12-10-2022, 06:56 PM
पार्ट १३: हरिया चाचा से चुद गयी !
घर मैं बहुत भीड़ थी. हरिया काका मेरे पैर की मालिश करने की लिए एक कटोरे मैं सरसों का गरम तेल लेकर आये. मुजसे बोले - बिटिया छत पर चलो, यहाँ भीड़ में तुझे असुविधा होगी, ओर कुर्ते में तेल लग जायेगा , इसलिए कोई गाउन या मैक्सी पेहेन लो. तब तक में छत पर जाकर तैयारी करता हूँ. मैं सोंचने लगी की हरिया चाचा को क्या तैयारी करनी हैं ? मैंने घर में जाकर एक गाउन पहन लिया. में अभी भी थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी. तभी हरिया काका निचे आये, ओर बोले - अरे बिटिया रुको, में मदत करता हूँ ओर उन्होंने मुझे कमर से पकड़ लिया ओर सीढ़ियों से ले जाने लगे. मुझे अपना पैर मोड़ने में दिक्कत हो रही थी, दर्द हो रहा था . उन्होंने मुझे अपने एक हात से आगे से मेरी कमर को पकड़ कर सहारा दिया, ओर दूसरा हात पीछे मेरी गांड को पकड़कर उठाने लगे, ताकि चलने में आसानी हो. लूज़ गाउन में उनका आगे का हात मेरे मम्मों को मसल रहा था ओर उसका दूसरा हात मेरी गांड पर सब जगह फेर रहा था, में शर्मा रही थी, पर कोई इलाज नहीं था. छत पर मैंने देखा की दरवाजे पर पानी की टंकी थी ओर साइड में बड़ी दीवाल, जहा हरिया ने एक खटिया पर मोटी रजाई डाल कर रखी थी. बहार से कोई वहा देख नहीं सकता था. हरिया ने मुझे बोला - आह ! बहुत दर्द हो रहा, रुको, उन्होंने मुझे गोदी में उठा लिया ओर बांकी की सीढ़ियां चढ़कर धीरे से खटिया पर बिठा दिया. मुझे यह सब बड़ा अजीब लग रहा था ओर गुस्सा भी आ रहा था. पर अब सत्तर साल के बुड्ढे को क्या कहना ? ऐसे भी इसका एक पैर स्वर्ग में हैं, यह बुड्ढा क्या करेगा? इस रंगीन बुड्ढे को बस ऐसे ही दबाने ओर मसलने में ख़ुशी मिलती होगी.
हरिया काका मुझे खटिया पर बिठा कर मेरे पैरों के पास नीचे जमीन पर बैठ गया. उसने उँगलियों पर कटोरी में से तेल लगाया ओर धीरे धीरे मेरे पैर पर लगाने लगा. उन्होंने मेरे पैर की कोई नस जोर से दबाई तो मैं - आह....करके चीख उठी. हरिया बोला - उह नस सच मैं लचक गयी हैं.. लगता हैं ऊपर तक खिंच गयी हैं. मैं अभी देखता हूँ कोनसी नस खिंच गयी है. मैं तुम्हारा पैर दबाऊंगा तुम बताना कहा दर्द होता हैं. उन्होंने मेरा पैर नीचे से दबाना चालू गया.. मैं उन्हें बताती - हाँ चाचा यहां .. अब वह मेरे घुटने तक हात ले कर आये, जिस से मेरी मैक्सी ऊपर हो गयी थी. फिर उन्होंने मेरी जांघों तक गाउन उठा ली ओर जांघों को दबाने लगे.. एक जगह सच मैं दर्द हो रहा था... उन्होंने कहा - हा यही नस हैं, पकड़ लिया..फिर से उन्होंने मेरे जांघ ओर पैर के बीच दबाया - वहा जोर से दर्द हुआ -- आह मर गयी.. अब मेरा गाउन..मेरी कमर के ऊपर पर था ओर मेरी नंगी टांगें ओर पैंटी सब चाचा को दिख रही थी. चाचा मेरी जांघों पर तेल लगाकर मालिश कर रहे थे ओर बिलकुल मेरी पैंटी के पास रुकते. मेरी पैंटी गिल्ली होने लगी थी. मैंने झट से हरिया का हाथ हटाया - ऐसे नहीं चाचा..