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किरायेदार और मकान मालिक का परिवार
#33
मैं बेड पर लेटा था और मंजू मेरे ऊपर नंगी बैठी थी। मैं अभी अंडरवियर में था लेकिन फिर भी मेरा लंड उसके चुत को अच्छी तरह महसूस कर पा रहा था। मंजू मेरी पूरी छाती को चूम रही थी या कहूँ को काट कर रही थी जिससे मेरा लंड मानो उफन रहा हो। और वों लंड बेचारा मजबूर बाहर भी नहीं आ पा रहा था।

मंजू मेरे लंड के ऊपर से उठ गई लेकिन मेरे आँखों पर पट्टी बँधी थी इसलिए मैं कुछ देख नहीं पा रहा था। मैं कुछ अंदाजा लगाता तभी मुझे मंजू के ओठ मेरे घुटने पर महसूस हुए और मंजू घुटने से कमर की ओर मुझे चूमने लगी। फिर धीरे धीरे चूमते हुए वों ऊपर की ओर आयी और अपने होंठो से मेरे अंडरवियर को नीचे किया। फिर उसने जबरदस्त तरीके से मेरे लंड को चूमा और उसके बाद लंड को अपने मुँह में ले लिया। मेरे लंड इस वक्त पूरे फॉर्म में था और मानो वों उसके कंठ तक पहुँच रहा था। वों लगातार मेरे लंड को अपने मुँह में अंदर बाहर करती रही फिर उसने मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकाला।

उसके बाद उसने मेरे लंड पर हल्का हल्का तेल लगाना शुरू किया जिससे मानो मेरा लंड का सुपारा फट जाएगा। मेरे लंड का रोमांच अपने चरम पर था और तभी मैंने बँधी पट्टी से ही मंजू को पकड़ा और अपने लंड के ऊपर बैठा लिया। मेरा लंड एक झटके में मंजू के चुत के अंदर था। मैंने फिर उसकी जमकर चुदाई की।  फिर मंजू में मेरे आँखों से पट्टी हटा दी जो मेरे लिया इशारा था की अब लंड को कहा घुसाना है।

मैंने मंजू को अपने करीब कुछ देर प्यार से लिटाया, इधर उधर की बात की और फिर अपने हाथों से तेल लेकर उसके गांड के आसपास रगड़ा। फिर अपना लंड उसके गांड के पास जाकर रगँड़ने  लगा। धीरे धीरे रगड़ते हुए मैंने अपने लंड को उसके गांड में प्रवेश करा दिया और मंजू की चीख निकली हालांकि वों पिछली बार से कम थी। इस बार मैंने काफी अच्छे से उसके गांड में लंड को अंदर बाहर किया और वीर्य छोड़ दिया 

वीर्य छोड़ते ही मैं वहाँ लेट गया और मंजू जल्दी से नंगी ही बाथरूम की ओर दौरी ओर खुद को साफ किया। वैसे तो मैं पहले मंजिल पर रहता था लेकिन यह ग्राउंड फ्लोर से पूरी तरह जुड़ा था लेकिन शायद मंजू को कोई होश नहीं था वों नंगी ही बाथरूम गई और खुद को साफ कर बाहर आयी।

आकर मैं नंगा लेटा था वैसे ही वों आकर मेरे सीने पर अपना सर रखकर लेट गई। नीचे रमेश था जिसकी टेंशन भी थी शायद उसे इसलिए वों थोड़ी देर मेरे साथ लेटने के बाद नाईटी पहनी और नीचे चली गई।

मंजू और शिल्पी के साथ मेरी लाइफ मजे से चल रही थी लेकिन रमेश और उसके बेटे की बंदिश मुझे अब खटकने लगी थी। अब दोनों माल मेरे काबू में थे लेकिन मुझे इनका खुल  कर मजा लेना था। और अब मैं इन दोनों को रास्ते से कैसे हटाऊ ये सोचने लगा।
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RE: किरायेदार और मकान मालिक का परिवार - by raj4bestfun - 15-10-2022, 09:33 PM



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