18-10-2022, 03:55 PM
(This post was last modified: 18-10-2022, 03:56 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
उसने फिर मुझे अपने ऊपर खींच लिया और बोली- अंदर डाल कर चोदो.
मैंने उस के दोनों घुटनों को मोड़ा और ताबड़ तोड़ लंड से शॉट मारने लगा. शिवानी अपनी गर्दन को मजे में इधर उधर मार रही थी और अनाप शनाप बोले जा रही थी- चोदो… हां ऐसे ही… फ़क मी हार्ड… ओह माई गॉड… फ़क मी… फाड़ दो सब कुछ… फ़क मी.
उस के बाल उस के मुंह पर बिखर गए थे. मैं बालों को हटा कर उस के गालों को चूसने लगा तो वह बोली- प्लीज यहाँ निशान नहीं डालना.
मैंने उस के होठों को चूसना शुरू किया जो लगभग गुलाबी से सूज कर नीले हो गए थे.
जब मैंने पूछा कि जब हस्बैंड चूचियों पर निशान देखेगा तो?
तो वह बोली- उस को तो मैं नजदीक ही नहीं आने देती, वह तो देखता भी नहीं है, उस के लंड में दम ही नहीं है. उस से तो अपने ऑफिस का काम ही खत्म नहीं होता और अब तो तुम मिल गए हो, उस की तो छुट्टी समझो.
शिवानी ने बताया- एक बार उसने अपनी सोसाइटी के बाहर जंगल में एक घोड़े को अपने दो फुट लम्बे बड़े लंड से घोड़ी को चोदते हुए देखा था, तब से मन था कि कोई घोड़े जैसे लंड से मुझे भी घोड़ी बना कर चोदे. मैंने उस रोज मेरे हस्बैंड को सेक्स के लिए उकसाने की कोशिश की परंतु वह उत्तेजित ही नहीं हुआ, तभी से मेरे दिमाग में वही सीन बसा हुआ है.
उस ने बताया- दरअसल मैंने पैंट में तुम्हारे लंड का अंदाजा लगा लिया था कि मेरी वह इच्छा तुम पूरी कर सकते हो.
मैंने उसे प्यार से किस किया और कहा- क्या मेरा चलेगा?
वह बोली- मेरी यह तमन्ना आज पूरी कर दो. मेरे हस्बैंड का तो इतना छोटा है कि मेरे चूतड़ों से आगे ही नहीं जाता.
मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा. वह तुरन्त अपनी गांड मेरी और करके घोड़ी बन गई. दोस्तो! क्या मस्त चूतड़ और गांड थी शिवानी की. मैंने काफी देर उस के चूतड़ों को सहलाया, उन पर किस किया और फिर चूस, काट कर आठ दस जगह नीले निशान बना दिए. एकदम चिकने और मांसल चूतड़ थे उस के.
मैंने पूछा- कभी गांड मरवाई है?
तो वह बोली- गांड तो क्या कभी पीछे से चूत में भी ढंग से नहीं गया है, आज तुम्हें जो अच्छा लगता है वह कर लो, बेशक मेरे शरीर के जितने छेद हैं, सब में अपना ये घोड़े जैसा लंड डाल कर फाड़ दो.
मैंने कहा- नहीं, जो तुम्हें अच्छा लगता है वही करूँगा.
मैंने उस की चिकनी, बाहर को निकली सुन्दर गुलाबी चूत की फांकों को अपनी उंगलियों से अलग किया और उसमें अपना सुपारा डाला और लंड को उस की चूत की गहराई में उतारने लगा. उस की गुदाज कमर को अपने हाथों से पकड़ कर उसे चोदना शुरू किया. वह हर धक्के पर आह… उह… करती रही. मैंने लगातार धक्के जारी रखे, उस के गुदाज और गोरे चूतड़ों पर थाप की आवाजें आ रही थीं. ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी डनलप पिल्लो को चोद रहा हूँ.
शिवानी ने कहा- थोड़ा जोर से करो, डरो मत.
मैंने स्पीड बढ़ा दी. कमरा फ़च फ़च की आवाजों से गूंजने लगा. यहां तक कि हर धक्के पर बेड भी चरमराने लगा था. उस की सांसें फूलने लगी और उसने अपना सिर इधर उधर मारना शुरू कर दिया, यहाँ तक कि वह हर धक्के पर अपनी गांड को मेरे लंड पर दे दे कर मार रही थी.
बेड की चरमराहट और जोर जोर की आवाजें सुन कर दीपिका फिर अंदर आ गई, वह बोली- आवाजें बाहर सुनाई दे रहीं हैं, धीरे बोलो.
दीपिका ने बीच में अपना हाथ डाला और मेरे लंड हो हाथ से पकड़ कर बाहर निकाल दिया और शिवानी की गांड और चूतड़ों पर फिराने लगी.
उसी वक्त शिवानी बोल पड़ी- यार तुमने इतने मजे लिए हैं, आज भी बीच में आ रही हो, राज को करने दो.
