18-10-2022, 05:01 PM
प्रोफेसर साहब के पास बीच वाला पोर्शन और ऊपर टॉप में, फ्रंट में एक वन रूम सेट था जिसके पीछे खुली छत थी. मैंने प्रोफेसर साहब से मुलाकात की, प्रोफेसर साहब बहुत ही व्यस्त आदमी थे, वह बच्चों को अलग-अलग बैचेज़ में ट्यूशन पढ़ाते थे, उन्हें बिल्कुल भी फुर्सत नहीं होती थी. वह ऊपर वाला कमरा किराए पर देना चाहते थे. जब उन्होंने मेरे बारे में पूछा तो कहने लगे कि कमरा बहुत छोटा है और थोड़ी सी ही जगह है. उन्होंने बताया कि जगह कम होने की वजह से हम यह कमरा किसी परिवार वाले को नहीं दे सकते, अतः हमें कोई बैचलर ही चाहिए.
मैंने प्रोफेसर साहब को बताया कि मैं कुंवारा ही हूं और स्टूडेंट हूँ, आपको किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी.
मेरी बातों से वह प्रभावित हुए. जब उन्होंने पूछा कि खाने का कैसे करोगे?
तो मैंने कहा- देख लेंगे, किसी होटल वगैरह में खा लूंगा या टिफिन मंगवा लूंगा. प्रोफेसर साहब ने कहा कि कमरे के अंदर जो सामान पड़ा है वह वहीं रहेगा और छत के ऊपर हम लोग भी आते-जाते रहेंगे.
मैंने उनसे कहा इसमें मुझे कोई दिक्कत नहीं है, यह कमरा आप अपना ही समझो और मुझे आप अपना छोटा भाई समझो.
वह मेरी बातों से खुश हो गए और उन्होंने मुझे वह कमरा किराए पर दे दिया. उन्होंने बताया कि वह बहुत बिज़ी रहते हैं और चाहते हैं कि यहां पर किसी प्रकार की डिस्टरबेंस न हो.
मैंने कहा- ठीक है, जैसा आप चाहेंगे वैसा ही होगा.
मैंने प्रोफेसर साहब को बताया कि मैं कुंवारा ही हूं और स्टूडेंट हूँ, आपको किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी.
मेरी बातों से वह प्रभावित हुए. जब उन्होंने पूछा कि खाने का कैसे करोगे?
तो मैंने कहा- देख लेंगे, किसी होटल वगैरह में खा लूंगा या टिफिन मंगवा लूंगा. प्रोफेसर साहब ने कहा कि कमरे के अंदर जो सामान पड़ा है वह वहीं रहेगा और छत के ऊपर हम लोग भी आते-जाते रहेंगे.
मैंने उनसे कहा इसमें मुझे कोई दिक्कत नहीं है, यह कमरा आप अपना ही समझो और मुझे आप अपना छोटा भाई समझो.
वह मेरी बातों से खुश हो गए और उन्होंने मुझे वह कमरा किराए पर दे दिया. उन्होंने बताया कि वह बहुत बिज़ी रहते हैं और चाहते हैं कि यहां पर किसी प्रकार की डिस्टरबेंस न हो.
मैंने कहा- ठीक है, जैसा आप चाहेंगे वैसा ही होगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.