देर तक एक दूसरे से जी भर कर बातें की फिर नीतिका के खूब समझाने पर वो सो गई। नीतिका भी फोन रख कर वापस कुछ सोचने लगी।
आद्विक का घर.......
"आदि, कहां था तू कि तुझे दर्श के संगीत पर जाना भी याद नहीं रहा?? इतनी लापरवाही.... सोच उसे कितना बुरा लगा होगा???" आद्विक की नीतू दीदी गुस्से में आद्विक को डांट रही थीं।
"हां चाचू, मैंने तो आपका डांस भी नहीं देखा।" प्यार और मासूमियत से आद्विक की चार साल की भतीजी पिया भी बोल पड़ी।
आद्विक (प्यार से कान पकड़ते हुए)- सॉरी बेटू....
पिया (मुंह बनाते हुए) - चाचू एक तो आपने भी डांस नहीं किया फिर नई चाची की बेस्ट फ्रेंड की भी तबियत खराब हो गई तो उनका भी डांस नहीं देखा, कितना sad sad हुआ ना ये तो।
आद्विक पिया की बात पर कुछ सोचने लगा।
आद्विक की सौम्या भाभी (आद्विक की दीदी की ओर देखते हुए)- हां दी, मैंने कुछ लोगों से पूछा था उस लड़की के बारे में तो उन्होंने ही बताया कि शायद अचानक गिरने से थोड़ी मोच आ गई थी इसीलिए वहां नहीं दिखी वो।
अब आद्विक को भरोसा हो चुका था कि वे लोग उसी की बात कर रहे थे जिससे वो टकराया था। वो भी उठ कर चुपचाप कमरे में जा कर लेट गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.