Poll: Kya ek auraat ko bahut saare maardon ke saat sex karana accha nahi hain?
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Sirf pati ke saat sex kare, sati savitri
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Aurat ko har type ke maard ka swad lena chahiye
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Kisi maard ko mana nahi kare
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Apne pasand ke saab mard ke sat sex kare
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bina umar, rishta, ajnabi ya kisi cheej ka lihaaj na karate saab ke saat sex kare
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Adultery मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट ३६ - मेरे पति मौसाजी के कुक (Part 2) !
#51
पार्ट १५: हरिया से चुद गयी !

दूसरे दिन शादी थी. बहुत भीड़ ओर शोरगुल था. सुबह में उठकर नहाने गयी.. मैंने देखा, मेरी एक पायल पाँव में नहीं थी. कहा गिर गयी होगी? में सोच रही थी. तभी मेरे ख़याल में आया की कही रात को तबेले में तो नहीं गिर गयी. घर में किसी को बोल भी नहीं सकती थी. नहीं तो राज खुल जाता. मैंने सोचा ढूंढना तो पड़ेगा, नहीं तो बाद में किसी को वहा पायल मिल गयी तो , पूरा भांडा फुट जायेगा. मेरे पास पायल का दूसरा जोड़ था. मैंने वह पेहेन लिया ओर सोचा जब सब शादी में  मशगूल होंगे तब ढून्ढ लुंगी. घर में मैंने सब जगह देख लिया था. कही नहीं मिल रही थी.  में तैयार हो कर शादी वाले मंडप पर चली गयी. 

मैंने के डिज़ाइनर पिंक रंग की साड़ी पहनी थी. सब मुझे देख कर निहार रहे थे. स्वप्निल ओर बंटी दोनों माँ से मजाक कर रहे थे. मुझे देखकर स्वप्निल ने माँ से कहा - मामी आपकी बेटी तो बहुत सुन्दर हैं, में तो मामा की  लड़की से ही शादी करूँगा !  ओर साब ठहाके लगा कर हंसने लगे. बंटी ने भी कह दिया - मै सगा भांजा हूँ .. पहला हक मेरा है.. !  स्वप्निल ने कहा - यह क्या तेरे सात गाँव में रहेगी?  यह तो मेरे से ही शादी करेगी. बंटी ने भी कह दिया - हां यह मेरे सात गाँव में ही रहेगी. ओर आंख मारते हुए बोला - अब तो इसको दूध निकालना भी आता है. हंसी मजाक हो रहा था.  शाम हो रही थी, शादी की रस्मे चल रही थी ओर सब DJ म्यूजिक पर थिरक रहे थे. में भी कुछ देर नाची ओर सोचा क्यों ना तबेले में जाकर पायल ढूंढ लू. सबकी नजर बचा कर मंडप से बहार आयी. बहार कोई नहीं था. में धीरे से तबेले का दरवाजा खोल कर अंदर चली गयी. में 

वहा पर जिस जगह हम सब - में, बंटी ओर स्वप्निल - तीनो रात को सोये थे, उस जगह चारे के ढेर में पायल ढूंढने लगी. "क्या ढूंढ रही हो बिटिया " - हरिया की आवाज थी. मैंने हड़बड़ा कर डर कर पीछे देखा. हरिया वैसे ही नंगा - सिर्फ एक लाल रंग की लंगोटी में था. उसका काला - मांसल बदन तेल की वजह से चमक रह था. मैंने कहा - अरे कुछ नहीं हरिया. में जाती हूँ. में मुड़कर बहार जाने लगी पर हरिया ने बीच आकर मेरा रास्ता रोक लिया. वह मरे बिलकुल पास खड़ा था. उसके बदन से मुझे भैसो की, गोबर की ओर गोमूत्र की बदबू आ रही थी. वह बोला - अरे बताओ बिटिया - डरो मत, क्या ढूंढ रही हो? मैं  तेरी मदत कर दूंगा. मैंने उसे अपने से दूर धकेला - दूर हाटों - मुझे तेरी बदबू से उलटी हो जायेगी. पर वह अपनी जगह से बिलकुल नहीं हिला. उसने मेरे दोनों हात पकड़ कर पीछे एक हात में जकड लिए, ओर अपने ओंठ मेरे ओंठों पर रखकर चूमने लगा. उसके मुँह से गन्दी तम्बाकू की बदबू आ रही थी. मैंने कहा..प्लीज मुझे छोड़ दो हरिया..शादी में सब मेरी राह देख रहे होंगे. हरिया ने कहा - झूटी .. तू यहाँ फिर से मुज़से चुदने आयी ना? ओर उसने मेरे बैकलेस चोली की गांठ खोल दी, जिस से मेरी चोली खुल कर सामने से नीचे गिर गयी ओर मेरे बूब्स एकदम हरिया के मुँह के नीचे थे.

