26-12-2018, 01:58 PM
कृष्णा मेरे करीब आया और मुझे ही कहते हुए पूछा- “धन्नो तुम यहाँ कैसे?”
मैंने डरते हुए कहा- “मैं रोहन और बिंदिया के साथ आई हूँ...”
कृष्णा ने कहा- “अच्छा तो फिर वो दोनों कहाँ हैं?”
मैंने कहा- “वो कपड़े धोने गये हैं उनके ऊपर चाय गिर गई थी...” मैं अब भी उससे डरकर बात कर रही थी।
कृष्णा ने कहा- “तुम इतना डर क्यों रही हो? तुमने उस दिन जो देखा था वो फिर से देखना चाहती हो?”
मैंने अपना सिर ना में हिला दिया।
कृष्णा ने कहा- “क्यों उस दिन मजा नहीं आया था?
मैंने कहा- मुझे डर लगता है।
कृष्णा- “इसमें डरने की क्या बात है? तुम जवान और खूबसूरत हो, अपनी जवानी को ऐसे ही जाया कर दोगी क्या? बिंदिया को देखो... वो भी तो रोहन के साथ मजे कर रही है...”
तभी मुझे खयाल आया की बिंदिया और रोहन को गये हुए काफी टाइम हो गया था। अचानक कृष्णा ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और सहलाने लगा। मेरे सारे बदन में झुरझुरी होने लगी। उसका मर्दाना स्पर्श मुझे पागल बना रहा था। अब उसने अपना हाथ मेरे कंधे से नीचे ले जाते हुए मेरी बैक से होते हुआ मेरी कमर में डाल दिया। मेरी तो जान ही निकल गई। मेरी आँखें मदहोशी में बंद होने लगी।
तभी मुझे होश आया। मैंने कृष्णा के हाथ को पकड़कर दूर झटक दिया।
कृष्णा ने मुश्कुराते हुए कहा- “देखो धन्नो, कल मैं उसी लड़की को लेकर आऊँगा। तुम हमें देखकर मजे करना और हाँ मुझसे डरने की कोई जरूरत नहीं है। मैं तुम्हारी मर्जी के बगैर तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा...”
उधर रोहन ने दरवाजा बंद करते ही बिंदिया को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके नरम होंठों को चूसते हुए अपने हाथों से बिंदिया का सारा जिश्म सहलाने लगा। बिंदिया पहले से ही बहुत गरम थी। वो रोहन के होंठों को चूमने लगी। रोहन की मजबूत बाँहों में आते ही उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां रोहन के सीने में दब गईं। बिंदिया के । मुँह से आअह्ह्ह... निकल गई। रोहन ने बिंदिया के जिश्म को सहलाते हुए अपने हाथ उसके मोटेऽमोटे चूतड़ों में डालकर उसे दबाने लगा। अब रोहन बिंदिया के होंठों को छोड़कर नीचे जाने लगा और अपना मुँह उसकी कमीज के ऊपर से ही बिंदिया की चूचियों पर रख दिया।
बिंदिया के मुँह से एक बड़ी सिसकी निकल गई। रोहन को अपने मुँह पर एक नरम अहसास होने लगा। उसने अपने हाथ को बिंदिया की कमीज में डालकर उसकी एक चूची को अपने हाथ से सहलाने लगा। बिंदिया ने अपना हाथ नीचे लेजाकर रोहन की पैंट की जिप नीचे कर दी और अपना हाथ अंडरवेर के ऊपर से ही रोहन के लण्ड पर रख दिया। रोहन के मुँह से एक सिसकी निकली और उसने अपने हाथ से बिंदिया की ब्रा के ऊपर से एक खड़ी निपल को उंगलियों से मसलने लगा। रोहन के हाथ रखते ही उसके सारे जिम में झुरझुरी होने लगी और उसकी साँसें उखड़ने लगी। बिंदिया उखड़ती साँसों के साथ अपने हाथ से रोहन के पूरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक सहलाने लगी।
मैंने डरते हुए कहा- “मैं रोहन और बिंदिया के साथ आई हूँ...”
