26-12-2018, 01:49 PM
तभी मैंने देखा की बिंदिया वहाँ पहुँच गई और उसका लण्ड अपने हाथों से सहलाने लगी। मेरा मुँह हैरत से फटा जा रहा था।
मैंने बिंदिया से कहा- “तुम क्या कर रही हो?”
बिंदिया ने हँसते हुए कहा- “धन्नो, तुम अब भी बच्ची हो क्या? आओ इसका स्वाद चख लो और मजे लो...” कहकर बिंदिया अपना मुँह खोलकर लण्ड चूसने लगी।
लण्ड बढ़ता हुआ बड़ा हो गया। यह लण्ड जय से बड़ा और भयानक था। मैं आँखें फाड़कर देख रही थी। तभी बिंदिया उसके लण्ड को मुँह से निकालकर मेरी तरफ आई और मुझे खींचते हुए उस रिक्शेवाले की तरफ ले जाने लगी। मैं भी अपने आपको रोक ना पाई और बिंदिया के साथ जाने लगी।
बिंदिया ने उस रिक्शेवाले का लण्ड मेरे हाथ में थमा दिया। मुझे जाने क्या हुआ मैं उस लण्ड को आगे-पीछे करने लगी और नीचे बैठ गई। अचानक वो रिक्शावाला अपना लण्ड मेरे होंठों पे रगड़ने लगा। मुझपे नशा होने लगा और मैंने अपना मुँह खोल दिया और उसने लण्ड को मुँह में डाल दिया। मुझे उसके लण्ड से कुछ अजीब सी गंध आ रही थी, मगर मुझे अच्छा भी लग रहा था। उस रिक्शेवाले ने अपना लण्ड मेरे मुंह से निकालकर मेरे होंठ पे चूमने लगा और अपनी जुबान मेरे मुँह में डालने लगा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं भी उसका साथ देने लगी, और अपनी जुबान उसके मुँह में डाल दी। वो उसे बड़े प्यार से चाटने लगा और उसने मुझे सीधा लेटा दिया। अब वो मेरे ऊपर था। उसने नीचे होते हुए मेरी स्कर्ट के ऊपर ही मेरी चूचियां सहलाने लगा। मैं मजे से सिसकने लगी।
अचानक बिंदिया ने कहा- “देर हो रही है जल्दी से करो..."
वो रिक्शावाला नीचे होते हुए मेरी पैंटी उतारने लगा। पैंटी उतारकर उसने मेरी चूत पर अपना मुँह रखा और चाटने लगा। मैं मजे से अपना सिर पटकने लगी और उसके सिर को जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी। रिक्शावाला अपना मुँह हटाकर एक उंगली पर थूक लगाकर मेरी चूत में डालने लगा। पहले मुझे थोड़ा दर्द हुआ मगर फिर मजा आने लगा। अब वो अपनी पूरी उंगली अंदर-बाहर कर रहा था।
फिर उसने अपनी दो उंगलियां अंदर डाल दी और मुझे फिर से दर्द होने लगा मगर थोड़ी ही देर में मुझे इतना मजा आने लगा की मैं मजे से अपने चूतड़ उठाने लगी और मैं झड़ गई। रिक्शावाले ने मौका देखकर मेरी गीली चूत पर अपना लण्ड रगड़ा और थोड़ा थूक लगाकर मेरी चूत में एक जोरदार धक्का मारा। मेरे मुँह से एक जोरदार चीख निकली।
बिंदिया ने मुझे उठाते हुए कहा- “क्या हुआ दीदी..
.” * * * * * * * * * *धन्नो का सपना समाप्त
मैंने बिंदिया से कहा- “तुम क्या कर रही हो?”
बिंदिया ने हँसते हुए कहा- “धन्नो, तुम अब भी बच्ची हो क्या? आओ इसका स्वाद चख लो और मजे लो...” कहकर बिंदिया अपना मुँह खोलकर लण्ड चूसने लगी।
लण्ड बढ़ता हुआ बड़ा हो गया। यह लण्ड जय से बड़ा और भयानक था। मैं आँखें फाड़कर देख रही थी। तभी बिंदिया उसके लण्ड को मुँह से निकालकर मेरी तरफ आई और मुझे खींचते हुए उस रिक्शेवाले की तरफ ले जाने लगी। मैं भी अपने आपको रोक ना पाई और बिंदिया के साथ जाने लगी।
बिंदिया ने उस रिक्शेवाले का लण्ड मेरे हाथ में थमा दिया। मुझे जाने क्या हुआ मैं उस लण्ड को आगे-पीछे करने लगी और नीचे बैठ गई। अचानक वो रिक्शावाला अपना लण्ड मेरे होंठों पे रगड़ने लगा। मुझपे नशा होने लगा और मैंने अपना मुँह खोल दिया और उसने लण्ड को मुँह में डाल दिया। मुझे उसके लण्ड से कुछ अजीब सी गंध आ रही थी, मगर मुझे अच्छा भी लग रहा था। उस रिक्शेवाले ने अपना लण्ड मेरे मुंह से निकालकर मेरे होंठ पे चूमने लगा और अपनी जुबान मेरे मुँह में डालने लगा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं भी उसका साथ देने लगी, और अपनी जुबान उसके मुँह में डाल दी। वो उसे बड़े प्यार से चाटने लगा और उसने मुझे सीधा लेटा दिया। अब वो मेरे ऊपर था। उसने नीचे होते हुए मेरी स्कर्ट के ऊपर ही मेरी चूचियां सहलाने लगा। मैं मजे से सिसकने लगी।
अचानक बिंदिया ने कहा- “देर हो रही है जल्दी से करो..."
वो रिक्शावाला नीचे होते हुए मेरी पैंटी उतारने लगा। पैंटी उतारकर उसने मेरी चूत पर अपना मुँह रखा और चाटने लगा। मैं मजे से अपना सिर पटकने लगी और उसके सिर को जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी। रिक्शावाला अपना मुँह हटाकर एक उंगली पर थूक लगाकर मेरी चूत में डालने लगा। पहले मुझे थोड़ा दर्द हुआ मगर फिर मजा आने लगा। अब वो अपनी पूरी उंगली अंदर-बाहर कर रहा था।
फिर उसने अपनी दो उंगलियां अंदर डाल दी और मुझे फिर से दर्द होने लगा मगर थोड़ी ही देर में मुझे इतना मजा आने लगा की मैं मजे से अपने चूतड़ उठाने लगी और मैं झड़ गई। रिक्शावाले ने मौका देखकर मेरी गीली चूत पर अपना लण्ड रगड़ा और थोड़ा थूक लगाकर मेरी चूत में एक जोरदार धक्का मारा। मेरे मुँह से एक जोरदार चीख निकली।
बिंदिया ने मुझे उठाते हुए कहा- “क्या हुआ दीदी..
.” * * * * * * * * * *धन्नो का सपना समाप्त