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Adultery धन्नो द हाट गर्ल
#14
अचानक बिंदिया ने मुझे बेड पर लेटाते हुए अपनी सलवार और चड्ढी निकाल दी। अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। बिंदिया की चूत पे हल्के बाल थे, और उत्तेजना के मारे वो टमाटर की तरह लाल हो गई थी।

बिंदिया मेरे पास आई और मेरी कच्छी भी उतार दी। वो मेरी चूत को बड़े गौर से देख रही थी। मेरी चूत बहुत गीली हो चुकी थी और उससे कुछ पानी की बूंदें निकलकर मेरी जांघों तक आ रही थी। बिंदिया मेरी टाँगों को। खोलकर मेरी चूत के नरम होंठों को सहलाने लगी। मेरी साँसें रुकने लगी। मुझे आज जैसा मजा अपने हाथों से भी नहीं आया था।
मैंने मजे से सिसकते हुए अपना एक हाथ उसके हाथ के ऊपर रख लिया और दूसरा हाथ उसकी भारी भरकम नितंबों पे रखकर सहलाने लगी। बिंदिया ने अपने गरम होंठ मेरी चूत पर रख दिए। वो मेरी चूत के ऊपर अपनी जीभ फिरा रही थी। मेरी आँखें बंद होने लगी और मैं जोर से सिसकने लगी ‘ऊहह... आह्ह्ह..' और मैंने अपनी टाँगें जितनी हो सकती थी खोल दी। बिंदिया की जीभ मेरी चूत को बहुत तेजी से चाट रही थी। मैं अपने हाथ बिंदिया के रेशमी बालों में डालकर उसका सिर सहला रही थी। अचानक बिंदिया ने मेरी चूत के होंठ खोलकर अपनी जीभ अंदर डाल दी।
मैं मजे से सातवें आसमान का सैर करने लगी। मैं अपने काबू में नहीं थी। मैंने बिंदिया को अपनी चूत पर बहुत जोर से दबा दिया। उसकी पूरी जीभ मेरी चूत के अंदर थी और वो मेरी चूत को अंदर से चाट रही थी। मेरी साँसे उखड़ने लगी और मैं एक बड़ी सिसकी के साथ ‘ओहईई... बिंदिया' कहते हुए झड़ गई। मैं एकदम से निढाल हो गई और ना जाने कितनी मनी मेरे अंदर से निकली थी जो बिंदिया ने एक-एक कतरा तक मेरी गुलाबी चूत से चूस लिया। मैं ऐसे शांत हो गई जैसे समुंदर तूफान के बाद शांत हो जाता है।
बिंदिया अब उठकर मेरे ऊपर आ गई और मेरी चूत के पानी से भीगे होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। मुझे बिंदिया के मुँह से भीनी-भीनी खुश्बू आ रही थी। मेरा जिश्म फिर से गर्म होने लगा। मैंने बिंदिया को नीचे लेटाते हुए उसकी बड़ी-बड़ी छातियों को अपने मुँह में ले लिया और उसके निपलों को चूसने लगी।
इस बार सिसकने की बारी बिंदिया की थी। मैं बिंदिया की नरम छातियों को हाथों से रगड़ते हुए नीचे जाने लगी। मैंने अपना मुँह बिंदिया की चूत पे रखा, उसकी चूत से चिपचिपा सा पानी निकल रहा था। मुझे उसके चूत से मदहोश करने वाली महक आ रही थी। उसकी चूत के होंठ गुलाबी और फूले हुए थे। मैंने अपनी जीभ बाहर । निकालकर उसकी चूत के होंठ पर रख दिए और जीभ अंदर डालकर उसकी बहती मनी को चाटने लगी। उसकी मनी का स्वाद बहुत अजीब था, मगर मुझे वो बहुत अच्छा लग रहा था।
बिंदिया के मुँह से अब सिसकियां निकलने लगी, और वो अपने हाथों से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी। मैंने उसकी चूत को पूरा अपने मुँह में लेकर अपनी साँस पीछे खींची। बिंदिया अपने नितंब उछालते हुए जोर से सिसकी ‘ओऊऊ... और अपनी मनी से मेरे मुँह को भरने लगी। उसकी मनी का स्वाद अंजाना था मगर मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी सारी मनी चाट ली, और उसके साइड में जाकर लेट गई। बिंदिया ने लज्जत से बंद की हुई अपनी आँखें खोली और मुझे देखकर मुश्कुराई और मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
बिंदिया- “धन्नो तुम बिल्कुल सच कह रही थी। माँ तो किसी अंजान आदमी से चुदवा रही थी...”
मैंने बिंदिया के नंगे नितंब पे अपना हाथ फेरते हुए कहा- “इसमें आँटी का कोई कसूर नहीं है...”
बिंदिया हैरत से बोली- “तुम क्या बोलना चाहती हो, क्या वो यह सब सही कर रही है?”


मैं- “हाँ। तुम खुद सोचो की तुम यह सब देखकर इतनी गर्म हो गई, आँटी तो शादीशुदा थी, अंकल के गुजर जाने के बाद उसकी भी कुछ जरूरतें होंगी, इसीलिए उसने जय को अपना सहारा बना लिया..." और हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में कब नींद की आगोश में चले गये पता ही नहीं चला।
 horseride  Cheeta    
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RE: धन्नो द हाट गर्ल - by sarit11 - 26-12-2018, 01:53 PM



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