कृष्णा ने कहा- “अच्छा तो फिर वो दोनों कहाँ हैं?”
मैंने कहा- “वो कपड़े धोने गये हैं उनके ऊपर चाय गिर गई थी...” मैं अब भी उससे डरकर बात कर रही थी।
कृष्णा ने कहा- “तुम इतना डर क्यों रही हो? तुमने उस दिन जो देखा था वो फिर से देखना चाहती हो?”
मैंने अपना सिर ना में हिला दिया।
कृष्णा ने कहा- “क्यों उस दिन मजा नहीं आया था?
मैंने कहा- मुझे डर लगता है।
कृष्णा- “इसमें डरने की क्या बात है? तुम जवान और खूबसूरत हो, अपनी जवानी को ऐसे ही जाया कर दोगी क्या? बिंदिया को देखो... वो भी तो रोहन के साथ मजे कर रही है...”
तभी मुझे खयाल आया की बिंदिया और रोहन को गये हुए काफी टाइम हो गया था। अचानक कृष्णा ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और सहलाने लगा। मेरे सारे बदन में झुरझुरी होने लगी। उसका मर्दाना स्पर्श मुझे पागल बना रहा था। अब उसने अपना हाथ मेरे कंधे से नीचे ले जाते हुए मेरी बैक से होते हुआ मेरी कमर में डाल दिया। मेरी तो जान ही निकल गई। मेरी आँखें मदहोशी में बंद होने लगी।
तभी मुझे होश आया। मैंने कृष्णा के हाथ को पकड़कर दूर झटक दिया।
कृष्णा ने मुश्कुराते हुए कहा- “देखो धन्नो, कल मैं उसी लड़की को लेकर आऊँगा। तुम हमें देखकर मजे करना और हाँ मुझसे डरने की कोई जरूरत नहीं है। मैं तुम्हारी मर्जी के बगैर तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा...”
उधर रोहन ने दरवाजा बंद करते ही बिंदिया को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके नरम होंठों को चूसते हुए अपने हाथों से बिंदिया का सारा जिश्म सहलाने लगा। बिंदिया पहले से ही बहुत गरम थी। वो रोहन के होंठों को चूमने लगी। रोहन की मजबूत बाँहों में आते ही उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां रोहन के सीने में दब गईं। बिंदिया के । मुँह से आअह्ह्ह... निकल गई। रोहन ने बिंदिया के जिश्म को सहलाते हुए अपने हाथ उसके मोटेऽमोटे चूतड़ों में डालकर उसे दबाने लगा। अब रोहन बिंदिया के होंठों को छोड़कर नीचे जाने लगा और अपना मुँह उसकी कमीज के ऊपर से ही बिंदिया की चूचियों पर रख दिया।
बिंदिया के मुँह से एक बड़ी सिसकी निकल गई। रोहन को अपने मुँह पर एक नरम अहसास होने लगा। उसने अपने हाथ को बिंदिया की कमीज में डालकर उसकी एक चूची को अपने हाथ से सहलाने लगा। बिंदिया ने अपना हाथ नीचे लेजाकर रोहन की पैंट की जिप नीचे कर दी और अपना हाथ अंडरवेर के ऊपर से ही रोहन के लण्ड पर रख दिया। रोहन के मुँह से एक सिसकी निकली और उसने अपने हाथ से बिंदिया की ब्रा के ऊपर से एक खड़ी निपल को उंगलियों से मसलने लगा। रोहन के हाथ रखते ही उसके सारे जिम में झुरझुरी होने लगी और उसकी साँसें उखड़ने लगी। बिंदिया उखड़ती साँसों के साथ अपने हाथ से रोहन के पूरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक सहलाने लगी।