गाउन नीचे रहने दो, नहीं तो मैं चली जाउंगी. चाचा ने कहा - अरे पगली गुस्सा क्यों होती हो ? पर दर्द कम हो रहा ना ? मैंने कहा - हां , तभी चाचा ने कहा - बिटिया थोड़ी खड़ी रहो २ मिनट .. मैं जैसे खड़ी हो गयी - चाचा ने कहा - तेरी पैंटी पर तेल के दाग लग जाएगा, दाग से ख़राब हो जाएगी, इसे निकाल ले.. और उन्होंने. एकदम से मेरी पैंटी दोनों तरफ से पकड़कर एक झटके मैं नीचे कर दी.. ओर मुझे फिर से खटिया पर बिठाकर मेरी पैंटी मेरे पैरों से निकल दी. मैं एकदम से सदमे मैं थी.. सब इतनी जल्दी कैसे हो गया. ? मैंने तिलमिलाकर हरिया को गाल पर थप्पड़ मार दिया - कमिने, मैं तेरी पोती की उम्र की हूँ, शर्म नहीं आती. तेरी औकात क्या हैं? हरिया ने कहा - अरे बेटी तू गलत समज रही हैं..सरसो के तेल के दाग जाते नहीं, मैं तो अच्छा सोच रहा था.. चाचा मेरे तलवों को पकड़कर नीचे से ऊपर जाँघों तक नस पकड़ते हुए तेल से मालिश करने लगे. मुझे अच्छा लग रहा था, दर्द कम हो रहा था. मेरा गाउन इससे मेरी कमर के ऊपर तक चला जाता ओर , चाचा को मेरी नंगी खूबसूरती का दर्शन हो रहा था. तभी मैंने मेरे तलवों पर गरम, सख्त चीज महसूस की. मैंने निचे देखा.. चाचा की लुंगी आगे से खुली ओर वह मेरे पैर उनके लुंगी के अंदर डाल कर अपने लण्ड को मेरे तलवों से मसल रहे थे . उनका एक हात मेरी गाउन को मेरी कमर की ऊपर पकड़ रखा था. ओर दूसरा हात मेरी जांघों की तेल से मालिश कर रहा था ओर धीरे धीरे मेरी चूत की तरफ बढ़ रहा था. हरिया बोला - बिटिया क्या तुम बंटी से गाय का दूध निकालना सीख गयी ? मैंने कहा - नहीं चाचा मुज़से नहीं होता. हरिया बोले - अरे इसमें मायूस होने की क्या बात हैं? प्यार से करोगी तो सब होगा. उन्होंने फिर से मेरी जांघ की नस पकड़ ली.. मुझे दर्द हुआ - आह.. ! मैंने भी जोर से मेरे पैर का तलवा उनके लण्ड के टट्टे पर दबा दिया. हरिया चाचा एकदम उठ गए..लुंगी खोल दी - आह ! बिटिया क्या करती हो ! मेरे टट्टे फोड़ देगी क्या.. ? ओर मेरे सामने उनका लण्ड ओर टट्टे अपने दोनों हातों से सहलाने लगे. ! मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी. हरिया चाचा का काला लण्ड - जहरीले नाग की तरह बड़ी बड़ी फुफकार मार रहा था . ओर उनके टट्टे भी उनके जांघों के नीचे तक लटक रहे थे. इतने नीचे लटकते टट्टे ओर लण्ड मैंने कभी नहीं देखा था. उनकी दर्द से मुझे बुरा भी लगा .. मैंने कहा सॉरी हरिया, मुझे एकदम बहुत ज्यादा दर्द हुआ.. तुम लुंगी पहनो जल्दी से. हरिया चाचा बोले..बिटिया लगता हैं..तुम्हारे कमर तक मोच चली गयी.. ऐसे करो तुम खटिया पर पीठ के बल सो जाओ. पूरा दर्द ठीक कर दूंगा. उन्होंने फिर से उनकी लुंगी पेहेन ली..आगे की तरफ थोड़ी खुली थी. मैं जैसे पीठ के बल लेट गयी.. चाचा ने मेरे दोनों पैर ऊपर उठा दिए ओर मेरी पेट पर से छाती पर घुटने टक्कर दबाने लगे. इससे मेरे गांड एकदम ऊपर, आ गयी, मेरी चूत एकदम खुलकर बहार आ गयी . वह मेरे पैर उठता , फिर से मोड़कर मेरे सिने से चिपका देता .. ऐसे करते वक्त हरिया को थोड़ा मेरे ऊपर झुकना पड़ता .. मैंने उनका लण्ड खुली लुंगी से अपनी चूत पर रगड़ता महसूस किया. मैंने कहा - यह क्या कर रहे हो हरिया..जाओ.. उठो. हरिया ने कहा कुछ नहीं बिटिया..इससे से तेरा दर्द सारा ख़तम हो जायेगा .. ओर उसने उसके मोटे लण्ड का सूपड़ा मेरे चूत पर रख दिया .
