18-10-2022, 03:57 PM
शिवानी मेरे नीचे लेट गई और मैंने अपना लंड एक बार फिर उस की चूत में डाल दिया. अब की बार हम धीरे धीरे चुदाई करते रहे और बातें भी करते रहे. मैंने शिवानी को बहुत चूमा चाटा. वह प्यार और सेक्स से सराबोर हो चुकी थी.
उसने कहा- क्या हम ऐसे ही हमेशा मिलते रह सकते हैं?
मैंने कहा- जब तुम चाहो.
वह बोली- अब आप मेरे घर ही आ जाना, पास में ही हमारी सोसाइटी है.
मैंने कहा- जब तुम कहोगी मैं आ जाऊंगा.
बड़े प्यार से करते हुए मैंने एक बार फिर उस की टांगों को अपने कंधे पर रखा और प्यार से चोदते हुए अपने वीर्य को उस की चूत में भर दिया.
सुबह के चार बजे थे, शिवानी ने मुझे दरवाजे तक छोड़ा, उससे चला नहीं जा रहा था, बहुत देर तक बाँहों में भर कर खड़ी रही.
अब मुझे जब भी शिवानी बुलाती है, मैं उसे चोद आता हूँ.
उसने कहा- क्या हम ऐसे ही हमेशा मिलते रह सकते हैं?
मैंने कहा- जब तुम चाहो.
वह बोली- अब आप मेरे घर ही आ जाना, पास में ही हमारी सोसाइटी है.
मैंने कहा- जब तुम कहोगी मैं आ जाऊंगा.
बड़े प्यार से करते हुए मैंने एक बार फिर उस की टांगों को अपने कंधे पर रखा और प्यार से चोदते हुए अपने वीर्य को उस की चूत में भर दिया.
सुबह के चार बजे थे, शिवानी ने मुझे दरवाजे तक छोड़ा, उससे चला नहीं जा रहा था, बहुत देर तक बाँहों में भर कर खड़ी रही.
अब मुझे जब भी शिवानी बुलाती है, मैं उसे चोद आता हूँ.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.