26-12-2018, 01:53 PM
जय का लण्ड अब फिर से पूरी तरह तन चुका था। उसने आँटी को सीधा लेटाते हुए उसकी दोनों टाँगों को घुटनों तक मोड़ दिया। इस पोजीशन में आँटी की फूली हुई चूत बिल्कुल बाहर आ चुकी थी। जय ने अपना लण्ड आँटी की गीली चूत पे रखा और एक झटका मारा, तो जय का आधा लण्ड अंदर जा चुका था। जय ने अपना लण्ड थोड़ा बाहर निकालकर एक और जोर का झटका मारा, जय का लण्ड पूरा आँटी की चूत में था।
आँटी मजे से कराह उठी- “आहह्ह...”
जय ने नीचे झुकते हुए अपने होंठ आँटी के गुलाबी होंठों पर रख दिए। आँटी के मुँह से आह निकल गई और दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गये। जय होंठों का रस चूसते हुए नीचे से तेज धक्के लगाने लगा। आँटी मजे से हवा में उड़ रही थी। आँटी ने जय को जोर से दबोचकर चुंबन में जय का साथ देने लगी और अपने चूतड़ उठाकर धक्कों का जवाब देने लगी। जय अपने हाथों से आँटी की बड़ी-बड़ी चूचियां मसलने लगा। आँटी तीन तरफा हमला ना सहते हुए झड़ने लगी। आँटी के झड़ने के बाद जय ने अपनी स्पीड बहुत तेज कर दी। आँटी ने अपनी जुबान जय मुँह में डाल दी।
जय पागलों की तरह आँटी की जुबान को चूसता हुआ धक्के लगाने लगा। कुछ मिनट बाद जय ने आँटी के मुँह से अपनी जुबान निकालकर आँटी की टाँगें हवा में उठा ली और अपना पूरा लण्ड बाहर निकालकर जड़ तक धक्के लगाने लगा और 8-10 धक्कों के बाद आँटी की चूत में झड़ने लगा। आँटी की चूत से पानी की बूंदें नीचे गिरने लगी। जय हाँफता हुआ आँटी के ऊपर ढेर हो गया।
मैं और बिंदिया जल्दी से अपने कमरे में आ गये और दरवाजा बंद कर लिया। मैं और बिंदिया अंदर आते ही एक दूसरे से लिपट गये, क्योंकी हम दोनों चाची और जय की रोमांचक चुदाई देखकर बहुत गर्म हो गई थी। बिंदिया ने मुझे अपनी बाँहों में लेते हुए अपने गुलाबी होंठ मेरे सुलगाते गर्म होंठों पर रख दिए। मेरा सारा बदन मजे से अकड़ने लगा।
इससे पहले कभी किसी ने भी मुझे चुंबन नहीं दिया था। मैं पागलों की तरह बिंदिया के होंठ की तरह बिंदिया से लिपट गई और उसके होंठ चूसने लगी। मैंने अपनी जीभ निकालकर बिंदिया के मुँह में डाल दी। वो मेरी जीभ को पकड़कर चूसने लगी, और अपनी जीभ भी मेरे मुँह में डाल दी, जिसे मैं चाटने लगी। कुछ देर एक दूसरे की जीभ चाटने के बाद बिंदिया ने मेरी बाहों को ऊपर उठाया और मेरी कमीज उतार दी। मेरी साँसें उखड़ने लगी और मेरी चूचियां मेरी साँसों के साथ ऊपर-नीचे होने लगी।
मेरी चूचियां बिंदिया जितनी बड़ी नहीं थी मगर बिल्कुल गोल-गोल और ऊपर उठी हुई थी। बिंदिया मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी छातियों को खा जाने वाली नजरों से देखते हुए मेरे पीछे आ गई और मेरी ब्रा के हुक खोल । दिए। ब्रा उतारने के बाद बिंदिया ने पीछे से ही अपनी चूचियां मेरी पीठ से रगड़ते हुए मेरी छातियों को अपने हाथों से दबाने लगी। अचानक बिंदिया ने मेरे कंधे को चूमते हुए मेरे कान की एक लौ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरी मुँह से सिसकियां निकलने लगी। बिंदिया मेरे तने हुए सख़्त निपलों को अपनी उंगलियों से खींचने लगी।
मेरे मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- “ऊऊईई... बिंदिया क्या कर रही हो?” मैंने बिंदिया का हाथ हटाते हुए उसे सीधा किया और उसकी बाँहें उठाकर उसकी कमीज उतार दी।
बिंदिया की बड़ी-बड़ी चूचियां ब्रा को फाड़कर बाहर निकलने के लिए मचल रही थीं। मैंने उसकी ब्रा भी निकाल दी। बिंदिया की छातियां बहुत बड़ी थी। उसके निपल तनकर मोटे हो गये थे। बिंदिया मुझे बाहों में लेते हुए अपनी चूचियां मेरी छातियों से रगड़ने लगी। हम दोनों के जिश्म बहुत गर्म हो गये थे, चूचियां आपस में टकराने से हम दोनों के कड़े निपलों एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे और हम दोनों मजे से सिसक रहे थे।
बिंदिया ने नीचे होकर मेरी एक छाती को अपने मुँह में भर लिया और उसे बड़े जोर से चाटने लगी। मेरे सारे बदन में बिजली दौड़ने लगी और मजे से मेरी आँखें बंद होने लगी। मैं बिंदिया के सिर को पकड़कर अपनी छाती पर दबाने लगी। बिंदिया ने अब मेरी दूसरी छाती अपने मुँह में ले ली और पहली वाली को हाथों से सहलाने लगी। अब बिंदिया नीचे होते हुए मेरी नाभि पर आ गई और अपनी जीभ निकालकर मेरी नाभि को चाटने लगी और मेरी सलवार को उतारकर मेरी चड्ढी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाने लगी।
मेरे मुँह से सिसकियां निकल रही थी।
आँटी मजे से कराह उठी- “आहह्ह...”
