26-12-2018, 01:49 PM
धन का सपना
रिक्शावाला हर रोज की तरह सुबह मैं और बिंदिया कालेज के लिए तैयार होकर जाने लगे। हमारा कालेज घर से एक कीलोमीटर दूर है, इसीलिए हम दोनों डेली रिक्शा से कालेज जाती हैं। आज भी हम रिक्शा से जा रहे थे। मैं अपने खयालों में खोई हुई थी। अचानक मैंने देखा की रिक्शा कालेज की बजाए किसी और जगह जा रहा है।
मैंने रिक्शेवाले से कहा- “भाई कहाँ जा रहे हो? हमें कालेज जाना है...”
रिक्शेवाले ने कहा- “मुझे थोड़ा काम था इसीलिए इस तरफ आ गया। यहाँ से कालेज का शार्ट कट है। मैं जल्दी से आपको कालेज पहुँचा दूंगा...”
बिंदिया बोली- “हाँ दीदी यहाँ से कालेज दूर नहीं है और इस गरीब का काम भी हो जायगा...”
मैंने कहा- “चलो ठीक है...”
रिक्शा चलता हुआ एक सुनसान जगह पर आकर रुक गया। यहाँ पर घने पेड़ों के अलावा कुछ नहीं था।
मैंने कहा- यहाँ क्यों रोक दिया?
रिक्शेवाले ने हँसते हुए कहा- “यहीं तो काम है...”
मैं बहुत डर गई। मैंने गुस्से से कहा- “क्या काम है?”
रिक्शेवाले ने एक उंगली सीधी करके दिखाई।
मैंने कहा- “अच्छा जल्दी से कर लो...”
रिक्शावाला कुछ दूर जाकर अपनी जिप खोलकर पेशाब करने लगा। अचानक उसने जिप बंद किए बगैर हमारी तरफ मुँह कर लिया, तो उसकी पैंट के बाहर एक बहुत मोटा और बड़ा काला लण्ड लटक रहा था।
मेरे तो होश ही उड़ गये। मैंने कहा- “यह क्या बदतमीजी है?”
रिक्शावाला हर रोज की तरह सुबह मैं और बिंदिया कालेज के लिए तैयार होकर जाने लगे। हमारा कालेज घर से एक कीलोमीटर दूर है, इसीलिए हम दोनों डेली रिक्शा से कालेज जाती हैं। आज भी हम रिक्शा से जा रहे थे। मैं अपने खयालों में खोई हुई थी। अचानक मैंने देखा की रिक्शा कालेज की बजाए किसी और जगह जा रहा है।
मैंने रिक्शेवाले से कहा- “भाई कहाँ जा रहे हो? हमें कालेज जाना है...”
रिक्शेवाले ने कहा- “मुझे थोड़ा काम था इसीलिए इस तरफ आ गया। यहाँ से कालेज का शार्ट कट है। मैं जल्दी से आपको कालेज पहुँचा दूंगा...”
बिंदिया बोली- “हाँ दीदी यहाँ से कालेज दूर नहीं है और इस गरीब का काम भी हो जायगा...”
मैंने कहा- “चलो ठीक है...”
रिक्शा चलता हुआ एक सुनसान जगह पर आकर रुक गया। यहाँ पर घने पेड़ों के अलावा कुछ नहीं था।
मैंने कहा- यहाँ क्यों रोक दिया?
रिक्शेवाले ने हँसते हुए कहा- “यहीं तो काम है...”
मैं बहुत डर गई। मैंने गुस्से से कहा- “क्या काम है?”
रिक्शेवाले ने एक उंगली सीधी करके दिखाई।
मैंने कहा- “अच्छा जल्दी से कर लो...”
रिक्शावाला कुछ दूर जाकर अपनी जिप खोलकर पेशाब करने लगा। अचानक उसने जिप बंद किए बगैर हमारी तरफ मुँह कर लिया, तो उसकी पैंट के बाहर एक बहुत मोटा और बड़ा काला लण्ड लटक रहा था।
मेरे तो होश ही उड़ गये। मैंने कहा- “यह क्या बदतमीजी है?”