मैंने झट कहा - कमीने मुझे जाने दे. में यहाँ अपनी पर्स ढूंढने आयी जो कल यहाँ गिर गयी थी. हरिया ने कहा - तेरी पर्स मेरे पास हैं. में हक्काबक्का राह गयी. अब यह क्या है? तुझे चाहिए तेरी पर्स?  मैंने कहा - हा . हरिया ने एक हात से मेरे दोनों हात पकडे थे.. अपने दूसरे हातों से उसने अपना लंगोट खींच के फेक दिया. मैंने शर्मा कर दूसरी तरफ मुँह फेर लिया. उसने कहा - यह ले तेरी पर्स..ले ले अपने हातों  से. मैंने कहा मुझे छोडो, वहा कोई पर्स नहीं, मुझे नहीं देखना  तेरा काला  भद्दा सांड का लण्ड. तुम्हे ऐसे नंगा होने में शर्म नहीं आयी. हरिया ने  मुझे एक चपट लगा दी -  सटाक.. कहा -  कमीनी कल तो ख़ुशी से चुद रही थी मेरे लण्ड से. आज तुझे यह लण्ड  भद्दा लग रह है . तूने कब देखा सांड का लण्ड. अभी समजा, की तू यहां सांड का लण्ड देखने आती है.  अगली बार आएगी तुझे सांड के लण्ड से भी चुदवा दूंगा.  देख तो, सच में तेरा पर्स यहाँ है..उसने मेरा जबड़ा पकड़कर मेरा चेहरा  नीचे उसके लण्ड की तरफ कर दिया. मैंने उसके लण्ड को देखा, .मैं  अवाक राह गयी.. यह क्या.. मेरी पायल उसके लण्ड ओर टट्टे पर बंधी थी. में पसीना पसीना हो गयी. हरिया ने कहा - बिटिया . यही ढूंढने आयी थी ना. ले ले अपने हातों से खोलकर. मेरे पास ओर कोई रास्ता नहीं था. मैं  अपने दोनों हाथों से मेरी पायल खोलने लगी, पर पता नहीं हरिया ने बहुत अजीब ढंग से बाँधी थी, खोल नहीं पा रही थी. में उसको निकलने वही उसके पैरो के पास घुटने पर नीचे बैठ गयी. मेरे होतों के मुलायम स्पर्श से हरिया का लण्ड पूरा खड़ा होकर तन गया था. इससे मुझे पायल निकालने में दिक्कत हो रही था. हरिया का लण्ड फनफना रह था ओर मेरे गाल ओर ओंठ से लग रह था. हरिया ने मेरा सर पकड़ा ओर अपना  लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया. उसका सिर्फ आधा लण्ड मेरे मुँह में गया था. मैं  बुरी तरह से फंसी थी.   मुझे पायल भी लेनी थी, जल्दी मंडप पर भी जाना था, ओर दिल में हरिया का लण्ड से मजे लेने का भी मन कर रह था. मैंने सोचा की अच्छी से अगर हरिया का पूरा लण्ड निगल कर इसको चुसू तो जल्दी से हरिया का लण्ड  झड़ जायेगा ओर में फ्री हो जाउंगी. मैंने भी मुँह ऊपर कर के धीरे से - हरिया का काला - १० इंच का लण्ड  पूरा गले तक निगल लिया ओर उसके काले सुपडे को चूसने लगी. उसके मूत्र छेद को जीभ डाल कर चाटने लगी ओर जोर से चूसने लगी. हरिया बोला - वाह बिटिया - ऐसे तो तू जल्दी तेरा पर्स ले लेगी. अब मेरी चोली साइड में गिर गयी थी..में सिर्फ साडी में टॉपलेस थी ओर हरिया ला लण्ड पकड़कर पूरा ऊपर से नीचे मुँह में अंदर बहार कर के चूस रही थी. 

मैंने हरिया के दोनों बड़े बड़े गेंद जैसे अण्डे अपने  दोनों हातों  में ले लिए ओर प्यार से सहलाने लगी ओर मसलने लगी. इससे हरिया का लण्ड ओर भी ज्यादा फनफनाने लगा. उसने मुझे नीचे घास पर धकेल कर सुला दिया. एक झटके में मेरी साडी ऊपर कर दी ओर मेरी पैंटी खींच कर निकल दी. अब हरिया को मेरी चूत दिख रही थी. उसने बिना कुछ कहे .. अपने लण्ड का सूपड़ा मेरी चूत पर रख कर जोर से झटका दे दिया. मेरी चूत पहले से बहुत गिल्ली थी. बड़े प्यार से खुलकर उसने हरिया के लण्ड का स्वागत अपने अंदर किया. हरिया अब जोर जोर ऊपर नीचे से धक्के देने लगा. वह अपने चरम सीमा पर था. उसने मेरे दोनों आम आपने हातों  में ले लिये ओर जोर होर से चूसने लगा. मेरी चूत भी जवाब दे गयी..आह..आह.. कर के गंगा-जमुना बहाने लगी.. कुछ देर हरिया मेरी चूत  के अंदर उसका लण्ड  डाल कर रुक गया. .जब तक मेरी कम्पन शांत नहीं हुई तब तक.  उसने फिर धीरे धीरे अपने लण्ड को धक्के मारना चालू कर दिया. अब मेरी चूत के पानी ने उसके मोटे काले लम्बे लण्ड का रास्ता ओर भी आसान कर दिया था. हरिया ने अब उसकी जीभ मेरे मुँह के अंदर घुसेड़ दी.. बोला -चूस रंडी ..मेरी जीभ को लण्ड की तरह चूस. उसकी जीभ सच में बहुत लम्बी ओर मोटी थी. मुँह में अंदर गले तक जाती थी. में भी  हरिया के जीभ को लण्ड की तरह चूसने लगी. बहुत मजा आ रह था. ऐसे लग रह था की में एक लण्ड मुँह से चूस रही हूँ ओर दूसरा लण्ड अपनी चूत में ले रही हूँ. दो लण्ड का मजा में पिछले रात - बंटी ओर स्वप्निल के लण्ड से खेलकर ले चुकी थी. मुझे फिर से वाह सुनहरे पल याद आ गये ओर बंटी ओर स्वप्निल के जवान नंगे बदन मेरी आँखों के सामने नाचने लगे.