सटाक..!! मैंने उसे एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया ..जा हरामजादे ! ..कमीने.. ओर उससे धकेलने लगी.. पर इसका उल्टा असर हुआ.. जिस ताकद से मैं ऊपर उठकर उसको थप्पड़ मारी, उसका लण्ड सिररररर .. करता हुआ मेरी गिल्ली चूत के अंदर पूरा घुस गया. आह..मैं चीखने लगी..पर उसने मेरे मुँह पर अपना मुँह लेकर मुझे चूमने लगा. मेरे ओंठ चूसने लगा. मैं उसको धक्का मरने लगी, तभी उसने मेरे बाल जोर से पकड़ केर खींचे.. बोला - चुप मादरचोद.. आज तक मुझे किसी ने थप्पड़ नहीं मारा .. तेरी हिम्मत कैसे हुई.. आज तेरी चूत की चटनी बना कर खाऊंगा. गांव का देहाती मर्द , औरत पर जोर जबरदस्ती करके कैसे काबू मैं रखना उसे पता था. मैं डर गयी . दर्द से मेरी आँखों से आंसू आ रहे थे. हरिया..मुझे जोर जोर से धक्के मार कर चोद रहा था. वह करहा रहा था - आह .. इतनी खूबसूरत, चिकनी चूत पहली बार मिली. क्या मस्त चूत हैं..एकदम कुंवारी भैंसे जैसी. मैं उसको दूर लेटना चाहती थी पर, मेरे दोनों हाथ उसने मेरे सर पर ले जाकर एक हात से पकड़ रखे थे.. ओर दूसरे हात से वह मेरे मम्मे दबा रहा था. मैंने कहा - जंगली कही का ! छोड़ मुझे.. मेरे दिमाग काम कर रहा था - मन कर रहा था उसका खून पी जाऊ... पर . आह..उह....उफ़...करके मेरी चूत ने उसके लण्ड के स्वागत मैं अपना पानी छोड़ दिया !! यह क्या ? हे भगवन.. !
हरिया बोला - देखो बिटिया..मजा आ रहा न..बस कुछ देर ओर..बहुत मजा आएगा..सारा दर्द दूर हो जायेगा. मुझे गुस्सा भी आ रहा था ओर शर्म भी.. मेरे कमीना शरीर ओर भूखी चूत मेरे सात नहीं दे रही थी. जैसी उसका रिमोट हरिया के पास था... उसका रिमोट - हरिया का काला मोटा १० इंच का नाग था. हरिया ने फिर से मेरे घुटने ऊपर उठाये ओर मेरे कंधे के बाजू ऊपर रख दिए.. इससे मेरी गांड ओर भी ऊपर हो गयी, ओर उसका लण्ड सीधा पूरा पूरा मेरी चूत की अंदर बहार जाने लगा .. उसके लटके हुए टट्टे ..मेरी गांड पर थप - थप की आवाज से टकरा जाते. उसका मोटा लण्ड सीधा मेरे दाणे से घिसकर चूत मैं अंदर - बहार धक्के लगाता. मेरा दाणा मसल कर रख दिया..मैं फिर से आह.....उफ्फ्फ..कर के दूसरे बार झड़ गयी ओर हरिया ने भी.. ले रंडी...ले हरिया को थप्पड़ मारने का अंजाम - ओर आह..अहह..करके कई झटके मारके, मेरी चूत मैं अपना दूध डाल दिया. जिसे मुझे होश आया , वैसे मैं झट से हरिया को अपने ऊपर से धकेल दी ..ओर गाउन नीचे कर के..नीचे घर मैं चली गयी. बाथरूम जाकर अच्छे से हात-पाँव धो कर चूत भी धो डाली. ओर ... मेरी पैंटी ? वो तो छत पर ही थी ? पर मुझे अब वापस छत पर नहीं जाना था. मैं अपने कमरे मैं चली गयी . तभी मैंने महसूस किआ..मेरी मोच ओर दर्द..सब चला गया था. मैं थक कर सो गयी.
