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Thriller आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07
#90
औलाद की चाह

CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

परिधान'

Update -33

परिधान की आजमाईश




संभवत: पहली बार इस नई पैंटी को पहनकर मेरी आवाज में ख़ुशी झलक रही थी। मुझे और सम्बहव्टा मास्टरजी और दीपू को भी पता था कि मैंने उस समय मैंने अंतर्वस्त्रो के अलावा कुछ भी नहीं पहना हुआ था और उन्हें पहने हुए ही मैं मास्टर-जी को उत्तर दे रही थी ।

इसलिए, मैंने दरवाज़े के ऊपर से महायज्ञ में पहने जाने वाली मिनी स्कर्ट को ज़ोर से खींच कर उतार लिया वो आशा के अनुसार बहुत छोटा थी और उसे पहने के बाद मैंने देखा मेरी संगमरमर जैसी गोरी और केते के तने जैसी चिकनी जांघें पूरी तरह से उजागर हो गईं।

मास्टर-जी: स्कर्ट की फिटिंग कैसी है? ठीक है क्या ?

मुझे पता था कि वो देख रहे थे कि स्कर्ट टॉयलेट के दरवाजे के ऊपर से गायब हो गई थी और मास्टरजी और दीपू ने अनुमान लगाया था कि अब मैंने स्कर्ट पहन ली होगी।



[Image: choli.jpg]

मैं: हम्म।

मास्टर जी: मैडम आप बहुत संतुष्ट लग नहीं रहे हो । विशेष रूप से स्कर्ट के साथ कोई समस्या है क्या ?

मैं: नहीं, नहीं। फिटिंग ठीक है। मैं अभी भी इसकी छोटी लंबाई इसके बारे में चिंतित हूँ ...।

मास्टर-जी: ओहो! मुझे पता है लेकिन इसके बजाय आपको भाग्यशाली महसूस करना चाहिए मैडम।

मैं - ऐसा क्यूँ?



[Image: STRAP3.webp]
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जब मैंने जवाब दिया तब मैं अपनी स्ट्रैपलेस ब्रा के ऊपर चोली पहनने वाली थी ।

मास्टर-जी: महोदया, कुछ साल पहले तक महा-यज्ञ में भाग लेने वाली महिलाओं को ... बिलकुल नंगी रहना पड़ता था!

दीपू: सच में मास्टर-जी?

मैंने सुना कि दीपू अपनी नाक से इस में मजे दार मसाले सूंघ रहा है।

मास्टर-जी: दीपू बेटा, यह एक पवित्र जगह है और आपको इसे अलग कोण से नहीं देखना चाहिए।

दीपक: सॉरी मास्टर-जी।

मास्टर-जी: मुझे भी महा-यज्ञ में आने या उपस्तिथ होने की अनुमति नहीं है, लेकिन मैंने कुछ साल पहले एक महिला को पवित्र कुंड से बाहर आते देखा था क्योंकि उस समय मैं किसी काम के लिए आश्रम आया हुआ था.

दीपू: नंगी?

क्या ? ये नंगी शब्द सुन कर मुझे मिनाक्षी की बात याद आ गयी . ईमानदारी से अब मैं भी अपने भीतर जिज्ञासा महसूस कर रही थी. मैं सोचने लगी, मेरे लिए भविष्य के गर्भ में और क्या क्या है



[Image: BRA2.webp]
मास्टर-जी: हाँ दीपू।

दीपू: आपके कहने का मतलब है कि आपने आश्रम के मध्य में मैडम जैसी विवाहित महिला को उस टब से निकलते देखा है? और वो भी बिलकुल नग्न

मास्टर-जी: मैंने तुमसे कहा था दीपू…

दीपू: नहीं, नहीं, मैं तो बस ... उत्सुकतावश पूछ रहा था मास्टर-जी!

मास्टर-जी: मैडम, क्या आपने चोली को आजमाने या पहनने की कोशिश की है?

