26-12-2018, 01:51 PM
बिंदिया काँपने लगी। कुछ देर फांकों को चाटने के बाद मैंने बिंदिया की पूरी चूत को दबोच लिया। मैंने अपनी जीभ निकालकर चूत की फांकों और उसकी पतली दरार को चाटने लगी। अब बिंदिया बहुत जोर से सिसक रही थी। उसकी साँसों की आवाज मुझे सुनाई दे रही थी और तड़प सहन ना करते हुए बिंदिया की योनि से नदियां बहने लगी, और उसकी आँखें बंद हो गई। वो अपने पहले ओर्गेज्म का भरपूर लुत्फ़ उठा रही थी।
उसके योवन रस से मेरा पूरा चेहरा भीग चुका था, मैं अपनी जीभ से बिंदिया का पूरा योवन रस चाट रही थी। उसका स्वाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। बिंदिया अब होश में आने लगी और अपनी आँखें खोलकर मेरी तरफ देखने लगी।
मैंने पूछा- मजा आया?
बिंदिया ने शर्म के मारे अपनी गर्दन हिलाकर हाँ कहा।
तभी बाहर से दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैंने बिंदिया से कहा- “जल्दी अपने कपड़े पहनो। आज मैं तुम्हें लाइव शो दिखाती हूँ..” कहकर मैं जल्दी से उठी और दरवाजे के की-होल से देखने लगी।
बिंदिया भी मेरे पीछे खड़ी होकर देखने लगी। जय अंदर आते ही आँटी के नरम होंठों पे फ्रेंच-किस करने लगा। आँटी ने भी उसका साथ देते हुए उसे अपनी बाहों में भर लिया। जय ने आँटी से अलग होते हुए दरवाजा बंद किया और आँटी के साथ कमरे में चला गया। मैं जल्दी से बिंदिया को लेकर खिड़की के पास आ गई और अंदर देखने लगी। आँटी ने जय के सारे कपड़े एक-एक करके उतार दिए। जय अब सिर्फ एक अंडरवेर में खड़ा था।
जय- “आज बड़े मूड में हो मेरी रानी...” कहते हुये जय ने आँटी को बाहों में भरना चाहा।
मगर आँटी जय को बेड पर गिराते हुए उसके ऊपर चढ़ गई, और अपनी जुबान निकालकर जय के जिश्म को चाटने लगी और उसकी छाती को अपने मुँह में ले लिया। आँटी जय की छाती चाटते हुए उसे अपने दाँतों से हल्का-हल्का काट रही थी। जय मजे से उछल रहा था।
यह सब देखकर मेरी और बिंदिया की साँसें अटकने लगी। बिंदिया ने मुझे पीछे से जोर से दबोच लिया और अपने हाथ मेरी छातियों पे रख लिया। बिंदिया की तेज साँसें मेरे मुँह के करीब महसूस हो रही थीं।
आँटी ने बैठकर एक नजर जय पर डाली और एक लंबी साँस लेते हुए सीधी होकर जय के ऊपर बैठ गई। आँटी ने एक हाथ अपनी कमीज में डाला और अपनी एक छाती बाहर निकाली। उसकी भरी-भरी एक चूची कमीज के बाहर लटक रही थी। गुलाबी रंग का निपल उत्तेजना की वजह से सीधा खड़ा था। उसने एक नजर जय पे डाली, और अपने हाथों से अपनी छाती दबाने लगी।
जय बड़े गौर से आँटी को घूर रहा था और अपने एक हाथ से अंडरवेर के ऊपर से ही अपने लण्ड को सहला रहा था। आँटी ने जय का दूसरा हाथ पकड़ा और अपनी छाती पे रख दिया, और अपने हाथ के दबाव से छाती दबाने लगी। आँटी ने अपने दूसरे हाथ से जय की चड्ढी नीचे सरका दी। जय का खड़ा लण्ड आँटी के सामने था। वो। पहले भी कई-कई बार इस लण्ड से खेल चुकी थी। मगर फिर भी इतना बड़ा और मोटा लण्ड देखकर उसके दिल की धड़कनें तेज होने लगी। आँटी अपने हाथ को बढ़ाकर लण्ड अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाने लगी। आँटी का। हाथ अब पूरे लण्ड पर ऊपर-नीचे हो रहा था।
