26-12-2018, 02:03 PM
जय कब से यह सब देखकर फिर से गरम हो गया था। उसने आकाश को कहा- “आज आपको जिंदगी का सबसे अनोखा मजा देता हूँ...” कहकर जय बेड पर आकर लेट गया और आकाश को सोनाली की गाण्ड से लण्ड निकालने को कहा और सोनाली को अपने खड़े लण्ड पर चूत रखकर बिठा दिया। उसका लण्ड सोनाली की चूत में घुस गया।
जय ने सोनाली को नीचे झुका दिया और उसकी चूचियां चाटते हुए आकाश को कहा- “सर, अब आप इसकी गाण्ड मारो..."
सोनाली यह सब सुनकर बहुत उत्तेजित हो गई। वो आज जिंदगी का सबसे अनोखा और भयानक मजा लेने वाली थी। आकाश ने सोनाली के पीछे से अपना लण्ड अपनी थूक से गीला किया और उसकी गाण्ड पर रखकर धक्का लगाया। उसका आधा लण्ड गाण्ड में घुस गया।
सोनाली के मुँह से चीख निकल गई- “ओईई... मार डाला...”
आकाश आधे लण्ड से ही उसे चोदने लगा। उसका लण्ड बहुत तकलीफ के साथ अंदर-बाहर हो रहा था, आकाश ने एक जोर का धक्का मारा और उसका लण्ड सोनाली की गाण्ड में जड़ तक घुस गया और वो फिर से चिल्ला उठी- “आहह..."
आकाश को जय का लण्ड अपने लण्ड पर महसूस हो रहा था। अब जय और आकाश दोनों धक्के लगाने लगे। आकाश अपना लण्ड बाहर करता तो जय अंदर कर देता और सोनाली को अपने दोनों छेदों में लण्ड अंदर-बाहर होते हुए बहुत अच्छा लग रहा था।
सोनाली अब सिसकते हुए- “आकाश, हाँ ऐसे ही मुझे चोदते रहो, मैं झड़ने वाली हूँ..”
आकाश और जय अब पूरी ताकत से उसे चोदने लगे। सोनाली आअह्ह्ह के साथ झड़ने लगी और उसके साथ आकाश और जय भी हाँफते हुए झड़ने लगे। सोनाली को अपने दोनों छेदों में पानी गिरता महसूस हुआ और तीनों निढाल होकर बेड पर लेट गये। कुछ देर बाद जय और आकाश चले गये। सोनाली दरवाजा बंद करके सो गई।
जय ने सोनाली को नीचे झुका दिया और उसकी चूचियां चाटते हुए आकाश को कहा- “सर, अब आप इसकी गाण्ड मारो..."
सोनाली यह सब सुनकर बहुत उत्तेजित हो गई। वो आज जिंदगी का सबसे अनोखा और भयानक मजा लेने वाली थी। आकाश ने सोनाली के पीछे से अपना लण्ड अपनी थूक से गीला किया और उसकी गाण्ड पर रखकर धक्का लगाया। उसका आधा लण्ड गाण्ड में घुस गया।
सोनाली के मुँह से चीख निकल गई- “ओईई... मार डाला...”
आकाश आधे लण्ड से ही उसे चोदने लगा। उसका लण्ड बहुत तकलीफ के साथ अंदर-बाहर हो रहा था, आकाश ने एक जोर का धक्का मारा और उसका लण्ड सोनाली की गाण्ड में जड़ तक घुस गया और वो फिर से चिल्ला उठी- “आहह..."
आकाश को जय का लण्ड अपने लण्ड पर महसूस हो रहा था। अब जय और आकाश दोनों धक्के लगाने लगे। आकाश अपना लण्ड बाहर करता तो जय अंदर कर देता और सोनाली को अपने दोनों छेदों में लण्ड अंदर-बाहर होते हुए बहुत अच्छा लग रहा था।
सोनाली अब सिसकते हुए- “आकाश, हाँ ऐसे ही मुझे चोदते रहो, मैं झड़ने वाली हूँ..”
आकाश और जय अब पूरी ताकत से उसे चोदने लगे। सोनाली आअह्ह्ह के साथ झड़ने लगी और उसके साथ आकाश और जय भी हाँफते हुए झड़ने लगे। सोनाली को अपने दोनों छेदों में पानी गिरता महसूस हुआ और तीनों निढाल होकर बेड पर लेट गये। कुछ देर बाद जय और आकाश चले गये। सोनाली दरवाजा बंद करके सो गई।