जय ने नीचे झुकते हुए अपने होंठ आँटी के गुलाबी होंठों पर रख दिए। आँटी के मुँह से आह निकल गई और दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गये। जय होंठों का रस चूसते हुए नीचे से तेज धक्के लगाने लगा। आँटी मजे से हवा में उड़ रही थी। आँटी ने जय को जोर से दबोचकर चुंबन में जय का साथ देने लगी और अपने चूतड़ उठाकर धक्कों का जवाब देने लगी। जय अपने हाथों से आँटी की बड़ी-बड़ी चूचियां मसलने लगा। आँटी तीन तरफा हमला ना सहते हुए झड़ने लगी। आँटी के झड़ने के बाद जय ने अपनी स्पीड बहुत तेज कर दी। आँटी ने अपनी जुबान जय मुँह में डाल दी।
जय पागलों की तरह आँटी की जुबान को चूसता हुआ धक्के लगाने लगा। कुछ मिनट बाद जय ने आँटी के मुँह से अपनी जुबान निकालकर आँटी की टाँगें हवा में उठा ली और अपना पूरा लण्ड बाहर निकालकर जड़ तक धक्के लगाने लगा और 8-10 धक्कों के बाद आँटी की चूत में झड़ने लगा। आँटी की चूत से पानी की बूंदें नीचे गिरने लगी। जय हाँफता हुआ आँटी के ऊपर ढेर हो गया।
मैं और बिंदिया जल्दी से अपने कमरे में आ गये और दरवाजा बंद कर लिया। मैं और बिंदिया अंदर आते ही एक दूसरे से लिपट गये, क्योंकी हम दोनों चाची और जय की रोमांचक चुदाई देखकर बहुत गर्म हो गई थी। बिंदिया ने मुझे अपनी बाँहों में लेते हुए अपने गुलाबी होंठ मेरे सुलगाते गर्म होंठों पर रख दिए। मेरा सारा बदन मजे से अकड़ने लगा।
इससे पहले कभी किसी ने भी मुझे चुंबन नहीं दिया था। मैं पागलों की तरह बिंदिया के होंठ की तरह बिंदिया से लिपट गई और उसके होंठ चूसने लगी। मैंने अपनी जीभ निकालकर बिंदिया के मुँह में डाल दी। वो मेरी जीभ को पकड़कर चूसने लगी, और अपनी जीभ भी मेरे मुँह में डाल दी, जिसे मैं चाटने लगी। कुछ देर एक दूसरे की जीभ चाटने के बाद बिंदिया ने मेरी बाहों को ऊपर उठाया और मेरी कमीज उतार दी। मेरी साँसें उखड़ने लगी और मेरी चूचियां मेरी साँसों के साथ ऊपर-नीचे होने लगी।
मेरी चूचियां बिंदिया जितनी बड़ी नहीं थी मगर बिल्कुल गोल-गोल और ऊपर उठी हुई थी। बिंदिया मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी छातियों को खा जाने वाली नजरों से देखते हुए मेरे पीछे आ गई और मेरी ब्रा के हुक खोल । दिए। ब्रा उतारने के बाद बिंदिया ने पीछे से ही अपनी चूचियां मेरी पीठ से रगड़ते हुए मेरी छातियों को अपने हाथों से दबाने लगी। अचानक बिंदिया ने मेरे कंधे को चूमते हुए मेरे कान की एक लौ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरी मुँह से सिसकियां निकलने लगी। बिंदिया मेरे तने हुए सख़्त निपलों को अपनी उंगलियों से खींचने लगी।
मेरे मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- “ऊऊईई... बिंदिया क्या कर रही हो?” मैंने बिंदिया का हाथ हटाते हुए उसे सीधा किया और उसकी बाँहें उठाकर उसकी कमीज उतार दी।
बिंदिया की बड़ी-बड़ी चूचियां ब्रा को फाड़कर बाहर निकलने के लिए मचल रही थीं। मैंने उसकी ब्रा भी निकाल दी। बिंदिया की छातियां बहुत बड़ी थी। उसके निपल तनकर मोटे हो गये थे। बिंदिया मुझे बाहों में लेते हुए अपनी चूचियां मेरी छातियों से रगड़ने लगी। हम दोनों के जिश्म बहुत गर्म हो गये थे, चूचियां आपस में टकराने से हम दोनों के कड़े निपलों एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे और हम दोनों मजे से सिसक रहे थे।
बिंदिया ने नीचे होकर मेरी एक छाती को अपने मुँह में भर लिया और उसे बड़े जोर से चाटने लगी। मेरे सारे बदन में बिजली दौड़ने लगी और मजे से मेरी आँखें बंद होने लगी। मैं बिंदिया के सिर को पकड़कर अपनी छाती पर दबाने लगी। बिंदिया ने अब मेरी दूसरी छाती अपने मुँह में ले ली और पहली वाली को हाथों से सहलाने लगी। अब बिंदिया नीचे होते हुए मेरी नाभि पर आ गई और अपनी जीभ निकालकर मेरी नाभि को चाटने लगी और मेरी सलवार को उतारकर मेरी चड्ढी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाने लगी।
मेरे मुँह से सिसकियां निकल रही थी।