जय की आँखें मजे से बंद होने लगी। जय के हाथ का दबाव भी आँटी की छाती पे बढ़ता जा रहा था। आँटी ने एक लंबी साँस ली और नीचे झुककर जय का लण्ड अपने मुँह में भर लिया। आह्ह्ह... जय के मुँह से आऽs निकल गई। जय ने एक हाथ से आँटी की छाती सहलाते हुए दूसरे हाथ से उसके सिर को पकड़ लिया।
आँटी लण्ड का चौथा हिस्सा ही अपने मुँह में ले पा रही थी, और वो मोटा इतना था की उसे अपना पूरा मुँह खोलना पड़ रहा था। फिर भी आँटी के दाँत लण्ड को छू रहे थे। आँटी ने फिर भी लण्ड को चूसना जारी रखा और अपने मुँह को लण्ड के ऊपर-नीचे करती रही, और हाथ से लण्ड सहलाती और हिलाती रही।
जय अपना हाथ आँटी के सिर से हटाकर उसकी दूसरी छाती को बाहर निकालने की कोशिश करने लगा, मगर आँटी के झुके होने के कारण वो ऐसा नहीं कर पा रहा था। आँटी ने लण्ड चूसते हुए ही अपना हाथ कमीज में डालकर अपनी दूसरी छाती को बाहर निकाल लिया। जय के दोनों हाथ छातियों पे टूट पड़े और उन्हें मसलने और बेदर्दी से दबाने लगे। जय अब झड़ने वाला था क्योंकी वो अपनी कमर को जोर-जोर हिला रहा था। आँटी भी अपने हाथों को जोर-जोर से आगे-पीछे करते हुए जोर से चूसने लगी।
अचानक जय ने आँटी के सिर को पकड़कर लण्ड पर जोर से दबा दिया, और अपना लण्ड जितना हो सकता था। अंदर सरका दिया और तेज सिसकियों के साथ झड़ने लगा।
उसके योवन रस से मेरा पूरा चेहरा भीग चुका था, मैं अपनी जीभ से बिंदिया का पूरा योवन रस चाट रही थी। उसका स्वाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। बिंदिया अब होश में आने लगी और अपनी आँखें खोलकर मेरी तरफ देखने लगी।
मैंने पूछा- मजा आया?
बिंदिया ने शर्म के मारे अपनी गर्दन हिलाकर हाँ कहा।
तभी बाहर से दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैंने बिंदिया से कहा- “जल्दी अपने कपड़े पहनो। आज मैं तुम्हें लाइव शो दिखाती हूँ..” कहकर मैं जल्दी से उठी और दरवाजे के की-होल से देखने लगी।
बिंदिया भी मेरे पीछे खड़ी होकर देखने लगी। जय अंदर आते ही आँटी के नरम होंठों पे फ्रेंच-किस करने लगा। आँटी ने भी उसका साथ देते हुए उसे अपनी बाहों में भर लिया। जय ने आँटी से अलग होते हुए दरवाजा बंद किया और आँटी के साथ कमरे में चला गया। मैं जल्दी से बिंदिया को लेकर खिड़की के पास आ गई और अंदर देखने लगी। आँटी ने जय के सारे कपड़े एक-एक करके उतार दिए। जय अब सिर्फ एक अंडरवेर में खड़ा था।
जय- “आज बड़े मूड में हो मेरी रानी...” कहते हुये जय ने आँटी को बाहों में भरना चाहा।
