15-10-2022, 09:49 PM
फिर मैं भी कुछ सोचते सोचते सो गया। अगले दिन मैं नंगा ही सोया था तभी शिल्पी ट्यूशन के बहाने छत पर आयी। मंजू के जाने के बाद मैं रात को गेट बंद करना भूल गया था और सब कुछ अस्त व्यस्त ही था। शिल्पी के आने का मुझे पता ही नहीं चला। शिल्पी आकर मेरे बगल में लेट गई और मेरे लंड के साथ खेलने लगी। जब वों मेरे लंड के साथ खेल रही थी तभी कुछ देर में मेरी नींद खुली और मैं उसे देखकर चौंक गया। कमरे के हालात पर शिल्पी कोई सवाल ना पूछ ले मैं यही सोच रहा था और मेरे मुँह से निकल पड़ा, शिल्पी तुम।
शिल्पी - हाँ मैं, क्यों किसी और को बुलाना था क्या
मैं - नहीं नहीं यार, तुम्ही तो चाहिए मुझे।
यह कह कर मैंने उसको अपने बाहों में भर लिया और होंठो को किस किया। फिर शिल्पी ने मुझसे कहा कि गेट खुला छोड़ कर ऐसे कोई सोता है क्या?
मैं मुस्कुरा कर रह गया और जाकर चेक किया कि अभी तो गेट बंद है ना।
गेट बंद देखकर मैं निश्चिंत हुआ और मुड़ा तो देखा शिल्पी भी मेरे पीछे पीछे आ कर खड़ी है। मैंने उसे गले से लगाया और उसके होंठो को चूमने लगा। शिल्पी मेरे कहे अनुसार एक छोटी पैंट और शार्ट टॉप में अब आती थी और साथ ही ब्रा पैंटी बिना पहने। उसकी सूती पैंट जो बिना पैंटी के ऐसी लगती मानो कुछ है ही नहीं। ऊपर से ही मैं उसके कमर पर हाथ फेर रहा था। शिल्पी के होंठो को चूसते चूसते मैंने उसके अपने गोद में उठा लिया और मैं आकर सोफे पर बैठ गया। मैंने फिर उसके बूब्स दबाए और थोड़ी देर टाइम पास किया और फिर उसे नीचे भेज दिया क्योंकि उसका मेरे फ्लैट में ज्यादा देर रखना खतरे से कम नहीं था।
उसके जाते ही मैंने कमरे से सबसे पहले तेल के डिब्बे को हटाया और मंजू को कॉल लगाया और कहा की आज कमरे की सफाई करवा दे।
इधर मैं तैयार हो कर बैंक निकल गया लेकिन पूरे दिन कुछ प्लान सोचने लगा कि रमेश और मनीष से कैसे आजादी पाऊ।
शिल्पी - हाँ मैं, क्यों किसी और को बुलाना था क्या
मैं - नहीं नहीं यार, तुम्ही तो चाहिए मुझे।
यह कह कर मैंने उसको अपने बाहों में भर लिया और होंठो को किस किया। फिर शिल्पी ने मुझसे कहा कि गेट खुला छोड़ कर ऐसे कोई सोता है क्या?
मैं मुस्कुरा कर रह गया और जाकर चेक किया कि अभी तो गेट बंद है ना।
गेट बंद देखकर मैं निश्चिंत हुआ और मुड़ा तो देखा शिल्पी भी मेरे पीछे पीछे आ कर खड़ी है। मैंने उसे गले से लगाया और उसके होंठो को चूमने लगा। शिल्पी मेरे कहे अनुसार एक छोटी पैंट और शार्ट टॉप में अब आती थी और साथ ही ब्रा पैंटी बिना पहने। उसकी सूती पैंट जो बिना पैंटी के ऐसी लगती मानो कुछ है ही नहीं। ऊपर से ही मैं उसके कमर पर हाथ फेर रहा था। शिल्पी के होंठो को चूसते चूसते मैंने उसके अपने गोद में उठा लिया और मैं आकर सोफे पर बैठ गया। मैंने फिर उसके बूब्स दबाए और थोड़ी देर टाइम पास किया और फिर उसे नीचे भेज दिया क्योंकि उसका मेरे फ्लैट में ज्यादा देर रखना खतरे से कम नहीं था।
उसके जाते ही मैंने कमरे से सबसे पहले तेल के डिब्बे को हटाया और मंजू को कॉल लगाया और कहा की आज कमरे की सफाई करवा दे।
इधर मैं तैयार हो कर बैंक निकल गया लेकिन पूरे दिन कुछ प्लान सोचने लगा कि रमेश और मनीष से कैसे आजादी पाऊ।