तभी दोपहर को बुआ मुझे उठाने आयी..संध्या कब तक सोयेगी..खाना भी नहीं खाया..चल उठकर खाना खा ले.. आज संगीत का कार्यक्रम हैं शाम को ..जल्दी तैयार भी होना हैं , तुझे तो बहुत नाचना हैं आज. मैंने कहा - हा बुआ जी, बहुत नाचूंगी, मेरी प्यारी बहन की शादी जो हैं. . मैंने खाना खाया ओर शाम की तैयारी मैं लग गयी. दोपहर का चाय ले रही थी, बंटी ओर स्वप्निल भी थे. मुझे बड़ी अजीब तरह से निहार रहे थे ओर कमीने नजरों से चोद रहे थे. मुझे बड़ा अजीब लगा. क्या हो गया अब इनको? शाम को मैं दुल्हन के सात तैयार हो कर मंडप मैं गयी. मैंने एक अच्छा नीले - लाल रंग का शरारा पहना था. माँ की जिद्द थी अच्छीसे तैयार हो जाऊ ओर खूबसूरत दिखू ताकि रिश्तेदार देखे ओर आगे चलकर कोई अच्छा सा रिश्ता आये. में गहरे नीले रंग के शरारा में बहुत सुन्दर लग रही थी, ओर बैकलेस टॉप के वजह से मेरी गोरी पीठ सबको आकर्षित कर रही थी. स्वप्निल ओर बंटी मुझे देखकर आंखें सेख रहे थे. स्वप्निल के पास एक सोनी का हैंडीकैम था जिससे वह सब की छोटी छोटी वीडियो ले रहा था. संगीत मैं बहुत जोर-शोर से नाच-गाना हो रहा था. मैं, बंटी ओर स्वप्निल दोनों एक दूसरे के सात मिलकर बहुत नाच रहे थे . दोनों मुज़से शरारत भी करते. यही तो होता हैं शादियों मैं. हर जवान लड़का - लड़की की फ़िराक मैं रहता हैं. दूल्हा - दुल्हन के सात वह भी अपने लण्ड की प्यास बुझाने का इंतजाम शादियों मैं आई लड़कियों को पटाकर करना चाहता हैं. बंटी की शैतानी बढ़ रही थी, नाचते-नाचते धीरे से वह अपने हातों से मेरे मम्मे दबा देता, या गांड मसल देता. उसकी हिम्मत बढ़ गयी थी. मेंसे उसको डांट दिया - या क्या कर रहे हो बंटी, शर्म करो . मैं तुम्हारी बहन हूँ. बंटी ने मुझे फिर से जोर से कमर पर पकड़ लिए ओर हलके से गालों को चुम लिया. बोला - मामा की लड़की हैं तू, पहला अधिकार मेरा था. मैंने कहा - चुप शैतान, कोनसा अधिकार , किसका अधिकार, ओर था मतलब?
उसने कहा इधर आ कुछ दिखता हूँ.. ओर मुझे एक कार्नर मैं ले कर गया, जहाँ कोई नहीं था . उसने अपनी जीन्स की जेब से कुछ निकाला ओर मुझे दिखाया .. मेरे होश उड़ गए.. मुझे पसीना छुट गया.. मैं गिरने वाली थी पर उसने मुझे पकड़कर संभाल लिया...