मास्टर जी की बात सुन कर जैसे मैं अचानक नींद से जाएगी और मैंने चोली पहनना शुरू किया और इस बार मैं काफी चकित थी ब्लाउज मेरे आधे स्तन को उजागर कर रहा था। जैसा कि मैंने ब्लाउज को पहना तो देखा मेरे ब्लाउज की चकोर नेकलाइन ने मेरे दोनों स्तनों को उस तरह से ऊपर से उजागर किया था मानो वो उछल कर बाहर आना चाहते हो. ब्लाउज की ऊपरी खुले हुए चकोर ने मेरी छाती और स्तनों के ऊपरी हिस्सों को खोलकर उजागर कर दिया था और जब मैंने पूरी चोली पहन ली तो मैं यह नोट करते हुए चौंक गयी कि नेकलाइन मेरे ब्रा कप के ठीक ऊपर तक गहरी थी।

इसके अलावा, मेरे ब्लाउज का सबसे ऊपरी हुक भी ठीक से बंद नहीं नहीं हो रहा था, क्योंकि थ्रेड लूप बहुत छोटा था। इसलिए मेरे सफ़ेद स्ट्रैपलेस चोली का एक हिस्सा मेरे ब्लाउज के ऊपर भी दिखाई दे रहा था और साथ ही एक इंच से अधिक स्तनों के बीच की दरार भी ढकी हुई न होकर उजागर थी ।

मैं: मास्टर-जी…

मुझे अपनी समस्या व्यक्त करने के लिए पर्याप्त शब्द नहीं मिले।




[Image: STRAP4.webp]
मैं: बस एक मिनट।

मास्टर-जी: हां, मैडम?

मैंने बाथरूम से बाहर निकलने का फैसला किया और फिर मास्टर-जी के साथ बातचीत की। ऐसा करने से पहले मैंने टॉयलेट में लगे लाइफ साइज मिरर में अपनी छवि को देखा। कम से कम कहें तो उस पोशाक में बहुत सेक्सी लग रही थी।

मैंने अपने ब्लाउज को थोड़ा समायोजित करने की कोशिश की, लेकिन असफल रही , क्योंकि यह मेरे बड़े प्रचुर ग्लोब पर पूरी तरह से फिट था। मैंने टॉयलेट का दरवाजा खोला और बाहर निकल आयी । उम्मीद के मुताबिक दीपू उस सेक्सी ड्रेस में मुझे देख कर खुश हो गया।


दीपक: ऐ आयी ला! मैडम, आप इस सफेद पोशाक में बहुत अच्छी लग रही हैं।

मैंने उसकी टिप्पणी को नजरअंदाज किया और मास्टर-जी को अपने ब्लाउज के शीर्ष हुक की ओर इशारा किया।

मैं: मास्टर जी, मैं इसे बंद नहीं कर सकी

मास्टर-जी: क्यों? क्या हुआ मैडम?

मैंने उनके सामने ही अपने दोनों हाथों को मेरे वक्षस्थल मध्य तक ले आयी और हुक को हुक के पाश में डालने की कोशिश की, लेकिन फिर से विफल हो गयी , क्योंकि धागे का लूप बहुत छोटा था। ( चोली आगे से बंद होती थी )

मास्टर-जी मेरे पास आए।

कहानी जारी रहेगी


NOTE





इस कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ





मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है



अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .





वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.





 इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास नहीं किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .



 इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .



Note : dated 1-1-2021



जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।



बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।



अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है या मैंने कुछ हिस्से जोड़े हैं  ।



कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।



Note dated 8-1-2024



इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है. इसके बाद मामा जी के कारनामे हैं,  अधिकतर रिश्तेदार , डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ... वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही बदमाश होते हैं । अगर कुछ लोग ऐसे बदमाश ना होते तो कहानिया शायद कभी नहीं बनेगी ।


सभी को धन्यवाद.
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RE: आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07 - by aamirhydkhan1 - 17-10-2022, 11:35 AM



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