मगर आँटी जय को बेड पर गिराते हुए उसके ऊपर चढ़ गई, और अपनी जुबान निकालकर जय के जिश्म को चाटने लगी और उसकी छाती को अपने मुँह में ले लिया। आँटी जय की छाती चाटते हुए उसे अपने दाँतों से हल्का-हल्का काट रही थी। जय मजे से उछल रहा था।
यह सब देखकर मेरी और बिंदिया की साँसें अटकने लगी। बिंदिया ने मुझे पीछे से जोर से दबोच लिया और अपने हाथ मेरी छातियों पे रख लिया। बिंदिया की तेज साँसें मेरे मुँह के करीब महसूस हो रही थीं।
आँटी ने बैठकर एक नजर जय पर डाली और एक लंबी साँस लेते हुए सीधी होकर जय के ऊपर बैठ गई। आँटी ने एक हाथ अपनी कमीज में डाला और अपनी एक छाती बाहर निकाली। उसकी भरी-भरी एक चूची कमीज के बाहर लटक रही थी। गुलाबी रंग का निपल उत्तेजना की वजह से सीधा खड़ा था। उसने एक नजर जय पे डाली, और अपने हाथों से अपनी छाती दबाने लगी।
जय बड़े गौर से आँटी को घूर रहा था और अपने एक हाथ से अंडरवेर के ऊपर से ही अपने लण्ड को सहला रहा था। आँटी ने जय का दूसरा हाथ पकड़ा और अपनी छाती पे रख दिया, और अपने हाथ के दबाव से छाती दबाने लगी। आँटी ने अपने दूसरे हाथ से जय की चड्ढी नीचे सरका दी। जय का खड़ा लण्ड आँटी के सामने था। वो। पहले भी कई-कई बार इस लण्ड से खेल चुकी थी। मगर फिर भी इतना बड़ा और मोटा लण्ड देखकर उसके दिल की धड़कनें तेज होने लगी। आँटी अपने हाथ को बढ़ाकर लण्ड अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाने लगी। आँटी का। हाथ अब पूरे लण्ड पर ऊपर-नीचे हो रहा था।
जय की आँखें मजे से बंद होने लगी। जय के हाथ का दबाव भी आँटी की छाती पे बढ़ता जा रहा था। आँटी ने एक लंबी साँस ली और नीचे झुककर जय का लण्ड अपने मुँह में भर लिया। आह्ह्ह... जय के मुँह से आऽs निकल गई। जय ने एक हाथ से आँटी की छाती सहलाते हुए दूसरे हाथ से उसके सिर को पकड़ लिया।
आँटी लण्ड का चौथा हिस्सा ही अपने मुँह में ले पा रही थी, और वो मोटा इतना था की उसे अपना पूरा मुँह खोलना पड़ रहा था। फिर भी आँटी के दाँत लण्ड को छू रहे थे। आँटी ने फिर भी लण्ड को चूसना जारी रखा और अपने मुँह को लण्ड के ऊपर-नीचे करती रही, और हाथ से लण्ड सहलाती और हिलाती रही।
जय अपना हाथ आँटी के सिर से हटाकर उसकी दूसरी छाती को बाहर निकालने की कोशिश करने लगा, मगर आँटी के झुके होने के कारण वो ऐसा नहीं कर पा रहा था। आँटी ने लण्ड चूसते हुए ही अपना हाथ कमीज में डालकर अपनी दूसरी छाती को बाहर निकाल लिया। जय के दोनों हाथ छातियों पे टूट पड़े और उन्हें मसलने और बेदर्दी से दबाने लगे। जय अब झड़ने वाला था क्योंकी वो अपनी कमर को जोर-जोर हिला रहा था। आँटी भी अपने हाथों को जोर-जोर से आगे-पीछे करते हुए जोर से चूसने लगी।
अचानक जय ने आँटी के सिर को पकड़कर लण्ड पर जोर से दबा दिया, और अपना लण्ड जितना हो सकता था। अंदर सरका दिया और तेज सिसकियों के साथ झड़ने लगा।