दीपिका चली गई.
मैंने उस के दोनों घुटनों को मोड़ा और ताबड़ तोड़ लंड से शॉट मारने लगा. शिवानी अपनी गर्दन को मजे में इधर उधर मार रही थी और अनाप शनाप बोले जा रही थी- चोदो… हां ऐसे ही… फ़क मी हार्ड… ओह माई गॉड… फ़क मी… फाड़ दो सब कुछ… फ़क मी.
उस के बाल उस के मुंह पर बिखर गए थे. मैं बालों को हटा कर उस के गालों को चूसने लगा तो वह बोली- प्लीज यहाँ निशान नहीं डालना.
मैंने उस के होठों को चूसना शुरू किया जो लगभग गुलाबी से सूज कर नीले हो गए थे.
जब मैंने पूछा कि जब हस्बैंड चूचियों पर निशान देखेगा तो?
तो वह बोली- उस को तो मैं नजदीक ही नहीं आने देती, वह तो देखता भी नहीं है, उस के लंड में दम ही नहीं है. उस से तो अपने ऑफिस का काम ही खत्म नहीं होता और अब तो तुम मिल गए हो, उस की तो छुट्टी समझो.
शिवानी ने बताया- एक बार उसने अपनी सोसाइटी के बाहर जंगल में एक घोड़े को अपने दो फुट लम्बे बड़े लंड से घोड़ी को चोदते हुए देखा था, तब से मन था कि कोई घोड़े जैसे लंड से मुझे भी घोड़ी बना कर चोदे. मैंने उस रोज मेरे हस्बैंड को सेक्स के लिए उकसाने की कोशिश की परंतु वह उत्तेजित ही नहीं हुआ, तभी से मेरे दिमाग में वही सीन बसा हुआ है.
उस ने बताया- दरअसल मैंने पैंट में तुम्हारे लंड का अंदाजा लगा लिया था कि मेरी वह इच्छा तुम पूरी कर सकते हो.
मैंने उसे प्यार से किस किया और कहा- क्या मेरा चलेगा?
वह बोली- मेरी यह तमन्ना आज पूरी कर दो. मेरे हस्बैंड का तो इतना छोटा है कि मेरे चूतड़ों से आगे ही नहीं जाता.
मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा. वह तुरन्त अपनी गांड मेरी और करके घोड़ी बन गई. दोस्तो! क्या मस्त चूतड़ और गांड थी शिवानी की. मैंने काफी देर उस के चूतड़ों को सहलाया, उन पर किस किया और फिर चूस, काट कर आठ दस जगह नीले निशान बना दिए. एकदम चिकने और मांसल चूतड़ थे उस के.
मैंने पूछा- कभी गांड मरवाई है?
तो वह बोली- गांड तो क्या कभी पीछे से चूत में भी ढंग से नहीं गया है, आज तुम्हें जो अच्छा लगता है वह कर लो, बेशक मेरे शरीर के जितने छेद हैं, सब में अपना ये घोड़े जैसा लंड डाल कर फाड़ दो.
मैंने कहा- नहीं, जो तुम्हें अच्छा लगता है वही करूँगा.
मैंने उस की चिकनी, बाहर को निकली सुन्दर गुलाबी चूत की फांकों को अपनी उंगलियों से अलग किया और उसमें अपना सुपारा डाला और लंड को उस की चूत की गहराई में उतारने लगा. उस की गुदाज कमर को अपने हाथों से पकड़ कर उसे चोदना शुरू किया. वह हर धक्के पर आह… उह… करती रही. मैंने लगातार धक्के जारी रखे, उस के गुदाज और गोरे चूतड़ों पर थाप की आवाजें आ रही थीं. ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी डनलप पिल्लो को चोद रहा हूँ.
शिवानी ने कहा- थोड़ा जोर से करो, डरो मत.
मैंने स्पीड बढ़ा दी. कमरा फ़च फ़च की आवाजों से गूंजने लगा. यहां तक कि हर धक्के पर बेड भी चरमराने लगा था. उस की सांसें फूलने लगी और उसने अपना सिर इधर उधर मारना शुरू कर दिया, यहाँ तक कि वह हर धक्के पर अपनी गांड को मेरे लंड पर दे दे कर मार रही थी.
बेड की चरमराहट और जोर जोर की आवाजें सुन कर दीपिका फिर अंदर आ गई, वह बोली- आवाजें बाहर सुनाई दे रहीं हैं, धीरे बोलो.
दीपिका ने बीच में अपना हाथ डाला और मेरे लंड हो हाथ से पकड़ कर बाहर निकाल दिया और शिवानी की गांड और चूतड़ों पर फिराने लगी.
उसी वक्त शिवानी बोल पड़ी- यार तुमने इतने मजे लिए हैं, आज भी बीच में आ रही हो, राज को करने दो.
दीपिका चली गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.