हरिया - बिटिया कितनी कसी हुई चूत हैं तेरी. ऐसे लगता हैं कंवारी  चूत है. मैंने भी अपने चूत से हरिया के लण्ड को जोर को जकड लिया , जिससे वह आह..आह...करके मेरी चूत में झटके देने लगा. मेरे चूत में हरिया का गरम गरम पाणी अंदर तक चला गया. ८-१० झटके , हर झटके के सात हरिया का लण्ड मेरी प्यासी  चूत को अपना गरम पाणी पिलाता. में भी जोर से एक बार फिर कसकर झड़ गयी. मैंने जोर से हरिया की गांड अपने हातों से पकड़कर अपनी  चूत के तरफ दबा दी. मेरे नाख़ून हरिया के गांड को छील दिये. हरिया के लण्ड के सुपडे ने पूरा मेरे चूत के अंदर घुसकर मेरे बच्चेदाणी का द्वार खोला ओर अपना गरम पाणी पीला दिया.

में थक गयी थी. पर दिल को अजीब सकून था. मेरा गुस्सा पूरा चला गया था. में जल्दी से उठी. अपनी साडी , बाल, कपडे सब ठीक करने लगी. हरिया  भी थक गया था..वही नंगा लेट कर मुझे देख रह था. बोला - बिटिया तू बहुत सुन्दर हैं..तेरा पति बहुत खुश रहेगा. यह ले तेरी पायल. मुझे सुबह ही मिल गयी थी. मुझे मालूम था इसे ढूंढते तू जरूर यहाँ आएगी. मैंने अपनी पायल हरिया से ले ली. पर मेरी पैंटी हरिया ने ले ली.. कहा - बिटिया यह मेरे पास ही रखूँगा.  हे भगवन .. मैंने माथा पीट लिया.. तीन तीन पैंटी - कहा गयी..में क्या बताउंगी माँ को? पर मुझे अब ना बहस ना मिन्नतें करने का वक्त था, में फिर से संवर कर चुपके से तबेले से बहार चली गयी. 

बहार अब थोड़ा अँधेरा था. बहुत सारे गेस्ट चले गए थे, पर घर के रिश्तेदार अभी भी DJ  पर नाच रहे थे. तभी मुझे महसूस हुआ की हरिया की गरम पाणी की धार जांघों पर बह कर आ रही है. साडी में कुछ अंदर अपने आप पोंछ गयी..पर अब वह नीचे घुटने तक बह कर चला गया था. मैंने सोचा की टॉयलेट जाकर साफ़ कर दू. पर तभी बंटी ने मुझे पकड़ लिया. संध्या - बस् अब ओर २-३ गाने..फिर फंक्शन ख़तम हो जायेगा. जाते जाते मेरे साथ एक - दो डांस कर लो. उसने पी भी राखी थी. उसका मन रखने में मान गयी.. वह  जोर से मेरे आगे पीछे, ऊपर नीचे  घूमकर नागिन डांस कर रह था.  तभी वह नीचे  घुटनो पर बैठ गया..ओर अपने हात नागिन जैसे करके..मेरे पैरोके पास  गोल गोल घूमकर  नाचने लगा. वह घूर घूर कर मेरे पैरो को देख रह था. उसने हाथ नागिन जैसे नीचे करके मेरे पांव पर हात घुमा दिया..मेरे पैरो पर चिप छिपा गिला लगा. उसने सूंघ कर देखा.. फिर मुझे आँख मर दी. वह हरिया का पाणी था, जो मेरी चूत से बहकर पैरों तक नीचे बह गया था. बंटी धीरे से पैरो पर खड़ा हो कर नाचने लगा ओर मेरे कान के पास आकर पूछा - आह !  संध्या अब किस्से चुदकर आयी हो?
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RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 30-09-2022, 09:06 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by imles4le - 30-03-2023, 07:52 AM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by hirarandi - 30-09-2022, 09:50 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 30-09-2022, 11:17 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 01-10-2022, 02:04 AM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 30-09-2022, 11:12 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by imles4le - 08-12-2022, 03:58 PM
मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट १५: हरिया से चुद गयी ! - by luvnaked12 - 18-10-2022, 06:51 PM



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